मने फ़िज़ा को सलाम लिख भेजा,
हाल-ई-दिल तमाम लिख भेजा!
मने पुछा तेरे होंठ कैसे हैं?
उसने सिर्फ जाम लिख भेजा!
मने पुछा तेरे बाल कैसे हैं?
उसने कुदरत का इनाम लिख भेजा!
मने पुछा कब होगी मुलाक़ात?
उसने कयामत की शाम लिख भेजा!
मने पुछा इतना तद्पाती क्यू हु?
उसने जवानी का इन्तेक़ाम लिख भेजा
मने पुछा किसी से नफ़रत भी करती हो
उस फिजा, ने मेरा ही नाम लिख भेजा.
हाल-ई-दिल तमाम लिख भेजा!
मने पुछा तेरे होंठ कैसे हैं?
उसने सिर्फ जाम लिख भेजा!
मने पुछा तेरे बाल कैसे हैं?
उसने कुदरत का इनाम लिख भेजा!
मने पुछा कब होगी मुलाक़ात?
उसने कयामत की शाम लिख भेजा!
मने पुछा इतना तद्पाती क्यू हु?
उसने जवानी का इन्तेक़ाम लिख भेजा
मने पुछा किसी से नफ़रत भी करती हो
उस फिजा, ने मेरा ही नाम लिख भेजा.
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