एक अती सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं।
Monday, January 25, 2021
एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था।
'परिवर्तन का नियम...
पढ़िए बहुत रहस्मय... सच्चाई
आज का प्रेरक प्रसंग
"जीवन का रहस्य"
बहुत ही अनमोल कहानी...
अवश्य पढ़े बहुत सुंदर कहानी
*क्या भगवान हमें देख रहे है ?*
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
अच्छा दिखने के लिये मत जिओ
बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
जो झुक सकता है वह सारी
दुनिया को झुका सकता है
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
अगर बुरी आदत समय पर न बदली जाये
तो बुरी आदत समय बदल देती है
🌿🍁🌿🕌🕌🌿🍁🌿
चलते रहने से ही सफलता है,
रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है
🌿🍁🌿🕌🌿🍁🌿
🕌झठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर है
🌿🍁🕌🌿🍁🌿
अच्छी सोच, अच्छी भावना,
अच्छा विचार मन को हल्का करता है
🌿🍁🌿🕌🕌🌿🍁🌿
मुसीबत सब पर आती है,
कोई *बिखर* जाता है
और कोई निखर जाताहै.
🌹🌻🌾 🌾🌻🌹
हर किसी के अन्दर अपनी
"ताकत"और अपनी"कमज़ोरी"
होती है...
"मछली"जंगल मे नही दौड.
सकती और"शेर"पानी मे राजा
नही बन सकता.....!!
इसलिए
"अहमियत"
सभी को देनी चाहिये....
📚★ प्रेरणादायक कहानी ★📚
🔥● कोई वजन नहीं ●🔥
◆ एक महात्मा तीर्थयात्रा के सिलसिले में पहाड़ पर चढ़ रहे थे। पहाड़ ऊंचा था। दोपहर का समय था और सूर्य भी अपने चरम पर था। तेज धूप, गर्म हवाओं और शरीर से टपकते पसीने की वजह से महात्मा काफी परेशान होने के साथ दिक्कतों से बेहाल हो गए। महात्माजी सिर पर पोटली रखे हुए, हाथ में कमंडल थामे हुए दूसरे हाथ से लाठी पकड़कर जैसे-तैसे पहाड़ चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। बीच-बीच में थकान की वजह से वह सुस्ता भी लेते थे।
◆ पहाड़ चढ़ते - चढ़ते जब महात्माजी को थकान महसूस हुई तो वह एक पत्थर के सहारे टिककर बैठ गए। थककर चूर हो जाने की वजह से उनकी सांस ऊपर-नीचे हो रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक लड़की पीठ पर बच्चे को उठाए पहाड़ पर चढ़ी आ रही है। वह लड़की उम्र में काफी छोटी थी और पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। वह बगैर थकान के पहाड़ पर कदम बढ़ाए चली आ रही थी। पहाड़ चढ़ते-चढ़ते जैसे ही वह लड़की महात्मा के नजदीक पहुंची, महात्माजी ने उसको रोक लिया। लड़की के प्रति दया और सहानुभूति जताते हुए उन्होंने कहा कि बेटी पीठ पर वजन ज्यादा है, धूप तेज गिर रही है, थोड़ी देर सुस्ता लो।
◆ उस लड़की ने बड़ी हैरानी से महात्मा की तरफ देखा और कहा कि महात्माजी, आप यह क्या कह रहे हैं ! वजन की पोटली तो आप लेकर चल रहे हैं मैं नहीं। मेरी पीठ पर कोई वजन नहीं है। मैं जिसको उठाकर चल रही हूं, वह मेरा छोटा भाई है और इसका कोई वजन नहीं है।
महात्मा के मुंह से उसी वक्त यह बात निकली - क्या अद्भुत वचन है। ऐसे सुंदर वाक्य तो मैंने वेद, पुराण, उपनिषद और दूसरे धार्मिक शास्त्रों में भी नहीं देखे हैं...!!!
◆ सच में जहां आसक्ती है,ममत्व है, वही पर बोझ है वजन है..... जहां प्रेम है वहां कोई बोझ नहीं वजन नहीं..
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
.
वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,
कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।
दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,
एक हमें प्रेरित करेगा और
दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।
सही समय🛎•••∆•••
◆----◆----◆----🌹----◆----◆-----◆
एक बार एक पिता ने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया। वह उन्हें समझाना चाहते थे की सही अवसर का चुनाव कैसे करे। इसके लिए उन्होंने पानी का एक बर्तन लिया और उसमे एक मेंढ़क को ड़ाल दिया। मेंढ़क बड़े ही मजे से पानी में उछल कूद कर रहा था।
कुछ समय बाद पिता उस बर्तन के निचे आग जला देते है। धीरे – धीरे करके बर्तन का पानी गर्म होने लगता है। मेंढ़क उस बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता। इसके बजाय वह अपने आपको उस तापमान के अनुकूल बनाने में लग जाता है।
जैसे – जैसे पानी गर्म होता जाता है। वह मेंढ़क अपने आपको उस पानी के अनुकूल बनाता जाता है। लेकिन कुछ समय बाद पानी इतना गर्म हो गया की वह उबलने लगा। अपने आपको उबलते पानी के अनुकूल बनाना मेंढ़क की क्षमता के बाहर था।
अब मेंढक को लगने लगा इस बर्तन से बाहर निकल जाना चाहिए इसलिए उसने छलांग लगाई लेकिन वह बर्तन से बाहर नहीं निकल पाया। उसने फिर से छलांग लगाई। वह फिर से उसी बर्तन में वापिस गिर गया। अंत में वह उसी बर्तन में मर गया।
क्या आप जानते है की मेंढ़क बर्तन से बाहर क्यों नहीं निकल पाया क्योकि उसने अपनी सारी की सारी ऊर्जा अपने आपको उस गर्म पानी के अनुकूल बनाने में लगा दी। जब बर्तन से बाहर निकलने का सही समय आया। तब छलांग लगाने के लिए उसके पास ऊर्जा ही नहीं बची।
🌹🌹🌹
⚡️Moral of the story ⚡️:
दोस्तो कुछ इंसान भी ऐसे ही होते है बिल्कुल उस मेंढक जैसे, ओ अपना कीमती सयम यू ही बरबाद कर देते है और जैसे कि मेंढक को पानी गर्म करके शुरुवाती चेतावनी भी मिली उसी तरह उस इंसान की लाइफ में भी ऐसे कुछ लोग आते है जो हेल्प करना चाहते है ,उसको इस कंडीशन से निकालने की कोशिश करते है, पर उस मेंढक रूपी इंसान उन सब चेतावनियों को नजरअंदाज करता है , और एक समय ऐसा आता की उसके दोस्त भी कुछ नही कर सकते ,
और फिर पछताने से सिवा कुछ नही रहता।
तो दोस्तो हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की परिस्तिति बिगड़ने की राह ना देखे, उससे पहले ही सही अवसर बना के उससे बाहर निकलने की कोशिश करे 👌🙏
★【 आत्मविश्वास - 1 】 💎💎
⛅️कया है आत्मविश्वास आत्मविश्वास वस्तुत: एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है।
⛅️इससे महान कार्यों के संपादन में सहजता और सफलता हमें प्राप्त होती है। बगैर आत्मविश्वास के इन कार्यों की सफलता संदिग्ध ही बनी रहती है।
⛅️एकाग्रचित बनें : जिस भी व्यक्ति का मन शंका, चिंता और भय से भरा हो वह बड़े कार्य तो क्या, साधारण से साधारण कार्य भी नहीं कर सकता है। चिंता व शंका आपके मन को कभी भी एकाग्र न होने देंगे अत: आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु अपने मन से सभी प्रकार के संदेह निकालें तथा एकाग्रता को बढ़ाएं।
⛅️आत्मविश्वास अद्भुत शक्ति : आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति होती है। इसके बल से व्यक्ति तमाम विपत्तियों तथा शत्रुओं का सामना कर लेता है।
⛅️ससार के अभी तक के बड़े से बड़े कार्य आत्मविश्वास के बलबूते ही हुए हैं और हो रहे हैं तथा होते रहेंगे।
⛅️हमें जीवन में कोई भी कार्य में सफलता को हासिल करना है।तो अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाना बहुत जरुरी है। खुद को यह बताना भी जरुरी है कि हम भी कुछ कर सकते है।हमें अपने जीवन को लक्ष्य दे करके चलना चाहिए।
⛅️✾ स्वंय पर विश्वास रखें, लक्ष्य बनायें एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें।जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य को पूरा करते है तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है। Read: टालना बंद कीजिए, अभी शुरुआत कीजिए।
⛅️ डाली पर बैठे हुए परिंदे को पता है कि डाली कमजोर है फिर भी उस डाली पर बैठा है।क्योंकि उसे डाली पर नहीं, अपने पंखो पर भरोसा है।
