❣मेरी बर्बादी
किस हद पे उतर आई है
बेरहम याद है और
रात ये हरजाई है❣
❣आग इक हमने इस सीने में
सुलगाई है
दूसरी आग भी जमाने ने
अब लगाई है❣
❣कई बरसों से हम
तुमसे मिले ही नहीं
फिर भी तुम पास हो,
ये कैसी जुदाई है❣
❣हमने उसको ही
नजाकत से अपनाया है
वो कली जो
किसी गुलशन में मुरझाई है❣
किस हद पे उतर आई है
बेरहम याद है और
रात ये हरजाई है❣
❣आग इक हमने इस सीने में
सुलगाई है
दूसरी आग भी जमाने ने
अब लगाई है❣
❣कई बरसों से हम
तुमसे मिले ही नहीं
फिर भी तुम पास हो,
ये कैसी जुदाई है❣
❣हमने उसको ही
नजाकत से अपनाया है
वो कली जो
किसी गुलशन में मुरझाई है❣
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