Tuesday, October 17, 2017

Diwali Dhanteras

धनतेरस 2017: जानिए क्या है धनतेरस का महत्व और पूजन विधि। धनतेरस पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है।
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धनतरेस 2017: धनतेरस हर साल दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है।कार्तिक माह की त्रयोदशी को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। वैसे तो ये दिन धनतेरस के नाम से प्रख्यात है। दिवाली से दो दिन पहले के इस पर्व पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं, कई लोग इस दिन झाडू खरीदना शुभ मानते हैं।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा और भी कारण हैं जिसकी वजह से धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। इस दिन लोग गणेश और लक्ष्मी को घर लाया जाता है। इस दिन लोग किसी को उधार नहीं देते हैं और ना ही लेते हैं। इस दिन धन की वृद्धि के लिए लोग नई वस्तुएं लेते हैं।

इस दिन लक्ष्मी के साथ-साथ मां धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है इस दिन अगर मां लक्ष्मी घर आती हैं तो वो हमेशा के लिए रुक जाती हैं। इसलिए इस दिन विशेष पूजा का महत्व होता है। इस दिन यमराज की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि दिवाली के समय अधिकतर प्रदोष काल का समय होता है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो यमराज को दीपदान करता है उसकी आकाल मृत्यु नहीं होती है।
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धन त्रयोदशी : मुहूर्त, महत्व, कथा और पूजन विधान----
17 अक्टूबर (मंगलवार) को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाए तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। 
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दिनांक 17 अक्टूबर 2017 को सायं 7.20 पर वृष लग्न है। इसे स्थिर लग्न माना गया है और दीवाली के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है। अतः धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07:20 से लेकर 08:17 के बीच तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन, स्वास्थ्य और आयु बढ़ती है।
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धन त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था इसीलिए इस दिन को धन तेरस के रूप में पूजा जाता है। दीपावली के दो दिन पहले आने वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदी जरूर की जाती है। धनवंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
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देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन
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शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान त्रयो‍दशी के दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है। धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है।
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कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय बहुत ही दुर्लभ और कीमती सामग्री निकली थी। इसके अलावा के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था। यही कारण है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके दो दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का जन्म दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
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भगवान धन्वंतरि को प्रिय है पीतल
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भगवान धन्वंतरि को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है इसीलिए पीतल भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु है।
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चांदी खरीदना शुभ 
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धनतेरस के दिन लोग घरेलू बर्तन खरीदते हैं, वैसे इस दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। चन्द्रमा शीतलता का मानक है।
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मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है। लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है।
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क्यों है पूजा-पाठ में पीतल का इतना महत्व?
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पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा ही एक किस्सा महाभारत में वर्णित है कि सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी कि द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दें, खाना घटता नहीं था।

यम की पूजा का भी विधान :

धनतेरस के दिन कुबेर के अलावा देवता यम के पूजा का भी विधान है। धनतेरस के दिन यम की पूजा के संबंध में मान्यता है कि इनकी पूजा से घर में असमय मौत का भय नहीं रहता है।
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धनतेरस 2017 : पूजन और खरीदी के यह हैं शुभ मुहूर्त
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दीपावली त्योहार 5 दिन का मनाया जाता है। प्रथम दिवस को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन्वंतरि और कुबेरदेव का पूजन किया जाता है, साथ ही इस दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठान की पूजन करते हैं, बहीखाता खरीदते हैं व गादी बदलते हैं।



किस समय करें पूजन जानिए...



चौघड़िया अनुसार



लाभ चौघड़िया 10.45 से 12.12 तक

अमृत चौघड़िया 12.12 से 1.39 तक

शुभ चौघड़िया 3.05 से 4.32 तक

लाभ चौघड़िया रात्रि 7.32 से 8.05 तक

शुभ चौघड़िया रात्रि 10.39 से 12.12 तक



देर रात सिद्धि के लिएअमृतचौघड़िया रात्रि 12.12 से 1.46 तक।



लग्न अनुसार ब्रह्म मुहूर्त



कन्या लग्न : प्रात: 4.04 से 6.21 तक।

धनु लग्न : सुबह 10.44 से दोपहर 12.50 तक।

कुंभ लग्न : दोपहर 2.37 से 4.10 तक।

मेष लग्न : शाम 5.41 से 7.22 तक।

वृषभ लग्न : रात्रि 7.22 से 9.20 तक।



देर रात सिद्धि के लिए : सिंह लग्न रात्रि 1.49 से 4.00 तक।

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