Wednesday, May 2, 2018

हो सके तो मुस्कुराहट बांटिये,
रिश्तों में कुछ सरसराहट बांटिये !

नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत,
थोड़ी सी इसमें शरारत बांटिये !

जहाँ भी देखो ग़म पसरा है आँसू हैं,
थोड़ी सी रिश्तों में हरारत बांटिये !

नही पूछता कोई भी ग़म एक-दूजे का,
लोगों में थोड़ी सी ज़ियारत बांटिये !

सब भाग रहे हैं यूँ ही एक-दूजे के पीछे,
अब सुकून की कोई इबादत बांटिये !

जीने का अंदाज़ न जाने कहाँ खो गया,
नफ़रत छोड़ प्यार मोहब्बत बांटिये !

ज़िन्दगी न बीत जाये यूँ ही दुख-दर्द में,
बेचैनियों को कुछ तो राहत बांटिये...!!!

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