Friday, June 3, 2022

 *घमंडी कौवा*


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हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था, उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था। उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा “तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !” कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ??? नहीं, तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं !


कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला,” ये अच्छी बात है कि तुम ये सब कर लेते हो, लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए।”


”मैं घमंड – वमंड नहीं जानता, अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए।”


एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली। यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी, पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे।


प्रतियोगिता शुरू हुई, पहले चरण की शुरुआत कौवे ने की और एक से बढ़कर एक कलाबजिया दिखाने लगा, वह कभी गोल-गोल चक्कर खाता तो कभी ज़मीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता। वहीँ हंस उसके मुकाबले कुछ ख़ास नहीं कर पाया। कौवा अब और भी बढ़-चढ़ कर बोलने लगा,” मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ भी नहीं आता…ही ही ही…”


नैतिक शिक्षा देती इस कहानी का अपने बच्चों को ज़रूर सुनाएं


फिर दूसरा चरण शुरू हुआ, हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की तरफ उड़ने लगा। कौवा भी उसके पीछे हो लिया,” ये कौन सा कमाल दिखा रहे हो, भला सीधे -सीधे उड़ना भी कोई चुनौती है ??? सच में तुम मूर्ख हो !”, कौवा बोला।


पर हंस ने कोई ज़वाब नही दिया और चुप-चाप उड़ता रहा, धीरे-धीरे वे ज़मीन से बहुत दूर होते गए और कौवे का बडबडाना भी कम होता गया, और कुछ देर में बिलकुल ही बंद हो गया। कौवा अब बुरी तरह थक चुका था, इतना कि अब उसके लिए खुद को हवा में रखना भी मुश्किल हो रहा था और वो बार -बार पानी के करीब पहुच जा रहा था। हंस कौवे की स्थिति समझ रहा था, पर उसने अनजान बनते हुए कहा,” तुम बार-बार पानी क्यों छू रहे हो, क्या ये भी तुम्हारा कोई करतब है ?””नहीं ” कौवा बोला,” मुझे माफ़ कर दो, मैं अब बिलकुल थक चूका हूँ और यदि तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं दम तोड़ दूंगा…मुझे बचा लो मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊंगा….”


हंस को कौवे पर दया आ गयी, उसने सोचा कि चलो कौवा सबक तो सीख ही चुका है, अब उसकी जान बचाना ही ठीक होगा,और वह कौवे को अपने पीठ पर बैठा कर वापस तट की और उड़ चला।


दोस्तों,हमे इस बात को समझना चाहिए कि भले हमें पता ना हो पर हर किसी में कुछ न कुछ quality होती है जो उसे विशेष बनाती है। और भले ही हमारे अन्दर हज़ारों अच्छाईयां हों, पर यदि हम उसपे घमंड करते हैं तो देर-सबेर हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना पड़ता है। एक पुरानी कहावत भी है,”घमंडी का सर हमेशा नीचा होता है।”, इसलिए ध्यान रखिये कि कहीं जाने -अनजाने आप भी कौवे वाली गलती तो नहीं कर रहे ?

 दोस्तों रोज की तरह मै आज फिर हाज़िर हूं एक कहानी लेके इसे पढ़िए और इनमें से जो आपको अच्छा लगे उस सीख को अपनाइए ये कहानी है तीन साधुओं की तो चलिए शुरू करते हैं


*तीन साधू*


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एक औरत अपने घर से निकली, उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा। वह उन्हें पहचान नही पायी।


उसने कहा, ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती, बताइए क्या काम है ?”


”हमें भोजन करना है।”साधुओं ने बोला।


”ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये।”


”क्या तुम्हारा पति घर में है ?”, एक साधू ने प्रश्न किया।


“नहीं, वह कुछ देर के लिए बाहर गए हैं।” औरत ने उत्तर दिया।


“तब हम अन्दर नहीं आ सकते “,तीनो एक साथ बोले।


थोड़ी देर में पति घर वापस आ गया, उसे साधुओं के बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी पत्नी से उन्हें पुन: आमंत्रित करने के लिए कहा। औरत ने ऐसा ही किया, वह साधुओं के समक्ष गयी और बोली,” जी, अब मेरे पति वापस आ गए हैं, कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिए!”


”हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नहीं करते।” साधुओं ने स्त्री को बताया।


”ऐसा क्यों है ?” औरत ने अचरज से पूछा।


जवाब में मध्य में खड़े साधू ने बोला,” पुत्री मेरी दायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘धन’ और बायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘सफलता’ है, और मेरा नाम ‘प्रेम’ है। अब जाओ और अपने पति से विचार-विमर्श कर के बताओ की तुम हम तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो।”


औरत अन्दर गयी और अपने पति से सारी बात बता दी। पति बेहद खुश हो गया। “वाह, आनंद आ गया, चलो जल्दी से ‘धन’ को बुला लेते हैं, उसके आने से हमारा घर धन-दौलत से भर जाएगा, और फिर कभी पैसों की कमी नहीं होगी।”


औरत बोली,” क्यों न हम सफलता को बुला लें, उसके आने से हम जो करेंगे वो सही होगा, और हम देखते-देखते धन-दौलत के मालिक भी बन जायेंगे।”


“हम्म, तुम्हारी बात भी सही है, पर इसमें मेहनत करनी पड़ेगी, मुझे तो लगता ही धन को ही बुला लेते हैं।”, पति बोला।


थोड़ी देर उनकी बहस चलती रही पर वो किसी निश्चय पर नहीं पहुच पाए, और अंतत: निश्चय किया कि वह साधुओं से यह कहेंगे कि धन और सफलता में जो आना चाहे आ जाये।


औरत झट से बाहर गयी और उसने यह आग्रह साधुओं के सामने दोहरा दिया।


उसकी बात सुनकर साधुओं ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे।


”अरे ! आप लोग इस तरह वापस क्यों जा रहे हैं ?”, औरत ने उन्हें रोकते हुए पूछा।


”पुत्री, दरअसल हम तीनो साधू इसी तरह द्वार-द्वार जाते हैं, और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहां से लौट जाते हैं, और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है उसके यहाँ बारी- बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए इतना याद रखना कि जहाँ प्रेम है वहां धन और सफलता की कमी नहीं होती।”, ऐसा कहते हुए धन और सफलता नामक साधुओं ने अपनी बात पूर्ण की।

 *स्वामी विवेकानंद के जीवन के 3 प्रेरक प्रसंग*

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लक्ष्य पर ध्यान लगाओ -


स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा … फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे| ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा, ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”


स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है|”



डर का सामना -


एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”


स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो|”




सच बोलने की हिम्मत -


स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया|


मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी|


”कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया|


मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया|


यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया|


तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ|”


”नहीं सर, मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया|

 पिता को सिर्फ स्टेटस में नही

दिल मे भी रखो

और बाहर दिखावा कम करो


पिता है तो सब कुछ है

हवा,पानी,धरती,आकाश,

धन,चैन,नींद,सपने,सपनों में पँख


ज़िंदगी में अपना कमाया कुछ भी नही ,

ये इज्जत भी मेरे बाप की इज्जत है


जाया ना कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिए

बस खामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है


सुना है बाप का साया हो तो 

कांटा भी नही चुभता


जिस नींव पर टिके मेरे सभी धंधे है

वो कुछ और नही मेरे पापा के कंधे है


पिता का दिन नही होता

पिता से ही दिन होता है


जब हम छोटे थे मंदिर में भीड़ के कारण पिता के कंधे पर बैठकर भगवान के दर्शन करते थे

पर उस वक्त समझ नही थी कि हम खुद भगवान के कंधे पर ही बैठे है


अपनी सफलता का रौब

माता पिता को मत दिखाओ

उन्होंने अपनी ज़िन्दगी हारकर

आपको जिताया है


माँ के बगैर घर सूना लगता है

और पिता के बगैर ज़िन्दगी


अपने आंसुओ की चिंता नही है मुझे 

बस अपने पापा की आंखों में

आंसू नही देख सकता


मैं सुबह उठा तो कोई थक कर भी

काम पर जा रहा था वो थे पापा


जब कभी बाप बनोगे

 तो समझ आएगा

 क्यूं देर रात घर आने पर पापा चिल्लाते है

 👉छिछोरे मूवी में ये सिखाने वाला की, आत्महत्या करना जिंदगी का अंतिम विकल्प नही है ,उसी का आत्महत्या करना काफी कुछ सिखा गया, ये जिंदगी का अंतिम रास्ता नही है,जो खुद ये कदम कर बैठे


👉य तो नही मालूम किन हालातो में ऐसे कदम उठाया उन्होंने पर जो भी मुश्किलें रही हों,उसका अंतिम रास्ता शायद ये नही होता!


👉धोनी मूवी में उन्होंने उस सँघर्षमय जीवन वाले व्यक्ति का किरदार अदा किया,पर उस किरदार से उन्होंने सीखा क्या,हम लोग जब भी उदास या हताश होते हैं तो बेस्ट मोटिवेशनल हिंदी मूवी सर्च करते है तो उनमें छिछोरे और Ms धोनी जरूर लिस्ट में आती हैं फिर उन्ही मूवीज में मुख्य किरदार निभाने वाला इतने कमजोर दिल का निकला


👉दख होता है एक प्रतिभा के जाने से,क्योंकि किसी के बेवक्त जाने से कभी भी उस जगह को भरा नही जा सकता।


👉अब जब हताश होंगे तो उस लिस्ट में आपकी ये दो मूवी कभी नही होगी। क्या कप्तान साहब पारी तो पूरी खेलते


👉डिप्रेशन बहुत खतरनाक है ।


👉पढ़ाई में ब्रिलियंट रहे aieee में air 7 और ओलम्पियाड मेडलिस्ट, सफल अभिनेता फिर भी आत्महत्या ।

दुःखद

 *किसी बात को सिर्फ इसलिए मत मानो कि ऐसा सदियों से होता आया है, परंपरा है, या सुनने मे आयी है |


*इसलिए मत मानो कि वह किसी धर्म शास्त्र, ग्रंथ मे लिखा हुआ है या ज्यादातर लोग मानते है |


*किसी धर्मगुरु, आचार्य, साधु संत, ज्योतिषी की बात को आंख मूंदकर मत मान लेना |


*किसी बात को सिर्फ इसलिए मत मान लेना कि वह तुमसे कोई बड़ा या आदरणीय व्यक्ती कह रहा है |


*बल्कि हर बात को पहले बुद्धी, तर्क, विवेक, चिंतन व अनुभूति की कसौटी पर तोलना, कसना, परखना और यदि


*वह बात स्वयं के लिए,


*समाज व सम्पूर्ण मानव जगत के कल्याण के हित लगे, तो ही मानना |


"अपने दीपक स्वयं बनो" 


🌹गौतम बुद्ध🌹

 *धरती फट रही है*

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बहुत समय पहले की बात है किसी जंगल में एक गधा बरगद के पेड़ के नीचे लेट कर आराम कर रहा था| लेटे-लेटे उसके मन में बुरे ख़याल आने लगे , उसने सोचा ,” यदि धरती फट गयी तो मेरा क्या होगा ?” अभी उसने ऐसा सोचा ही था कि उसे एक जोर के धमाके की आवाज़ आयी. वह भयभीत हो उठा और चीखने लगा ” भागो-भागो धरती फट रही है , अपनी जान बचाओ…..” और ऐसा कहते हुए वह पागलों की तरह एक दिशा में भागने लगा|


उसे इस कदर भागता देखते हुए एक अन्य गधे ने उससे पूछा, ” अरे क्या हुआ भाई , तुम इस तरह बदहवास भागे क्यों जा रहे हो ?”


”अरे तुम भी भागो…अपनी जान बचाओ, धरती फट रही है…”, ऐसा चीखते हुए वह भागता रहा|


यह सुन कर दूसरा गधा भी डर गया और उसके साथ भागने लगा. अब तो वह दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे- ” भागो-भागो धरती फट रही है …भागो-भागो ….”


देखते-देखते सैकड़ों गधे इस बात को दोहराते हुए उसी दिशा में भागने लगे|


गधों को इस तरह भागता देख , अन्य जानवर भी डर गए. धरती फटने की खबर जंगल में लगी आग की तरह फैलने लगी , और जल्द ही सबको पता चल गया की धरती फट रही है. चारो तरफ जानवरों की चीख-पुकार मच गयी , सांप, बिच्छु , सीयार , लोमड , हाथी , घोड़े ..सभी उस झुण्ड में शामिल हो भागने लगे|


जंगल में फैले इसे हो-हल्ले को सुन अपनी गुफा में विश्राम कर रहा जंगल का रजा शेर बाहर निकला , उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ कि सारे जानवर एक ही दिशा में भागे जा रहे हैं.वह उछल कर सबके सामने आया और गूंजती हुई दहाड़ के साथ बोला , ” ये क्या पागलपन है ? कहाँ भागे जा रहे हो तुम सब ??”


”महाराज , धरती फट रही है !! , आप भी अपनी जान बचाइए. “, झुण्ड में आगे खड़ा बन्दर बोला|


”किसने कहा ये सब ?” ,शेर ने प्रश्न किया|


सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे , फिर बन्दर बोला ,” मुझे तो ये बात चीते ने बतायी थी.”


चीते ने कहा , ”मैंने तो ये पक्षियों से सुना था.” और ऐसे करते करते पता चला कि ये बात सबसे पहले गधे ने बताई थी|


गधे को महाराज के सामने बुलाया गया|


”तुम्हे कैसे पता चला कि धरती फट रही है ?”, शेर ने गुस्से से पूछा|


“मममम मैंने अपने कानो से धरती के फटने की आवाज़ सुनी महाराज!”, गधे ने डरते हुए उत्तर दिया


” ठीक है चलो , मुझे उस जगह ले चलो और दिखाओ कि धरती फट रही है.”, ऐसा कहते हुए शेर गधे को उस तरफ ढकेलता हुआ ले जाने लगा. बाकी जानवर भी उनके पीछे हो लिए और डर-डर कर उस और बढ़ने लगे .बरगद के पास पहुच कर गधा बोला ,” हुजूर , मैं यहीं सो रहा था कि तभी जोर से धरती फटने की आवाज़ आई, मैंने खुद उडती हुई धूल देखी और भागने लगा “


शेर ने आस पास जा कर देखा और सारा मामला समझ गया . उसने सभी को संबोधित करते हुए बोला ,” ये गधा महामूर्ख है , दरअसल पास ही नारियल का एक ऊँचा पेड़ है , और तेज हवा चलने से उस पर लगा एक बड़ा सा नारियल नीचे पत्थर पर गिर पड़ा , पत्थर सरकने से आस-पास धूल उड़ने लगी और ये गधा ना जाने कैसे इसे धरती फटने की बात समझ बैठा .”


