Thursday, December 20, 2018

एक बादशाह अपने कुत्ते के साथ नाव में यात्रा कर रहा था । उस नाव में अन्य यात्रियों के साथ एक दार्शनिक भी था ।

कुत्ते ने कभी नौका में सफर नहीं किया था, इसलिए वह अपने को सहज महसूस नहीं कर पा रहा था ।

वह उछल-कूद कर रहा था और किसी को चैन से नहीं बैठने दे रहा था ।

मल्लाह उसकी उछल-कूद से परेशान था कि ऐसी स्थिति में यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब जाएगी ।

वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा ।

 परन्तु कुत्ता अपने स्वभाव के कारण उछल-कूद में लगा था ।

 ऐसी स्थिति देखकर बादशाह भी गुस्से में था ।

 पर, कुत्ते को सुधारने का कोई उपाय उन्हें समझ में नहीं आ रहा था ।

नाव में बैठे दार्शनिक से रहा नहीं गया ।

 वह बादशाह के पास गया और बोला - "सरकार ! अगर आप इजाजत दें तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ ।"

 बादशाह ने तत्काल अनुमति दे दी ।
दार्शनिक ने दो यात्रियों का सहारा लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया ।

 कुत्ता तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने लगा ।

 उसको अब अपनी जान के लाले पड़ रहे थे ।

कुछ देर बाद दार्शनिक ने उसे खींचकर नाव में चढ़ा लिया ।

वह कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया ।

 नाव के यात्रियों के साथ बादशाह को भी उस कुत्ते के बदले व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ ।

 बादशाह ने दार्शनिक से पूछा - "यह पहले तो उछल-कूद और हरकतें कर रहा था, अब देखो कैसे यह पालतू बकरी की तरह बैठा है ?"
.
दार्शनिक बोला -
"खुद तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति का अहसास नहीं होता है ।

 इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया तो इसे पानी की ताकत और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी ।"

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