⛅️मदान में हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है, लेकिन मन से हारा व्यक्ति कभी जीत नहीं सकता*।
⛅️आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का डर है एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें। जिसमें आपको डर लगता है।
⛅️डर के आगे जीत है
आत्मविश्वास के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है।कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता।आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है और नकारात्मक विचारों के जाल में फंस जाता है।आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत, लगन, साहस(फीयरलेस), वचनबद्धता (Commitment) आदि संस्कारों की सम्पति होती है।
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
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वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,
कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।
दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,
एक हमें प्रेरित करेगा और
दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।
सही समय🛎•••∆•••
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एक बार एक पिता ने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया। वह उन्हें समझाना चाहते थे की सही अवसर का चुनाव कैसे करे। इसके लिए उन्होंने पानी का एक बर्तन लिया और उसमे एक मेंढ़क को ड़ाल दिया। मेंढ़क बड़े ही मजे से पानी में उछल कूद कर रहा था।
कुछ समय बाद पिता उस बर्तन के निचे आग जला देते है। धीरे – धीरे करके बर्तन का पानी गर्म होने लगता है। मेंढ़क उस बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता। इसके बजाय वह अपने आपको उस तापमान के अनुकूल बनाने में लग जाता है।
जैसे – जैसे पानी गर्म होता जाता है। वह मेंढ़क अपने आपको उस पानी के अनुकूल बनाता जाता है। लेकिन कुछ समय बाद पानी इतना गर्म हो गया की वह उबलने लगा। अपने आपको उबलते पानी के अनुकूल बनाना मेंढ़क की क्षमता के बाहर था।
अब मेंढक को लगने लगा इस बर्तन से बाहर निकल जाना चाहिए इसलिए उसने छलांग लगाई लेकिन वह बर्तन से बाहर नहीं निकल पाया। उसने फिर से छलांग लगाई। वह फिर से उसी बर्तन में वापिस गिर गया। अंत में वह उसी बर्तन में मर गया।
क्या आप जानते है की मेंढ़क बर्तन से बाहर क्यों नहीं निकल पाया क्योकि उसने अपनी सारी की सारी ऊर्जा अपने आपको उस गर्म पानी के अनुकूल बनाने में लगा दी। जब बर्तन से बाहर निकलने का सही समय आया। तब छलांग लगाने के लिए उसके पास ऊर्जा ही नहीं बची।
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⚡️Moral of the story ⚡️:
दोस्तो कुछ इंसान भी ऐसे ही होते है बिल्कुल उस मेंढक जैसे, ओ अपना कीमती सयम यू ही बरबाद कर देते है और जैसे कि मेंढक को पानी गर्म करके शुरुवाती चेतावनी भी मिली उसी तरह उस इंसान की लाइफ में भी ऐसे कुछ लोग आते है जो हेल्प करना चाहते है ,उसको इस कंडीशन से निकालने की कोशिश करते है, पर उस मेंढक रूपी इंसान उन सब चेतावनियों को नजरअंदाज करता है , और एक समय ऐसा आता की उसके दोस्त भी कुछ नही कर सकते ,
और फिर पछताने से सिवा कुछ नही रहता।
तो दोस्तो हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की परिस्तिति बिगड़ने की राह ना देखे, उससे पहले ही सही अवसर बना के उससे बाहर निकलने की कोशिश करे 👌🙏
अवसर
एक बार एक ग्राहक चित्रो की दुकान पर गया।
उसने वहाँ पर अजीब से चित्र देखे।
पहले चित्र मे चेहरा पूरी तरह बालो से ढँका हुआ था और पैरोँ मे पंख थे।
एक दूसरे चित्र मे सिर पीछे से गंजा था।
ग्राहक ने पूछा- "यह चित्र किसका है?" दुकानदार ने कहा- "अवसर का।
ग्राहक ने पूछा- "इसका चेहरा बालो से ढका क्यो है?"
दुकानदार ने कहा- "क्योंकि अक्सर जब अवसर
आता है तो मनुष्य उसे पहचानता नही है।
ग्राहक ने पूछा-और इसके पैरो मे पंख क्यो है?"
दुकानदार ने कहा- "वह इसलिये कि यह तुरंत वापस भाग जाता है, यदि इसका उपयोग न हो तो यह तुरंत उड़ जाता है।"
ग्राहक ने पूछा- "और यह दूसरे चित्र मे पीछे से गंजा सिर किसका है?"