शेर ने बोलना जारी रखा ,” पर भाइयों ये तो गधा है , पर क्या आपके पास भी अपना दिमाग नहीं है , जाइए ,अपने घर जाइये और आइन्दा से किसी अफवाह पर यकीन करने से पहले दस बार सोचियेगा.”


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कहानी से सीख -


Friends , हमारी life में भी कई बार ऐसा होता है कि हम किसी अफवाह को सुनते हैं और उसपर यकीन कर बैठते हैं . इन rumours की चपेट में आकर हम कई बार ज्यादा पैसों की लालच में अपनी गाढ़ी कमाई भगेडू कंपनियों में लगा देते हैं तो कई मामलों में ये दंगों और भगदड़ के रूप में कई जाने ले लेता है|


इसलिए हमें किसी गधे की बात में यकीन करने से पहले अपना दिमाग ज़रूर लगा लेना चाहिए ,और ये भी समझना चाहिए कि अगर सैकड़ों लोग भी किसी गलत चीज को बढ़ावा दे रहे हैं तो भी वो गलत ही रहती है, और उससे बचने में ही भलाई है

 दर्जी की सीख

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बहुत पहले की बात है एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं।


जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया।


उत्तर था- ”बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”

 *पुरानी पेंटिंग*
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बहुत समय पहले की बात है ,उन्नीसवीं सदी के मशहूर पेंटर दांते गेब्रियल रोजेटी के पास एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पहुंचा. उसके पास कुछ स्केच और ड्राइंगस थीं जो वो रोजेटी को दिखा कर उनकी राय जानना चाहता था की वे अच्छी हैं , या कम से कम उन्हें देखकर कलाकार में कुछ टैलेंट जान पड़ता है|
रोजेटी ने ध्यान से उन ड्राइंगस को देखा . वह जल्द ही समझा गए कि वे किसी काम की नहीं हैं , और उसे बनाने वाले के नहीं के बराबर आर्टिस्टिक टैलेंट है . वे उसे व्यक्ति को दुखी नहीं करना चाहते थे पर साथ ही वो झूठ भी नहीं बोल सकते थे इसलिए उन्होंने बड़ी सज्जनता से उससे कह दिया कि इन ड्राइंगस में कोई खास बात नहीं है. उनकी बात सुनकर व्यक्ति थोडा निराश हुआ , लेकिन शायद वो पहले से ही ऎसी उम्मीद कर रहा था|
उसने रोजेटी से उनका समय लेने के लिए माफ़ी मांगी , और अनुरोध किया कि यदि संभव हो तो वे एक यंग आर्ट स्टूडेंट के द्वारा बनायीं कुछ पुरानी पेंटिंगस भी देख लें. रोजेटी तुरंत तैयार हो गये, और एक पुरानी फ़ाइल में लगी कृतियाँ देखने लगे|
उन्होंने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा , ” वाह, ये पेंटिंगस तो बड़ी अच्छी हैं , इस नौजावान में बहुत टैलेंट है , उसे हर तरह का प्रोत्साहन दीजिये, यदि वह इस काम लगा रहता है और जी तोड़ मेहनत करता है तो कोई शक नहीं कि एक दिन वो माहन पेंटर बनेगा.”
रोजेटी की बात सुनकर उस व्यक्ति की आँखें भर आयीं |
”कौन है यह नौजवान ?” , रोजेटी ने पूछा , “तुम्हारा बेटा ?”
“नहीं”, ” ये मैं ही हूँ- तीस साल पहले का मैं !!! काश उस समय किसी ने आपकी तरह प्रोत्साहित किया होता तो आज मैं पछताने की जगह एक खुशहाल ज़िन्दगी जी रहा होता.”
Friends , encouragement एक ऐसी चीज है जो हमारे अन्दर का बेस्ट बाहर लेकर आती है , हमें और भी अच्छा करने के लिए मोटीवेट करती है. AKC को ही ले लें, तो अगर मैं अब तक हज़ारों लोगों से मिले हज़ारों कमेंट्स को minus कर दूँ तो शायद ये साईट आज जितनी है उसकी आधी भी नहीं होती !
और लोग क्या करते हैं इस पर हम control नहीं कर सकते पर हम ये निश्चय कर सकते हैं कि जब कभी हमें किसी को genuinely encourage करने का मौका मिले हम उसे ज़रूर encourage करें|

 *गुब्बारे वाला*

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एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था. वह गाँव के आस-पास लगने वाली बाजारों में जाता और गुब्बारे बेचता| बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …लाल, पीले, हरे, नीले…. और जब कभी उसे लगता की बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते|


इसी तरह तरह एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था. पास ही खड़ा एक छोटा बच्चा ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रहा था . इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंचा और मासूमियत से बोला, ” अगर आप ये काल वाला गुब्बारा छोड़ेगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”


गुब्बारे वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ बिलकुल जाएगा. बेटे ! गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इसपर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है .” Friends , ठीक इसी तरह हम इंसानों के लिए भी ये बात लागु होती है. कोई अपनी life में क्या achieve करेगा, ये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं depend करता है , ये इस बात पर depend करता है कि उसके अन्दर क्या है. अंतत: हमारा attitude हमारा altitude decide करता है

 *मैं सबसे तेज दौड़ना चाहती हूँ*
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विल्मा रुडोल्फ का जन्म टेनिसी के एक गरीब परिवार में हुआ था. चार साल की उम्र में उन्हें लाल बुखार के साथ डबल निमोनिया हो गया , जिस वजह से वह पोलियो से ग्रसित हो गयीं. उन्हें पैरों में ब्रेस पहनने पड़ते थे और डॉक्टरों के अनुसार अब वो कभी भी चल नहीं सकती थीं.लेकिन उनकी माँ हमेशा उनको प्रोत्साहित करती रहतीं और कहती कि भगवान् की दी हुई योग्यता ,दृढ़ता और विश्वास से वो कुछ भी कर सकती हैं|
विल्मा बोलीं , ” मैं इस दुनिया कि सबसे तेज दौड़ने वाली महिला बनना चाहती हूँ .”
डॉक्टरों की सलाह के विरूद्ध 9 साल की उम्र में उन्होंने ने अपने ब्रेस उतार फेंकें और अपना पहला कदम आगे बढाया जिसे डोक्टरों ने ही नामुमकिन बताया था . 13 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार रेस में हिस्सा लिया और बहुत बड़े अन्तर से आखिरी स्थान पर आयीं. और उसके बाद वे अपनी दूसरी, तीसरी, और चौथी रेस में दौड़ीं और आखिरी आती रहीं , पर उन्होंने हार नहीं मानी वो दौड़ती रहीं और फिर एक दिन ऐसा आया कि वो रेस में फर्स्ट आ गयीं. 15 साल की उम्र में उन्होंने टेनिसी स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिल ले लिया , जहाँ उनकी मुलाकात एक कोच से हुई जिनका नाम एड टेम्पल था| उन्होंने ने कोच से कहा , ” मैं इस दुनिया की सबसे तेज धाविका बनना चाहती हूँ.”
टेम्पल ने कहा ,” तुम्हारे अन्दर जिस तरह का जज़्बा हैं तुम्हे कोई रोक नहीं सकता , और उसके आलावा मैं भी तुम्हारी मदद करुगा.”
देखते-देखते वो दिन आ गया जब विल्मा ओलंपिक्स में पहुँच गयीं जहाँ अच्छे से अच्छे एथलीटों के साथ उनका मुकाबला होना था , जिसमे कभी न हारने वाली युटा हीन भी शामिल थीं. पहले 100 मीटर रेस हुई , विल्मा ने युटा को हराकर गोल्ड मैडल जीता, फिर 200 मीटर का मुकाबला हुआ, इसमें भी विल्माने युटा को पीछे छोड़ दिया और अपना दूसरा गोल्ड मैडल जीत गयीं . तीसरा इवेंट 400 मीटर रिले रेस थी , जिसमे अक्सर सबसे तेज दौड़ने वाला व्यक्ति अंत में दौड़ता है . विल्मा और युटा भी अपनी-अपनी टीम्स में आखिरी में दौड़ रही थीं. रेस शुरू हुई , पहली तीन एथलीट्स ने आसानी से बेटन बदल लीं , पर जब विल्मा की बारी आई तो थोड़ी गड़बड़ हो गयी और बेटन गिरते-गिरते बची , इस बीच युटा आगे निकल गयी , विल्मा ने बिना देरी किये अपनी स्पीड बढ़ाई और मशीन की तरह दौड़ते हुए आगे निकल गयीं और युटा को हराते हुए अपना तीसरा गोल्ड मैडल जीत गयीं. यह इतिहास बन गया : कभी पोलियो से ग्रस्त रही महिला आज दुनिया की सबसे तेज धाविका बन चुकी थी|

 Living Room Vastu Tips:


1. Construct a living room in East (not in South East corner, except for South facing houses) or in North.


2. A living room is more beneficial in North direction.


3. The North-West living room is also good; since presiding element of North-West part of a home is “Air”, the guests in this drawing-room start to feel restless after sometime and tend to leave early. This could be a great site of living area for families who want to avoid late night parties and get-together.


4. God presides North-East of the house and this is one of the ideal locations for a living room, however it’s better suited for a pooja or prayer room.


5. A living room in North brings lot of wealth and health for entire family.


6. South-West located living room makes your guests feel at home and they stick to your home for long time. If you – and your family – have very active social life and just love your guests to stay too long (which could be difficult to manage at times) then you can locate your living room here. However, this place is best suited for Master Bedroom.


7. Living area floor should slope towards East or North.


8. The ceiling of living area, if sloping towards East or North is good.


9. Have the door of the living room in East or North as they are very auspicious and brings wealth, health and overall progress.


10. South, North-East or South-East entrance indicates success but then it takes lot of hard work to achieve.


11. West entrance for living area is good for scholars and researchers.


12. Living area’s North-West entrance supports development in all areas of life.


13. South entrance for living area is inauspicious; just shift the entrance to West for better results.


14. Within the living area keep internal furniture, articles and heavy things in West or South side. If there is no option, then use a base of 1-3 inches height to keep furniture in North or North-East.


15. The head of the family, in living area, should sit facing East or North so that he remains in command and guests are not able to dominate him.


16. Put the TV in South-East corner and not in North-East corner.


17. If TV is in South-West corner, then it will breakdown often.


18. If television is in the North-West corner then the family will waste a lot of precious time watching TV only.


19. Keep telephone in East, South-East or North.


20. Do not keep telephone in South-West or North-West.


21. Place air cooler and air conditioner in West, North-West or East and not in South-East.


22. You can hang portraits of Gods or some beautiful paintings in the North-East wall or corner.


23. Do not hang any portrait depicting negative energy e.g. war, crime, weeping etc in the living area (actually avoid them anywhere in a home).


24. Use white, light yellow, blue or green colors for living room walls.


25. Avoid red or black for living area wall colors.


26. Keep square or rectangular furniture in living area and avoid circular, oval or any other shape of furniture (this is applicable to furniture in entire home).


27. Provide a staircase in the South, West or South-West corner of living area.


28. Put light curtains on North-East windows and doors and heavy curtains in South-West (this is applicable anywhere in a home) of living area.


29. Keep North-East corner of living area clean and empty if possible. Also, to make things better, keep some healthy plants in this corner.


30. Never keep artificial flowers, dried flowers (they attract misfortune), cactus/cacti or bonsai plants (have negative influence on finance and career) and are inauspicious.


31. Hang a chandelier in South or West of living area; do not hang anything in center.


32. Lit the living area brightly with soothing lights.


33. Keep a fish aquarium in the East, North or North-East of the living area. In vastu shastra, a fish aquarium is considered a very powerful tool – so powerful that it acts a remedy for many vastu defects. But, you must use fish aquarium as per the rules and guidelines of vastu; else it may ruin all the happiness in your home.


