एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे,
*कुछ घण्टे में राख.....*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!*
एक बूढ़ा बाप,
शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ....
अरे जल्दी ले जाओ
*कौन रखेगा सारी रात...*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!*
मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
उसकी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती,
रो रहे थे ...........
नहीं रहा.. ... चला गया...
*चार दिन करेंगे बात.....*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!!*
बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी...
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी...
बाद में उस तस्वीर पे,
*जाले भी कौन करेगा साफ़.*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!!!*
जिन्दगी भर,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया...
कोई न देगा साथ...
जायेगा खाली हाथ....
तिनका ले जाने की भी,
*नही है औकात ???*
बस इतनी-सी है,
*आदमी की औकात*
*तो फिर घमंड कैसा ?????*
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे,
*कुछ घण्टे में राख.....*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!*
एक बूढ़ा बाप,
शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ....
अरे जल्दी ले जाओ
*कौन रखेगा सारी रात...*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!*
मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
उसकी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती,
रो रहे थे ...........
नहीं रहा.. ... चला गया...
*चार दिन करेंगे बात.....*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात!!!!!*
बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी...
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी...
बाद में उस तस्वीर पे,
*जाले भी कौन करेगा साफ़.*
बस इतनी-सी है
*आदमी की औकात !!!!!!*
जिन्दगी भर,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया...
कोई न देगा साथ...
जायेगा खाली हाथ....
तिनका ले जाने की भी,
*नही है औकात ???*
बस इतनी-सी है,
*आदमी की औकात*
*तो फिर घमंड कैसा ?????*
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