Sunday, February 13, 2022

  स्वयं का करें मूल्यांकन


एक व्यक्तिने सन्तसे पूछा : जीवनका मूल्य क्या है ?

सन्तने उसे एक पत्थर दिया और कहा, “जाओ और इस पत्थरका मूल्य पता करके आओ; परन्तु ध्यान रखना, इसे विक्रय नहीं करना है । वह व्यक्ति उस पत्थरको फल विक्रय करनेवालेके पास लेकर गया और बोला, “इसका मूल्य क्या है ?”

फल बेचनेवाला व्यक्ति उस चमकते हुए पत्थरको देखकर बोला, “१२ सन्तरे ले जाओ और इसे मुझे दे दो ।”

आगे एक तरकारीवालेने उस चमकीले पत्थरको देखा और कहा, “एक बोरी आलू ले जाओ और इस पत्थरको मेरे पास छोड जाओ ।”


वह व्यक्ति आगे एक सोना बेचनेवालेके पास गया और उसे पत्थर दिखाया । सुनार उस चमकीले पत्थरको देखकर बोला, “मुझे ५० लाखमें बेच दो ।”

उसने मना कर दिया, तो सुनार बोला, “२ करोड रुपयोंमें दे दो या तुम स्वयं ही बता दो कि इसका मूल्य क्या है, जो तुम मांगोगे वह दूंगा ।”

उस व्यक्तिने सुनारसे कहा, “मेरे गुरुने इसे विक्रय करनेसे मना किया है ।”


आगे वह व्यक्ति हीरे बेचनेवाले एक जौहरीके पास गया और उसे वह पत्थर दिखाया । 

जौहरीने जब उस बहुमूल्य रत्नको देखा, तो पहले उसने रत्नके पास एक लाल वस्त्र बिछाया, तत्पश्चात उस बहुमूल्य रत्नकी परिक्रमा लगाई, माथा टेका ।

तब जौहरी बोला, “कहांसे लाया है ये बहुमूल्य रत्न ? सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सम्पूर्ण विश्वको बेचकर भी इसका मूल्य नहीं लगाया जा सकता, ये तो अनमोल है ।“


वह व्यक्ति विस्मित होकर सीधे सन्तके पास आया । अपनी आपबीती बताई और बोला, “अब बताएं भगवान, मानवीय जीवनका मूल्य क्या है ?"

सन्त बोले, “सन्तरेवालेको दिखाया, उसने इसका मूल्य १२ सन्तरेके समान बताया । तरकारीवालेके पास गया, उसने इसका मूल्य एक बोरी आलू बताया । आगे सुनारने इसका मूल्य २ कोटि रुपये' बताया और जौहरीने इसे 'बहुमूल्य' बताया ।  


अब ऐसा ही मानवीय मूल्यका भी है । तू निस्सन्देह हीरा है; परन्तु, सामनेवाला तेरा मूल्य, अपने स्तर, अपने ज्ञान, अपने सामर्थ्यसे लगाएगा ।

घबराओ मत ! संसारमें तुम्हारा अभिज्ञान करनेवाले भी मिल जाएंगे ।”

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