34. If there is an error in the North-West corner then placing an aquarium will drop that issue.


35. Never keep an aquarium in South as draws all positive energy out of home.


36. You can place a water fountain in North.

Wednesday, June 1, 2022

 जीवन में सच्ची खुशी पानी है तो एक लक्ष्य बनाइये, और उस लक्ष्य की प्राप्ति में रात दिन एक कर दीजिए। दिल-दिमाग का किसी एक काम में लग जाना एक वरदान है, जो बहुत कम लोगों को नसीब होता है।


सुख-दुख, राग, द्वेष, लज्जा, जीत, हार ये सब state of mind हैं,आपके मन का भ्रम। आप चाहें तो इन सारे emotions से affected हुए बिना अपना जीवन जी सकते हैं, बड़े आराम से।


आप परोपकार करें या ना करें, स्वयं के लिए जियें, या समाज के लिए जियें, इससे कुछ फर्क नही पड़ता। बस आपको इतना ध्यान रखना है कि आप किसी पर बोझ ना बने।


दूसरे क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, ये सोचने में अपना वक़्त बिल्कुल ना बर्बाद करें। दूसरे लोग खुद के जीवन में इतना उलझे हुए हैं कि उनको आपके बारे में सोचने की फुरसत नहीं।


स्वयं को स्वस्थ रखना एक ऐसी चुनौती है, जिसको आपको सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।


या तो आप खुद के boss बनिये, नही तो आपको किसी दूसरे का ग़ुलाम बनना पड़ेगा।


कम से कम 4–5 source of income रखिये। किसी एक source पर dependant होना अनिश्चिता को बढ़ावा देना है।
 ❔ आखिर क्यों करते हैं हम ऐसा ❔
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
1. आखिर क्यों हम एक किताब 10 बार पढ़ने की बजाय 10 तरह की किताबें पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं ! 
Ex . - सिविल सेवा की तैयारी करने वाला छात्र अपने घर को लाइब्रेरी बनाकर बैठ जाता है ... सफलता बहुत सी किताबें पढ़ने से नहीं बल्कि एक किताब को बहुत बार पढ़ने से मिलती है 
2. आखिर क्यों हम सीखने के समय में सीखने की बजाय सिखाना ज्यादा पसंद करते हैं ! 
Ex . - हर रोज प्रतियोगी छात्र फरमान जारी करते हैं ...मैं आईएएस की तैयारी के लिए ग्रुप बना रहा हूँ ... अपना no .कमेंट बॉक्स में लिखिए ......" मेरे प्यारे भाई इस समय आपका एक एक सेकंड अमूल्य है ...कृपया पहले आप बन जाइये फिर और ज्यादा ऊर्जा और संसाधनों के साथ आप सबकी मदद कर पाएंगे "
3. आखिर क्यों हम एक ही मार्गदर्शक पर यकीन नहीं रख पाते हर रोज नए मार्गदर्शक की खोज में लगे रहते हैं ...सभी का अपना एक अलग तरीका होता है ...और उस चक्कर में आपकी अपनी तैयारी कभी पटरी में आ ही नहीं पाती ...हमेशा नयी शुरुआत करते रह जाते हैं ! 
4. आखिर क्यों हमारे लिए अपनी जीत से ज्यादा दूसरे की हार मायने रखती है ! 
Ex. - " मैं तो कम से कम मुख्य परीक्षा तक पहुँच गया था उसको देखो वो तो प्रारंभिक परीक्षा भी नहीं पास कर पाया .""...और इसके साथ ही आप खुद को तसल्ली दे देते हो ...पर आपको कौन सा मुख्य परीक्षा पास करने का प्रमाण पत्र मिल गया ...ये भी बता दीजिये ! 
5.  आखिर क्यों हम सब सपने तो हमेशा बड़े देखते हैं लेकिन मात्र 10 प्रतिशत लोग ही उसकी कीमत चुकाने को तैयार होते हैं ! 
Ex . - बनना तो कलेक्टर ही है पर 8 घंटे सोना नहीं छोड़ सकते ....और न ही 8 घंटे पढ़ने में मन लग सकता ...तो भाई इंतजार करो शायद कोई बाबा किसी घुंटी का अविष्कार कर दे ...जो आपको सीधे मसूरी भेज दे 
6. आखिर क्यों हम हर काम या नयी शुरुआत को कल पर टाल देते हैं ....और वो भी इतने यकीन के साथ जैसे हम कल का दिन देखने ही वाले हों ! 
7. आखिर क्यों हम अपनी नाकामी का सेहरा हमेशा दूसरों के सर पर मढ़ देते हैं ..... असल में उनका हम कुछ नहीं बिगाड़ते ...अपने साथ ही सबसे बड़ा धोखा करते हैं .!! 
8. आखिर क्यों अपने ही मष्तिष्क पर हमारा नियंत्रण नहीं रह पाता....हम जानते हैं कि इस समय ये चीजें हमारे लिए बुरी हैं पर फिर भी हम कर डालते हैं ...और बाद में खुद को समझा देते हैं कि आगे से ऐसा नहीं होगा और फिर अगली बार होता है ...और फिर से आप यही लाइन दोहरा लेते हैं ! 
9. आखिर क्यों हम अपने समय की कीमत नहीं समझ पाते और उसे यूँ बर्बाद करते हैं जैसे ऊपर वाले के साथ 500 साल का एग्रीमेंट करके आये हो .....जरा सोच लो अगर अगले ही पल आपके सामने मौत खड़ी हो ..तो क्या छोड़ कर जा रहे हो यहाँ जिससे लोग आपको याद रखें .."" कुछ नहीं किया अब तक मेरे भाई ..मत सोच इतना "" ? 
10. आखिर क्यों हम हम हर दिन कुछ नया पढ़ते हैं ..." .जैसे फेसबुक में में ही कोई नया मोटिवेशनल थॉट ही लेलो " .......और उसके नीचे " wavvv " का कमेंट भी कर देते हैं .... जरा सोचो कि कितनी बार अपने ऐसा किया ? ...शायद सैकड़ों बार .....पर उसमें से कितनी लाइन्स को खुद की जिंदगी पर लागू किया ..? ..अगर एक लाइन भी लागू कर देते मेरे भाई तो आपकी जिंदगी उसी वक़्त बदल जाती ....!!

Saturday, May 28, 2022

 " स्त्री की चाहत क्या है?? "      💞💞💞💞
  एक विद्वान को फाँसी लगने वाली थी। 
राजा ने कहा ~ तुम्हारी जान बख्श दूँगा,
    अगर ...  मेरे एक सवाल का 
                सही उत्तर बता दोगे। 
               प्रश्न था, कि ....
   स्त्री , आख़िर चाहती क्या है ?
विद्वान ने कहा ~ मोहलत मिले, तो 
       पता कर के बता सकता हूँ। 
  राजा ने एक साल की मोहलत दे दी,
        विद्वान बहुत घूमा, 
          बहुत लोगों से मिला,
                पर कहीं से भी 
    कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला.
      आखिर में किसी ने कहा ~
    दूर जंगल में एक भूतनी रहती है। 
        वो ज़रूर बता सकती है ...
          इस सवाल का जवाब। 
   विद्वान उस भूतनी के पास पहुँचा, 
     और अपना प्रश्न उसे बताया। 
          भूतनी ने कहा कि ...
      मैं एक शर्त पर बताउंगी,
    अगर तुम मुझसे शादी कर लो। 
 उसने सोचा, सही जवाब न पता चला 
  तो जान ... राजा के हाथ जानी ही है, 
    इसलिए शादी की सहमति दे दी। 
   शादी होने के बाद भूतनी ने कहा ~
    चूंकि तुमने मेरी बात मान ली है,
    तो मैंने तुम्हें खुश करने के लिए 
         फैसला किया है कि ...
       12 घन्टे ... मै भूतनी और 
 12 घन्टे खूबसूरत परी बनके रहूँगी। 
        अब तुम ये बताओ कि ...
    दिन में भूतनी रहूँ या रात को ?
            उसने सोचा ... 
      यदि वह दिन में भूतनी हुई,
           तो दिन नहीं कटेगा,
      रात में हुई तो रात नहीं कटेगी। 
अंत में उस विद्वान व्यक्ति ने कहा ~
       जब तुम्हारा दिल करे 
              परी बन जाना, 
  जब दिल करे ~ भूतनी बन जाना। 
       ये बात सुनकर भूतनी ने 
  प्रसन्न हो कर कहा, चूंकि तुमने मुझे 
   अपनी मर्ज़ी करने की छूट दे दी है, 
             तो मैं हमेशा ही 
        परी बन के रहा करूँगी। 
 और यही ~ तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। 
       🙆🏻‍♀️    सत्री हमेशा ....
    अपनी मर्जी का करना चाहती है। 
  यदि स्त्री को ....
   अपनी मर्ज़ी का करने देंगे, तो वो
👉🏽  परी बनी रहेगी, वर्ना भूतनी  👈🏽
             
     ◆  फैसला आप का  ◆ 
       ◆  ख़ुशी आपकी  ◆
   सभी विवाहित पुरुषों को समर्पित...🤐😷
        अब ईमानदारी से बताओ,
            किसके घर में परी है ?
 गुप्ता जी दोपहर को अपने बरामदे में बैठे थे कि तभी एक अलसेशियन नस्ल का हष्ट पुष्ट व बेहद थका थका सा एक कुत्ता वहाँ पहुंच गया .
कुत्ते के गले में एक पट्टा भी था. 
उसे देख गुप्ता जी ने मन ही मन सोचा ...जरूर किसी अच्छे घर का पालतू कुत्ता है. 
जब उन्होंने उसे पुचकारा तो वह उनके पास आ गया. फिर जब उन्होंने उस पर प्यार से हाँथ फिराया तो वो पूँछ हिलाता वहीं बैठ गया.
.
कुछ देर बाद जब गुप्ता जी उठकर घर के अंदर गए तो वह कुत्ता भी उनके पीछे पीछे हॉल में चला आया और खिड़की के पास अपने पैर फैलाकर बैठा और देखते देखते ही सो गया.
गुप्ता जी ने भी हॉल का दरवाज़ा बंद किया और सोफे पर आ बैठे. 
करीब एक घंटे सोने के बाद कुत्ता उठा और दरवाजे की तरफ गया तो उठकर गुप्ता जी ने दरवाज़ा खोल दिया. 
कुत्ता घर के बाहर निकला और चला गया.
.
अगले दिन उसी समय कुत्ता फिर आ गया. खिड़की के नीचे एक घंटा सोया और फिर चला गया.
.
उसके बाद वो रोज आने लगा. आता, सोता और फिर चला जाता.
.
गुप्ता जी के मन में उत्सुकता दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी कि इतना शरीफ, समझदार, व्यवहार कुशल कुत्ता आखिर है किसका और प्रतिदिन कहाँ से आता है?
.
एक दिन गुप्ता जी ने उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बाँध दी. जिसमें लिख दिया : आपका कुत्ता रोज मेरे घर आकर सोता है. ये आपको मालूम है क्या ?
.
अगले दिन जब वो प्यारा सा कुत्ता आया तो गुप्ता जी ने देखा कि उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बँधी हुई है. 
उसे निकालकर उन्होंने पढ़ना शुरू किया.... जिसमें लिखा था : ये एक अच्छे घर का बहुत ही शांतिप्रिय कुत्ता है औऱ हमारे साथ ही रहता है लेकिन मेरी पत्नी की पूरे दिन की किटकिट, पिटपिट, चिकचिक, बड़बड़ के कारण वो सो नहीं पाता और रोज हमारे घर से कहीं चला जाता है.
अगर आप इजाजत दे दें तो मैं भी उसके साथ आ कर कुछ देर आपके घर सो सकता हूँ क्या ...??
 नाम का पंगा 🤣
जैसलमेर से बीकानेर बस रुट पर....
बीच में एक बड़ा सा गाँव है जिसका नाम है *नाचने*
 
वहाँ से बस आती है तो लोग कहते है कि 
*नाचने वाली बस आ गयी..*😎 
कंडक्टर भी बस रुकते ही चिल्लाता.. 
*नाचने वाली सवारियाँ उतर जाएं बस आगे जाएगी..*😎
इमरजेंसी में रॉ का एक नौजवान अधिकारी जैसलमेर आया 
रात बहुत हो चुकी थी,
वह सीधा थाने पहुँचा और ड्यूटी पर तैनात सिपाही से पूछा -
*थानेदार साहब कहाँ हैं ?*
सिपाही ने जवाब दिया थानेदार साहब *नाचने* गये हैं..😎
अफसर का माथा ठनका उसने पूछा डिप्टी साहब कहाँ हैं..?
सिपाही ने विनम्रता से जवाब दिया-
हुकुम 🙏🏻 *डिप्टी साहब भी नाचने* गये हैं..😎
अफसर को लगा सिपाही अफीम की पिन्नक में है, उसने एसपी के निवास पर फोन📞 किया।
एस.पी. साहब हैं ?
जवाब मिला *नाचने* गये हैं..!!
लेकिन *नाचने* कहाँ गए हैं, ये तो बताइए ?
बताया न *नाचने* गए हैं, सुबह तक आ जायेंगे।
कलेक्टर के घर फोन लगाया वहाँ भी यही जवाब मिला, साहब तो *नाचने* गये हैं..
अफसर का दिमाग खराब हो गया, ये हो क्या रहा है इस सीमावर्ती जिले में और वो भी इमरजेंसी में।
पास खड़ा मुंशी ध्यान से सुन रहा था तो वो बोला - हुकुम बात ऐसी है कि दिल्ली से आज कोई मिनिस्टर साहब *नाचने* आये हैं।
इसलिये सब अफसर लोग भी *नाचने* गये हैं..!!
x
 *हास्य कविता*
😀😀😀😀😀😀😀
अक्ल बाटने लगे विधाता,
             लंबी लगी कतारी ।
सभी आदमी खड़े हुए थे,
            कहीं नहीं थी नारी ।
सभी नारियाँ कहाँ रह गई,
          था ये अचरज भारी ।
पता चला ब्यूटी पार्लर में,
          पहुँच गई थी सारी।
मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,
           एक एक पर भारी ।
बैठी थीं कुछ इंतजार में,
          कब आएगी बारी ।
उधर विधाता ने पुरूषों में,
         अक्ल बाँट दी सारी ।
ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,
        जब पहुँची सब नारी ।
बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,
        नहीं अक्ल अब बाकी ।
रोने लगी सभी महिलाएं ,
        नींद खुली ब्रह्मा की ।
पूछा कैसा शोर हो रहा है,
         ब्रह्मलोक के द्वारे ?
पता चला कि स्टॉक अक्ल का
         पुरुष ले गए सारे ।
ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,
          बहुत देर कर दी है ।
जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,
          पुरुषों में भर दी है ।
लगी चीखने महिलाये ,
         ये कैसा न्याय तुम्हारा?
कुछ भी करो हमें तो चाहिए,
          आधा भाग हमारा ।
पुरुषो में शारीरिक बल है,
          हम ठहरी अबलाएं ।
अक्ल हमारे लिए जरुरी ,
         निज रक्षा कर पाएं ।
सोचकर दाढ़ी सहलाकर ,
         तब बोले ब्रह्मा जी ।
एक वरदान तुम्हे देता हूँ ,
         अब हो जाओ राजी ।
थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी ,
         रहे पुरुष पर भारी ।
कितना भी वह अक्लमंद हो,
         अक्ल जायेगी मारी ।
एक औरत ने तर्क दिया,
        मुश्किल बहुत होती है।
हंसने से ज्यादा महिलाये,
        जीवन भर रोती है ।
ब्रह्मा बोले यही कार्य तब,
        रोना भी कर देगा ।
औरत का रोना भी नर की,
        अक्ल हर लेगा ।
एक अधेड़ बोली बाबा,
       हंसना रोना नहीं आता ।
झगड़े में है सिद्धहस्त हम,
       खूब झगड़ना भाता ।
ब्रह्मा बोले चलो मान ली,
       यह भी बात तुम्हारी ।
झगड़े के आगे भी नर की,
       अक्ल जायेगी मारी ।
ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से,
       अंतिम वचन हमारा ।
तीन शस्त्र अब तुम्हे दिए,
       पूरा न्याय हमारा ।
इन अचूक शस्त्रों में भी,
       जो मानव नहीं फंसेगा ।निश्चित समझो, 
       उसका घर नहीं बसेगा ।
कहे कवि मित्र ध्यान से,
       सुन लो बात हमारी ।
बिना अक्ल के भी होती है,
       नर पर नारी भारी।
x
 अभी कुछ दिन पहले की बात है, हमलोग एक रेस्टोरेंट में गए थे, मैं, मम्मी- पापा और मेरा छोटा भाई, एक तो हमारे यहाँ आर्डर करने के लिए मेन्यू नहीं देखा जाता है, एक ही फिक्स्ड रेस्टोरेंट है, वही बटर नान तवा रोटी, चिल्ली पनीर या फिर कढ़ाई पनीर आर्डर होता है तो उस दिन क्या हुआ कि ऑलमोस्ट आधी सब्ज़ी बच गयी , अब देखोे भाई judge मत करना पर हमारे यहाँ सब्जी बच जाती है तो हमलोग पैक करा लेते हैं कि कल दिन में गरम करके लंच में खा लेंगे (आपमें से भी कई लोग ऐसा करते ही होगे), मैंने बची हुई चिल्ली पैक करा ली और हमलोग जैसे ही उस रेस्टोरेंट से बाहर निकले, कुछ बच्चे, फटे कपड़े, नंगे पैर में वो जो पेन या गुब्बारा बेचते हैं ना दस रूपए वाले वो आ गए कि भईया कुछ खिला दो ।
मैंने वो सब्जी का पैकेट उन्हें दे दिया, एक पेन भी ले लिया पर पता है, ये सब देख के बहुत व्यथित हो जाता हूँ मैं कि क्या भविष्य होगा इनका, हाँ अब इस पोस्ट को पढ़ने वाले कुछ लोगों को ये भी लगेगा कि मुझे दरियादिली दिखा के उन बच्चों को अडॉप्ट कर लेना चाहिए था, मैं कर भी लेता अगर मेरे पास इतना सामर्थ्य होता है पर पता है ये मैं लिख क्यों रहा हूँ, मुझे लगता है इस चैनल पे मैक्सिमम लोग मेरी ही तरह मिडिल क्लास या लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं जिनकी घर की दिवार से शायद चूना निकलता होगा पर पढ़ाई लिखाई से कभी compromise नहीं किया गया होगा । (ये चैनल है भी उन्ही के लिए जो अपने चैलेंजिंग जीवन के बाद थोड़ी देर यहां आकर अपना मनोरंजन कर ले)
आपलोग को लगता होगा कि बाबा क्या रोज पकाते रहते हैं कभी अपने सड़े गले चुटकुलों से, कभी इधर उधर के #पिंकू_ज्ञान से तो कभी इस बात से कि पढ़ लो, पढ़ लो.. पर मैं एक की चीज़ अपने तजुर्बे से बता रहा हूँ कि मैंने अपना और अपने घर का स्टैण्डर्ड बदलते हुए देखा है मेरी जॉब लगने के बाद, देखिये नौकरी तो आपको कोई ना कोई मिल ही जाएगी, पर अगर पसंद की नौकरी नहीं मिली ना तो दो चीज़ें होंगी, या तो आप पैसे की वजह से कुछ खरीद नहीं पाएंगे या अपने औधे की वजह से कुछ बोल नहीं पाएंगे और कल अगर ऐसा हो गया ना तो कसम से बहुत खलेगा आपको इसलिए अगर अभी भी मौका है तो waste मत करिये उसे, दूसरों के लिए सवेरा कल सुबह से होगा पर आपका अभी से होना चाहिए.... 
खुश रहिए खुश रखिए
जीवन में जो हासिल करने का सोचा है उसके लिए सच्ची लगन से प्रयासरत रहिए
और कभी कभी अपने इस #बाबा_बनारसी को भी याद कर लिया करिए
क्युकी यहा मैं अपने लिए नहीं आप सबके लिए ही आता हूं 😊🤘
(ऊपर लिखी नौकरी वाली बात महज काल्पनिक है मैं अब भी बेरोजगार हूं 

