जाने किस किस तरह से मैं पकड़ी गयी
कभी रसमों और कभी लोक लाज की बेड़ियों में जकड़ी गयी
कभी खूबसूरत कहकर सराही गयी और कभी कुलटा कहकर दुतकारी गयी
कभी देवी की तरह पूजी गयी कभी वेशया कहकर कोठे पर उतारी गयी
कभी ममता की मूरत बखानी गयी तो कभी सास सास कहकर हर बहू के दिल से उतारी गयी
कभी परदे में रखी गयी तो कभी भरी सभा में
साड़ी उतारी गयी
मैं नारी जाने किस किस नाम से पुकारी गयी
कितने रूप में मैं कितनी बार जनमी और कितनी बार मैं मारी गयी
कभी रसमों और कभी लोक लाज की बेड़ियों में जकड़ी गयी
कभी खूबसूरत कहकर सराही गयी और कभी कुलटा कहकर दुतकारी गयी
कभी देवी की तरह पूजी गयी कभी वेशया कहकर कोठे पर उतारी गयी
कभी ममता की मूरत बखानी गयी तो कभी सास सास कहकर हर बहू के दिल से उतारी गयी
कभी परदे में रखी गयी तो कभी भरी सभा में
साड़ी उतारी गयी
मैं नारी जाने किस किस नाम से पुकारी गयी
कितने रूप में मैं कितनी बार जनमी और कितनी बार मैं मारी गयी
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