Monday, January 25, 2021

 सही समय🛎•••∆•••

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एक बार एक पिता ने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया। वह उन्हें समझाना चाहते थे की सही अवसर का चुनाव कैसे करे। इसके लिए उन्होंने पानी का एक बर्तन लिया और उसमे एक मेंढ़क को ड़ाल दिया। मेंढ़क बड़े ही मजे से पानी में उछल कूद कर रहा था।


कुछ समय बाद पिता उस बर्तन के निचे आग जला देते है। धीरे – धीरे करके बर्तन का पानी गर्म होने लगता है। मेंढ़क उस बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता। इसके बजाय वह अपने आपको उस तापमान के अनुकूल बनाने में लग जाता है।

जैसे – जैसे पानी गर्म होता जाता है। वह मेंढ़क अपने आपको उस पानी के अनुकूल बनाता जाता है। लेकिन कुछ समय बाद पानी इतना गर्म हो गया की वह उबलने लगा। अपने आपको उबलते पानी के अनुकूल बनाना मेंढ़क की क्षमता के बाहर था।

अब मेंढक को लगने लगा इस बर्तन से बाहर निकल जाना चाहिए इसलिए उसने छलांग लगाई लेकिन वह बर्तन से बाहर नहीं निकल पाया। उसने फिर से छलांग लगाई। वह फिर से उसी बर्तन में वापिस गिर गया। अंत में वह उसी बर्तन में मर गया।


क्या आप जानते है की मेंढ़क बर्तन से बाहर क्यों नहीं निकल पाया क्योकि उसने अपनी सारी की सारी ऊर्जा अपने आपको उस गर्म पानी के अनुकूल बनाने में लगा दी। जब बर्तन से बाहर निकलने का सही समय आया। तब छलांग लगाने के लिए उसके पास ऊर्जा ही नहीं बची।


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⚡️Moral of the story ⚡️:

दोस्तो कुछ इंसान भी ऐसे ही होते है बिल्कुल उस मेंढक जैसे, ओ अपना कीमती सयम यू ही बरबाद कर देते है और जैसे कि मेंढक को पानी गर्म करके शुरुवाती चेतावनी भी मिली उसी तरह उस इंसान की लाइफ में भी ऐसे कुछ लोग आते है जो हेल्प करना चाहते है ,उसको इस कंडीशन से निकालने की कोशिश करते है, पर उस मेंढक रूपी इंसान उन सब चेतावनियों को नजरअंदाज करता है , और एक समय ऐसा आता की  उसके दोस्त भी कुछ नही कर सकते ,

और फिर पछताने से सिवा कुछ नही रहता।

तो दोस्तो हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की परिस्तिति बिगड़ने की राह ना देखे, उससे पहले ही सही अवसर बना के उससे बाहर निकलने की कोशिश करे 👌🙏


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