आज का प्रेरक प्रसंग
Monday, January 25, 2021
"जीवन का रहस्य"
बहुत ही अनमोल कहानी...
अवश्य पढ़े बहुत सुंदर कहानी
*क्या भगवान हमें देख रहे है ?*
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
अच्छा दिखने के लिये मत जिओ
बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
जो झुक सकता है वह सारी
दुनिया को झुका सकता है
🌿🍁🌿🕌🕌🕌🌿🍁🌿
अगर बुरी आदत समय पर न बदली जाये
तो बुरी आदत समय बदल देती है
🌿🍁🌿🕌🕌🌿🍁🌿
चलते रहने से ही सफलता है,
रुका हुआ तो पानी भी बेकार हो जाता है
🌿🍁🌿🕌🌿🍁🌿
🕌झठे दिलासे से स्पष्ट इंकार बेहतर है
🌿🍁🕌🌿🍁🌿
अच्छी सोच, अच्छी भावना,
अच्छा विचार मन को हल्का करता है
🌿🍁🌿🕌🕌🌿🍁🌿
मुसीबत सब पर आती है,
कोई *बिखर* जाता है
और कोई निखर जाताहै.
🌹🌻🌾 🌾🌻🌹
हर किसी के अन्दर अपनी
"ताकत"और अपनी"कमज़ोरी"
होती है...
"मछली"जंगल मे नही दौड.
सकती और"शेर"पानी मे राजा
नही बन सकता.....!!
इसलिए
"अहमियत"
सभी को देनी चाहिये....
📚★ प्रेरणादायक कहानी ★📚
🔥● कोई वजन नहीं ●🔥
◆ एक महात्मा तीर्थयात्रा के सिलसिले में पहाड़ पर चढ़ रहे थे। पहाड़ ऊंचा था। दोपहर का समय था और सूर्य भी अपने चरम पर था। तेज धूप, गर्म हवाओं और शरीर से टपकते पसीने की वजह से महात्मा काफी परेशान होने के साथ दिक्कतों से बेहाल हो गए। महात्माजी सिर पर पोटली रखे हुए, हाथ में कमंडल थामे हुए दूसरे हाथ से लाठी पकड़कर जैसे-तैसे पहाड़ चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। बीच-बीच में थकान की वजह से वह सुस्ता भी लेते थे।
◆ पहाड़ चढ़ते - चढ़ते जब महात्माजी को थकान महसूस हुई तो वह एक पत्थर के सहारे टिककर बैठ गए। थककर चूर हो जाने की वजह से उनकी सांस ऊपर-नीचे हो रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक लड़की पीठ पर बच्चे को उठाए पहाड़ पर चढ़ी आ रही है। वह लड़की उम्र में काफी छोटी थी और पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। वह बगैर थकान के पहाड़ पर कदम बढ़ाए चली आ रही थी। पहाड़ चढ़ते-चढ़ते जैसे ही वह लड़की महात्मा के नजदीक पहुंची, महात्माजी ने उसको रोक लिया। लड़की के प्रति दया और सहानुभूति जताते हुए उन्होंने कहा कि बेटी पीठ पर वजन ज्यादा है, धूप तेज गिर रही है, थोड़ी देर सुस्ता लो।
◆ उस लड़की ने बड़ी हैरानी से महात्मा की तरफ देखा और कहा कि महात्माजी, आप यह क्या कह रहे हैं ! वजन की पोटली तो आप लेकर चल रहे हैं मैं नहीं। मेरी पीठ पर कोई वजन नहीं है। मैं जिसको उठाकर चल रही हूं, वह मेरा छोटा भाई है और इसका कोई वजन नहीं है।
महात्मा के मुंह से उसी वक्त यह बात निकली - क्या अद्भुत वचन है। ऐसे सुंदर वाक्य तो मैंने वेद, पुराण, उपनिषद और दूसरे धार्मिक शास्त्रों में भी नहीं देखे हैं...!!!
◆ सच में जहां आसक्ती है,ममत्व है, वही पर बोझ है वजन है..... जहां प्रेम है वहां कोई बोझ नहीं वजन नहीं..
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
.
वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,
कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।
दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,
एक हमें प्रेरित करेगा और
दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।
सही समय🛎•••∆•••
◆----◆----◆----🌹----◆----◆-----◆
एक बार एक पिता ने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया। वह उन्हें समझाना चाहते थे की सही अवसर का चुनाव कैसे करे। इसके लिए उन्होंने पानी का एक बर्तन लिया और उसमे एक मेंढ़क को ड़ाल दिया। मेंढ़क बड़े ही मजे से पानी में उछल कूद कर रहा था।
कुछ समय बाद पिता उस बर्तन के निचे आग जला देते है। धीरे – धीरे करके बर्तन का पानी गर्म होने लगता है। मेंढ़क उस बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता। इसके बजाय वह अपने आपको उस तापमान के अनुकूल बनाने में लग जाता है।
जैसे – जैसे पानी गर्म होता जाता है। वह मेंढ़क अपने आपको उस पानी के अनुकूल बनाता जाता है। लेकिन कुछ समय बाद पानी इतना गर्म हो गया की वह उबलने लगा। अपने आपको उबलते पानी के अनुकूल बनाना मेंढ़क की क्षमता के बाहर था।
अब मेंढक को लगने लगा इस बर्तन से बाहर निकल जाना चाहिए इसलिए उसने छलांग लगाई लेकिन वह बर्तन से बाहर नहीं निकल पाया। उसने फिर से छलांग लगाई। वह फिर से उसी बर्तन में वापिस गिर गया। अंत में वह उसी बर्तन में मर गया।
क्या आप जानते है की मेंढ़क बर्तन से बाहर क्यों नहीं निकल पाया क्योकि उसने अपनी सारी की सारी ऊर्जा अपने आपको उस गर्म पानी के अनुकूल बनाने में लगा दी। जब बर्तन से बाहर निकलने का सही समय आया। तब छलांग लगाने के लिए उसके पास ऊर्जा ही नहीं बची।
🌹🌹🌹
⚡️Moral of the story ⚡️:
दोस्तो कुछ इंसान भी ऐसे ही होते है बिल्कुल उस मेंढक जैसे, ओ अपना कीमती सयम यू ही बरबाद कर देते है और जैसे कि मेंढक को पानी गर्म करके शुरुवाती चेतावनी भी मिली उसी तरह उस इंसान की लाइफ में भी ऐसे कुछ लोग आते है जो हेल्प करना चाहते है ,उसको इस कंडीशन से निकालने की कोशिश करते है, पर उस मेंढक रूपी इंसान उन सब चेतावनियों को नजरअंदाज करता है , और एक समय ऐसा आता की उसके दोस्त भी कुछ नही कर सकते ,
और फिर पछताने से सिवा कुछ नही रहता।
तो दोस्तो हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की परिस्तिति बिगड़ने की राह ना देखे, उससे पहले ही सही अवसर बना के उससे बाहर निकलने की कोशिश करे 👌🙏
★【 आत्मविश्वास - 1 】 💎💎
⛅️कया है आत्मविश्वास आत्मविश्वास वस्तुत: एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है।
⛅️इससे महान कार्यों के संपादन में सहजता और सफलता हमें प्राप्त होती है। बगैर आत्मविश्वास के इन कार्यों की सफलता संदिग्ध ही बनी रहती है।
⛅️एकाग्रचित बनें : जिस भी व्यक्ति का मन शंका, चिंता और भय से भरा हो वह बड़े कार्य तो क्या, साधारण से साधारण कार्य भी नहीं कर सकता है। चिंता व शंका आपके मन को कभी भी एकाग्र न होने देंगे अत: आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु अपने मन से सभी प्रकार के संदेह निकालें तथा एकाग्रता को बढ़ाएं।
⛅️आत्मविश्वास अद्भुत शक्ति : आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति होती है। इसके बल से व्यक्ति तमाम विपत्तियों तथा शत्रुओं का सामना कर लेता है।
⛅️ससार के अभी तक के बड़े से बड़े कार्य आत्मविश्वास के बलबूते ही हुए हैं और हो रहे हैं तथा होते रहेंगे।
⛅️हमें जीवन में कोई भी कार्य में सफलता को हासिल करना है।तो अपने अंदर के आत्मविश्वास को जगाना बहुत जरुरी है। खुद को यह बताना भी जरुरी है कि हम भी कुछ कर सकते है।हमें अपने जीवन को लक्ष्य दे करके चलना चाहिए।
⛅️✾ स्वंय पर विश्वास रखें, लक्ष्य बनायें एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें।जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य को पूरा करते है तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है। Read: टालना बंद कीजिए, अभी शुरुआत कीजिए।
⛅️ डाली पर बैठे हुए परिंदे को पता है कि डाली कमजोर है फिर भी उस डाली पर बैठा है।क्योंकि उसे डाली पर नहीं, अपने पंखो पर भरोसा है।
⛅️मदान में हारा हुआ व्यक्ति भी जीत सकता है, लेकिन मन से हारा व्यक्ति कभी जीत नहीं सकता*।
⛅️आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का डर है एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें। जिसमें आपको डर लगता है।
⛅️डर के आगे जीत है
आत्मविश्वास के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है।कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता।आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है और नकारात्मक विचारों के जाल में फंस जाता है।आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत, लगन, साहस(फीयरलेस), वचनबद्धता (Commitment) आदि संस्कारों की सम्पति होती है।
जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।
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वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।
मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?
