Thursday, March 14, 2019

*व्यवहार कुल का परिचय देता हैं...*

एक राजा के दरबार मे एक अनजान व्यक्ति नौकरी  के लिए प्रस्तुत हुआ ।
योग्यता पूछी गई, कहा, " विदुषक हूँ ।"

राजा के पास राजदरबारियों की भरमार थी, उसे खास "घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज" बना लिया।
कुछ दिनों बाद राजा ने उस से अपने सब से महंगे और प्रिय घोड़े के बारे में पूछा,
उसने कहा, "अच्छी नस्ल का नही  हैं ।"
राजा को आश्चर्य हुआ, उसने जंगल से घोड़े की जानकारी वालो को बुला कर जांच कराई..
उसने बताया, घोड़ा अच्छी नस्ल का नहीं हैं, लेकिन इसके जन्म पर इसकी मां मर गई थी, ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला है।
राजा ने अपने विदुषक को बुलाया और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा अच्छी नस्ल का नहीं हैं ?"

""उसने कहा "जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि अच्छी नस्ल का घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता हैं ।"""

राजा उसकी परख से बहुत खुश हुआ, उसने विदुषक के घर अनाज ,घी और अच्छे फल बतौर इनाम भिजवाया।

और उसे रानी के महल में तैनात कर दिया।
कुछ दिनो बाद , राजा ने उस से रानी के बारे में राय मांगी, उसने कहा, "तौर तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन राजकुमारी नहीं हैं ।"

राजा के पैरों तले जमीन निकल गई,  तो अपनी सास को बुलाया, मामला उसको बताया, सास ने कहा "सत्य ये हैं,  कि आपके पिता ने मेरे पति से हमारी बेटी के जन्म पर ही रिश्ता मांग लिया था, लेकिन हमारी बेटी 6 माह में ही मर गई थी, तो हम ने आपके राजा से निकट संबंध हमेशा रहे इस लिए किसी और कि बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।"

राजा ने अपने विदुषक से पूछा "तुम को कैसे जानकारी हुई ?"

""उसने कहा, "उसका नौकरोंं के साथ व्यवहार मूर्खो से भी निम्न हैं । एक कुलीन व्यक्ती का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका एक शिष्टाचार होता हैं, जो रानी में बिल्कुल नहीं । """

राजा फिर उसकी परख से खुश हुआ और बहुत से अनाज , भेड़ बकरियां बतौर इनाम दीं साथ ही उसे अपने दरबार मे शामिल कर लिया।

कुछ समय बित, विदुषक को बुलाया,अपने बारे में जानकारी चाही।
विदुषक ने कहा "अभयदान दे तो बताऊं ।"

राजा ने वचन दियाया । उसने कहा, "न तो आप राजा के पुत्र हो न आपका व्यवहार राजाओं वाला है।"

राजा को गुस्सा आया, मगर अभयदान दे चुका थे, सीधे अपनी माँ के महल पहुंचा ।

माँ ने कहा, "ये सच है, तुम एक ग्वाले के बेटे हो, हमारे पुत्र नहीं था तो हमने तुम्हे उनसे लेकर हम ने पालन पोषण किया ।"

राजा ने विदुषक को बुलाया और पूछा , बता, "तुझे कैसे पता हुआ ????"

उसने कहा "राजा जब किसी को "इनाम " दिया करते हैं, तो हीरे मोती जवाहरात के रूप में देते हैं....लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें देते हैं...ये चलन राजा के बेटे का नही,  किसी ग्वाले के बेटे का ही हो सकता है।"

किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, प्रतिष्ठा, ज्ञान, बाहुबल हैं ये सब बाहरी चरित्र हैं ।
इंसान की असलियत, उस के खून की किस्म उसके व्यवहार, उसकी नीयत से होती हैं ।

एक इंसान बहुत आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से बहुत शक्तिशाली होने के उपरांत भी अगर वह छोटी छोटी चीजों के लिए नियत खराब कर लेता हैं, इंसाफ और सच की कदर नहीं करता,   अपने पर उपकार और विश्वास करने वालों के साथ दगाबाजी कर देता हैं, या अपने तुच्छ फायदे और स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरे इंसान को बड़ा नुकसान पहुंचाने की लिए तैयार हो जाता हैं, तो समझ लीजिए, खून में बहुत बड़ी खराबी हैं । बाकी सब तो पीतल पर चढ़ा हुआ सोने का पानी हैं ।

राधे राधे .
जय जय श्री राधे .

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