मित्रो आज मुलाकात हुई,*
*जाती हुई उम्र से !*
*मैने कहा,..*
*"जरा ठहरो !"*
*तो वह हंसकर,*
*इठलाते हुए बोली,..*
*"मैं उम्र हूँ, ठहरती नहीं !*
*पाना चाहते हो मुझको,*
*तो मेरे हर कदम के संग चलो !!"*
*मैंने मुस्कराते हुए कहा,..*
*"कैसे चलूं मैं*
*बनकर तेरा हमकदम !*
*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा,*
*मुझको मेरा बचपन,*
*मेरी नादानी,*
*मेरा लड़कपन !*
*तू ही बता दे कैसे*
*समझदारी की*
*दुनियां अपना लूँ !*
*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
*शिकायतें और अकेलापन !!"*
*उम्र ने कहा,..*
*"मैं तो दुनियां ए चमन में,*
*बस एक 'मुसाफिर' हूँ !*
*गुजरते वक्त के साथ*
*इक दिन,*
*यूं ही गुजर जाऊँगी !*
*करके कुछ*
*आँखों को नम,*
*कुछ दिलों में*
*यादें बन बस जाऊँगी !!"*
*जाती हुई उम्र से !*
*मैने कहा,..*
*"जरा ठहरो !"*
*तो वह हंसकर,*
*इठलाते हुए बोली,..*
*"मैं उम्र हूँ, ठहरती नहीं !*
*पाना चाहते हो मुझको,*
*तो मेरे हर कदम के संग चलो !!"*
*मैंने मुस्कराते हुए कहा,..*
*"कैसे चलूं मैं*
*बनकर तेरा हमकदम !*
*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा,*
*मुझको मेरा बचपन,*
*मेरी नादानी,*
*मेरा लड़कपन !*
*तू ही बता दे कैसे*
*समझदारी की*
*दुनियां अपना लूँ !*
*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
*शिकायतें और अकेलापन !!"*
*उम्र ने कहा,..*
*"मैं तो दुनियां ए चमन में,*
*बस एक 'मुसाफिर' हूँ !*
*गुजरते वक्त के साथ*
*इक दिन,*
*यूं ही गुजर जाऊँगी !*
*करके कुछ*
*आँखों को नम,*
*कुछ दिलों में*
*यादें बन बस जाऊँगी !!"*
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