दुकानदार ने कहा- "यह भी अवसर का है।
यदि अवसर को सामने से ही बालो से पकड़ लेँगे तो वह आपका है।
आपने उसे थोड़ी देरी से पकड़ने की कोशिश की तो पीछे का गंजा सिर हाथ आयेगा और वो फिसलकर निकल जायेगा।"
वह ग्राहक इन चित्रो का रहस्य जानकर हैरान था पर अब वह बात समझ चुका था।
आपने कई बार दूसरो को ये कहते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि 'हमे अवसर ही नही मिला लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है।
सन्तमत विचार-भगवान ने हमे ढेरो अवसरो के बीच जन्म दिया है।
अवसर हमेशा हमारे सामने से आते जाते रहते है पर हम उसे पहचान नही पाते या पहचानने मे देर कर देते है।
और कई बार हम सिर्फ इसलिये चूक जाते है क्योकि हम बड़े अवसर के ताक मे रहते हैं।
पर अवसर बड़ा या छोटा नही होता है। हमे हर अवसर का भरपूर उपयोग करना चाहिये!
बढ़ते चलिए ,
अँधेरो में ज्यादा दम नहीं होता ,
निगाहों का उजाला भी
दियों से कम नहीं होता !!
दुनिया के लड़ाई झगड़े से जीतना कोई बड़ी
बात नहीं है, आज नहीं तो कल वह हर कोई
जीत सकता है।
लेकिन जब आप अपनी जिंदगी की परेशानियों
से जीतना सीख गऐ, तो समझ लेना कि आप ने सफलता प्राप्त कर ली है।
याद रखें कोई भी काम तब तक ही मुश्किल
होता है जब तक वह पूरा नहीं हुआ होता।
जिंदगी में परेशानियों से कभी दुखी मत होना।
क्योंकि परेशानियां सबको आती है।
लेकिन जब हम उन परेशानियों से सफलता
प्राप्त कर लेते हैं तो ऐसे लगता है कि वह
परेशानी कभी थी ही नहीं।
दुनिया में दो ही सच्चे ज्योतिषी हैं
मन की बात समझने वाली माँ और
भविष्य को पहचानने वाला पिता !!
अपना लक्ष्य निर्धारित करो , एक एक कदम आगे बढ़ो, और जो उस रास्ते पर जा चुका हो, उन्हें अपना मार्ग दर्शक बनाओ, सीखो, और बढ़ो, रास्ते में बहुत भटकाव आएंगे, आपको लगेगा , पहले इसे ठीक करूँ, यहीं भटक जाते हैं, उस समय सोचो आपका लक्ष्य क्या था, और अपनी प्लानिंग में हमेशा प्लान बी जरूर रखना चाहिए , बस अपने लक्ष्य पर फोकस बनाये रखो,
ध्यान रहे सर्दियों में मीठी लगने वाली धूप को भी अगर फोकस कर दिया जाए तो आग लगा देती है
आपके अंदर बहुत ऊर्जा है , फोकस करो मेरे मित्रअपना लक्ष्य निर्धारित करो , एक एक कदम आगे बढ़ो, और जो उस रास्ते पर जा चुका हो, उन्हें अपना मार्ग दर्शक बनाओ, सीखो, और बढ़ो, रास्ते में बहुत भटकाव आएंगे, आपको लगेगा , पहले इसे ठीक करूँ, यहीं भटक जाते हैं, उस समय सोचो आपका लक्ष्य क्या था, और अपनी प्लानिंग में हमेशा प्लान बी जरूर रखना चाहिए , बस अपने लक्ष्य पर फोकस बनाये रखो,
ध्यान रहे सर्दियों में मीठी लगने वाली धूप को भी अगर फोकस कर दिया जाए तो आग लगा देती है
आपके अंदर बहुत ऊर्जा है , फोकस करो मेरे मित्र
💁♀ अब पाए मोटीवेशन और दिल को छू लेनी वाली बाते बिल्कुल फ्री में हमारे फेसबुक पेज पर
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🌻"माँ-बाप बहुत अनमोल हैं"🌻
एक अमीर आदमी था,उसके कई सारे दोस्त थे, उसमे एक दोस्त जो काफी गरीब था, वह अमीर आदमी का विश्वास पाञ था
एक दिन अमीर आदमी अपने घर
सभी दोस्तो को खाने का आमंञण देता है,
सभी मिञ अमीर आदमी के घर आते है l
.
भोजन के बाद अमीर आदमी को ख्याल आता है कि उसने एक उंगली मे कीमती हीरे जडित अंगुठी पहनी हुई थी,थोडी ढीली होने के कारण कही गिर गई है l
.
सभी मिञ घर मे अंगुठी खोजने मे मदद करते है लेकिन नही मिलती एक मिञ कहता है "आप हम सभी की तलाशी ले सकते है l
.