क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,
कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।
दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,
एक हमें प्रेरित करेगा और
दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।
सही समय🛎•••∆•••
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एक बार एक पिता ने अपने बच्चों को अपने पास बुलाया। वह उन्हें समझाना चाहते थे की सही अवसर का चुनाव कैसे करे। इसके लिए उन्होंने पानी का एक बर्तन लिया और उसमे एक मेंढ़क को ड़ाल दिया। मेंढ़क बड़े ही मजे से पानी में उछल कूद कर रहा था।
कुछ समय बाद पिता उस बर्तन के निचे आग जला देते है। धीरे – धीरे करके बर्तन का पानी गर्म होने लगता है। मेंढ़क उस बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता। इसके बजाय वह अपने आपको उस तापमान के अनुकूल बनाने में लग जाता है।
जैसे – जैसे पानी गर्म होता जाता है। वह मेंढ़क अपने आपको उस पानी के अनुकूल बनाता जाता है। लेकिन कुछ समय बाद पानी इतना गर्म हो गया की वह उबलने लगा। अपने आपको उबलते पानी के अनुकूल बनाना मेंढ़क की क्षमता के बाहर था।
अब मेंढक को लगने लगा इस बर्तन से बाहर निकल जाना चाहिए इसलिए उसने छलांग लगाई लेकिन वह बर्तन से बाहर नहीं निकल पाया। उसने फिर से छलांग लगाई। वह फिर से उसी बर्तन में वापिस गिर गया। अंत में वह उसी बर्तन में मर गया।
क्या आप जानते है की मेंढ़क बर्तन से बाहर क्यों नहीं निकल पाया क्योकि उसने अपनी सारी की सारी ऊर्जा अपने आपको उस गर्म पानी के अनुकूल बनाने में लगा दी। जब बर्तन से बाहर निकलने का सही समय आया। तब छलांग लगाने के लिए उसके पास ऊर्जा ही नहीं बची।
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⚡️Moral of the story ⚡️:
दोस्तो कुछ इंसान भी ऐसे ही होते है बिल्कुल उस मेंढक जैसे, ओ अपना कीमती सयम यू ही बरबाद कर देते है और जैसे कि मेंढक को पानी गर्म करके शुरुवाती चेतावनी भी मिली उसी तरह उस इंसान की लाइफ में भी ऐसे कुछ लोग आते है जो हेल्प करना चाहते है ,उसको इस कंडीशन से निकालने की कोशिश करते है, पर उस मेंढक रूपी इंसान उन सब चेतावनियों को नजरअंदाज करता है , और एक समय ऐसा आता की उसके दोस्त भी कुछ नही कर सकते ,
और फिर पछताने से सिवा कुछ नही रहता।
तो दोस्तो हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की परिस्तिति बिगड़ने की राह ना देखे, उससे पहले ही सही अवसर बना के उससे बाहर निकलने की कोशिश करे 👌🙏
अवसर
एक बार एक ग्राहक चित्रो की दुकान पर गया।
उसने वहाँ पर अजीब से चित्र देखे।
पहले चित्र मे चेहरा पूरी तरह बालो से ढँका हुआ था और पैरोँ मे पंख थे।
एक दूसरे चित्र मे सिर पीछे से गंजा था।
ग्राहक ने पूछा- "यह चित्र किसका है?" दुकानदार ने कहा- "अवसर का।
ग्राहक ने पूछा- "इसका चेहरा बालो से ढका क्यो है?"
दुकानदार ने कहा- "क्योंकि अक्सर जब अवसर
आता है तो मनुष्य उसे पहचानता नही है।
ग्राहक ने पूछा-और इसके पैरो मे पंख क्यो है?"
दुकानदार ने कहा- "वह इसलिये कि यह तुरंत वापस भाग जाता है, यदि इसका उपयोग न हो तो यह तुरंत उड़ जाता है।"
ग्राहक ने पूछा- "और यह दूसरे चित्र मे पीछे से गंजा सिर किसका है?"
दुकानदार ने कहा- "यह भी अवसर का है।
यदि अवसर को सामने से ही बालो से पकड़ लेँगे तो वह आपका है।
आपने उसे थोड़ी देरी से पकड़ने की कोशिश की तो पीछे का गंजा सिर हाथ आयेगा और वो फिसलकर निकल जायेगा।"
वह ग्राहक इन चित्रो का रहस्य जानकर हैरान था पर अब वह बात समझ चुका था।
आपने कई बार दूसरो को ये कहते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि 'हमे अवसर ही नही मिला लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है।
सन्तमत विचार-भगवान ने हमे ढेरो अवसरो के बीच जन्म दिया है।
अवसर हमेशा हमारे सामने से आते जाते रहते है पर हम उसे पहचान नही पाते या पहचानने मे देर कर देते है।
और कई बार हम सिर्फ इसलिये चूक जाते है क्योकि हम बड़े अवसर के ताक मे रहते हैं।
पर अवसर बड़ा या छोटा नही होता है। हमे हर अवसर का भरपूर उपयोग करना चाहिये!
बढ़ते चलिए ,
अँधेरो में ज्यादा दम नहीं होता ,
निगाहों का उजाला भी
दियों से कम नहीं होता !!
दुनिया के लड़ाई झगड़े से जीतना कोई बड़ी
बात नहीं है, आज नहीं तो कल वह हर कोई
जीत सकता है।
लेकिन जब आप अपनी जिंदगी की परेशानियों
से जीतना सीख गऐ, तो समझ लेना कि आप ने सफलता प्राप्त कर ली है।
याद रखें कोई भी काम तब तक ही मुश्किल
होता है जब तक वह पूरा नहीं हुआ होता।
जिंदगी में परेशानियों से कभी दुखी मत होना।
क्योंकि परेशानियां सबको आती है।
लेकिन जब हम उन परेशानियों से सफलता
प्राप्त कर लेते हैं तो ऐसे लगता है कि वह
परेशानी कभी थी ही नहीं।
दुनिया में दो ही सच्चे ज्योतिषी हैं
मन की बात समझने वाली माँ और
भविष्य को पहचानने वाला पिता !!
