Saturday, May 28, 2022

 ⚜️⚜️⚜️

*कभी हम भी.. बहुत अमीर हुआ करते थे* 

*हमारे भी जहाज.. चला करते थे।*


*हवा में.. भी।*

*पानी में.. भी।*


*दो दुर्घटनाएं हुई।*

*सब कुछ.. ख़त्म हो गया।*


                *पहली दुर्घटना* 


जब क्लास में.. हवाई जहाज उड़ाया।

टीचर के सिर से.. टकराया।

स्कूल से.. निकलने की नौबत आ गई।

बहुत फजीहत हुई।

कसम दिलाई गई।

औऱ जहाज बनाना और.. उडाना सब छूट गया।


                 *दूसरी दुर्घटना*


बारिश के मौसम में, मां ने.. अठन्नी दी।

चाय के लिए.. दूध लाना था।कोई मेहमान आया था।

हमने अठन्नी.. गली की नाली में तैरते.. अपने जहाज में.. बिठा दी।

तैरते जहाज के साथ.. हम शान से.. चल रहे थे।

ठसक के साथ।

खुशी खुशी।

अचानक..

तेज बहाव् आया।

और..

जहाज.. डूब गया।


साथ में.. अठन्नी भी डूब गई।

ढूंढे से ना मिली।


मेहमान बिना चाय पीये चले गये।

फिर..

जमकर.. ठुकाई हुई।

घंटे भर.. मुर्गा बनाया गया।

औऱ हमारा.. पानी में जहाज तैराना भी.. बंद हो गया।


आज जब.. प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , 

तो.. उन दिनों की याद दिलाती हैं।


वो भी क्या जमाना था !


और..

आज के जमाने में..

मेरे बेटे ने...   

पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो..


मां बोली ~ कोई बात नहीं ! 

पापा..

*दूसरा दिला देंगे।*


हमें अठन्नी पर.. मिली सजा याद आ गई।


फिर भी आलम यह है कि.. 

आज भी.. हमारे सर.. 

मां-बाप के सामने.. 

अदब से झुकते हैं।


औऱ हमारे बच्चे.. 'यार पापा ! 

यार मम्मी !

कहकर.. बात करते हैं।

हम प्रगतिशील से.. 

प्रगतिवान हो गये हैं।


कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।।



 *मैं तो "पत्थर" हूँ; मेरे माता-पिता "शिल्पकार" है..*

*मेरी हर "तारीफ़" के वो ही असली "हक़दार हैं ।*🌹

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