पड़ोसी: यार तेरे घर से रोज़ हँसी की आवाज़ आती है
इस खुश हाल ज़िंदगी का राज़ क्या है?
आदमी: मेरी बीवी मुझे जूते फेंक कर मारती है,
लग जाय तो वो हँसती है,
ना लगे तो मैं हंसता हूँ.
खुदा का शुक्र है, हँसी खुशी ज़िंदगी गुज़र रही है ।
इस खुश हाल ज़िंदगी का राज़ क्या है?
आदमी: मेरी बीवी मुझे जूते फेंक कर मारती है,
लग जाय तो वो हँसती है,
ना लगे तो मैं हंसता हूँ.
खुदा का शुक्र है, हँसी खुशी ज़िंदगी गुज़र रही है ।
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