अपना लक्ष्य निर्धारित करो , एक एक कदम आगे बढ़ो, और जो उस रास्ते पर जा चुका हो, उन्हें अपना मार्ग दर्शक बनाओ, सीखो, और बढ़ो, रास्ते में बहुत भटकाव आएंगे, आपको लगेगा , पहले इसे ठीक करूँ, यहीं भटक जाते हैं, उस समय सोचो आपका लक्ष्य क्या था, और अपनी प्लानिंग में हमेशा प्लान बी जरूर रखना चाहिए , बस अपने लक्ष्य पर फोकस बनाये रखो,
ध्यान रहे सर्दियों में मीठी लगने वाली धूप को भी अगर फोकस कर दिया जाए तो आग लगा देती है
आपके अंदर बहुत ऊर्जा है , फोकस करो मेरे मित्रअपना लक्ष्य निर्धारित करो , एक एक कदम आगे बढ़ो, और जो उस रास्ते पर जा चुका हो, उन्हें अपना मार्ग दर्शक बनाओ, सीखो, और बढ़ो, रास्ते में बहुत भटकाव आएंगे, आपको लगेगा , पहले इसे ठीक करूँ, यहीं भटक जाते हैं, उस समय सोचो आपका लक्ष्य क्या था, और अपनी प्लानिंग में हमेशा प्लान बी जरूर रखना चाहिए , बस अपने लक्ष्य पर फोकस बनाये रखो,
ध्यान रहे सर्दियों में मीठी लगने वाली धूप को भी अगर फोकस कर दिया जाए तो आग लगा देती है
आपके अंदर बहुत ऊर्जा है , फोकस करो मेरे मित्र
💁♀ अब पाए मोटीवेशन और दिल को छू लेनी वाली बाते बिल्कुल फ्री में हमारे फेसबुक पेज पर
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🌻"माँ-बाप बहुत अनमोल हैं"🌻
एक अमीर आदमी था,उसके कई सारे दोस्त थे, उसमे एक दोस्त जो काफी गरीब था, वह अमीर आदमी का विश्वास पाञ था
एक दिन अमीर आदमी अपने घर
सभी दोस्तो को खाने का आमंञण देता है,
सभी मिञ अमीर आदमी के घर आते है l
.
भोजन के बाद अमीर आदमी को ख्याल आता है कि उसने एक उंगली मे कीमती हीरे जडित अंगुठी पहनी हुई थी,थोडी ढीली होने के कारण कही गिर गई है l
.
सभी मिञ घर मे अंगुठी खोजने मे मदद करते है लेकिन नही मिलती एक मिञ कहता है "आप हम सभी की तलाशी ले सकते है l
.
एक आदमी की वजह से हम
सभी हमेशा के लिए आप की नजर मे शक के दायरे मे रहेगे."सभी मिञ तलाशी के लिये तैय्यार हो जाते है
सिवाए एक गरीब मिञ के
वो अपनी तलाशी लेने से मना कर
देता है, सभी मिञ उसका अपमान करते है अमीर आदमी किसी की तलाशी ना लेकर सभी को विदा करता है l
दूसरे दिन सुबह जब अमीर आदमी अपने कोट की जेब में हाथ डालता है तो अंगुठी मिल जाती है और वो सीधा गरीब मिञ के घर आता है. और अपने मिञो द्वारा किये अपमान की माफी मागता है.और अपनी तलाशी ना देने की वजह
पुछता है l
.
गरीब मिञ पलंग पर सोये हुये अपने बिमार पुञ की ओर इशारा करते हुए कहता है
मै जब आपके यहा आ रहा था , इसने मिठ्ठाई खाने की जिद की थी, आप के यहा जब खाना खा रहा था तो मिठ्ठाई दिखी तो मैने वो न खाकर अपने पुञ के लिये जेब
मे रख ली थी l
.
अगर
तलाशी ली जाती तो अंगुठी की ना सही मिठ्ठाई चोरी का इल्जाम जरूर लगता इसी लिये अपमान सहना बेहतर समझा क्योंकी रात को सच बताता तो बीच मे बेटे
का नाम भी आता."
🔶"इस कहानी से साबित होता है- माता-पिता अपनी औलाद की छोटी-छोटी खुशी के लिये क्या-क्या नही सहन करते...
🔶"आप सभी अपने माता पिता का भरपूर ख्याल रखिये और समय-समय पर अपने माता-पिता जरूरतों को पूरा करते रहिये !!
🔶"अपने माता- पिता जज़्बात,मान सम्मान,मर्यादा को हमेशा बनाएं रखिये...
🔶"माता-पिता सेवा से बढ़ कर दूसरा धर्म नहीं है !!
बढ़ते चलिए,
अँधेरो में ज्यादा दम नहीं होता ,
निगाहों का उजाला भी
दियों से कम नहीं होता !!
दुनिया के लड़ाई झगड़े से जीतना कोई बड़ी
बात नहीं है, आज नहीं तो कल वह हर कोई
जीत सकता है।
लेकिन जब आप अपनी जिंदगी की परेशानियों
से जीतना सीख गऐ, तो समझ लेना कि आप ने सफलता प्राप्त कर ली है।
याद रखें कोई भी काम तब तक ही मुश्किल
होता है जब तक वह पूरा नहीं हुआ होता।
जिंदगी में परेशानियों से कभी दुखी मत होना।
क्योंकि परेशानियां सबको आती है।
लेकिन जब हम उन परेशानियों से सफलता
प्राप्त कर लेते हैं तो ऐसे लगता है कि वह
परेशानी कभी थी ही नहीं।
दुनिया में दो ही सच्चे ज्योतिषी हैं
मन की बात समझने वाली माँ और
भविष्य को पहचानने वाला पिता !!
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया तभी उसने देखा एक शेर उसकी तरफ आ रहा है कुत्ते की सांस रूक गयी “आज तो काम तमाम मेरा” कुत्ते ने दिमाग लगाया – उसने सामने कुछ सुखी हड़ियाँ पड़ी देखीं वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर – जोर से बोलने लगा
वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी ! ” और उसने जोर से डकार मारी इस बार शेर सोच में पड़ गया उसने सोचा ” ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागने में ही भलाई है और शेर वहां से जान बचा कर भाग गया .
पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था उसने सोचा यह अच्छा मौका है , शेर को सारी कहानी बता देता हूँ . शेर से दोस्ती भी हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा भी दूर हो जायेगा वो फटाफट शेर के पीछे भागा, कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है
उधर बन्दर ने शेर को सारी कहानी बता दी कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है शेर जोर से दहाड़ा – ” चल मेरे साथ , ‘ अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ “ . और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ चल दिया, कुत्ते ने फिर से दिमाग लगाया कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसके आगे जान का संकट आ गया ही
मगर फिर हिम्मत कर कुत्ता उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया और जोर – जोर से बोलने लगा इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता यह सुनते ही शेर ने बंदर को वहीं पटका और वापस पीछे भाग गया
शिक्षा 1 :- मुश्किल समय में अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोएं
शिक्षा 2 : हार्ड वर्क के बजाय स्मार्ट वर्क ही करें , क्योंकि यही जीवन की असली सफलता मिलेगी .
शिक्षा 3 : आपका ऊर्जा , समय और ध्यान भटकाने वाले कई बन्दर आपके आस – पास हैं , उन्हें पहचानिए और उनसे सावधान रहिये
ईर्ष्या और हमारा जीवन
🌷एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे कल प्रवचन में अपने साथ एक थैली में कुछ आलू 🥔भरकर लाएं। साथ ही निर्देश भी दिया कि उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। अगले दिन किसी शिष्य ने चार आलू, किसी ने छह तो किसी ने आठ आलू लाए। प्रत्येक आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखा था जिससे वे नफरत करते थे।
अब महात्मा जी ने कहा कि अगले सात दिनों तक आपलोग ये आलू हमेशा अपने साथ रखें। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया कि महात्मा जी क्या चाहते हैं, लेकिन सबने आदेश का पालन किया। दो-तीन दिनों के बाद ही शिष्यों को कष्ट होने लगा। जिनके पास ज्यादा आलू थे, वे बड़े कष्ट में थे। किसी तरह उन्होंने सात दिन बिताए और महात्मा के पास पहुंचे। महात्मा ने कहा, ‘अब अपनी-अपनी थैलियां निकाल कर रख दें।’ शिष्यों ने चैन की सांस ली। महात्मा जी ने विगत सात दिनों का अनुभव पूछा। शिष्यों ने अपने कष्टों का विवरण दिया। उन्होंने आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया। सभी ने कहा कि अब बड़ा हल्का महसूस हो रहा है।…
महात्मा ने कहा, ‘जब मात्र सात दिनों में ही आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफरत करते हैं, आपके मन पर उनका कितना बड़ा बोझ रहता होगा। और उसे आप जिंदगी भर ढोते रहते हैं। सोचिए, ईर्ष्या के बोझ से आपके मन और दिमाग की क्या हालत होती होगी?
