Monday, June 4, 2018

तुम हो चाहत मेरी तुम मुहब्बत भी हो
तुम्हीं पूजा मेरी तुम इबादत भी हो
तुम हो ख्वाहिश मेरी तुम ज़रूरत भी हो
ज़ीस्त की खूबसूरत सी आदत भी हो
मेरे दोनों जहां में हो शामिल तुम्हीं
ख्वाब भी हो तुम्हीं तुम हकीक़त भी हो
इस हसीं रात की है गुजारिश यही
बीच अपने सनम कुछ शरारत भी हो
तुम अँधेरों में इक रोशनी हो मेरी
तुम मेरी हर खुशी की ज़मानत भी हो
गर लगा लो मुझे तुम गले से सनम
कुछ तो बेजान से दिल में हरक़त भी हो
जलजले तो मिलेंगे सदा राह में
ज़ीस्त की चाल में पर नजाकत भी हो
हर तरफ़ हर जगह है खियानत ही क्यों
दिल में इंसानियत कुछ सलामत भी हो

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