Wednesday, November 16, 2016

*कुछ अदभुत जोड़ियाँ..*

*धन* तभी सार्थक हैं,
जब *धर्म* भी साथ हो।

*विशिष्टता* तभी सार्थक हैं,
जब *शिष्टता* भी साथ हो।

*सुंदरता* तभी सार्थक हैं,
जब *चरित्र* भी शुद्ध हो।

*संपत्ति* तभी सार्थक हैं,
जब *स्वास्थ्य* भी अच्छा हो।

*मंदिर* जाना तभी सार्थक हैं,
जब *हृदय* में भाव हो।

अच्छा *व्यापार* तभी सार्थक हैं,
जब *व्यवहार* भी अच्छा हो।

*ज्ञानी* होना तभी सार्थक हैं,
 जब *सरलता* भी साथ हो।

*प्रसिद्धि* तभी सार्थक हैं,
जब मन में *निरअहंकारिता* हो।

*बुद्धिमता* तभी सार्थक हैं,
जब *विवेक* भी साथ हो।

*अतिथि* बनकर जाना तभी सार्थक हैं
जब वहां *सत्कार* हो।

*परिवार* का होना तभी सार्थक हैं,
 जब उसमें *प्यार* और आदर हो।

*रिश्ते* तभी तक सार्थक हैं,
जब तक आपस में *विश्वाश* हो।

*बहुत ज्यादा परखने से,*
*बहुत अच्छे अच्छे रिश्ते भी टूट जाते हैं*

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