पंडितो के मोहल्ले मे एक ठाकुरसाब. रहते थे,
जो हर रोज चिकन बनाकर खाते थे.
चिकन की खुशबू से परेशान होकर
पंडितो ने महंत से शिकायत की.
महंत ने ठाकुरसाब. को कहा
कि आप भी ब्राह्मण धर्म स्वीकार कर लो,
जिससे किसी को आपसे कोई
समस्या ना हो.
हमारे। ठाकुरसाब. मान गए.
तो महंत ने ठाकुरसाब पर
गंगा जल छिडकते हुए संस्कृत में कहा
"तुम पैदा राजपूत हुए थे पर अब तुम ब्राह्मण हो "
अगले दिन फिर ठाकुरसाब . के घर से
चिकन की खुशबू आई तो सब पंडितो ने
महंत से उसकी फिर शिकायत की.
अब महंत पंडितो को साथ लेकर
ठाकुरसाब . के घर मे गए तो देखा,
ठाकुरसाब . चिकन पर
गंगा जल छिडक रहे थे
और कह रहे थे,
" तुम पैदा मुर्गे हुए थे पर अब तुम आलू हो "
जो हर रोज चिकन बनाकर खाते थे.
चिकन की खुशबू से परेशान होकर
पंडितो ने महंत से शिकायत की.
महंत ने ठाकुरसाब. को कहा
कि आप भी ब्राह्मण धर्म स्वीकार कर लो,
जिससे किसी को आपसे कोई
समस्या ना हो.
हमारे। ठाकुरसाब. मान गए.
तो महंत ने ठाकुरसाब पर
गंगा जल छिडकते हुए संस्कृत में कहा
"तुम पैदा राजपूत हुए थे पर अब तुम ब्राह्मण हो "
अगले दिन फिर ठाकुरसाब . के घर से
चिकन की खुशबू आई तो सब पंडितो ने
महंत से उसकी फिर शिकायत की.
अब महंत पंडितो को साथ लेकर
ठाकुरसाब . के घर मे गए तो देखा,
ठाकुरसाब . चिकन पर
गंगा जल छिडक रहे थे
और कह रहे थे,
" तुम पैदा मुर्गे हुए थे पर अब तुम आलू हो "
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