Sunday, March 24, 2019

*☝एक बार इस कविता को*
*💘दिल से पढ़िये*
*😋शब्द शब्द में गहराई है...*

*⛺जब आंख खुली तो अम्‍मा की*
*⛺गोदी का एक सहारा था*
*⛺उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको*
*⛺भूमण्‍डल से प्‍यारा था*

*🌹उसके चेहरे की झलक देख*
*🌹चेहरा फूलों सा खिलता था*
*🌹उसके स्‍तन की एक बूंद से*
*🌹मुझको जीवन मिलता था*

*👄हाथों से बालों को नोंचा*
*👄पैरों से खूब प्रहार किया*
*👄फिर भी उस मां ने पुचकारा*
*👄हमको जी भर के प्‍यार किया*

*🌹मैं उसका राजा बेटा था*
*🌹वो आंख का तारा कहती थी*
*🌹मैं बनूं बुढापे में उसका*
*🌹बस एक सहारा कहती थी*

*🌂उंगली को पकड. चलाया था*
*🌂पढने विद्यालय भेजा था*
*🌂मेरी नादानी को भी निज*
*🌂अन्‍तर में सदा सहेजा था*

*🌹मेरे सारे प्रश्‍नों का वो*
*🌹फौरन जवाब बन जाती थी*
*🌹मेरी राहों के कांटे चुन*
*🌹वो खुद गुलाब बन जाती थी*

*👓मैं बडा हुआ तो कॉलेज से*
*👓इक रोग प्‍यार का ले आया*
*👓जिस दिल में मां की मूरत थी*
*👓वो रामकली को दे आया*

*🌹शादी की पति से बाप बना*
*🌹अपने रिश्‍तों में झूल गया*
*🌹अब करवाचौथ मनाता हूं*
*🌹मां की ममता को भूल गया*

*☝हम भूल गये उसकी ममता*
*☝मेरे जीवन की थाती थी*
*☝हम भूल गये अपना जीवन*
*☝वो अमृत वाली छाती थी*

*🌹हम भूल गये वो खुद भूखी*
*🌹रह करके हमें खिलाती थी*
*🌹हमको सूखा बिस्‍तर देकर*
*🌹खुद गीले में सो जाती थी*

*💻हम भूल गये उसने ही*
*💻होठों को भाषा सिखलायी थी*
*💻मेरी नीदों के लिए रात भर*
*💻उसने लोरी गायी थी*

*🌹हम भूल गये हर गलती पर*
*🌹उसने डांटा समझाया था*
*🌹बच जाउं बुरी नजर से*
*🌹काला टीका सदा लगाया था*

*🏯हम बडे हुए तो ममता वाले*
*🏯सारे बन्‍धन तोड. आए*
*🏯बंगले में कुत्‍ते पाल लिए*
*🏯मां को वृद्धाश्रम छोड आए*

*🌹उसके सपनों का महल गिरा कर*
*🌹कंकर-कंकर बीन लिए*
*🌹खुदग़र्जी में उसके सुहाग के*
*🌹आभूषण तक छीन लिए*

*👑हम मां को घर के बंटवारे की*
*👑अभिलाषा तक ले आए*
*👑उसको पावन मंदिर से*
*👑गाली की भाषा तक ले आए*

*🌹मां की ममता को देख मौत भी*
*🌹आगे से हट जाती है*
*🌹गर मां अपमानित होती*
*🌹धरती की छाती फट जाती है*

*💧घर को पूरा जीवन देकर*
*💧बेचारी मां क्‍या पाती है*
*💧रूखा सूखा खा लेती है*
*💧पानी पीकर सो जाती है*

*🌹जो मां जैसी देवी घर के*
*🌹मंदिर में नहीं रख सकते हैं*
*🌹वो लाखों पुण्‍य भले कर लें*
*🌹इंसान नहीं बन सकते हैं*

*✋मां जिसको भी जल दे दे*
*✋वो पौधा संदल बन जाता है*
*✋मां के चरणों को छूकर पानी*
*✋गंगाजल बन जाता है*

*🌹मां के आंचल ने युगों-युगों से*
*🌹भगवानों को पाला है*
*🌹मां के चरणों में जन्‍नत है*
*🌹गिरिजाघर और शिवाला है*


*🌹हर घर में मां की पूजा हो*
*🌹ऐसा संकल्‍प उठाता हूं*
*🌹मैं दुनियां की हर मां के*
*🌹चरणों में ये शीश झुकाता हूं..*

     

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