 !!!जिस किसी ने लिखा?क्या खूब लिखा?!!!

*भारतीय पिता पुत्र की जोड़ी भी बड़ी कमाल की जोड़ी होती है।*

*दुनिया के किसी भी सम्बन्ध में,*

*अगर सबसे कम बोल-चाल है,*

*तो वो है पिता-पुत्र की जोड़ी में।*


*एक समय तक दोनों अंजान होते हैं,* 

*एक दूसरे के बढ़ते शरीरों की उम्र से, फिर धीरे से अहसास होता है,* 

*हमेशा के लिए बिछड़ने का।*


*जब लड़का,*

*अपनी जवानी पार कर,* 

*अगले पड़ाव पर चढ़ता है,*

*तो यहाँ,*

*इशारों से बाते होने लगती हैं,* 

*या फिर,* 

*इनके बीच मध्यस्थ का* *दायित्व निभाती है माँ*


*पिता अक्सर पुत्र की माँ से कहता है,जा,* *"उससे कह देना"*

*और,* 

*पुत्र अक्सर अपनी माँ से कहता है,*

*"पापा से पूछ लो ना"*


*इन्हीं दोनों धुरियों के बीच,*

*घूमती रहती है माँ।* 


*जब एक,* 

*कहीं होता है,*

*तो दूसरा,*

*वहां नहीं होने की,*

*कोशिश करता है,*


*शायद,*

*पिता-पुत्र नज़दीकी से डरते हैं।*

*जबकि,* 

*वो डर नज़दीकी का नहीं है,* 

*डर है,*

*उसके बाद बिछड़ने का।* 


*भारतीय पिता ने शायद ही किसी बेटे को,* 

*कभी कहा हो,* 

*कि बेटा,* 

*मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ*


*पिता के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी वही* *होता है,*

*क्योंकि,*

*पिता, हर पल ज़िन्दगी में,* 

*अपने बेटे को,*

*अभिमन्यु सा पाता है।*


*पिता समझता है,*

*कि इसे सम्भलना होगा*, 

*इसे मजबूत बनना* *होगा, ताकि*, 

*ज़िम्मेदारियो का बोझ,* 

*इसका वध न कर सके।*

*पिता सोचता है,*

*जब मैं चला जाऊँगा*, 

*इसकी माँ भी चली* *जाएगी,*

*बेटियाँ अपने घर चली जायेंगी,*

*तब, रह जाएगा सिर्फ ये,*

*जिसे, हर-दम, हर-कदम,* 

*परिवार के लिए,*

*आजीविका के लिए*,

*बहु के लिए,*

*अपने बच्चों के लिए,* 

*चुनौतियों से,*

*सामाजिक जटिलताओं से,* 

*लड़ना होगा।*


*पिता जानता है कि,* 

*हर बात,* 

*घर पर नहीं बताई जा सकती,*

*इसलिए इसे,* 

*खामोशी से ग़म छुपाने सीखने होंगें।*


*परिवार के विरुद्ध खड़ी,*

*हर विशालकाय मुसीबत को,* 

*अपने हौसले से,*

*छोटा करना होगा।*

*ना भी कर सके*

*तो ख़ुद का वध करना होगा।*

*इसलिए,* 

*वो कभी पुत्र-प्रेम प्रदर्शित नहीं करता,*


*पिता जानता है कि,*

*प्रेम कमज़ोर बनाता है।*

*फिर कई बार उसका प्रेम,* 

*झल्लाहट या गुस्सा बनकर,*

*निकलता है,* 


*वो गुस्सा अपने बेटे की कमियों के लिए नहीं होता,*

*वो झल्लाहट है,*

*जल्द निकलते समय के लिए,* 

*वो जानता है,* 

*उसकी मौजूदगी की,*

*अनिश्चितताओं को।*


*पिता चाहता है*, 

*कहीं ऐसा ना हो कि,* 

*इस अभिमन्यु का वध*, 

*मेरे द्वारा दी गई,* 

*कम शिक्षा के कारण हो जाये,*

*पिता चाहता है कि,*

*पुत्र जल्द से जल्द सीख ले,* 

*वो गलतियाँ करना बंद करे,*

*क्योंकि गलतियां सभी की माफ़ हैं,* 

*पर मुखिया की नहीं,*


*यहाँ मुखिया का वध सबसे पहले होता है।*


*फिर,* 

*वो समय आता है जबकि,* 

*पिता और बेटे दोनों को,* 

*अपनी बढ़ती उम्र का,* 

*एहसास होने लगता है,* 

*बेटा अब केवल बेटा नहीं, पिता भी बन चुका होता है,* 

*कड़ी कमज़ोर होने लगती है*।


*पिता की सीख देने की लालसा,* 

*और,* 

*बेटे का,* 

*उस भावना को नहीं समझ पाना*, 

*वो सौम्यता भी खो देता है,*

*यही वो समय होता है जब,* 

*बेटे को लगता है कि*, 

*उसका पिता ग़लत है*, 

*बस इसी समय को* *समझदारी से निकालना होता है,* 

*वरना होता कुछ नहीं है,*

*बस बढ़ती झुर्रियां और बूढ़ा होता शरीर*

*जल्द बीमारियों को घेर लेता है।* 

*फिर,* 

*सभी को बेटे का इंतज़ार करते हुए माँ तो दिखती है,* 

*पर,*

*पीछे रात भर से जागा, पिता नहीं दिखता,*

*पिता की उम्र और झुर्रियां,*

*और बढ़ती जाती है।*


*ये समय चक्र है,*

*जो बूढ़ा होता शरीर है बाप के रूप में उसे एक और बूढ़ा शरीर झांकता है आसमान से,* 

*जो इस बूढ़े होते शरीर का बाप है,*


*हे मेरे महान पिता..*

*मेरे गौरव,*

*मेरे आदर्श,* 

*मेरा संस्कार,* 

*मेरा स्वाभिमान,*

*मेरा अस्तित्व...*

 Top 4 Ways to Invest in Yourself


1. Set goals.  If you're not taking the time to set goals it's like driving in the dark with the headlights turned off. 


2. Honor your intuition. Valuing your intuition, by not allowing the thoughts, feelings or statements of others to take away from what you know to be true is very empowering. 


3. Invest time in your creativity. Creativity can be the catalyst in the manifestation of continual learning and lifelong activity. It allows us to be inspired, have fun and appreciate the beauty in the world.


4. Invest in building your confidence. People who know their value, have something to say and others will listen. You can invest in yourself by developing an understanding of the value that you possess and offer others. Learn to have the courage to speak your truth. The more you love yourself and own the value that you offer, the more confident you will become in sharing it with others.


 एक साहब सुबह अपने दफ्तर जा रहे थे..

कि 

रास्ते में ही उनका मोबाइल चोरी हो गया।


अब ट्रेजडी शुरू, 


दिन भर की व्यस्तता के बाद थके हारे जब साहब घर आए तो घर का दृश्य देखकर कांप गये।


घर में उसके सास और ससुर जी.. अपनी बेटी औऱ नाती नतिनी का सामान पैक कर उनका इंतजार कर रहे थे।


पत्नी और सास की आंखें रो रो कर लाल हो गई थीं। 


ससुर जी के चेहरे पर दामाद को नापसंद करने वाला खूँखार असुर  साफ साफ दिख रहा था।


"क्या मामला है....??


 और 


कहां लेकर जा रहे हैं मेरी पत्नी औऱ बच्चों को?? 


सब खैरियत तो है??" 

उन्होंने कुछ न समझने वाले अंदाज में डरते डरते प्रश्न किया तो ससुर जी ने उनकी बीवी का मोबाइल उनके सामने रख दिया...??


"मैं तुम्हें तलाक़ देता हूं"...


बीवी के मोबाइल पर उनके मोबाइल से मैसेज आया था।


मैसेज देख कर साहब ने राहत की सांस ली...

और बताया कि..


उनका मोबाइल तो सुबह ही चोरी हो गया था। 

उन्होंने सारी बात बताकर सबको अपने निर्दोष होने का यकीन दिलाया।


अब उनकी बीवी अपनी मां से लिपट कर रोने लगीं और ससुर जी शांत हो गये।


"लेकिन चोर ने मेरी बीवी को तलाक़ का मैसेज क्यों किया???"


इस कन्फ्यूजन में उन्होंने दूसरे फ़ोन से अपने मोवाईल पर नंबर डायल किया तो चोर ने फोन उठा लिया, 


साहब छूटते ही टूट पड़े उस चोर पर..... 

"ओए चोट्टे, कमीने हरामखोर इंसान! फोन चुराया सो चुराया! तूने मेरी बीवी को तलाक़ का मैसेज क्यों भेजा??" 


जूते मार-मारकर थोबड़ा सूजा दूँगा तेरा...??


चोर ने शांति से उनकी बात सुनी और कहने लगा...


"देखिये साहब! 

सुबह...जब से आपका फोन चुराया है... मेरी जिंदगी झंड हो गई है।

मुझे अब तक आपकी बीवी के हज़ारों मैसेज मिल चुके हैं....??


कहां हो??.... 


क्या कर रहे हो??.... 


कब आओगे??.... 


आते हुए पुदीना औऱ टमाटर ले आना??...

 

और हां 


गुप्ता स्वीट्स से गरम समोसे लेना मत भूलना..!!


जल्दी आना.... 

देखो नींबू भी खत्म हो गई है...तीन से ज़्यादा मत लेना।


एक औऱ काम करते आना... बाबू की चड्डी सुबह से नहीं मिल रही..पता नहीं कहाँ गुम हो गई.. नई ले लेना।


गुड़िया का मोजा भी फट गया है.. 

देख लेना।


अपनी ऑफिस की रश्मि से ज़्यादा हँस कर बातें मत करना...

चुड़ैल है वो..

सारा दिन चपड़-चपड़ करते रहती है...?


गुप्ता जी के चक्कर में ज्यादा सिगरेट मत पीना..??


औऱ शायद कुछ भूल रही हूँ...


याद आते ही मैसेज करूँगी..??


वगैरह वगैरह......


मैं पागल हो गया था साहब...


एक तो सुबह सुबह मेरी बोहनी ख़राब हो गई....ऊपर से दर्द से सिर फट रहा है...अधमरा सा हो गया हूं साहब...??


इसलिए मैंने मज़बूर होकर तलाक़ वाला मैसेज भेजा तब जाकर मेरी जान छूटी..

 में कभी भी शराब पीते हुए रिस्क नहीं लेता।

.

