Saturday, May 28, 2022
लोग पूछते हैं कि दुनिया में इतनी पीड़ा क्यों है?...
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दुनियां में इतनी पीड़ा इसलिए है क्योंकि इस दुनिया को ही प्रेमियों की हाय लग गयी है...
किसी ने कभी सोचा है उस प्रेमिका के बारे में, जिसे उसके प्रेमी से छीन अनजाने मर्द के साथ ब्याह दिया गया हो गाजे-बाजे और धूम-धड़ाके के साथ... जिस धूम-धड़ाके की आवाज में प्रेमिका की सिसकी भी घुट कर ही मर गई होगी...
कभी सोचा है जब उसे उसके प्रेमी की जगह कोई अनजान मर्द (जो शादी के बाद उसका स्वामी होता है) ने पहली बार छुआ होगा तो कितना वीभत्स महसूस किया होगा उसने...
या उस प्रेमी के बारे में कभी सोचा है जिससे ब्याही गयी होगी कोई अनजान औरत और वह खोजता होगा उसके चेहरे में अक्स अपनी प्रेयशी का... जब नहीं पाता होगा तब रह जाता होगा तड़प कर...
यह तड़प, यह सिसकी, यह वेदना कैद है इस दुनिया में तभी तो इतनी पीड़ा है!
अक्सर लोग जिससे प्रेम करते हैं उससे शादी नहीं हो पाती और जिससे शादी होती है उससे प्रेम कायम करने में समय लग जाता है... यह भी अजीब ही है, पर है तो सच ही!
अगर सौ अरेंज शादी की बात हो और थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बोला जाय तो मुश्किल से 20-25 फीसदी जोड़े ही उस फुलफिलमेंट को, उस तृप्ति को, उस संतुष्टि को, उस खिलावट को, उस निखार को पाते हैं जो स्त्री पुरुष के मिलने पर होना चाहिए! 75-80 फीसदी इससे मरहूम ही रह जाते हैं... और जो इससे मरहूम रह गया उसके जीवन में शादी के कुछ दिनों तक पीड़ा रहेगी ही...
जहाँ तक शादी के बाद प्रेम कायम करने की बात है तो लोग मजबूरी में एडजस्ट कर ही लेते हैं!...
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जिसने आपको चाहा उसे आप चाह न सके
जिसको आपने चाहा उसे आप पा न सके
ये मोहब्बत दिल टूटने का ही खेल है यारों
किसी का तोड़कर भी अपना ही बचा न सके💜
प्यार करो तो उसे शादी के बंधन तक जरूर ले कर जाओ
वरना प्यार तब तक मत करो जब तक किसी से शादी में बंध न जाओ
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