क्या खूब लिखा है किसी ने...🖊
आगे सफर था और पीछे हमसफर था...🖊
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता...🖊
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी...🖊
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...🖊
मुद्दत का सफर भी था और बरसो
का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते...🖊
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की
मगर पानी मे जहर था...🖊
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...🖊
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए...🖊
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए...🖊
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता...🖊
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता🖊
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...🖊
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर...🖊
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है...🖊
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...🖊
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया...🖊
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा...🖊
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ...🖊
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है...🖊
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...🖊
दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...🖊
बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी...🖊
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की...🖊
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है...🖊
हंसने की इच्छा ना हो,
तो भी हसना पड़ता है...🖊
.
कोई जब पूछे कैसे हो..?
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...🖊
.
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों,
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है...🖊
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...🖊
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे हैं की
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं...🖊
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं...🖊
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ,
कि...
पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम...🖊
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने,
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम
आगे सफर था और पीछे हमसफर था...🖊
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता...🖊
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी...🖊
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...🖊
मुद्दत का सफर भी था और बरसो
का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते...🖊
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की
मगर पानी मे जहर था...🖊
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...🖊
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए...🖊
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए...🖊
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता...🖊
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता🖊
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...🖊
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर...🖊
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है...🖊
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...🖊
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया...🖊
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा...🖊
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ...🖊
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है...🖊
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...🖊
दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...🖊
बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी...🖊
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की...🖊
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है...🖊
हंसने की इच्छा ना हो,
तो भी हसना पड़ता है...🖊
.
कोई जब पूछे कैसे हो..?
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...🖊
.
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों,
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है...🖊
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...🖊
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे हैं की
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं...🖊
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं...🖊
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ,
कि...
पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम...🖊
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने,
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम