Saturday, January 4, 2020

*_"सब बढ़िया है...."_*

```अपने दुःख दर्द छिपाने का,
बस बचा एक ही जरिया है
जब पूछें कोई कैसे हो,
हम कह देते सब बढ़िया है

चेहरे पर मुस्कान लिए,
वाणी में रहते रस घोले
स्वप्न सरीखा यह जीवन,
जो सरक रहा हौले हौले

अश्रु किन्हे हम दिखलाएँ,
किस से हम मन की बात कहें
बेहतर लगती पीड़ा अपनी,
भीतर अपने चुपचाप सहें

कुछ पीड़ा सुन मुसकाएँगे
कुछ नमक छिड़क कर जाएँगे
कुछ पाप पुण्य का लगा गणित
पापों का फल बताएँगे

किस की जिह्वा हम पकड़ेंगे
किस किस के होंठ सिलाएँगे
ऐसा बोला तो क्यों बोला
किस किस से लड़ने जायेंगे

चुपचाप सुनेंगे तानों को,
दिल अपना भी इक दरिया है
फिर पूछेगा जब  हाल कोई,
तो कह देंगे " सब बढ़िया है। ```
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है

😊😉

मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत है, मैं यही हूँ, अपनी रजाई में..

😝😝

तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के बीच मेरी छोटी सी लोकल समस्या
सारी रात गुज़र जाती है इसी कश्मकश में

ये हवा कहां से घुस जाती है रजाई में

😜😝

सुबह सुबह आकर सोये हुए को जगाने के लिये उसकी रजाई खींच लेने को महापाप की श्रेणी में रखा जायेगा

😝

अगर इस समय कोई सुबह सुबह किसी पर ठंडा पानी डाल दे,
तो वो घटना भी आतंकवादी हमले के अंतर्गत मानी जायेगी

😛😛😛

किसी की रजाई खींचना देशद्रोह के बराबर माना जायेगा और रजाई में घुसकर ठंडे पैर लगाना छेड़छाड़ का अपराध माना जायेगा

😳😆😆

इस बरसाती ठण्ड के मौसम में रजाई के अंदर रहना ही श्रेष्ठ कर्म है
और टमाटर की चटनी के साथ पकोड़े, चाय मिलना मोक्ष की प्राप्ति
😁😂😂

ऐ सर्दी इतना न इतरा
अगर 👉हिम्मत है तो जून में आ।।

❄Happy Winter 😜😛😁🤣🙈
🐋
     *_मुंसी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_*

_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,"_

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है।_

_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा जाना मुझे,_

        _जिसकी जितनी जरूरत थी_
        _उसने उतना ही पहचाना मुझे!_

_जिन्दगी का फलसफा भी_
_कितना अजीब है,_

        _शामें कटती नहीं और_
        _साल गुजरते चले जा रहे हैं!_

_एक अजीब सी_
_'दौड़' है ये जिन्दगी,_

        _जीत जाओ तो कई_
        _अपने पीछे छूट जाते हैं और_

_हार जाओ तो_
_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं!_

_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अक्सर,_

        _मुझे अपनी_
        _औकात अच्छी लगती है।_

_मैंने समंदर से_
_सीखा है जीने का सलीका,_

        _चुपचाप से बहना और_
        _अपनी मौज में रहना।_

_ऐसा नहीं कि मुझमें_
_कोई ऐब नहीं है,_

        _पर सच कहता हूँ_
        _मुझमें कोई फरेब नहीं है।_

_जल जाते हैं मेरे अंदाज से_
_मेरे दुश्मन,_

              _एक मुद्दत से मैंने_
       _न तो मोहब्बत बदली_
      _और न ही दोस्त बदले हैं।_

_एक घड़ी खरीदकर_
_हाथ में क्या बाँध ली,_

        _वक्त पीछे ही_
        _पड़ गया मेरे!_

_सोचा था घर बनाकर_
_बैठूँगा सुकून से,_

        _पर घर की जरूरतों ने_
        _मुसाफिर बना डाला मुझे!_

_सुकून की बात मत कर_
_ऐ गालिब,_

        _बचपन वाला इतवार_
        _अब नहीं आता!_

_जीवन की भागदौड़ में_
_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_

        _हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
