Monday, July 2, 2018

💔 💘 *Heart Touching* 💘 💔

*एक कवि नदी के किनारे खड़ा था - तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था। तो तभी कवि ने उस शव से पूछा कौन हो तुम……*

ओ सुकुमारी बह रही नदियां के जल में……
कोई तो होगा तेरा अपना मानव निर्मित इस भू-तल मे……

*किस घर की तुम बेटी हो किस क्यारी की कली हो तुम……*
*किसने तुमको छला है बोलो क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम……*

किसके नाम की मेंहदी बोलो दोनो हांथो-पैरो पर रची है तेरे……
बोलो किसके नाम की बिंदिया मांथे पर लगी है तेरे……

*लगती हो तुम राजकुमारी या देव लोक से आई हो……*
*उपमा रहित ये रूप तुम्हारा ये रूप कहाँ से लायी हो……*

    🙏🙏 *दूसरा दृश्य* 🙏🙏

*कवि की बाते सुनकर लड़की की आत्मा बोलती है..…*

कवि राज मुझ को क्षमा करो मै गरीब पिता की बेटी हुँ……
इसलिये मृत मीन की भांती जल धारा पर लेटी हुँ……

*रूप रंग और सुन्दरता ही मेरी पहचान बताते है……*
*कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी, सुहागन मुझे बनाते है……*

पित के सुख को सुख समझा पित के दुख में दुखी थी मैं……
जीवन के इस तन्हा पथ पर पति के संग चली थी मैं……

*पति को मेने दीपक समझा उसकी लौ में जली थी मैं……*
*माता-पिता का साथ छोड उसके रंग में ढली थी मैं……*

पर वो निकला सौदागर लगा दिया मेरा भी मोल……
दौलत और दहेज़ की खातिर पिला दिया जल में विष घोल……

*दुनिया रुपी इस उपवन में छोटी सी एक कली थी मैं……*
*जिस को माली समझा उसी के द्वारा छली थी मैं……*

इश्वर से अब न्याय मांगने शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं……
दहेज़ की लोभी इस संसार मैं दहेज़ की भेंट छड़ी हूँ में……

     *दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं !!*

*आपसे अनुरोध है इस कविता को शेयर जरुर करे ……*✍🙏

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