ईर्ष्या के अनावश्यक बोझ के कारण आपलोगों के मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक उन आलुओं की तरह। इसलिए अपने मन से इन भावनाओं को निकाल दो। यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत मत करो। आपका मन स्वच्छ, निर्मल और हल्का रहेगा।🙏🏻
लड़के भी रोते हैं.....🎓
घर में बच्चे लेकिन बाहर मशहूर होते है .
अजी लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते है,
लड़के भी घर से बाहर मम्मी के बगैर होते है.
यदि लड़की घर की लक्ष्मी तो लड़के भी कुबैर होते है,
बस यादें ही जा पाती है अपने गांव जमीनों तक.
लड़के भी कहाँ जा पाते हैं कई साल महीनों तक,
अपनों की सपनों के खातिर ये भी मजबूर होते हैं.
अजी लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते हैं।
हमेशा सोचते है
घर के बारे मे पर खड़े कहीं और होते हैं
सिर्फ लडकियां ही नहीं
लड़के भी दिल के बडे़ कमजोर होते हैं
विश्व जीतने का एक सिंकदर इनमें भी होता है.
बस रोते नहीं पर एक समंदर इनमें भी होता है,
यदि लड़की पापा की परी तो
लड़के भी कोहिनूर होते हैं,
अजी लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते हैं।
माना की लड़कियों को
घर छोड़ जाने का एक डर होता है
लेकिन इनका एक घर के बाद दूसरा घर होता है,
माना लड़कों को कोई डर नहीं होता.
ये नौकरी तो कई शहरों मे करते हैं
पर इनका कोई घर नहीं होता,
चंद पैसों के खातिर इनके भी सपने चूर होते है
अजी लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते है,....
ईर्ष्या और हमारा जीवन
🌷एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे कल प्रवचन में अपने साथ एक थैली में कुछ आलू 🥔भरकर लाएं। साथ ही निर्देश भी दिया कि उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। अगले दिन किसी शिष्य ने चार आलू, किसी ने छह तो किसी ने आठ आलू लाए। प्रत्येक आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखा था जिससे वे नफरत करते थे।
अब महात्मा जी ने कहा कि अगले सात दिनों तक आपलोग ये आलू हमेशा अपने साथ रखें। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया कि महात्मा जी क्या चाहते हैं, लेकिन सबने आदेश का पालन किया। दो-तीन दिनों के बाद ही शिष्यों को कष्ट होने लगा। जिनके पास ज्यादा आलू थे, वे बड़े कष्ट में थे। किसी तरह उन्होंने सात दिन बिताए और महात्मा के पास पहुंचे। महात्मा ने कहा, ‘अब अपनी-अपनी थैलियां निकाल कर रख दें।’ शिष्यों ने चैन की सांस ली। महात्मा जी ने विगत सात दिनों का अनुभव पूछा। शिष्यों ने अपने कष्टों का विवरण दिया। उन्होंने आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया। सभी ने कहा कि अब बड़ा हल्का महसूस हो रहा है।…
महात्मा ने कहा, ‘जब मात्र सात दिनों में ही आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफरत करते हैं, आपके मन पर उनका कितना बड़ा बोझ रहता होगा। और उसे आप जिंदगी भर ढोते रहते हैं। सोचिए, ईर्ष्या के बोझ से आपके मन और दिमाग की क्या हालत होती होगी?
ईर्ष्या के अनावश्यक बोझ के कारण आपलोगों के मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक उन आलुओं की तरह। इसलिए अपने मन से इन भावनाओं को निकाल दो। यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत मत करो। आपका मन स्वच्छ, निर्मल और हल्का रहेगा।🙏🏻
पानी को बर्फ में,
बदलने में वक्त लगता है !!
ढले हुए सूरज को,
निकलने में वक्त लगता है !!
थोड़ा धीरज रख,
थोड़ा और जोर लगाता रह !!
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को,
खुलने में वक्त लगता है !!
कुछ देर रुकने के बाद,
फिर से चल पड़ना दोस्त !!
हर ठोकर के बाद,
संभलने में वक्त लगता है !!
बिखरेगी फिर वही चमक,
तेरे वजूद से तू महसूस करना !!
टूटे हुए मन को,
संवरने में थोड़ा वक्त लगता है !!
जो तूने कहा,
कर दिखायेगा रख यकीन !!
गरजे जब बादल,
तो बरसने में वक्त लगता है !!
जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता,
जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा...
अकेला ना समझ खुद को
रास्ता वही दिखाता है,
एक दरवाजा बंद होता है,
तो दूसरा खुल जाता है..!!
किसी के, मैं हूं ना,
कहने से सिर्फ हौसला बढ़ता है,
सच्चाई यह है,
अंधेरे में अपना साया भी साथ
छोड़ जाता है..!!
कभी टूटते हैं,
तो कभी बिखरते हैं…!!!
विपत्तियों में ही इन्सान,
ज्यादा निखरते हैं...!!!
आमदनी कम हो तो "ख़र्चों" पर क़ाबू रखिए__
जानकारी कम हो तो "लफ़्ज़ों" पर क़ाबू रखिए__
मुझे पता नहीं पाप पुण्य क्या है..
बस इतना पता है
जिस शब्द से किसी का दिल दुखे वो पाप है..
और जिस किसी के चेहरे पर हंसी आये वो पुण्य है..
त खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
🍃 🍃🍃🍃
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
🍃 🍃🍃🍃
चरित्र जब पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी
चरित्र जब पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी
की ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
🍃 🍃🍃🍃
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
🍃 🍃🍃🍃
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा
अगर तेरी चूनर गिरी
तोह एक भूकंप आएगा
एक भूकंप आएगा
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है |🍃
जीवन में सच्ची खुशी पानी है तो एक लक्ष्य बनाइये, और उस लक्ष्य की प्राप्ति में रात दिन एक कर दीजिए। दिल-दिमाग का किसी एक काम में लग जाना एक वरदान है, जो बहुत कम लोगों को नसीब होता है।
सुख-दुख, राग, द्वेष, लज्जा, जीत, हार ये सब state of mind हैं,आपके मन का भ्रम। आप चाहें तो इन सारे emotions से affected हुए बिना अपना जीवन जी सकते हैं, बड़े आराम से।
आप परोपकार करें या ना करें, स्वयं के लिए जियें, या समाज के लिए जियें, इससे कुछ फर्क नही पड़ता। बस आपको इतना ध्यान रखना है कि आप किसी पर बोझ ना बने।
दूसरे क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, ये सोचने में अपना वक़्त बिल्कुल ना बर्बाद करें। दूसरे लोग खुद के जीवन में इतना उलझे हुए हैं कि उनको आपके बारे में सोचने की फुरसत नहीं।
स्वयं को स्वस्थ रखना एक ऐसी चुनौती है, जिसको आपको सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।
या तो आप खुद के boss बनिये, नही तो आपको किसी दूसरे का ग़ुलाम बनना पड़ेगा।
कम से कम 4–5 source of income रखिये। किसी एक source पर dependant होना अनिश्चिता को बढ़ावा देना है।
कितना_जरुरी_है_लक्ष्य_बनाना ⇣⇣👌
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एक बार एक आदमी सड़क पर सुबह सुबह दौड़ (Jogging) लगा रहा था, अचानक एक चौराहे पर जाकर वो रुक गया उस चौराहे पे चार सड़कें थीं जो अलग-अलग रास्ते पे जाती थीं। एक बूढ़े व्यक्ति से उस आदमी ने पूछा – सर ये रास्ता कहाँ जाता है ? तो बूढ़े व्यक्ति ने पूछा- आपको कहाँ जाना है? आदमी – पता नहीं,
बूढ़ा व्यक्ति – तो कोई भी रास्ता चुन लो क्या फर्क पड़ता है । वो आदमी उसकी बात को सुनकर निःशब्द सा रह गया, कितनी सच्चाई छिपी थी उस बूढ़े व्यक्ति की बातों में। सही ही तो कहा जब हमारी कोई मंजिल ही नहीं है तो जीवन भर भटकते ही रहना है।
✶ जीवन में बिना लक्ष्य के काम करने वाले लोग हमेशा सफलता से दूर रह जाते हैं जबकि सच तो ये है कि इस तरह के लोग कभी सोचते ही नहीं कि उन्हें क्या करना है? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किये गए सर्वे की मानें तो जो छात्र अपना लक्ष्य बना कर चलते हैं वो बहुत जल्दी अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं क्यूंकि उनकी उन्हें पता है कि उन्हें किस रास्ते पर जाना है।
✶ अगर सफलता एक पौधा है तो लक्ष्य ऑक्सीजन है, आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे कि लक्ष्य कितना महत्वपूर्ण है? कितना जरुरी है लक्ष्य बनाना ?
