Wednesday, June 14, 2017

एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा
बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया❗ प्रेम
भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में
सुलाता❗
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कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही
करते❗

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एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक
गए❗ भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक
ही फल लगा था❗
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बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को
अपने हाथ से तोड़ा❗ बादशाह ने फल के छह टुकड़े
किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा
फकीर को दिया❗
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फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला,
'बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया❗ एक
टुकड़ा और दे दें❗ दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल
गया❗
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 फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग
लिया❗ इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा
लिए❗
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जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने
कहा, 'यह सीमा से बाहर है❗ आखिर मैं भी तो भूखा
हूं❗
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मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं
करते' और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख
लिया❗
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मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह
कड़वा था❗
राजा बोला,
'तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए❓
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'
उस फकीर का उत्तर था,
'जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक
कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं❓
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 सब टुकड़े इसलिए
लेता गया ताकि आपको पता न चले❗
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दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो, आओ
कुछ ऐसे रिश्ते रचे...
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कुछ हमसे सीखें , कुछ हमे
सिखाएं.
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 किस्मत की एक आदत है कि
वो पलटती जरुर है

और जब पलटती है,

 तब सब कुछ पलटकर रख देती है❗

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इसलिये अच्छे दिनों मे अहंकार
न करो और
🌿
खराब समय में थोड़ा सब्र करो🌿☘🍁🍃🌾�🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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