Wednesday, August 28, 2019

क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

रेल की पटरी की तरह हैं हम दोनों
ताकते रहते हैं एक दूसरे को दूर से ही
क्या कभी मिल न पाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

लोग रिश्ता निभाते हैं, लोग रस्म निभाते हैं
लोग बंधन भी निभाते हैं, लोग मजबूरी भी निभाते हैं
क्या सिर्फ जुदाई ही निभाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

जोड़ियां बनती हैं लोगों को पता चलता है
ये एक दायरा है जो सबको निभाना पड़ता है
जो अपने दरमियाँ है किसको बताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मैं एक दिन तुमसे पूरा जुदा हो जाऊं शायद
तुम एक दिन मुझसे पूरी जुदा हो जाओ शायद
कभी सोचा है, ज़िन्दगी कैसे बिताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मंज़िलें एक होतीं हैं जब दो जिस्म एक होते हैं
मंज़िलें भी मिल जातीं हैं और रास्ते भी खत्म होते हैं
क्या अपनी अपनी मंज़िलों में ही समायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

एक मौका मैंने गंवा दिया था एक दिन
एक मौका तुम भी गंवा रही हो शायद
और कितने मौके गंवाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

ज़िन्दगी के हर बोल मेरे पास हैं
ज़िन्दगी के हर सुर तुम्हारे पास हैं
बोलो गीत किस दिन ज़िन्दगी का गाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारी आधी जान मैं हूँ
मुझे भी पता है मेरी आधी जान तुम हो
क्या एक दूसरे को बस आईना ही दिखाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

झूठा मुस्कुराती हो तुम मैं जान गया हूँ
झूठा मुस्कुराता हूँ मैं ये जान गई हो तुम
क्या ता उम्र झूठा ही मुस्कुरायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारा आधा किस्सा हूँ मैं
मुझे भी पता मेरा आधा किस्सा हो तुम
क्या आधा आधा ही किस्सा सुनाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

सारांश....⚘⚘

No comments:

Post a Comment