        _आम हो जाती है!_

_एक सबेरा था_
_जब हँसकर उठते थे हम,_

        _और आज कई बार बिना मुस्कुराए_
        _ही शाम हो जाती है!_

_कितने दूर निकल गए_
_रिश्तों को निभाते-निभाते,_

        _खुद को खो दिया हमने_
        _अपनों को पाते-पाते।_

_लोग कहते हैं_
_हम मुस्कुराते बहुत हैं,_

        _और हम थक गए_
        _दर्द छुपाते-छुपाते!_

_खुश हूँ और सबको_
_खुश रखता हूँ,_

        _लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए_
        _मगर सबकी परवाह करता हूँ।_

_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_

        _कुछ अनमोल लोगों से_
     _रिश्ते रखता हूँ।_
🌹🌹🌹🤝
इस साल के अंतिम दिन पर शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की चन्द अनमोल पंक्तियॉ...

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद

जीवन अस्थिर अनजाने ही,
हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
तय कर लेना कुछ खेल नहीं
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद

साँसों पर अवलम्बित काया,
जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये,
मिली नव स्फूर्ति,
थकावट दूर हुई
पथ के पहचाने छूट गये,
पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद....

नया साल आपके और आपके समस्त
परिजनों के लिये मंगलमय हो!!
*ज़िंदगी सड़क की तरह हैं,*
*यह कभी भी सीधी नहीं होती.*
*कुछ दूर बाद मोड अवश्य आता हैं.*
*इसलिए धैर्य के साथ चलते रहिए*
*आपकी ज़िंदगी का सुखद मोड़*
*आपका इंतज़ार कर रहा हैं..!!*

*मुस्कुरा कर चलते रहिए..!!*



*जन्म के समय नाम नही होता है,*
            *मात्र सांसे होती है..*
*मृत्यू के समय नाम होता है,*
             *पर सांसे नही होती..*
*"इन्हीं सांसों और नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते है"*



*हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!*

*कुछ दर्द चले जाते है, परिवार और दोस्तो के साथ मुस्कुराने मे*...

   🌞 *आपका दिन शुभ हो*

*༺꧁ Զเधॆ Զเधॆ꧂༻*

Saturday, December 21, 2019

💁‍♂
एक महिला से पूछा गया तेरी जाति क्या है?
उसने भी पूछा : एक मां की या एक महिला की ..?

उसने कहा - चल दोनों की बता ..
और कुटिल मुस्कान बिखेरी ।

उसने भी पूरे धैर्य से बताया.......

एक महिला जब माँ बनती  है तो वो जाति विहीन हो जाती है..
उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा - वो कैसे..?

तब महिला बोली .....
जब एक मां अपने बच्चे का लालन पालन करती है,
अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है ,
तो वो शूद्र हो जाती है..

वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, तो वो क्षत्रिय हो जाती है..

जब बच्चा और बड़ा होता है, तो मां उसे शिक्षित करती है,
तब वो ब्राह्मण हो जाती है..

और अंत में जब बच्चा और बड़ा  होता है तो मां
उसके आय और व्यय में उसका उचित मार्गदर्शन कर
अपना वैश्य धर्म निभाती है ..
तो हुई ना एक महिला या मां जाति विहीन..

महिला का उत्तर सुनकर वो अवाक् रह गया । उसकी आँखों में
महिलाओं ओर माँओं के लिए सम्मान व आदर का भाव था और महिला अपने मां और महिला होनेपर पर गर्व का अनुभव हो रहा था।
🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻
*★  जीवन ~ यात्रा  ★*
      अंत जरूर पढ़ें   
   〰〰〰
   एक नवयुवती बस में बैठी,अगले स्टॉप पर
   एक दबंग और क्रोधी बूढ़ी माँ आईं, और    उसके बगल की सीट पर बैठ गईं.
