Tuesday, December 26, 2017

मित्रो आज मुलाकात हुई,*
   *जाती हुई उम्र से !*

   *मैने कहा,..*
   *"जरा ठहरो !"*

   *तो वह हंसकर,*
   *इठलाते हुए बोली,..*

   *"मैं उम्र हूँ, ठहरती नहीं !*
   *पाना चाहते हो मुझको,*
   *तो मेरे हर कदम के संग चलो !!"*

   *मैंने मुस्कराते हुए कहा,..*

   *"कैसे चलूं मैं*
   *बनकर तेरा हमकदम !*
   *संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा,*
   *मुझको मेरा बचपन,*
   *मेरी नादानी,*
   *मेरा लड़कपन !*

   *तू ही बता दे कैसे*
   *समझदारी की*
   *दुनियां अपना लूँ !*

   *जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
   *शिकायतें और अकेलापन !!"*

   *उम्र ने कहा,..*

   *"मैं तो दुनियां ए चमन में,*
   *बस एक 'मुसाफिर' हूँ !*

   *गुजरते वक्त के साथ*
   *इक दिन,*
   *यूं ही गुजर जाऊँगी !*

   *करके कुछ*
   *आँखों को नम,*
   *कुछ दिलों में*
   *यादें बन बस जाऊँगी !!"*

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