Tuesday, March 21, 2017

साथ साथ जो खेले थे बचपन में

वो सब दोस्त अब थकने लगे है

किसीका पेट निकल आया है

किसीके बाल पकने लगे है

सब पर भारी ज़िम्मेदारी है

सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है

दिनभर जो भागते दौड़ते थे

वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है

उफ़ क्या क़यामत हैं

सब दोस्त थकने लगे है



किसी को लोन की फ़िक्र है

कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है

फुर्सत की सब को कमी है

आँखों में अजीब सी नमीं है

कल जो प्यार के ख़त लिखते थे

आज बीमे के फार्म भरने में लगे है

उफ़ क्या क़यामत हैं

सब दोस्त थकने लगे है



देख कर पुरानी तस्वीरें

आज जी भर आता है

क्या अजीब शै है ये वक़्त भी

किस तरहा ये गुज़र जाता है

कल का जवान दोस्त मेरा

आज अधेड़ नज़र आता है

कल के ख़्वाब सजाते थे जो कभी

आज गुज़रे दिनों में खोने लगे है

उफ़ क्या क़यामत हैं

सब दोस्त थकने लगे है

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