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.

.

मैं ऑफिस से शाम को घर पे आया तो बीवी खाना बना रही थी।


हाँ, मुझे रसोई से बर्तनों की आवाज़ आ रही है।


मैं छुपके से घर में घुस गया


काले रंग की अलमारी में से ये मैंने बोतल निकाली


शिवाजी महाराज फ़ोटो फ्रेम में से मुझे देख रहे हैं


पर अब भी किसी को कुछ पता नहीं लगा


क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता।

.

.

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.

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मैंने पुरानी सिंक के ऊपर वाली रैक से गिलास निकाला


और फटाक से एक पेग गटक लिया।


गिलास धोया, और उसे फिर से रैक पे रख दिया।


बेशक मैंने बोतल भी अलमारी में वापस रख दी


शिवाजी महाराज मुस्कुरा रहे हैं


.

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मैंने रसोई में झांका


बीवी आलू काट रही है।


किसी को कुछ पता नहीं चला के मैंने अभी अभी क्या किया


क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता।

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.

मैं बीवी से पूछा: चोपड़ा की बेटी की शादी का कुछ हुआ ?


बीवी : नहीं जी, बड़ी ख़राब किस्मत है बेचारी की। अभी लड़का देख ही रहे हैं वो लोग उसके लिए।

.

.

.

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.

मैं फिर से बाहर आया, काली अलमारी की हलकी सी आवाज़ हुई


पर बोतल निकालते हुए मैंने बिल्कुल आवाज़ नहीं की


सिंक के ऊपर वाली पुरानी रैक से मैंने गिलास निकाला


लो जी फटाफट दो पेग और मार लिए

.

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.

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.


बोतल धोयी और संभाल के सिंक में रख दी


और काले गिलास को अलमारी में भी रख दिया


पर किसी को अब भी हवा तक नहीं लगी के मैंने क्या किया


क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता

.

.

.

.

.


मैं बीवी से : फिर भी ! चोपड़ा की लड़की की अभी उम्र ही क्या है


बीवी: क्या बात कर रहे हो जी !!! 28 की हो गयी है…बूढ़ी घोड़ी की तरह दिखने लगी है।


मैं: (भूल ही गया कि उसकी उम्र तो 28 साल है) अच्छा अच्छा..

.

.

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.


मैंने फिर से मौका देख के काली अलमारी में से आलू निकाले


पर पता नहीं यार अलमारी की जगह कैसे अपने आप बदल गयी!


ये मैंने रैक से बोतल निकाली, सिंक में एक पेग बनाया और गटागट पी गया

.

.

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.

शिवाजी महाराज बड़ी जोर जोर से हँस रहे हैं


रैक को ये मैंने आलू में रक्खा, शिवाजी महाराज की फ़ोटो भी ढंग से धो दी और लो जी काली अलमारी में भी रख दी

.

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.


बीवी क्या कर रही है, हाँ ! वो सिंक चूल्हे पे चढ़ा रही है।


पर अब भी किसी को कुछ पता नहीं चला के मैंने क्या किया


क्योंकि! क्योंकि मैं कभी रिस्क नहीं लेता।

(ये हुचकि क्यों आ रही है, कौन याद किया मेरे को)

.

.

.

.

.

मैं बीवी से: (गुस्सा होते हुए) तुमने चोपड़ा साहब को घोड़ा बोला? अगर तुमने दोबारा ऐसा बोला तो तुम्हारी ज़ुबान काट दूंगा…!


बीवी: हाँ बाबा बड़बड़ाओ मत ! शांति से बैठो तुम अब बाहर जाकर, इस समय वही ठीक है तुम्हारे लिए…

.

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.

मैंने आलू में से बोतल निकाली


काली अलमारी में गया और अपने पेग के मजे लिए


सिंक धोया और उसको रैक के ऊपर रख दिया


बीवी फ्रेम में से अब भी मुस्कुरा रही है

.

.

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शिवाजी महाराज खाना बनाने में बिजी हैं


पर अब भी किसी को कुछ नहीं पता मैंने क्या किया


क्योंकि मैं रिस्क लेता ही नहीं ना यार

.

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.

मैं बीवी से : (हँसते हुए) तो चोपड़ा घोड़े से शादी कर रहा है!!


बीवी: सुनो ! जाओ, तुम पहले अपने मुँह पे पानी के छपाके मारो…

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.

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.

.

मैं फिर रसोई में गया और चुपचाप रैक पे बैठ गया


चूल्हा भी रखा है रैक पे


बाहर कमरे से बोतल की आवाज़ सी आई

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मैंने झाँका और देखा की बीवी सिंक में बैठी पेग के मजे ले रही है


पर अब तक किसी भी घोड़े को पता नहीं लगा के मैंने क्या किया


क्योंकि शिवाजी महाराज कभी रिस्क नहीं लेते

.

.

.

चोपड़ा साला अब भी खाना बना रहा है


और मैं फ़ोटो में से अपनी बीवी को देख रहा हूँ और हँस रहा हूँ


क्योंकि! क्योंकि मैं कभी! क्योंकि मैं कभी क्या नहीं लेता यार??? हाँ !!! मैं कभी आलू नहीं लेता… शायद!


 "एक ही घर"


हम दो भाई एक ही मकान में रहते हैं, मैं पहली मंजिल पर और भैया निचली मंजिल पर। पता नही हम दोनों भाई कब एक दूसरे से दूर होते गए, एक ही मकान में रहकर भी ज्यादा बातें न करना, विवाद वाली बातों को तूल देना, यही सब चलता था। भैया ऑफिस के लिए जल्दी निकलते और घर भी जल्दी आते थे, जबकि मैं देर से निकलता और देर से लौटता था, इसलिए मेरी गाड़ी हमेशा उनकी गाड़ी के पीछे खड़ी होती थी। हर रोज सुबह गाड़ी हटाने के लिए उनका आवाज देना मुझे हमेशा अखरता, मुझे लगता कि मेरी नींद खराब हो रही है। कभी रात के वक्त उनका ये बोलना नागवार गुजरता कि बच्चों को फर्श पर कूदने से मना करो, नींद में खलल पड़ता है।

ऐसे ही गुजरते दिनों के बीच एक बार मैं बालकनी में बैठा था, कि मुझे नीचे से मकान का गेट खुलने की आवाज सुनाई दी, झांककर देखा, तो पाया कि नीचे कॉलोनी के युवाओं की टोली थी जो किसी त्यौहार का चंदा मांगने आई थी। नीचे भैया से चंदा लेकर वो लोग पहली मंजिल पर आने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, तो भैया बोले," अरे उपर मत जाओ, उपर नीचे एक ही घर है"। युवाओं की टोली तो चली गई पर मेरे दिमाग में भैया कि बात गूँजने लगी, "उपर नीचे एक ही घर है"।

मैं शर्मिंदा महसूस करने लगा कि भैया में इतना बड़प्पन हैं, और मैं उनसे बैर रखता हूँ?

बात सौ दो सौ रूपयों के चंदे की नहीं बल्कि सोच की थी, और भैया अच्छी सोच में मुझसे कहीं आगे थे।

अगले दिन से मैने सुबह जल्दी उठकर गाड़ी बाहर करना शुरू कर दिया, बच्चों को हिदायत दी कि रात जल्दी सोया करें ताकि घर के बड़े चैन से सो सकें, क्योंकि "हमारा घर एक है"।

 अगर महिलायें गंजी हो जायें, तो बदसूरत लगती हैं...

अगर महिलाओं की मूँछें आ जायें, तो बदसूरत लगती हैं...

अगर महिलाओं के सिक्स पैक्स एब्स निकल आये, 

तो खराब लगती हैं......


और आप कहते है कि, महिलायें खूबसूरत हैं...???


अब पुरुष की बात करते है.... 

यानी लड़कों की... ,


अगर लड़के क्लीन शेव रहें, तो खूबसूरत लगते हैं... 

और दाढ़ी रखें, तब भी खूबसूरत लगते हैं....


अगर लड़के गंजे हो जाएं, तब भी ख़ूबसूरत लगते हैं...

बड़े बाल रख लें, तब भी खूबसूरत लगते है....

मीडियम बाल रखें, तब भी खूबसूरत लगते है...


अगर लड़कों के सिक्स पैक एब्स आ जाए, तो खूबसूरत.. 

और छरहरे हों, तो भी खूबसूरत...


यानि स्त्री की खूबसूरती एक मृगमरीचिका है...!

किसी जादूगर का इंद्रजाल है...!!


लेकिन पुरुष की खूबसूरती...... 

एक शाश्वस्त सत्य है...जो हर परिस्थिति में व्याप्त रहती है...


*नोट - महिलाएँ धक्का-मुक्की ना करें..🙏

           कृपया लाइन लगाकर गुस्सा दिखाये,..!😂

 मोटापा कम करने का उपाय

😄😄😄

एक मोटे आदमी

ने न्यूज पेपर में विज्ञापन देखा ” एक सप्ताह में 5 किलो

वजन कम कीजिये। ” 💡⚖️⚖️


उसने उस विज्ञापन वाली कम्पनी में

फोन किया तो एक महिला ने जवाब दिया और कहा : ” कल

सुबह 6 बजे तैयार रहिए। ”


अगली सुबह उस मोटे ने दरवाजा खोला तो देखा कि एक

खूबसूरत युवती जागिंग

सूट और शूज पहने बाहर तैयार खड़ी है।😍😍


युवती बोली :- मुझे पकड़ो और मुझे किस कर लो ये कह कर

युवती दौड़ पड़ी।😘😘


मोटू भी पीछे दौड़ा मगर उसे पकड़ नहीं पाया।

पूरे हफ्ते रोज मोटू ने उसे पकड़ने का प्रयास किया लेकिन उस

युवती को पकड़ नही पाया। और उसका 5 किलो वजन कम

हो गया।🏃🏃🏃💃💃💃


फिर मोटू ने 10 किलो वजन कम करने वाले प्रोग्राम की

बात की।


अगली सुबह 6 बजे उसने दरवाजा खोला तो देखा कि: पहले

वाली से भी खूबसूरत

युवती जागिंग सूट और शूज में खड़ी है।🙀🙀🙀


 युवती बोली :- मुझे

पकड़ो और मुझे किस करलो और इस हफ्ते मोटू का 10 किलो

वजन घट गया। 😻😻


मोटू ने सोचा वाह क्या बढ़िया प्रोग्राम है। क्यूँ ना 25

किलो वाला प्रोग्राम आजमाया जाए। उसने 25 किलो वाले

प्रोग्राम के लिए फोन किया। तो महिला ने जवाब दिया और

कहा कि : 

” क्या आपका इरादा पक्का है.?” क्योंकि ये

प्रोग्राम थोड़ा कठिन है। ”


मोटू बोला :- ” हाँ। ” 😜😏😏


अगली सुबह 6 बजे मोटू ने दरवाजा खोला तो देखा कि

दरवाजे पर जागिंग सूट और शूज पहने एक काली भुजंग लड़की

खडी है …… 😵😵


लड़की बोली : मैंने तुम्हे पकड़ लिया तो मैं तुम्हें

किस करूँगी,  😚😚😚


बस तो फिर क्या अब तो भाग मिल्खा भाग…!!! 

 ⚜️⚜️⚜️

*कभी हम भी.. बहुत अमीर हुआ करते थे* 

*हमारे भी जहाज.. चला करते थे।*


*हवा में.. भी।*

*पानी में.. भी।*


*दो दुर्घटनाएं हुई।*

*सब कुछ.. ख़त्म हो गया।*


                *पहली दुर्घटना* 


जब क्लास में.. हवाई जहाज उड़ाया।

टीचर के सिर से.. टकराया।

स्कूल से.. निकलने की नौबत आ गई।

बहुत फजीहत हुई।

कसम दिलाई गई।

औऱ जहाज बनाना और.. उडाना सब छूट गया।


                 *दूसरी दुर्घटना*


बारिश के मौसम में, मां ने.. अठन्नी दी।

चाय के लिए.. दूध लाना था।कोई मेहमान आया था।

हमने अठन्नी.. गली की नाली में तैरते.. अपने जहाज में.. बिठा दी।

तैरते जहाज के साथ.. हम शान से.. चल रहे थे।

ठसक के साथ।

खुशी खुशी।

अचानक..

तेज बहाव् आया।

और..

जहाज.. डूब गया।


साथ में.. अठन्नी भी डूब गई।

ढूंढे से ना मिली।


मेहमान बिना चाय पीये चले गये।

फिर..

जमकर.. ठुकाई हुई।

घंटे भर.. मुर्गा बनाया गया।

औऱ हमारा.. पानी में जहाज तैराना भी.. बंद हो गया।


आज जब.. प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , 

तो.. उन दिनों की याद दिलाती हैं।


वो भी क्या जमाना था !


और..

आज के जमाने में..

मेरे बेटे ने...   

पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो..


मां बोली ~ कोई बात नहीं ! 

पापा..

*दूसरा दिला देंगे।*


हमें अठन्नी पर.. मिली सजा याद आ गई।


फिर भी आलम यह है कि.. 

आज भी.. हमारे सर.. 

मां-बाप के सामने.. 

अदब से झुकते हैं।


औऱ हमारे बच्चे.. 'यार पापा ! 

यार मम्मी !

कहकर.. बात करते हैं।

हम प्रगतिशील से.. 

प्रगतिवान हो गये हैं।


कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।।



 *मैं तो "पत्थर" हूँ; मेरे माता-पिता "शिल्पकार" है..*

*मेरी हर "तारीफ़" के वो ही असली "हक़दार हैं ।*🌹



लोग पूछते हैं कि दुनिया में इतनी पीड़ा क्यों है?...

❤️

दुनियां में इतनी पीड़ा इसलिए है क्योंकि इस दुनिया को ही प्रेमियों की हाय लग गयी है...




किसी ने कभी सोचा है उस प्रेमिका के बारे में, जिसे उसके प्रेमी से छीन अनजाने मर्द के साथ ब्याह दिया गया हो गाजे-बाजे और धूम-धड़ाके के साथ... जिस धूम-धड़ाके की आवाज में प्रेमिका की सिसकी भी घुट कर ही मर गई होगी...




कभी सोचा है जब उसे उसके प्रेमी की जगह कोई अनजान मर्द (जो शादी के बाद उसका स्वामी होता है) ने पहली बार छुआ होगा तो कितना वीभत्स महसूस किया होगा उसने...