1.➨ लक्ष्य एकाग्र बनाता है – अगर हमने अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लिया है तो हमारा दिमाग दूसरी बातों में नहीं भटकेगा क्यूंकि हमें पता है कि हमें किस रास्ते पर जाना है? सोचिये अगर आपको धनुष बाण दे दिया जाये और आपको कोई लक्ष्य ना बताया जाये कि तीर कहाँ चलना है तो आप क्या करेंगे, कुछ नहीं तो बिना लक्ष्य के किया हुआ काम व्यर्थ ही रहता है। कभी देखा है की एक कांच का टुकड़ा धूप में किस तरह कागज को जला देता है वो एकाग्रता से ही सम्भव है।
2.➨ आपकी प्रगति का मापक है लक्ष्य- सोचिये की आपको एक 500 पेज की किताब लिखनी है, अब आप रोज कुछ पेज लिखते हैं तो आपको पता होता है कि मैं कितने पेज लिख चूका हूँ या कितने पेज लिखने बाकि हैं। इसी तरह लक्ष्य बनाकर आप अपनी प्रगति (Progress) को माप (measure) सकते हैं और आप जान पाएंगे कि आप अपनी मंजिल के कितने करीब पहुंच चुके हैं। बिना लक्ष्य के नाही आप ये जान पाएंगे कि आपने कितना progress किया है और नाही ये जान पाएंगे कि आप मंजिल से कितनी दूर हैं?
3.➨ लक्ष्य अविचलित रखेगा- लक्ष्य बनाने से हम मानसिक रूप से बंध से जाते हैं जिसकी वजह से हम फालतू की चीज़ों पर ध्यान नहीं देते और पूरा समय अपने काम को देते हैं। सोचिये आपका कोई मित्र विदेश से जा रहा हो और वो 9:00 PM पे आपसे मिलने आ रहा हो और आप 8 :30 PM पे अपने ऑफिस से निकले और अगर स्टेशन जाने में 25 -30 मिनट लगते हों तो आप जल्दी से स्टेशन की तरफ जायेंगे सोचिये क्या आप रास्ते में कहीं किसी काम के लिए रुकेंगे? नहीं, क्यूंकि आपको पता है कि मुझे अपनी मंजिल पे जाने में कितना समय लगेगा। तो लक्ष्य बनाने से आपकी सोच पूरी तरह निर्धारित हो जाएगी और आप भटकेंगे नहीं।
4.➨ लक्ष्य आपको प्रेरित करेगा – जब भी कोई व्यक्ति सफल होता हैं, अपनी मंजिल को पाता है तो एक लक्ष्य ही होता है जो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आपका लक्ष्य आपका सपना आपको उमंग और ऊर्जा से भरपूर रखता है।
︶︿︶ तो मित्रों बिना लक्ष्य के आप कितनी भी मेहनत कर लो सब व्यर्थ ही रहेगा जब आप अपनी पूरी energy किसी एक point एक लक्ष्य पर लगाओगे तो निश्चय ही सफलता आपके कदम चूमेगी।
आखिर क्यों करते हैं हम ऐसा ❔
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1. आखिर क्यों हम एक किताब 10 बार पढ़ने की बजाय 10 तरह की किताबें पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं !
Ex . - सिविल सेवा की तैयारी करने वाला छात्र अपने घर को लाइब्रेरी बनाकर बैठ जाता है ... सफलता बहुत सी किताबें पढ़ने से नहीं बल्कि एक किताब को बहुत बार पढ़ने से मिलती है
2. आखिर क्यों हम सीखने के समय में सीखने की बजाय सिखाना ज्यादा पसंद करते हैं !
Ex . - हर रोज प्रतियोगी छात्र फरमान जारी करते हैं ...मैं आईएएस की तैयारी के लिए ग्रुप बना रहा हूँ ... अपना no .कमेंट बॉक्स में लिखिए ......" मेरे प्यारे भाई इस समय आपका एक एक सेकंड अमूल्य है ...कृपया पहले आप बन जाइये फिर और ज्यादा ऊर्जा और संसाधनों के साथ आप सबकी मदद कर पाएंगे "
3. आखिर क्यों हम एक ही मार्गदर्शक पर यकीन नहीं रख पाते हर रोज नए मार्गदर्शक की खोज में लगे रहते हैं ...सभी का अपना एक अलग तरीका होता है ...और उस चक्कर में आपकी अपनी तैयारी कभी पटरी में आ ही नहीं पाती ...हमेशा नयी शुरुआत करते रह जाते हैं !
4. आखिर क्यों हमारे लिए अपनी जीत से ज्यादा दूसरे की हार मायने रखती है !
Ex. - " मैं तो कम से कम मुख्य परीक्षा तक पहुँच गया था उसको देखो वो तो प्रारंभिक परीक्षा भी नहीं पास कर पाया .""...और इसके साथ ही आप खुद को तसल्ली दे देते हो ...पर आपको कौन सा मुख्य परीक्षा पास करने का प्रमाण पत्र मिल गया ...ये भी बता दीजिये !
5. आखिर क्यों हम सब सपने तो हमेशा बड़े देखते हैं लेकिन मात्र 10 प्रतिशत लोग ही उसकी कीमत चुकाने को तैयार होते हैं !
Ex . - बनना तो कलेक्टर ही है पर 8 घंटे सोना नहीं छोड़ सकते ....और न ही 8 घंटे पढ़ने में मन लग सकता ...तो भाई इंतजार करो शायद कोई बाबा किसी घुंटी का अविष्कार कर दे ...जो आपको सीधे मसूरी भेज दे
6. आखिर क्यों हम हर काम या नयी शुरुआत को कल पर टाल देते हैं ....और वो भी इतने यकीन के साथ जैसे हम कल का दिन देखने ही वाले हों !
7. आखिर क्यों हम अपनी नाकामी का सेहरा हमेशा दूसरों के सर पर मढ़ देते हैं ..... असल में उनका हम कुछ नहीं बिगाड़ते ...अपने साथ ही सबसे बड़ा धोखा करते हैं .!!
8. आखिर क्यों अपने ही मष्तिष्क पर हमारा नियंत्रण नहीं रह पाता....हम जानते हैं कि इस समय ये चीजें हमारे लिए बुरी हैं पर फिर भी हम कर डालते हैं ...और बाद में खुद को समझा देते हैं कि आगे से ऐसा नहीं होगा और फिर अगली बार होता है ...और फिर से आप यही लाइन दोहरा लेते हैं !
9. आखिर क्यों हम अपने समय की कीमत नहीं समझ पाते और उसे यूँ बर्बाद करते हैं जैसे ऊपर वाले के साथ 500 साल का एग्रीमेंट करके आये हो .....जरा सोच लो अगर अगले ही पल आपके सामने मौत खड़ी हो ..तो क्या छोड़ कर जा रहे हो यहाँ जिससे लोग आपको याद रखें .."" कुछ नहीं किया अब तक मेरे भाई ..मत सोच इतना "" ?
