हो सके तो मुस्कुराहट बांटिये,
रिश्तों में कुछ सरसराहट बांटिये !
नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत,
थोड़ी सी इसमें शरारत बांटिये !
जहाँ भी देखो ग़म पसरा है आँसू हैं,
थोड़ी सी रिश्तों में हरारत बांटिये !
नही पूछता कोई भी ग़म एक-दूजे का,
लोगों में थोड़ी सी ज़ियारत बांटिये !
सब भाग रहे हैं यूँ ही एक-दूजे के पीछे,
अब सुकून की कोई इबादत बांटिये !
जीने का अंदाज़ न जाने कहाँ खो गया,
नफ़रत छोड़ प्यार मोहब्बत बांटिये !
ज़िन्दगी न बीत जाये यूँ ही दुख-दर्द में,
बेचैनियों को कुछ तो राहत बांटिये...!!!
रिश्तों में कुछ सरसराहट बांटिये !
नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत,
थोड़ी सी इसमें शरारत बांटिये !
जहाँ भी देखो ग़म पसरा है आँसू हैं,
थोड़ी सी रिश्तों में हरारत बांटिये !
नही पूछता कोई भी ग़म एक-दूजे का,
लोगों में थोड़ी सी ज़ियारत बांटिये !
सब भाग रहे हैं यूँ ही एक-दूजे के पीछे,
अब सुकून की कोई इबादत बांटिये !
जीने का अंदाज़ न जाने कहाँ खो गया,
नफ़रत छोड़ प्यार मोहब्बत बांटिये !
ज़िन्दगी न बीत जाये यूँ ही दुख-दर्द में,
बेचैनियों को कुछ तो राहत बांटिये...!!!
No comments:
Post a Comment