एक आदमी की वजह से हम
सभी हमेशा के लिए आप की नजर मे शक के दायरे मे रहेगे."सभी मिञ तलाशी के लिये तैय्यार हो जाते है
सिवाए एक गरीब मिञ के
वो अपनी तलाशी लेने से मना कर
देता है, सभी मिञ उसका अपमान करते है अमीर आदमी किसी की तलाशी ना लेकर सभी को विदा करता है l
दूसरे दिन सुबह जब अमीर आदमी अपने कोट की जेब में हाथ डालता है तो अंगुठी मिल जाती है और वो सीधा गरीब मिञ के घर आता है. और अपने मिञो द्वारा किये अपमान की माफी मागता है.और अपनी तलाशी ना देने की वजह
पुछता है l
.
गरीब मिञ पलंग पर सोये हुये अपने बिमार पुञ की ओर इशारा करते हुए कहता है
मै जब आपके यहा आ रहा था , इसने मिठ्ठाई खाने की जिद की थी, आप के यहा जब खाना खा रहा था तो मिठ्ठाई दिखी तो मैने वो न खाकर अपने पुञ के लिये जेब
मे रख ली थी l
.
अगर
तलाशी ली जाती तो अंगुठी की ना सही मिठ्ठाई चोरी का इल्जाम जरूर लगता इसी लिये अपमान सहना बेहतर समझा क्योंकी रात को सच बताता तो बीच मे बेटे
का नाम भी आता."
🔶"इस कहानी से साबित होता है- माता-पिता अपनी औलाद की छोटी-छोटी खुशी के लिये क्या-क्या नही सहन करते...
🔶"आप सभी अपने माता पिता का भरपूर ख्याल रखिये और समय-समय पर अपने माता-पिता जरूरतों को पूरा करते रहिये !!
🔶"अपने माता- पिता जज़्बात,मान सम्मान,मर्यादा को हमेशा बनाएं रखिये...
🔶"माता-पिता सेवा से बढ़ कर दूसरा धर्म नहीं है !!
बढ़ते चलिए,
अँधेरो में ज्यादा दम नहीं होता ,
निगाहों का उजाला भी
दियों से कम नहीं होता !!
दुनिया के लड़ाई झगड़े से जीतना कोई बड़ी
बात नहीं है, आज नहीं तो कल वह हर कोई
जीत सकता है।
लेकिन जब आप अपनी जिंदगी की परेशानियों
से जीतना सीख गऐ, तो समझ लेना कि आप ने सफलता प्राप्त कर ली है।
याद रखें कोई भी काम तब तक ही मुश्किल
होता है जब तक वह पूरा नहीं हुआ होता।
जिंदगी में परेशानियों से कभी दुखी मत होना।
क्योंकि परेशानियां सबको आती है।
लेकिन जब हम उन परेशानियों से सफलता
प्राप्त कर लेते हैं तो ऐसे लगता है कि वह
परेशानी कभी थी ही नहीं।
दुनिया में दो ही सच्चे ज्योतिषी हैं
मन की बात समझने वाली माँ और
भविष्य को पहचानने वाला पिता !!
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया तभी उसने देखा एक शेर उसकी तरफ आ रहा है कुत्ते की सांस रूक गयी “आज तो काम तमाम मेरा” कुत्ते ने दिमाग लगाया – उसने सामने कुछ सुखी हड़ियाँ पड़ी देखीं वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर – जोर से बोलने लगा
वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी ! ” और उसने जोर से डकार मारी इस बार शेर सोच में पड़ गया उसने सोचा ” ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागने में ही भलाई है और शेर वहां से जान बचा कर भाग गया .
पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था उसने सोचा यह अच्छा मौका है , शेर को सारी कहानी बता देता हूँ . शेर से दोस्ती भी हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा भी दूर हो जायेगा वो फटाफट शेर के पीछे भागा, कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है
उधर बन्दर ने शेर को सारी कहानी बता दी कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है शेर जोर से दहाड़ा – ” चल मेरे साथ , ‘ अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ “ . और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ चल दिया, कुत्ते ने फिर से दिमाग लगाया कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसके आगे जान का संकट आ गया ही
मगर फिर हिम्मत कर कुत्ता उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया और जोर – जोर से बोलने लगा इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता यह सुनते ही शेर ने बंदर को वहीं पटका और वापस पीछे भाग गया
शिक्षा 1 :- मुश्किल समय में अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोएं
शिक्षा 2 : हार्ड वर्क के बजाय स्मार्ट वर्क ही करें , क्योंकि यही जीवन की असली सफलता मिलेगी .
शिक्षा 3 : आपका ऊर्जा , समय और ध्यान भटकाने वाले कई बन्दर आपके आस – पास हैं , उन्हें पहचानिए और उनसे सावधान रहिये