*इतने बड़े कभी मत बनना की लोग आपकी तारीफ़ आपके आगे और आपकी बुराई आपके पीछे करें।*
*हो सके तो हमेशा सरल बने रहना जैसे आपके साथीवाले आपके दोष आपको और आपकी अच्छाई पुरे शहर को बता सकें।*
*हर इंसान को नमक की तरह होना चाहिये, जो भोजन में रहता है मगर दिखाई नहीं देता, और अगर ना हो तो उसकी कमी महसूस होने लगती है ।*
*हो सके तो हमेशा सरल बने रहना जैसे आपके साथीवाले आपके दोष आपको और आपकी अच्छाई पुरे शहर को बता सकें।*
*हर इंसान को नमक की तरह होना चाहिये, जो भोजन में रहता है मगर दिखाई नहीं देता, और अगर ना हो तो उसकी कमी महसूस होने लगती है ।*
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