10. आखिर क्यों हम हम हर दिन कुछ नया पढ़ते हैं ..." .जैसे फेसबुक में में ही कोई नया मोटिवेशनल थॉट ही लेलो " .......और उसके नीचे " wavvv " का कमेंट भी कर देते हैं .... जरा सोचो कि कितनी बार अपने ऐसा किया ? ...शायद सैकड़ों बार .....पर उसमें से कितनी लाइन्स को खुद की जिंदगी पर लागू किया ..? ..अगर एक लाइन भी लागू कर देते मेरे भाई तो आपकी जिंदगी उसी वक़्त बदल जाती ....!!
इस, अमिताभ सर की मोटिवेशनल कविता के सुर कुछ इस प्रकार हैं...
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मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं |
दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं |
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे।
अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..।
तुम मुझको कब तक रोकोगे..।
में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है..
में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है..
बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ
|
शीशे से कब तक तोड़ोगे...
मिटने वाला नाम नहीं, तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे
इस जग में जितने जुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है..
तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है..
मैं सागर से भी गहरा हूँ
.. मैं सागर से भी गहरा हूँ
..
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे,
चुन-चुन कर आगे बढूंगा मैं, तुम मुझको कब तक रोकोगे
...
तुम मुझको कब तक रोकोगे
...
जुक जुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शोख नहीं
जुक जुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शोख नहीं
,
अपने ही हाथों रचा स्वय तुमसे मिटने का खौफ नहीं
,
तुम हालातो की मुट्ठी में जब जब भी मुझको झोकोंगे..
तब तपकर सोना बनुंगा में, तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे... कब तक रोकोगे...!!
आज का प्रेरक प्रसंग
!! समस्या का सामना ही समाधान !!
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एक बार बनारस में स्वामी विवेकनन्द जी मां दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनसे प्रसाद छिनने लगे वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने भी लगे. स्वामी जी बहुत भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे. वो बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए और वे भी उन्हें पीछे पीछे दौड़ाने लगे।
पास खड़े एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहे थे, उन्होनें स्वामी जी को रोका और कहा, “रुको! डरो मत, उनका सामना करो.” वृद्ध सन्यासी की ये बात सुनकर स्वामी जी तुरंत पलटे और बंदरों के तरफ बढऩे लगे. उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उनके ऐसा करते ही सभी बन्दर तुरंत भाग गए. उन्होनें वृद्ध सन्यासी को इस सलाह के लिए बहुत धन्यवाद किया।
शिक्षा:-
इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में इसका जिक्र भी किया और कहा, “यदि तुम कभी किसी समस्या से भयभीत हो, तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो.” वाकई, यदि हम भी अपने जीवन में आये समस्याओं का सामना करें और उससे भागें नहीं तो बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा!
👦 *निवाला* 👦
बड़ी बेचैनी से रात कटी। बमुश्किल सुबह एक रोटी खाकर, घर से अपने शोरूम के लिए निकला। आज किसी के पेट पर पहली बार लात मारने जा रहा हूँ। ये बात अंदर ही अंदर कचोट रही है।
ज़िंदगी में यही फ़लसफ़ा रहा मेरा कि, अपने आस पास किसी को, रोटी के लिए तरसना ना पड़े। पर इस विकट काल मे अपने पेट पर ही आन पड़ी है। दो साल पहले ही अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर कपड़े का शोरूम खोला था, मगर दुकान के सामान की बिक्री, अब आधी हो गई है। अपने कपड़े के शोरूम में, दो लड़के और दो लड़कियों को रखा है मैंने। ग्राहकों को कपड़े दिखाने के लिए। लेडीज डिपार्टमेंट की दोनों लड़कियों को निकाल नहीं सकता। एक तो कपड़ों की बिक्री उन्हीं की ज्यादा है। दूसरे वो दोनों बहुत गरीब हैं। दो लड़कों में से एक पुराना है, और वो घर में इकलौता कमाने वाला है। जो नया वाला लड़का है दीपक, मैंने विचार उसी पर किया है। शायद उसका एक भाई भी है, जो अच्छी जगह नौकरी करता है। और वो खुद, तेजतर्रार और हँसमुख भी है। उसे कहीं और भी काम मिल सकता है। इन पांच महीनों में, मैं बिलकुल टूट चुका हूँ। स्थिति को देखते हुए एक वर्कर कम करना मेरी मजबूरी है। यही सब सोचता दुकान पर पहुंचा। चारों आ चुके थे। मैंने चारों को बुलाया और बड़ी उदास हो बोल पड़ा..
"देखो, दुकान की अभी की स्थिति तुम सब को पता है, मैं तुम सब को काम पर नहीं रख सकता"
उन चारों के माथे पर चिंता की लकीरें, मेरी बातों के साथ गहरी होती चली गईं। मैंने बोतल के पानी से अपने गले को तर किया
"किसी एक का..हिसाब आज.. कर देता हूँ! दीपक तुम्हें कहीं और काम ढूंढना होगा"
"जी अंकल" उसे पहली बार इतना उदास देखा। बाकियों के चेहरे पर भी कोई खास प्रसन्नता नहीं थी। एक लड़की जो शायद उसी के मोहल्ले से आती है, कुछ कहते कहते रुक गई।
"क्या बात है, बेटी ? तुम कुछ कह रही थी ?
"अंकल जी, इसके भाई का...भी काम कुछ एक महीने पहले छूट गया है, इसकी मम्मी बीमार रहती है"
नज़र दीपक के चेहरे पर गई। आँखों में ज़िम्मेदारी के आँसू थे। जो वो अपने हँसमुख चेहरे से छुपा रहा था। मैं कुछ बोलता कि तभी एक और दूसरी लड़की बोल पड़ी
"अंकल! बुरा ना माने तो एक बात बोलूं?"
"हाँ...हाँ बोलो ना!"
"किसी को निकालने से अच्छा है, हमारे पैसे कम कर दो...बारह हजार की जगह नौ हजार कर दो आप"
मैंने बाकियों की तरफ देखा
"हाँ साहब! हम इतने से ही काम चला लेंगे"
बच्चों ने मेरी परेशानी को, आपस में बांटने का सोच, मेरे मन के बोझ को कम जरूर कर दिया था।
*"पर तुम लोगों को ये कम तो नहीं पड़ेगा न ?"*
*"नहीं साहब! कोई साथी भूखा रहे...इससे अच्छा है, हम सब अपना निवाला थोड़ा कम कर दें"*
*मेरी आँखों में आंसू छोड़, ये बच्चे अपने काम पर लग गए, मेरी नज़रों में, मुझसे कहीं ज्यादा बड़े बनकर...!*
🙏🙏राधे राधे
!! रौशनी की किरण !!
रोहित आठवीं कक्षा का छात्र था। वह बहुत आज्ञाकारी था और हमेशा औरों की मदद के लिए तैयार रहता था।
वह शहर के एक साधारण मोहल्ले में रहता था, जहाँ बिजली के खम्भे तो लगे थे पर उनपे लगी लाइट सालों से खराब थी और बार-बार कंप्लेंट करने पर भी कोई उन्हें ठीक नहीं करता था।
रोहित अक्सर सड़क पर आने-जाने वाले लोगों को अँधेरे के कारण परेशान होते देखता, उसके दिल में आता कि वो कैसे इस समस्या को दूर करे। इसके लिए वो जब अपने माता-पिता या पड़ोसियों से कहता तो सब इसे सरकार और प्रशासन की लापरवाही कह कर टाल देते।
ऐसे ही कुछ महीने और बीत गए फिर एक दिन रोहित कहीं से एक लम्बा सा बांस और बिजली का तार लेकर और अपने कुछ दोस्तों की मदद से उसे अपने घर के सामने गाड़कर उसपे एक बल्ब लगाने लगा। आस-पड़ोस के लोगों ने देखा तो पुछा, ” अरे तुम ये क्या कर रहे हो ?”
