Wednesday, February 5, 2020

*"बहुत ही प्यारी कविता"*

*ऐ   "सुख"  तू  कहाँ   मिलता    है*
*क्या   तेरा   कोई   पक्का   पता  है*

*क्यों   बन   बैठा   है    अन्जाना*
*आखिर   क्या   है   तेरा   ठिकाना।*

*कहाँ   कहाँ     ढूंढा   तुझको*
*पर   तू  न   कहीं  मिला  मुझको*

*ढूंढा   ऊँचे   मकानों   में*
*बड़ी  बड़ी   दुकानों   में*

*स्वादिष्ट   पकवानों   में*
*चोटी   के   धनवानों   में*

*वो   भी   तुझको   ही   ढूंढ   रहे   थे*
*बल्कि   मुझको   ही   पूछ   रहे   थे*

*क्या   आपको   कुछ   पता    है*
*ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?*

*मेरे   पास   तो   "दुःख"  का   पता   था*
*जो   सुबह   शाम   अक्सर   मिलता  था*

*परेशान   होके   शिकायत     लिखवाई*
*पर   ये   कोशिश   भी   काम  न  आई*

*उम्र   अब   ढलान    पे    है*
*हौसला  अब  थकान    पे     है*

*हाँ   उसकी   तस्वीर   है   मेरे   पास*
*अब   भी   बची   हुई   है    आस*

*मैं   भी   हार    नही    मानूंगा*
*सुख   के   रहस्य   को    जानूंगा*

*बचपन    में    मिला    करता    था*
*मेरे    साथ   रहा    करता    था*

*पर   जबसे    मैं    बड़ा   हो    गया*
*मेरा   सुख   मुझसे   जुदा   हो  गया।*

*मैं   फिर   भी   नही   हुआ    हताश*
*जारी   रखी    उसकी    तलाश*

*एक   दिन   जब   आवाज   ये    आई*
*क्या    मुझको    ढूंढ   रहा  है   भाई*

*मैं   तेरे   अन्दर   छुपा    हुआ     हूँ*
*तेरे   ही   घर   में   बसा    हुआ    हूँ*

*मेरा  नहीं  है   कुछ   भी    "मोल"*
*सिक्कों   में   मुझको   न   तोल*

*मैं  बच्चों   की    मुस्कानों    में    हूँ*

*पत्नी  के  साथ    चाय   पीने   में*
*"परिवार"    के  संग   जीने    में*

*माँ   बाप   के   आशीर्वाद    में*
*रसोई   घर   के  पकवानों   में*

*बच्चों   की   सफलता   में    हूँ*
*माँ    की   निश्छल  ममता  में  हूँ*

*हर   पल   तेरे   संग    रहता   हूँ*
*और   अक्सर   तुझसे   कहता   हूँ*

*मैं   तो   हूँ   बस   एक    "अहसास"*
*बंद कर   दे   तू   मेरी    तलाश*

*जो   मिला   उसी   में   कर   "संतोष"*
*आज  को   जी   ले   कल  की न सोच*

*कल  के   लिए   आज   को  न   खोना*

*मेरे   लिए   कभी   दुखी    न   होना*
*मेरे   लिए   कभी   दुखी   न    होना ।।*

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