स्त्री क्या है !! महान एवं अद्भुत ..!!!
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया । आज छठा दिन था और स्त्री की रचना पुरी अभी अधुरी थी
इसिलए देवदुत ने पुछा भगवन आप इस में इतना समय क्यों ले रहे हो...
भगवान ने जवाब दिया क्या तुमने इसके सारे गुणधर्म (specifications) देखे है, जो इसकी रचना के लिए जरूरीः है।
यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है
यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है ।
यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टुटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है ।
यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है
इस में सबसे बड़ा गुणधर्म यह है की बीमार होने पर अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदुत चकित रह गया और आश्चर्य पुछा भगवान क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ।
भगवान ने कहा यह मेरी अद्भुत रचना है।
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा
भगवान यह तो बहुत soft है ।
भगवान ने कहा हाँ यह बाहर से बहुत ही soft है मगर इसे अंदर से बहुत strong बनाया है । इसमें हर परिस्थितियों का संभालने की ताकत है।
देवदुत ने पुछा क्या यह सोच भी सकती है।
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला भगवान ये तो गीले है। लगता है इसमें से लिकेज हो रहा है।
भगवान बोले यह लिकेज नहीं है। यह इसके आँसू है।
देवदुत: आँसू किस लिए !!
भगवान बोले : यह भी इसकी ताकत है । आँसू इसको फरीयाद करने एवं प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दुर करने का तरीका है ।
देवदुत: भगवान आपकी रचना अदभुत है । आपने सबकुछ सोच कर बनाया है
आप महान है
भगवान बोले यह स्त्री रूपी रचना अदभुत है । यही हर पुरुष की ताकत है जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है । उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है।
उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है
(Her love is unconditional)
उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते है । मगर हर परिस्थितियों से समझोता करना भी जानती है।
देवदुत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना अभी इसमें एक त्रुटि है।
" यह अपना महत्वत्ता भुल जाती है " (" She often forgets what she is be worth".)
सभी आदरणीय स्त्रीओँ को समर्पित।
To all respectful women😊
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया । आज छठा दिन था और स्त्री की रचना पुरी अभी अधुरी थी
इसिलए देवदुत ने पुछा भगवन आप इस में इतना समय क्यों ले रहे हो...
भगवान ने जवाब दिया क्या तुमने इसके सारे गुणधर्म (specifications) देखे है, जो इसकी रचना के लिए जरूरीः है।
यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है
यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है ।
यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टुटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है ।
यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है
इस में सबसे बड़ा गुणधर्म यह है की बीमार होने पर अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदुत चकित रह गया और आश्चर्य पुछा भगवान क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ।
भगवान ने कहा यह मेरी अद्भुत रचना है।
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा
भगवान यह तो बहुत soft है ।
भगवान ने कहा हाँ यह बाहर से बहुत ही soft है मगर इसे अंदर से बहुत strong बनाया है । इसमें हर परिस्थितियों का संभालने की ताकत है।
देवदुत ने पुछा क्या यह सोच भी सकती है।
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदुत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला भगवान ये तो गीले है। लगता है इसमें से लिकेज हो रहा है।
भगवान बोले यह लिकेज नहीं है। यह इसके आँसू है।
देवदुत: आँसू किस लिए !!
भगवान बोले : यह भी इसकी ताकत है । आँसू इसको फरीयाद करने एवं प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दुर करने का तरीका है ।
देवदुत: भगवान आपकी रचना अदभुत है । आपने सबकुछ सोच कर बनाया है
आप महान है
भगवान बोले यह स्त्री रूपी रचना अदभुत है । यही हर पुरुष की ताकत है जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है । उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है।
उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है
(Her love is unconditional)
उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते है । मगर हर परिस्थितियों से समझोता करना भी जानती है।
देवदुत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना अभी इसमें एक त्रुटि है।
" यह अपना महत्वत्ता भुल जाती है " (" She often forgets what she is be worth".)
सभी आदरणीय स्त्रीओँ को समर्पित।
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