या उस प्रेमी के बारे में कभी सोचा है जिससे ब्याही गयी होगी कोई अनजान औरत और वह खोजता होगा उसके चेहरे में अक्स अपनी प्रेयशी का... जब नहीं पाता होगा तब रह जाता होगा तड़प कर...




यह तड़प, यह सिसकी, यह वेदना कैद है इस दुनिया में तभी तो इतनी पीड़ा है!




अक्सर लोग जिससे प्रेम करते हैं उससे शादी नहीं हो पाती और जिससे शादी होती है उससे प्रेम कायम करने में समय लग जाता है... यह भी अजीब ही है, पर है तो सच ही!




अगर सौ अरेंज शादी की बात हो और थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बोला जाय तो मुश्किल से 20-25 फीसदी जोड़े ही उस फुलफिलमेंट को, उस तृप्ति को, उस संतुष्टि को, उस खिलावट को, उस निखार को पाते हैं जो स्त्री पुरुष के मिलने पर होना चाहिए! 75-80 फीसदी इससे मरहूम ही रह जाते हैं... और जो इससे मरहूम रह गया उसके जीवन में शादी के कुछ दिनों तक पीड़ा रहेगी ही...




जहाँ तक शादी के बाद प्रेम कायम करने की बात है तो लोग मजबूरी में एडजस्ट कर ही लेते हैं!...

❤️

जिसने आपको चाहा उसे आप चाह न सके

जिसको आपने चाहा उसे आप पा न सके

ये मोहब्बत दिल टूटने का ही खेल है यारों

किसी का तोड़कर भी अपना ही बचा न सके💜







प्यार करो तो उसे शादी के बंधन तक जरूर ले कर जाओ

वरना प्यार तब तक मत करो जब तक किसी से शादी में बंध न जाओ

 शादी को सालभर होने को आया था मगर वो हमेशा अपनी पत्नी से कहता रहता की .... मेरी जिंदगी तो एक खुली किताब की तरह है …जो चाहे सो पढ़ लो...

पत्नी ने हैरानी से उसकी और देखा

तो वह बोला ... खुली किताब ... मेरी जिंदगी रंगीन रही है 

वो कभी बहाने से अपने कालेज में लड़कियों से छेड़छाड़ करने या उनके साथ किए गए फ्लर्ट के किस्से सुनाता  

एकबार तो उसने आलमारी से एक पुरानी डायरी निकालकर उसमें रखी एक फोटो दिखाकर कहा कि एक समय पर ये उसकी गर्लफ्रेंड रही थी देखो कितनी खूबसूरत है। उस जमाने में ऐसी और भी साथ पढ़ने वाली लड़कियां उसपर जान छिड़कती थी….

पत्नी सदैव उसकी बातों पर चुपचाप मुस्कुराती रहती कुछ कहती नहीं जैसे उसपर इन बातों का कोई असर ही नहीं होता था। इस चुप्पी और मुस्कुराहट को दिनबादिन देखते हुए एक दिन वो पत्नी से प्रश्न कर ही बैठा ...यार एक बात तो बताओ ... मैं तो हमेशा अपनी जिंदगी की किताब खोलकर तुम्हारे सामने रख देता हूं और तुम हो कि बस चुपचाप मुस्कुराती रहती हो कभी तुम भी तो अपनी जिंदगी की किताब खोलकर हमें उसके किस्से सुनाओ

चुप रहनेवाली पत्नी मुस्कुराती हुई अचानक गम्भीर हो गई और फिर अपने पति से बोली....

मैं तो तुम्हारे जीवन की रंगीन किताब सुनकर हमेशा मुस्कुराती रही हूं 

लेकिन सच कहो …. मेरी जिंदगी की किताब में भी यदि ऐसे ही कुछ पन्ने निकल गए तो क्या तुम भी ऐसे ही मुस्कुरा सकोगे 

उसने एकबार अपनी पत्नी की ओर देखा फिर शर्मिंदगी से उसका सिर झुक गया था

 एक 60 वर्षीय महिला ने अचानक ही मंदिर जाना छोड़कर स्विमिंग सीखने जाना शुरू कर दिया!!


किसी ने कारण पूछा तो महिला ने बताया कि:

अक्सर मेरे बेटे और बहू का झगड़ा होता रहता है,,

और बहू हमेशा पूछती रहती है कि अगर तुम्हारी माँ और मैं दोनो पानी में डूब रहे हों तो तुम पहले किसे बचाओगे??


मैं अपने बेटे को किसी धर्मसंकट में नही डालना चाहती इसीलिये मैंने स्विमिंग सीख ली।।


कुछ दिनों बाद फिर से पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ और पत्नी ने फिर वही बात पूछी कि अगर तुम्हारी माँ और मैं डूब रहे होंगे तो तुम किसे पहले बचाओगे??


पति ने जवाब दिया 

मुझे पानी में उतरने की जरूरत ही नही पड़ेगी क्योंकि मेरी माँ ने स्विमिंग सीख ली है, 

वो तुम्हे बचा लेगी।।


पत्नी ने हार नही मानी 

और बोली नही-नही तुम्हे पानी में कूदकर हम दोनों में से किसी एक को तो बचाना ही पड़ेगा।।


पति ने जवाब दिया 

फिर तो पक्का तुम ही डूबोगी 


क्योंकि मुझे तो तैरना आता नही 

और मेरी माँ हम दोनों में से 100% मुझे ही बचायेगी!!

 हंसना मना है


प्रोफेसर जावेद की बेगम ने

परिन्दों की दुकान पर... 

एक तोता पसन्द किया... और 

उसका मूल्य पूछा...

 

💁🏻‍♂️🦜 दकानदार ने कहा... मोहतरमा... कीमत तो इसकी अधिक नहीं है...!


लेकिन!! 

यह अब तक तवायफों के कोठे पर रहा है...💃🏻🦜 


इसलिए!!! 

मेरी राय है कि... 

आप इसे रहने ही दें...

कोई और तोता ले लें...


🤔🦜 परोफेसर साहब की बेगम को वह तोता कुछ ज़्यादा ही भा गया था... 


कहने लगीं... 

भाई...! 

इसे भी तो पता चले... 

कि शरीफों के घर कैसे होते हैं...?


उन्होंने उस तोते और पिंजरे की कीमत अदा की... 

और 

पिंजरे में बंद उस तोते को लेकर घर आ गईं...


🏡 बगम साहिबा ने घर आकर...

तोते वाले उस पिंजरे को... 

ड्राइंग रूम में... 

एक उचित जगह लटका दिया...


तोते ने इधर उधर आंखें घुमाईं...

और बोला... 


🦜"वाह नया कोठा...! 

ये कोठा तो उस कोठे से और भी अच्छा है...!!

वाह...! पसंद आया...!! बहुत सुंदर है...!!! 


बेगम को अच्छा तो नहीं लग...! लेकिन वो ख़ामोश रहीं...!! 🤨


थोड़ी देर में उनकी दोनों बेटियां कालेज से लौट कर घर आईं...


🙎🏻‍♀️🙍🏻‍♀️ 🦜उन्हें देख कर... 

तोता बोला...

ओहो...! 

नई लड़कियां आईं हैं...!!

😠

बेगम को गुस्सा तो बहुत आया...! लेकिन...!! 

वो अपने गुस्से को पी गईं...!!! 


सोचा कि... 

एक-दो दिन में...

अपने तोते को सुधार लेंगी...


शाम को...

प्रोफेसर साहब...

अपने समय पर घर लौटे...


 👨🏻‍🔬🦜जसे ही उन्होंने... 

ड्राईंग रूम में कदम रखा... 

तोता हैरत से चीख़ उठा... 


अरे वाह! 

जावेद!! 

तूँ!!!... 

यहाँ भी आता है...?


😡🤬……और फिर... 

चिराग़ों में रौशनी न रही... 🙈


इस हादसे के बाद से...!

जावेद साहब घर से लापता हैं...!!

Friday, May 27, 2022

,,,,,अनपढ माँ,,,,


एक मध्यम वर्गीय परिवार के 

एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 

90% अंक प्राप्त किए ....

पिता ने जब मार्कशीट देखकर 

खुशी-खुशी अपनी पत्नी को कहा ....

"सुनो.... 

आज खीर या मीठा दलिया बना लो ,

स्कूल की परीक्षा मे हमारे लाड़ले को 

90% अंक मिले है ..


मां किचन से दौड़ती हुई आई और बोली....सच.....मुझे

भी दिखाइए......

मेरे बच्चे की कामयाबी की पर्ची....

ये सुनते ही बीच लड़का फटाक से बोला...

..."क्या पापा.... 

किसे रिजल्ट दिखा रहे है... 

क्या वह पढ़-लिख सकती है  ?

वह तो अनपढ़ है ..."


अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लू से पोंछती हुई मां चुपचाप दलिया बनाने चली गई....


लेकिन ये बात पिता ने सुनी भी और देखी भी...

फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा और कहा... 

"हां बेटा सच कहा तुमने.... 

बिल्कुल सच... 

जानता है जब तू गर्भ में था, 

तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था !

तेरी मां ने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए 

हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...

क्योंकि तेरी मां तो अनपढ़ थी ना इसलिए ...

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर 

तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और 

डिब्बा बनाती थी.....

जानता है क्यों ....

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना इसलिए....


जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, 

तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब 

बस्ते में भरकर, 

फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़नी से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी...

जानते हो क्यों ...

क्योकि अनपढ़ थी ना इसलिए.. ...


बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे... तब वो रात- रात भर जागकर 

सुबह जल्दी उठती थी और काम पर 

लग जाती थी....जानते हो क्यों ....

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना इसलिए...

 

तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये 

मेरे पीछे पड़ती थी, 

और खुद सालों तक एक ही साड़ी में रही....

क्योंकि वो सचमुच अनपढ़ थी ना...


बेटा .... पढ़े-लिखे लोग 

पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन तेरी मां ने आज तक कभी नहीं देखा

क्योंकि अनपढ़ है ना वो इसलिए....


वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, 

कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी... 

इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि 

तुम्हारी माँ अनपढ़ है..."


यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, 

और लिपटकर अपनी मां से बोला.... 

"मां...मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं लेकिन आप मेरे जीवन को 

100% बनाने वाली पहली शिक्षक हैं!

 मां....मुझे आज 90% अंक मिले हैं, 

फिर भी मैं अशिक्षित हूँ 

और आपके पास पीएचडी के ऊपर की 

उच्च डिग्री है ,

क्योंकि आज मैंने अपनी मां के अंदर छुपे 

रूप में, डॉक्टर, शिक्षक, वकील, 

ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, 

इन सभी के दर्शन कर लिए... 

मुझे माफ कर दो मां...

मुझे माफ कर दो....."


मां ने तुरंत अपने बेटे को उठाकर 

सीने से लगाते हुए कहा.... 

"पगले रोते नही है !

आज तो खुशी का दिन है !

चल हंस ....."

और उसने उसे चूम लिया,,


❤️दनिया की सभी माँ को समर्पित❤️ 

Wednesday, May 25, 2022

 शस्त्र रखने वालों से सदैव सावधान- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति से सदैव सावधान रहना चाहिए शस्त्र रखता है. क्रोध में ऐसे व्यक्ति कभी शस्त्र का प्रयोग कर सकते हैं, जिस कारण कभी कभी आसपास मौजूद लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ सकती है.


लंबे नाखूनों वाले से दूरी बनाकर रखें- चाणक्य नीति कहती है कि जिसके लंबे नाखून होते हैं, उससे सदैव उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए. क्योंकि ये हमला कर कभी भी हानि पहुंचा सकते हैं.


क्रोध- चाणक्य नीति कहती है कि क्रोध करने से व्यक्ति की प्रतिभा नष्ट होती है. व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति अच्छे और बुरे का अंतर भूल जाता है.


अहंकार- चाणक्य नीति कहती है कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है, अहंकार करने वाले व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता है. करीबी लोग भी दूरी बना लेते हैं. 


लोभ- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को लोभ नहीं करना चाहिए. लोभ करने वाला व्यक्ति कभी संतुष्ठ नहीं होता है. जिस कारण उसका चित्त परेशान रहता है.


अनुशासन- चाणक्य नीति अनुशासन के महत्व को बताती है. सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अनुशासन के महत्व को जानना चाहिए. अनुशासन की भावना व्यक्ति को समय अहमियत को भी बताती है.


आलस- चाणक्य नीति कहती है आलस का त्याग किए बिना जीवन में सफलता नहीं मिलती है, इससे दूर ही रहना चाहिए. आलस व्यक्ति की कुशलता का नाश करती है.


असत्य- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए. असत्य बोलने वालों को कभी सम्मान नहीं मिलता है.


परिश्रम- चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति सदैव परिश्रम करने के लिए तैयार रहता है, उसके लिए कोई भी लक्ष्य और सफलता दूर नहीं है.


धोखा- चाणक्य नीति कहती है कि कभी किसी को धोखा नहीं देना चाहिए. धोखा देना सबसे बुरी आदतों में से एक है. ऐसे लोगों को आगे चलकर परेशानी का सामना करना पड़ता है.


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एक बार एक आदमी सड़क पर सुबह सुबह दौड़ (Jogging) लगा रहा था, अचानक एक चौराहे पर जाकर वो रुक गया उस चौराहे पे चार सड़कें थीं जो अलग-अलग रास्ते पे जाती थीं। एक बूढ़े व्यक्ति से उस आदमी ने पूछा – सर ये रास्ता कहाँ जाता है ? तो बूढ़े व्यक्ति ने पूछा- आपको कहाँ जाना है? आदमी – पता नहीं,

 बूढ़ा व्यक्ति – तो कोई भी रास्ता चुन लो क्या फर्क पड़ता है । वो आदमी उसकी बात को सुनकर निःशब्द सा रह गया, कितनी सच्चाई छिपी थी उस बूढ़े व्यक्ति की बातों में। सही ही तो कहा जब हमारी कोई मंजिल ही नहीं है तो जीवन भर भटकते ही रहना है।


✶ जीवन में बिना लक्ष्य के काम करने वाले लोग हमेशा सफलता से दूर रह जाते हैं जबकि सच तो ये है कि इस तरह के लोग कभी सोचते ही नहीं कि उन्हें क्या करना है? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किये गए सर्वे की मानें तो जो छात्र अपना लक्ष्य बना कर चलते हैं वो बहुत जल्दी अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं क्यूंकि उनकी उन्हें पता है कि उन्हें किस रास्ते पर जाना है।


✶ अगर सफलता एक पौधा है तो लक्ष्य ऑक्सीजन है, आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे कि लक्ष्य कितना महत्वपूर्ण है? कितना जरुरी है लक्ष्य बनाना ?