“मैं अपने घर के सामने एक बल्ब जलाने का प्रयास कर रहा हूँ ?” , रोहित बोला।
“अरे इससे क्या होगा, अगर तुम एक बल्ब लगा भी लोगे तो पुरे मोहल्ले में प्रकाश थोड़े ही फ़ैल जाएगा, आने जाने वालों को तब भी तो परेशानी उठानी ही पड़ेगी !” , पड़ोसियों ने सवाल उठाया।
रोहित बोला , ” आपकी बात सही है , पर ऐसा करके मैं कम से कम अपने घर के सामने से जाने वाले लोगों को परेशानी से तो बचा ही पाउँगा। ” और ऐसा कहते हुए उसने एक बल्ब वहां टांग दिया।
रात को जब बल्ब जला तो बात पूरे मोहल्ले में फ़ैल गयी। किसी ने रोहित के इस कदम की खिल्ली उड़ाई तो किसी ने उसकी प्रशंसा की।
एक-दो दिन बीते तो लोगों ने देखा की कुछ और घरों के सामने लोगों ने बल्ब टांग दिए हैं। फिर क्या था महीना बीतते-बीतते पूरा मोहल्ला प्रकाश से जगमग हो उठा।
एक छोटे से लड़के के एक कदम ने इतना बड़ा बदलाव ला दिया था कि धीरे-धीरे पूरे शहर में ये बात फ़ैल गयी, अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा और अंततः प्रशासन को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और मोहल्ले में स्ट्रीट-लाइट्स को ठीक करा दिया गया।
कहानी का सार
हे सर्वश्रेष्ठ आत्माओं ! _कई बार हम बस इसलिए किसी अच्छे काम को करने में संकोच कर जाते हैं क्योंकि हमें उससे होने वाला बदलाव बहुत छोटा प्रतीत होता है।
पर हकीकत में हमारा एक छोटा सा कदम एक बड़ी क्रांति का रूप लेने की ताकत रखता है। हमें वो काम करने से नहीं चूकना चाहिए जो हम कर सकते हैं।
इस कहानी में भी अगर रोहित के उस स्टेप की वजह से पूरे मोहल्ले में रौशनी नहीं भी हो पाती तो भी उसका वो कदम उतना ही महान होता जितना की रौशनी हो जाने पर है। रोहित की तरह हमें भी बदलाव होने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए बल्कि, जैसा की परमात्मा कहते है , हमें खुद वो बदलाव बनना चाहिए जो हम दुनिया में देखना चाहते हैं, तभी हम अँधेरे में रौशनी की किरण फैला सकते हैं।
*शौक़ सारे छिन गये,*
*दीवानगी जाती रही;*
*आयीं ज़िम्मेदारियाँ,*
*तो आशिकी जाती रही।*
*मांगते थे ये दुआ,*
*हासिल हो हमको दौलतें;*
*और जब आयी अमीरी,*
*शायरी जाती रही।*
*मय किताब-ए-पाक़ मेरी,*
*और साक़ी है ख़ुदा;*
*महफिलों से भर गया दिल,*
*मयकशी जाती रही।*
*रौशनी थी जब मुकम्मल,*
*बंद थीं ऑंखें मेरी;*
*खुल गयी आँखें मगर,*
*फिर रौशनी जाती रही।*
*ये मुनाफ़ा, ये ख़सारा,*
*ये मिला, वो खो गया;*
*इस फेर निनयानबे में,*
*ज़िन्दगी जाती रही।*
*सिर्फ़ दस से पांच तक,*
*सिमटी हमारी ज़िन्दगी;*
*दफ़्तरी आती रही,*
*आवारगी जाती रही।*
*मुस्कुरा कर वो सितमग़र,*
*फिर से हमको छल गया;*
*भर गया हर ज़ख्म,*
*तो नाराज़गी जाती रही।*
*उम्र बढ़ती जा रही है,*
*तुम बड़े होते नहीं;*
*ऐसे तानों से हमारी,*
*मसख़री जाती रही।*
Sunday, September 13, 2020
Some epic dialogues of my papa 😂
👉Ye ladka nahi sudharega
👉Padhana likhana ek akshar hai nahi bhikh mangoge
👉Katora leke bhikh maangoge wo bhi nhi milega
👉Sudhar jao tumhari bahut shikayat aa rahi hai
👉Din bhar mobile mein ghuse raho🤣🤣
👉Raja babu subah jaldi bhi uth jaya karo
👉Jis din khud baap banoge tab pata chalega
👉Padh lo kam se kam 2 paise ke aadmi ho jaoge
😂🤣🤣🤣😂
# ©
कभी कभी अपनी आंखो पर यकीन नहीं आता है😞...
कैसे कोई जान से प्यारा दिल तोड़ जाता है😔...
ऐसी ही कहानी में आज आप सब को सुनाती हूं🙃....
कैसे बिखरा एक लड़की का वजूद ये आपको बताती हूं😟...
एक लड़की जिसने अपना सब कुछ भुला दिया अपनी मोहब्बत के लिए😟...
पर उसकी मोहब्बत उसे छोड़ गया किसी और के लिए😞...
लड़की लड़के से बेइंतेहा प्यार जताती थी😳...
उसकी एक ख्वाहिश के लिए अपनी जान तक लुटाती थी😲...
किसी काम में उस लड़की का मन नहीं लगता था😴...
हर तरह उसे उस लड़के का एहसास लगता था😴...
वो लड़का उस भोली लड़की के प्यार का खूब फायदा उठाता था😡...
बना कर अपनी मजबूरियों का बहाना, दिखा कर अपने झूठे आंसू हमेशा उसे लूट जाता था😠...
नासमझ थी वो लड़की जो उसके इस नाटक को प्यार समझ बैठी थी🤦...
उसके सिवा कभी किसी और कि नहीं होगी, हर वक़्त यही कहती थी🤷...
मगर उसको कहां पता था अब किस्मत क्या मोड़ लेगा💞..
जिसे वो अपनी जान कहती है, वो किसी और के लिए उससे मुंह मोड़ लेगा😣...
आखिर एक दिन लडके ने अचानक उसे खुद को भूल जाने को कह दिया🥺...
जब वजह पूछी तो बहाना मजबूरियों का बना दिया😔...
कहने लगा घर वाले मेरी शादी कहीं और कर रहे है🙄...
तुम मेरी जात की नहीं हो ना... इसलिए मुझे तुमसे दूर कर रहे है😏...
उसका मासूम दिल टूटने सा लगा💔...
उसका रब पर से भरोसा उठने सा लगा😣...
अब तो वो अकेली ही रह गई थी☹️...
क्योंकि उस बेवफा के लिए वो अपनो से नाता भी तोड़ गई थी😨...
मगर किसी के समझाने पे वो अब भी जी रही है😢...
मगर अंदर ही अंदर गम और दुख के आंसू पी रही है😖...
जीवन
जो चाहा कभी पाया नहीं,
जो पाया कभी सोचा नहीं,
जो सोचा कभी मिला नहीं,
जो मिला रास आया नहीं,
जो खोया वो याद आता है
पर
जो पाया संभाला जाता नहीं ,
क्यों
अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी
जिसको कोई सुलझा पाता नहीं.
जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात
नहीं है,
क्योंकि,
झुकता वही है जिसमें जान होती है,
अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है!
पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो.!
दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो.!
जिंदगी जीना आसान नहीं होता; बिना संघर्ष कोई
महान नहीं होता.!
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है;
कभी हंसती है तो कभी रुलाती है; पर जो हर हाल में
खुश रहते हैं; जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है।
चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ; बहुत कुछ बोलो पर
कुछ ना छुपाओ;
खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ;
राज़ है ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ।
"गुजरी हुई जिंदगी को
कभी याद न कर,
तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...
जो होगा वो होकर रहेगा,
तु कलकी फिकर मे
अपनी आज की हसी बर्बाद न कर...
हंस मरते हुये भी गाता है
और
मोर नाचते हुये भी रोता है....
ये जिंदगी का फंडा है बॉस
दुखो वाली रात
निंद नही आती
और
खुशी वाली रात
.कौन सोता है...
🥺
बहु और बेटी ( जरुर पढिये )
लेडी 1: तुम्हारी बहु कैसी है ?
