Saturday, November 12, 2016

सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है ।
1    मुनि स्नान ।
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है ।
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2   देव स्नान ।
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है ।
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3   मानव स्नान  ।
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है ।
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 4  राक्षसी स्नान  ।
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है  ।

मुनि स्नान सर्वोत्तम है ।
देव स्नान उत्तम है ।
मानव स्नान सामान्य है ।
राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है ।

किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए
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मुनि स्नान .......
 👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है ।
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देव स्नान ......
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है ।
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 मानव स्नान.....
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है ।
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 राक्षसी स्नान.....
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
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किसी भी मनुष्य  को  8  के बाद स्नान नही करना  चाहिए।
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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान  करते थे ।
खास कर जो घर की स्त्री होती थी ।
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चाहे वो स्त्री  माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो ।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना   चाहिए ।
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ऐसा करने से धन , वैभव लक्ष्मी , आप के घर में सदैव वास करती है ।
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उस समय......  एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार  पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता ।
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 उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है ।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है ।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे ।
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आप का भला हो ,आपके  अपनों का भला हो ।
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 मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता ।
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 अपने जीवन को सुखमय बनाये  ।
 जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये ।

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