1.➨  लक्ष्य एकाग्र बनाता है – अगर हमने अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लिया है तो हमारा दिमाग दूसरी बातों में नहीं भटकेगा क्यूंकि हमें पता है कि हमें किस रास्ते पर जाना है? सोचिये अगर आपको धनुष बाण दे दिया जाये और आपको कोई लक्ष्य ना बताया जाये कि तीर कहाँ चलना है तो आप क्या करेंगे, कुछ नहीं तो बिना लक्ष्य के किया हुआ काम व्यर्थ ही रहता है। कभी देखा है की एक कांच का टुकड़ा धूप में किस तरह कागज को जला देता है वो एकाग्रता से ही सम्भव है।


2.➨  आपकी प्रगति का मापक है लक्ष्य- सोचिये की आपको एक 500 पेज की किताब लिखनी है, अब आप रोज कुछ पेज लिखते हैं तो आपको पता होता है कि मैं कितने पेज लिख चूका हूँ या कितने पेज लिखने बाकि हैं। इसी तरह लक्ष्य बनाकर आप अपनी प्रगति (Progress) को माप (measure) सकते हैं और आप जान पाएंगे कि आप अपनी मंजिल के कितने करीब पहुंच चुके हैं। बिना लक्ष्य के नाही आप ये जान पाएंगे कि आपने कितना progress किया है और नाही ये जान पाएंगे कि आप मंजिल से कितनी दूर हैं?


3.➨  लक्ष्य अविचलित रखेगा- लक्ष्य बनाने से हम मानसिक रूप से बंध से जाते हैं जिसकी वजह से हम फालतू की चीज़ों पर ध्यान नहीं देते और पूरा समय अपने काम को देते हैं। सोचिये आपका कोई मित्र विदेश से जा रहा हो और वो 9:00 PM पे आपसे मिलने आ रहा हो और आप 8 :30 PM पे अपने ऑफिस से निकले और अगर स्टेशन जाने में 25 -30 मिनट लगते हों तो आप जल्दी से स्टेशन की तरफ जायेंगे सोचिये क्या आप रास्ते में कहीं किसी काम के लिए रुकेंगे? नहीं, क्यूंकि आपको पता है कि मुझे अपनी मंजिल पे जाने में कितना समय लगेगा। तो लक्ष्य बनाने से आपकी सोच पूरी तरह निर्धारित हो जाएगी और आप भटकेंगे नहीं।


4.➨ लक्ष्य आपको प्रेरित करेगा – जब भी कोई व्यक्ति सफल होता हैं, अपनी मंजिल को पाता है तो एक लक्ष्य ही होता है जो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आपका लक्ष्य आपका सपना आपको उमंग और ऊर्जा से भरपूर रखता है।


︶︿︶ तो मित्रों बिना लक्ष्य के आप कितनी भी मेहनत कर लो सब व्यर्थ ही रहेगा जब आप अपनी पूरी energy किसी एक point एक लक्ष्य पर लगाओगे तो निश्चय ही सफलता आपके कदम .

Sunday, February 13, 2022

 *भगवान का साथ*



एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। एक जगह देखा कि दरिया की सतह से एक कछुआ निकला और पानी के किनारे पर आ गया। 


उसी किनारे से एक बड़े ही जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई और कछुए की पीठ पर सवार हो गया। कछुए ने तैरना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग बड़े हैरान हुए।


उन्होंने उस कछुए का पीछा करने की ठान ली। इसलिए दरिया में तैर कर उस कछुए का पीछा किया। 


वह कछुआ दरिया के दूसरे किनारे पर जाकर रूक गया। और बिच्छू उसकी पीठ से छलांग लगाकर दूसरे किनारे पर चढ़ गया और आगे चलना शुरू कर दिया। 


वह बुजुर्ग भी उसके पीछे चलते रहे। आगे जाकर देखा कि जिस तरफ बिच्छू जा रहा था उसके रास्ते में एक भगवान् का भक्त ध्यान साधना में आँखे बन्द कर भगवान् की भक्ति कर रहा था।


उस बुजुर्ग ने सोचा कि अगर यह बिच्छू उस भक्त को काटना चाहेगा तो मैं करीब पहुँचने से पहले ही उसे अपनी लाठी से मार डालूँगा। 


लेकिन वह कुछ कदम आगे बढे ही थे कि उन्होंने देखा दूसरी तरफ से एक काला जहरीला साँप तेजी से उस भक्त को डसने के लिए आगे बढ़ रहा था। इतने में बिच्छू भी वहाँ पहुँच गया।


उस बिच्छू ने उसी समय सांप डंक के ऊपर डंक मार दिया, जिसकी वजह से बिच्छू का जहर सांप के जिस्म में दाखिल हो गया और वह सांप वहीं अचेत हो कर गिर पड़ा था। इसके बाद वह बिच्छू अपने रास्ते पर वापस चला गया।


थोड़ी देर बाद जब वह भक्त उठा, तब उस बुजुर्ग ने उसे बताया कि भगवान् ने उसकी रक्षा के लिए कैसे उस कछुवे को दरिया के किनारे लाया, फिर कैसे उस बिच्छु को कछुए की पीठ पर बैठा कर साँप से तेरी रक्षा के लिए भेजा।


 वह भक्त उस अचेत पड़े सांप को देखकर हैरान रह गया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, और वह आँखें बन्द कर प्रभु को याद कर उनका धन्यवाद करने लगा,


 तभी ""प्रभु"" ने अपने उस भक्त से कहा, जब वो बुजुर्ग जो तुम्हे जानता तक नही, वो तुम्हारी जान बचाने के लिए लाठी उठा सकता है। और फिर तू तो मेरी भक्ति में लगा हुआ था तो फिर तुझे बचाने के लिये मेरी लाठी तो हमेशा से ही तैयार रहती है...!


 जय श्री राम

  स्वयं का करें मूल्यांकन


एक व्यक्तिने सन्तसे पूछा : जीवनका मूल्य क्या है ?

सन्तने उसे एक पत्थर दिया और कहा, “जाओ और इस पत्थरका मूल्य पता करके आओ; परन्तु ध्यान रखना, इसे विक्रय नहीं करना है । वह व्यक्ति उस पत्थरको फल विक्रय करनेवालेके पास लेकर गया और बोला, “इसका मूल्य क्या है ?”

फल बेचनेवाला व्यक्ति उस चमकते हुए पत्थरको देखकर बोला, “१२ सन्तरे ले जाओ और इसे मुझे दे दो ।”

आगे एक तरकारीवालेने उस चमकीले पत्थरको देखा और कहा, “एक बोरी आलू ले जाओ और इस पत्थरको मेरे पास छोड जाओ ।”


वह व्यक्ति आगे एक सोना बेचनेवालेके पास गया और उसे पत्थर दिखाया । सुनार उस चमकीले पत्थरको देखकर बोला, “मुझे ५० लाखमें बेच दो ।”

उसने मना कर दिया, तो सुनार बोला, “२ करोड रुपयोंमें दे दो या तुम स्वयं ही बता दो कि इसका मूल्य क्या है, जो तुम मांगोगे वह दूंगा ।”

उस व्यक्तिने सुनारसे कहा, “मेरे गुरुने इसे विक्रय करनेसे मना किया है ।”


आगे वह व्यक्ति हीरे बेचनेवाले एक जौहरीके पास गया और उसे वह पत्थर दिखाया । 

जौहरीने जब उस बहुमूल्य रत्नको देखा, तो पहले उसने रत्नके पास एक लाल वस्त्र बिछाया, तत्पश्चात उस बहुमूल्य रत्नकी परिक्रमा लगाई, माथा टेका ।

तब जौहरी बोला, “कहांसे लाया है ये बहुमूल्य रत्न ? सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सम्पूर्ण विश्वको बेचकर भी इसका मूल्य नहीं लगाया जा सकता, ये तो अनमोल है ।“


वह व्यक्ति विस्मित होकर सीधे सन्तके पास आया । अपनी आपबीती बताई और बोला, “अब बताएं भगवान, मानवीय जीवनका मूल्य क्या है ?"

सन्त बोले, “सन्तरेवालेको दिखाया, उसने इसका मूल्य १२ सन्तरेके समान बताया । तरकारीवालेके पास गया, उसने इसका मूल्य एक बोरी आलू बताया । आगे सुनारने इसका मूल्य २ कोटि रुपये' बताया और जौहरीने इसे 'बहुमूल्य' बताया ।  


अब ऐसा ही मानवीय मूल्यका भी है । तू निस्सन्देह हीरा है; परन्तु, सामनेवाला तेरा मूल्य, अपने स्तर, अपने ज्ञान, अपने सामर्थ्यसे लगाएगा ।

घबराओ मत ! संसारमें तुम्हारा अभिज्ञान करनेवाले भी मिल जाएंगे ।”

 भगवान बुद्ध के प्रमुख उपदेश*


*♦️ 1. वर्तमान का ध्यान रखो*


मनुष्य को कभी भी अपने बीते हुए कल में नहीं उलझना चाहिए और ना ही भविष्य के स्वप्न बुनने चाहिए। मनुष्य को अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए।


♦️ *2. क्रोध से मात्र हानि है*


क्रोध से किसी और का नहीं, बल्कि स्वयं मनुष्य की ही हानि होती है। क्रोधित होने का अर्थ है कि जलता हुआ कोयला हाथ में लेकर किसी और पर फेंकना, जो सबसे पहले स्वयं आपको ही जलाएगा।


♦️ *3. हजार विजय से पूर्व स्वयं पर विजय है आवश्यक*


मनुष्य को किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त करने से पूर्व स्वयं पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। जब तक मनुष्य ऐसा नहीं करता है, तब तक सारी विजय व्यर्थ ही मानी जाएंगी।


♦️ *4. सुखद संघर्ष है मूलमंत्र*


किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने वाली यात्रा बहुत आवश्यक होती है। मनुष्य को अपना लक्ष्य मिले या न मिले, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति के लिए की जाने वाली यात्रा अच्छी होना चाहिए। इसका अनुभव जीवन भर हमारे साथ रहता है।


♦️ *5. बांटने से कम नहीं होती प्रसन्नता*


प्रसन्नता उस रोशनी के समान है, जिसे आप जितना दूसरों को देंगे, वो उतना ही और बढ़ेगी। जैसे कि एक जलता हुआ दीप, हजार दीप जलाकर रोशनी फैला सकता है, लेकिन इससे उसकी रोशनी पर कोई प्रभाव नहीं होगा, वैसे ही प्रसन्नता बांटने से बढ़ती हैं।

  

*🙏🏼बुद्ध पूर्णिमा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!*

 साधना क्या है..🤔


पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।


फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा। 


किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।


इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।


चक्की में दो पाटे होते हैं। 


उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तो अनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है। 


यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।


इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं - 


एक मन और दूसरा शरीर। 


उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है। 


अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं। 


प्रारब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा, 


लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है। 


देह को तो प्रारब्ध पर छोड़ दिया जाए और मन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए - 


यही नाम साधना है।

 ज्ञान वाणी ।। 


प्रेरक प्रसंग


!! सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी !!

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एक गाँव में सूखा पड़ने की वजह से गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे, उनकी फसलें खराब हो रही थी, बच्चे भूखे-प्यासे मर रहे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था की इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाय। उसी गाँव में एक विद्वान महात्मा रहते थे। गाँव वालो ने निर्णय लिया उनके पास जाकर इस समस्या का समाधान माँगने के लिये, सब लोग महात्मा के पास गये और उन्हें अपनी सारी परेशानी विस्तार से बतायी, महात्मा ने कहा कि आप सब मुझे एक हफ्ते का समय दीजिये मैं आपको कुछ समाधान ढूँढ कर बताता हूँ।


गाँव वालों ने कहा ठीक है और महात्मा के पास से चले गये। एक हफ्ते बीत गये लेकिन साधु महात्मा कोई भी हल ढूँढ न सके और उन्होंने गाँव वालों से कहा कि अब तो आप सबकी मदद केवल ऊपर बैठा वो भगवान ही कर सकता है। अब सब भगवान की पूजा करने लगे भगवान को खुश करने के लिये, और भगवान ने उन सबकी सुन ली और उन्होंने गाँव में अपना एक दूत भेजा। गाँव में पहुँचकर दूत ने सभी गाँव वालो से कहा कि “आज रात को अगर तुम सब एक-एक लोटा दूध गाँव के पास वाले उस कुएं में बिना देखे डालोगे तो कल से तुम्हारे गाँव में घनघोर बारिश होगी और तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जायेगी।” इतना कहकर वो दूत वहां से चला गया।


गाँव वाले बहुत खुश हुए और सब लोग उस कुएं में दूध डालने के लिये तैयार हो गये लेकिन उसी गाँव में एक कंजूस इंसान रहता था उसने सोचा कि सब लोग तो दूध डालेगें ही अगर मैं दूध की जगह एक लोटा पानी डाल देता हूँ तो किसको पता चलने वाला है। रात को अंधेरे में कुएं में दूध डालने के बाद सारे गाँव वाले सुबह उठकर बारिश के होने का इंतेजार करने लगे लेकिन मौसम वैसा का वैसा ही दिख रहा था और बारिश के होने की थोड़ी भी संभावना नहीं दिख रही थी। 


देर तक बारिश का इंतजार करने के बाद सब लोग उस कुएं के पास गये और जब उस कुएं में देखा तो कुआं पानी से भरा हुआ था और उस कुएं में दूध की एक बूंद भी नहीं थी। सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे और समझ गये कि बारिश अभी तक क्यों नहीं हुई। और वो इसलिये क्योंकि उस कंजूस व्यक्ति की तरह सारे गाँव वालों ने भी यही सोचा था कि सब लोग तो दूध डालेगें ही, मेरे एक लोटा पानी डाल देने से क्या फर्क पड़ने वाला है। और इसी चक्कर में किसी ने भी कुवे में दूध का एक बूँद भी नहीं डाला और कुवे को पानी से भर दिया।


संदेश - हो सकता है यह कथा संपूर्ण काल्पनिक हो परंतु इसी तरह की गलती आज कल हम अपने वास्तविक जीवन में भी करते रहते हैं, हम सब सोचते है कि हमारे एक के कुछ करने से क्या होने वाला है लेकिन हम ये भूल जाते है कि “बूंद-बूंद से सागर बनता है।“


अगर आप अपने देश, समाज, घर में कुछ बदलाव लाना चाहते हैं, कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो खुद को बदलिये और बेहतर बनाईये बाकी सब अपने आप हो जायेगा जायेगा।

 ज्ञान वाणी। 


एक बार किसी रेलवे प्लैटफॉर्म पर जब गाड़ी रुकी तो एक लड़का पानी बेचता हुआ निकला। ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे आवाज दी,ऐ लड़के इधर आ।


लड़का दौड़कर आया।


उसने पानी का गिलास भरकर सेठ की ओर बढ़ाया तो सेठ ने पूछा, कितने पैसे में? 


