शस्त्र रखने वालों से सदैव सावधान- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति से सदैव सावधान रहना चाहिए शस्त्र रखता है. क्रोध में ऐसे व्यक्ति कभी शस्त्र का प्रयोग कर सकते हैं, जिस कारण कभी कभी आसपास मौजूद लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ सकती है.
लंबे नाखूनों वाले से दूरी बनाकर रखें- चाणक्य नीति कहती है कि जिसके लंबे नाखून होते हैं, उससे सदैव उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए. क्योंकि ये हमला कर कभी भी हानि पहुंचा सकते हैं.
क्रोध- चाणक्य नीति कहती है कि क्रोध करने से व्यक्ति की प्रतिभा नष्ट होती है. व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति अच्छे और बुरे का अंतर भूल जाता है.
अहंकार- चाणक्य नीति कहती है कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है, अहंकार करने वाले व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता है. करीबी लोग भी दूरी बना लेते हैं.
लोभ- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को लोभ नहीं करना चाहिए. लोभ करने वाला व्यक्ति कभी संतुष्ठ नहीं होता है. जिस कारण उसका चित्त परेशान रहता है.
अनुशासन- चाणक्य नीति अनुशासन के महत्व को बताती है. सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अनुशासन के महत्व को जानना चाहिए. अनुशासन की भावना व्यक्ति को समय अहमियत को भी बताती है.
आलस- चाणक्य नीति कहती है आलस का त्याग किए बिना जीवन में सफलता नहीं मिलती है, इससे दूर ही रहना चाहिए. आलस व्यक्ति की कुशलता का नाश करती है.
असत्य- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए. असत्य बोलने वालों को कभी सम्मान नहीं मिलता है.
परिश्रम- चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति सदैव परिश्रम करने के लिए तैयार रहता है, उसके लिए कोई भी लक्ष्य और सफलता दूर नहीं है.
धोखा- चाणक्य नीति कहती है कि कभी किसी को धोखा नहीं देना चाहिए. धोखा देना सबसे बुरी आदतों में से एक है. ऐसे लोगों को आगे चलकर परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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