एक बार चम्पकलाल ने एक कबूतर का शिकार किया. वह कबूतर जाकर एक खेत में गिरा. जब चम्पकलाल उस खेत में कबूतर को उठाने पहुंचा तभी एक किसान वहां आया और चम्पकलाल को पूछने लगा कि वह उसकी प्रोपर्टी में क्या कर रहा है?
चम्पकलाल ने कबूतर को दिखाते हुए कहा – “मैंने इस कबूतर को मारा और ये मर कर यहाँ गिर गया मैं इसे लेने आया हूँ!”
किसान – “ये कबूतर मेरा है क्योंकि ये मेरे खेत में पड़ा है!”
चम्पकलाल – “क्या तुम जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो?”
किसान – “नहीं मैं नहीं जानता और मुझे इससे भी कुछ नहीं लेना है कि तुम कौन हो!”
चम्पकलाल – “मैं हाईकोर्ट का वकील हूँ, अगर तुमने मुझे इस कबूतर को ले जाने से रोका तो मैं तुम पर ऐसा मुकदमा चलाऊंगा कि तुम्हें तुम्हारी जमीन जायदाद से बेदखल कर दूंगा और रास्ते का भिखारी बना दूंगा!”
किसान ने कहा – “हम किसी से नहीं डरते … हमारे गाँव में तो बस एक ही कानून चलता है… लात मारने वाला!”
चम्पकलाल – “ये कौनसा क़ानून है … मैंने तो कभी इसके बारे में नहीं सुना!”
किसान ने कहा -“मैं तुम्हें तीन लातें मारता हूँ अगर तुम वापिस उठकर तीन लातें मुझे मार पाओगे तो तुम इस कबूतर को ले जा सकते हो!”
चम्पकलाल ने सोचा ये ठीक है ये मरियल सा आदमी है, इसकी लातों से मुझे क्या फर्क पड़ेगा ! ये सोचकर उसने कहा – “ठीक है मारो!”
किसान ने बड़ी बेरहमी से चम्पकलाल को पहली लात टांगों के बीच में मारी जिससे चम्पकलाल मुहं के बल झुक गया!
किसान ने दूसरी लात चम्पकलाल के मुहं पर मारी जिसके पड़ते ही वह जमीन पर गिर गया!
तीसरी लात किसान ने चम्पकलाल की पसलियों पर मारी.
बड़ी देर बाद चम्पकलाल उठा और जब लात मारने के लायक हुआ तो किसान से बोला – “अब मेरी बारी है!”
किसान – “चलो छोड़ो यार! ये कबूतर तुम ही रखो!”
चम्पकलाल ने कबूतर को दिखाते हुए कहा – “मैंने इस कबूतर को मारा और ये मर कर यहाँ गिर गया मैं इसे लेने आया हूँ!”
किसान – “ये कबूतर मेरा है क्योंकि ये मेरे खेत में पड़ा है!”
चम्पकलाल – “क्या तुम जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो?”
किसान – “नहीं मैं नहीं जानता और मुझे इससे भी कुछ नहीं लेना है कि तुम कौन हो!”
चम्पकलाल – “मैं हाईकोर्ट का वकील हूँ, अगर तुमने मुझे इस कबूतर को ले जाने से रोका तो मैं तुम पर ऐसा मुकदमा चलाऊंगा कि तुम्हें तुम्हारी जमीन जायदाद से बेदखल कर दूंगा और रास्ते का भिखारी बना दूंगा!”
किसान ने कहा – “हम किसी से नहीं डरते … हमारे गाँव में तो बस एक ही कानून चलता है… लात मारने वाला!”
चम्पकलाल – “ये कौनसा क़ानून है … मैंने तो कभी इसके बारे में नहीं सुना!”
किसान ने कहा -“मैं तुम्हें तीन लातें मारता हूँ अगर तुम वापिस उठकर तीन लातें मुझे मार पाओगे तो तुम इस कबूतर को ले जा सकते हो!”
चम्पकलाल ने सोचा ये ठीक है ये मरियल सा आदमी है, इसकी लातों से मुझे क्या फर्क पड़ेगा ! ये सोचकर उसने कहा – “ठीक है मारो!”
किसान ने बड़ी बेरहमी से चम्पकलाल को पहली लात टांगों के बीच में मारी जिससे चम्पकलाल मुहं के बल झुक गया!
किसान ने दूसरी लात चम्पकलाल के मुहं पर मारी जिसके पड़ते ही वह जमीन पर गिर गया!
तीसरी लात किसान ने चम्पकलाल की पसलियों पर मारी.
बड़ी देर बाद चम्पकलाल उठा और जब लात मारने के लायक हुआ तो किसान से बोला – “अब मेरी बारी है!”
किसान – “चलो छोड़ो यार! ये कबूतर तुम ही रखो!”
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