लड़के ने कहा - पच्चीस पैसे।


सेठ ने उससे कहा कि पंदह पैसे में देगा क्या?


यह सुनकर लड़का हल्की मुस्कान दबाए पानी वापस घड़े में उड़ेलता हुआ आगे बढ़ गया।


उसी डिब्बे में एक महात्मा बैठे थे, जिन्होंने यह नजारा देखा था कि लड़का मुस्करा कर मौन रहा।


जरूर कोई रहस्य उसके मन में होगा।

महात्मा नीचे उतरकर उस लड़के के पीछे- पीछे गए।


बोले : ऐ लड़के ठहर जरा, यह तो बता तू हंसा क्यों?


वह लड़का बोला, 


महाराज, मुझे हंसी इसलिए आई कि सेठजी को प्यास तो लगी ही नहीं थी। वे तो केवल पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे। 


महात्मा ने पूछा -


लड़के, तुझे ऐसा क्यों लगा कि सेठजी को प्यास लगी ही नहीं थी।


लड़के ने जवाब दिया -


महाराज, जिसे वाकई प्यास लगी हो वह कभी रेट नहीं पूछता। 


वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है। फिर बाद में पूछेगा कि कितने पैसे देने हैं? 


पहले कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि प्यास लगी ही नहीं है।


ठीक इसी प्रकार जिन्हें ईश्वर और जीवन में कुछ पाने की तमन्ना होती है, वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते। पर जिनकी प्यास सच्ची नहीं होती,वे ही वाद-विवाद में पड़े रहते हैं। वे साधना के पथ पर आगे नहीं बढ़ते।


अगर भगवान नहीं है तो उसका ज़िक्र क्यो??


और अगर भगवान है तो फिर फिक्र क्यों ???


" मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।

हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता..


अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ...


तो बेशक कहना...


जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी

और जो भी पाया वो प्रभु/गुरु की मेहरबानी थी!  


जन्म अपने हाथ में नहीं ;

मरना अपने हाथ में नहीं ;

पर जीवन को अपने तरीके से जीना अपने हाथ में होता है ; मस्ती करो मुस्कुराते रहो ;

सबके दिलों में जगह बनाते रहो ।I

जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता हैं और जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से, इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय भरपूर हास्य भरा हो। बस यही सच्चा जीवन है..


संदेश -निस्वार्थ भाव से कर्म करें और फल ईश्वर पर छोड़ दें।

 

आत्मा जब शरीर छोड़ कर धर्मराज की अदालत में जाती है, उस समय शरीर रूपी पहला मित्र एक कदम भी आगे चल कर साथ नहीं देता, जैसे कि उस पहले मित्र ने साथ नहीं दिया।


एक व्यक्ति था। उसके तीन मित्र थे। एक मित्र ऐसा था जो सदैव साथ देता था। एक पल, एक क्षण भी बिछुड़ता नहीं था। दूसरा मित्र ऐसा था जो सुबह शाम मिलता। तीसरा मित्र ऐसा था जो बहुत दिनों में जब-तब मिलता था।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उस व्यक्ति को अदालत में जाना था किसी कार्यवश और किसी को गवाह बनाकर।


अब वह व्यक्ति अपने सब से पहले अपने उस मित्र के पास गया जो सदैव उसका साथ देता था और बोला :- "मित्र क्या तुम मेरे साथ अदालत में गवाह बनकर चल सकते हो ?


वह मित्र बोला :- माफ़ करो दोस्त, मुझे तो आज फुर्सत ही नहीं।


उस व्यक्ति ने सोचा कि यह मित्र मेरा हमेशा साथ देता था। आज मुसीबत के समय पर इसने मुझे इनकार कर दिया।


अब दूसरे मित्र की मुझे क्या आशा है। फिर भी हिम्मत रखकर दूसरे मित्र के पास गया जो सुबह शाम मिलता था, और अपनी समस्या सुनाई।


दूसरे मित्र ने कहा - मेरी एक शर्त है कि में सिर्फ अदालत के दरवाजे तक जाऊंगा , अंदर तक नहीं | वह बोला - बाहर के लिए तो मैं ही बहुत हूं मुझे तो अंदर के लिए गवाह चाहिए |


 फिर वह थक हार कर अपने तीसरा मित्र के पास गया जो बहुत दिनों में मिलता था , और अपनी समस्या सुनाई |


 तीसरा मित्र उसकी समस्या सुनकर तुरंत उसके साथ चल दिया | अब आप सोच रहे होंगे कि वह तीन मित्र कौन है...? 



        कथा का सार:—

 जैसे हमने तीन मित्रों की बात सुनी वैसे हर व्यक्ति के तीन मित्र होते हैं | सबसे पहला मित्र है हमारा अपना " शरीर " हम जहां भी जायेगे , शरीर रूपी पहला मित्र हमारे साथ चलता है | एक पल एक क्षण भी हमसे दूर नहीं होता |


 दूसरों मित्र है शरीर के " संबंधी " जैसे : माता-पिता , भाई-बहन , चाचा चाची इत्यादि जिनके साथ रहते हैं , जो सुबह - दोपहर - शाम मिलते हैं |

 

 और तीसरा मित्र है :- हमारे " कर्म " जो सदा ही साथ जाते हैं |


 अब आप सोचिये की आत्मा ज़ब शरीर छोड़कर धर्मराज की अदालत में जाती है , उस समय शरीर रूपी पहला मित्र एक कदम भी आगे चल कर साथ नहीं देता , जैसे की उस पहले मित्र ने साथ नहीं दिया |


दूसरा मित्र - संबंधी श्मशान घाट तक यानि अदालत के दरवाजे तक राम नाम सत्य है कहते हुए जाते है | तथा वहा से फिर वापस लोट जाते है |


और तीसरा मित्र आपके कर्म है | कर्म जो सदा ही साथ जाते है चाहे अच्छे हो या बुरे | अगर हमारे कर्म हमारे साथ चलते है तो हमको अपने कर्म पर ध्यान देना होगा | 


अगर हमअच्छे कर्म करेंगे तो किसी भी अदालत मे जाने की जरूरत नहीं होंगी | धर्मराज भी हमारे लिये स्वर्ग के दरवाजे खोल देंगे |               


सदा जपते रहिए

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

 


भला आदमी


एक बार एक धनी पुरुष ने एक मंदिर बनवाया | मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए एक पुजारी | मंदिर के खर्च के लिए बहुत सी भूमि, खेत और बगीचे मंदिर के नाम लगाएं | उन्होंने ऐसा प्रबंध किया था कि जो मंदिरों में भूखे, दीन दुखी या साधु-संतों आवे, वे वहां दो-चार दिन ठहर सके और उनको भोजन के लिए भगवान का प्रसाद मंदिर से मिल जाया करे | अब उन्हें एक ऐसे मनुष्य की आवश्यकता हुई जो मंदिर की संपत्ति का प्रबंध करें और मंदिर के सब कामों को ठीक-ठीक चलाता रहे !


बहुत से लोग उस धनी पुरुष के पास आए | वे लोग जानते थे कि यदि मंदिर की व्यवस्था का काम मिल जाए तो वेतन अच्छा मिलेगा | लेकिन उस धनी पुरुष ने सबको लौटा दिया | वह सब से कहता था – ‘ मुझे एक भला आदमी चाहिए, मैं उसको अपने आप छाट लूंगा |’


बहुत से लोग मन ही मन में उस धनी पुरुष को गालियां देते थे | बहुत लोग उसे मूर्ख या पागल बतलाते थे | लेकिन वह धनी पुरुष किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था | जब मंदिर के पट खुलते थे और लोग भगवान के दर्शन के लिए आने लगते थे तब वह धनी पुरुष अपने मकान की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगों को चुपचाप देखता रहता था |


एक दिन में एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया | उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे वह बहुत पढ़ा लिखा भी नहीं जान पड़ता था | जब वह भगवान का दर्शन करके जाने लगा तब धनीपुर उसने अपने पास बुलाया और कहा – ‘ क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था संभालने का काम करेंगे ?’

वह मनुष्य बड़े आश्चर्य में पड़ गया | उसने कहा – ‘मैं तो बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूं मैं इतने बड़े मंदिर का प्रबंध कैसे कर सकूंगा ?’


धनी पुरुष ने कहा – ‘मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए मैं तो एक भले आदमी को मंदिर का प्रबंधक बनाना चाहता हूं |’


उस मनुष्य ने कहा – ‘आपने इतने मनुष्य में मुझे ही क्यों भला आदमी माना |’


धनी पुरुष बोला – ‘मैं जानता हूं कि आप भले आदमी हैं | मंदिर के रास्ते में एक ईंट का टुकड़ा गड़ा रह गया था और उसका एक कौना ऊपर निकला था मैं उधर से बहुत दिनों से देख रहा था कि उस मंदिर के टुकड़े की नोक से लोगों को ठोकर लगती थी लोग गिरते थे लुढ़कते थे और उठ कर चलते थे | आपको उस टुकड़े से ठोकर नहीं लगी किंतु आपने उसे देख कर ही उखाड़ देने का यतन किया मैं देख रहा था कि आप मेरे मजदूर से फावड़ा मांगकर ले गए और उस टुकड़े को खोदकर आपने वहां की भूमि भी बराबर कर दी |’


उस मनुष्य ने कहा – “यह तो कोई बात नहीं है रास्ते में पड़े कांटे, कंकड़ और पत्थर लगने योग्य पत्थर, ईटों को हटा देना तो प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है |’


धनी पुरुष ने कहा – ‘अपने कर्तव्यों को जानने और पालन करने वाले लोग ही भले आदमी होते हैं |’


वह मनुष्य मंदिर का प्रबंधक बन गया उसने मंदिर का बड़ा सुंदर प्रबंध किया |


"मित्रों:- इस कहानी का सार अथवा यही है कि –“हर मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए |”

 1950 के दशक में हावर्ड यूनिवर्सिटी के विख्यात साइंटिस्ट कर्ट ने चूहों पर एक अजीबोगरीब शोध किया था


कर्ट ने एक जार को पानी से भर दिया और उसमें एक चूहे को फेंक दिया


पानी से भरे जार में गिरते ही चूहा हड़बड़ाने लगा


जार से बाहर निकलने के लिये ज़ोर लगाने लगा


चंद मिनट फड़फड़ाने के पश्चात चूहे ने हथियार डाल दिये और वह उस जार में डूब गया


कर्ट ने उस समय अपने शोध में थोड़ा सा बदलाव किया


उन्होंने एक चूहे को पानी से भरे जार में डाला, चूहा जार से बाहर आने के लिये ज़ोर लगाने लगा, जिस समय चूहे ने ज़ोर लगाना बन्द कर दिया और वह डूबने को था उसी समय कर्ड ने उस चूहे को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया


कर्ट ने चूहे को ठीक उसी क्षण जार से बाहर निकाल लिया जब वह डूबने की कगार पर था, चूहे को बाहर निकाल कर कर्ट ने उसे सहलाया


कुछ समय तक उसे जार से दूर रखा और फिर एक दम से उसे पुनः जार में फेंक दिया


पानी से भरे जार में दोबारा फेंके गये चूहे ने फिर जार से बाहर निकलने की जद्दोजेहद शुरू कर दी लेकिन पानी में पुनः फेंके जाने के पश्चात उस चूहे में कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिले जिन्हें देख कर स्वयं कर्ट भी हैरान रह गये


कर्ट सोच रहे थे के चूहा बमुश्किल 15 - 20 मिनट संघर्ष करेगा और फिर उसकी शारीरिक क्षमता जवाब दे देगी और वह जार में डूब जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ


चूहा जार में तैरता रहा, जीवन बचाने के लिये सँघर्ष करता रहा


60 घँटे, जी हाँ 60 घँटे तक चूहा पानी के जार में अपने जीवन को बचाने के लिये सँघर्ष करता रहा


कर्ट यह देख कर आश्चर्यचकित रह गये


जो चूहा 15 मिनट में परिस्थितियों के समक्ष हथियार डाल चुका था वही चूहा 60 घँटे से परिस्थितियों से जूझ रहा था और हार मानने को तैयार नहीं था


कर्ट ने अपने इस शोध को एक नाम दिया और वह नाम था "The HOPE Experiment"


Hope यानि आशा


कर्ट ने शोध का निष्कर्ष बताते हुये कहा के जब चूहे को पहली बार जार में फेंका गया वह डूबने की कगार पर पहुंच गया


उसी समय उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया गया, उसे नवजीवन प्रदान किया गया


उस समय चूहे के मन मस्तिष्क में "आशा" का संचार हो गया, उसे महसूस हुआ के एक हाथ है जो विकटतम परिस्थिति से उसे निकाल सकता है


जब पुनः उसे जार में फेंका गया तो चूहा 60 घँटे तक सँघर्ष करता रहा, वजह था वह हाथ, वजह थी वह आशा, वजह थी वह उम्मीद


इस परीक्षा की घड़ी में उम्मीद बनाये रखिये


सँघर्षरत रहिये, सांसे टूटने मत दीजिये, मन को हारने मत दीजिये


जिसने हाथ ने हमें इस जार में फेंका है वो ही हाथ हमें इससे बाहर भी निकाल लेगा


उस हाथ पर विश्वास रखिये