लेडी 2: बहु तो बहुत बुरी है,
रोज लेट उठती है,
मेरा बेटा उसके लिए चाय
बनाता है, घर का कोई भी
काम नहीं करती..
और जब देखो मेरे बेटे से
बाहर खाना खाने के लिए
कहेती रहेती है !!
लेडी 1: और दामाद ?
लेडी 2: दामाद तो फरिश्ता है.
रोज सुबह मेरी बेटी को चाय
बना के पिलाता है,
उसे घर का कोई भी काम
करने नहीं देता और अक्सर
बाहर खाना खाने ले जाता है..
ऐसा दामाद सबको मिले !!..
😄😄😄😄 😛 रिश्ता वही सोच नई !! 😆😜😜😜😜😜😜😜
#@planetnjoy
चाय से बन गई बात
एक शहर में दो दोस्त (अजय और विजय) एक ही दफ्तर में काम करते थे और एक ही फ्लैट शेयर करते थे।
उन दोनों दोस्तों में एक दिन किसी बात को लेकर थोड़ी बहस हो गई और फिर दोनों के बीच बाते होना बन्द हो गई
कई दिन ऐसे ही बात न होने के बाद अजय ने सोचा कि ऐसे आखिर कब तक चलेगा। आखिर दोस्त है कब तक बाते नही करेगा।।
और फिर शाम को जब अजय दफ्तर से वापस आया तो उसने किचेन में चाय बनाई और जान बूझ कर एक कि जगह दो कप चाय बनाई
और फिर.. अपने दोस्त विजय को थोड़े कड़े शब्दो मे आवाज़ लगाई
"चाय बनाई है थोड़ी ज्यादा हो गई है
पीनी हो तो पी लेना"
विजय थोड़ी देर बाद किचेन में चाय लेने आया.. और चाय पीने के बाद अपने दोस्त से बोला...
"चाय में कोई स्वाद नही थी.. वो तो बर्बाद न हो इसलिए मैंने पी ली.. तुझसे बेहतर तो मैं चाय बना लेता हूँ"
अजय: साले.. बकवास शुरू कर दी तूने फिर से...
और फिर दोनों हँस पड़े मानो जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही नही था।
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*पति:* अजी सुनती हो ?
*पत्नी;* नहीं, मैं तो जनम कि बहरी हूँ ।बोलो?
*पति:* मैंने ऐसा कब कहा ?
*पत्नी:* तो अब कह लो, पूरी कर लो एक साथ, कोई भी हसरत अगर अधूरी रह गयी हो।
*पति:* अरी भाग्यवान!!
*पत्नी:* सुनो एक बात.... आइन्दा मुझे भाग्यवान तो कहना मत , फूट गए नसीब मेरे तुमसे शादी करके और कहते हो भाग्यवान हूँ ।
*पति:* एक कप चाय मिलेगी?
*पत्नी:* एक कप क्यों?
लोटा भर मिलेगी और सुनो किसको सुना रहे हो ?
मैं क्या चाय बना के नहीं देती ?
*पति:* अरे यार कभी तो सीधे मुह बात...
*पत्नी:* बस .... आगे मत बोलना ,नहीं आता मुझे सीधे मुँह बात करना।
मेरा तो मुँह ही टेढ़ा है , यही कहना चाहते हो ना ?
*पति:* हे भगवान!!
*पत्नी:* हाँ ... माँग लो भगवान जी से एक कप चाय ।
मै चली नहाने, और सुनो मुझे शैम्पू भी करना है देर लगेगी।
बच्चों को स्कूल से ले आना मेरे अकेले के नहीं हैं ।
*पति:* अरे ये सब क्या बोलती हो ?
*पत्नी:* क्यों झूठ बोल दिया क्या ?
मैं क्या दहेज़ में ले कर आयी थी इनको ?
*पति:* अरे मैं कहाँ कुछ बोल रहा हूँ ?
*पत्नी:* अरे मेरे भोले बाबा, तुम कहाँ बोलते हो ?
मैं तो चुप थी।
बोलना किसनेशुरू किया ?
बताओ ...?
*पति:* अरे मैंने तो एक कप चाय मांगी थी।
*पत्नी:* चाय मांगी थी या मुझे बहरी कहा था ?
क्या मतलब था तुम्हारा ?
"अजी सुनती हो ?"का क्या मतलब था बताओगे ?
*पति:* अरे श्रीमती जी।
कभी तो मीठे से बोल लिया करो।
*पत्नी:* अच्छा...?.
मीठा नहीं बोली मैं कभी ?
तो ये दो दो नमूने क्या पड़ोसी के हैं. ?
देख लिया है बहुत मीठा बोल कर।
बस अब और मीठा बोलने कि हिम्मत नहीं है मेरी।
*पति:* भूल रही हो मैडम ।
*पत्नी:* क्या भूल रही हूँ..?
*पति:* अरे मुझे बात तो पूरी करने दो।
मैं कह रहा था कि पति हूँ तुम्हारा।
*पत्नी:* अच्छा ..... मुझे नहीं पता था।
सूचना के लिए धन्यवाद।
*पति:* अरे नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी चाय।
बक बक बंद करो।
*पत्नी:* अरे वाह!! तुम्हे तो बोलना भी आता है ? बहुत अच्छे,
चाय पी के जाओ।
बाद में नहा लूँगी।
*पति:* गज़ब हो तुम भी।
पहले तो बिना बात लड़ती हो फिर बोलती हो चाय पी के जाओ।
*पत्नी:* तो क्या करूँ ?
तुम लड़ने का मौका कहाँ देते हो ?
लड़ने का मन करे तो क्या पड़ोस में लड़ने जाऊँ?
*नोट:-* पत्नीयों के अधिकारों का हनन ना करें और उन्हें लङने का मौका अवश्य दें।
स्त्री को प्रसन्न रख पाना
एक मिथ्या है,
जब तक सीता
राम के पास थीं उन्हें
सोने का हिरण चाहिए था,
जब पूरी सोने की लंका चरणों में थी
तो राम चाहिए थे..!!
हे नादान पुरुष,
जो काम प्रभु ना कर सके,
वो तू करना चाहता है...?
😜
सभी विवाहत पुरूषों को समर्पित
सांझ हुई और रात जगी
ख़्वाब भी तरसे, नींद लगी
तरसने लगी है बाहें,
ताकूँ तेरी चाहतो की राहें
पर तुम तो मुझे बुलाते नही
मेंरे ख़्वाब भी तुझे जगाते नही
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!
अरे भूलों से भुला मैं भटका हुआ
अरे कब से मैं तरसा यूँ अटका हुआ
कह दो, मेरी गली में क्यों आते नही
इश्क़ है फिर भी जताते नही।
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!
अरे जागो न जागो, निंदिया कितनी आई
अरे मुझसे भी पूछो क्यों दुनिया हुई पराई
यूँ छोड़ पराया जाते नही
क्यों हमको अब अपनाते नही।
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!
क्यों कह दें ये तुमसे, है ताज्जुब थोड़ी थोड़ी
हो मुव्वसर या मुक्कमल, मिल जाते थोड़ी थोड़ी
मुकद्दर मेरे अब क्यों बन जाते नही
करके मुकम्मल हमको, अपना क्यों बनाते नही
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!
अरे लूटो, न लूटो ऐसे चैन मेरा
अब नींद में हूँ, न छीनो ख्वाब मेरा
ख़्वाब से यादें हैं, है आगे का सब तेरा
क्यों याद मेरी तुझे आते नही
क्यों हमको अपना कह बुलाते नही
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!
अभी कुछ पल में तू सब हो गया मेरा
आज और कल में ही सब ले गया मेरा
क्यों गैर हूँ ऐसे जताते हो, जब देखूं तो मुँह फिराते हो
मुझे अपना कहने से डरते हो, या बेवजह इतना शर्माते हो
क्यों सीने से मुझको लगाते नही
क्यों अपना मुझे बुलाते नही!
अब रतियन में आते नही
हमको क्यों सताते नही
अरे बात करें पर बातें नई
हमको क्यों कुछ बताते नही!