  उन्होंने अपने कई बैग युवती से सटाकर रख दिए.
 बूढ़ी महिला के दूसरी ओर बैठी महिला
परेशान हो गई. उसने युवती से कहा कि ~
वह बूढ़ी महिला से कुछ बोलती क्यों नहीं ?

    युवती ने मुस्कराते हुए जवाब दिया ~ हर बात पर असभ्य व्यवहार या बहस करना ... आवश्यक नहीं, 👈
      मैं अगले स्टॉप पर उतरने वाली हूँ.

 यह प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, जिसे
  ★ सुनहरे अक्षरों में ★ लिखी जानी चाहिए.

     हर बात पर असभ्य व्यवहार या ...
       बहस करना आवश्यक नहीं,
       आखिर हमारे साथ की यात्रा
       ★  है ही कितनी लम्बी ? ★

   अगर हमें यह एहसास हो जाए, कि
  यहाँ हमारा समय कितना कम है, तो
        व्यर्थ के झगड़े, निरर्थक तर्क
        बात-बात पर असहमति और
     दूसरों में गलती खोजने वाला रवैया
         ★  समय और ऊर्जा की ★
             बर्बादी का कारण नहीं, तो ...
                 और क्या है ?
📍
       अगर किसी ने आपका
  ★  दिल तोड़ा ~ शाँत रहो ! ★
     आखिर यात्रा इतनी छोटी जो है.

          किसी ने आपके साथ ...
        विश्वासघात किया, धमकाया,
      धोखा दिया या अपमानित किया ...
       ★  शाँत रहें, क्षमा करें !  ★
           आखिर हमारी यात्रा ...
             इतनी कम जो है.

        जब भी कोई मुसीबत
           हमारे सामने आये,
       हमें याद रखना चाहिए, कि
   हमारे साथ की यात्रा
            बहुत छोटी ही है.

         इस यात्रा की अवधि ..
        ★ कोई नहीं जानता. ★

        कोई नहीं जानता, कि
      उनका पड़ाव कब आएगा ?
         हमारी यात्रा एक साथ
            इतनी कम है, कि
         मालूम नहीं अगले पल
          क्या होने वाला है ?

     तो क्यों नहीं, हम अपने दोस्तों व
       परिवारजनों का ध्यान रखें, और
             अपने काम को संजोएं.

     आईए, हम एक-दूसरे के लिए
        सम्मानजनक, दयालु और
      क्षमाशील हों, और यह अहसास
    हमें कृतज्ञता और उल्लास से भर दे.

           अगर मेरे व्यवहार ने ..
               आपको कभी
            कोई चोट पहुँचाई है, तो
  🙏  मैं आपसे क्षमा माँगता हूँ.  🙏

            यदि आपने मुझे
    कभी दुख पहुँचाया है, तो मैंने
  आपको पहले ही क्षमा कर दिया है.

     आखिर ... हमारी यात्रा एक साथ ...
                       है ही कितनी ?

     बीते सुखद समय के लिए ...
   हम वनाने वाले का आभार मानें, और
 इस जीवन यात्रा को सुखमय बनाएं।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
A *Donkey* was tied to a tree. A *_Demon_* came and untied it. The donkey ran into the fields and was destroying the crop.
The farmer's wife saw this and shot the donkey dead.

The donkey's owner was upset so he shot the farmer's wife.
The farmer came back to see his wife dead, he went and shot the donkey's owner. The wife of the owner of the donkey  asked her sons to go and burn the house of the farmer.

The boys went late evening and carried out their mother's orders happily, assuming that the farmer too would have been burnt with the house. Sadly for them it wasn't that, so the farmer came back and shot the wife & the two sons of the owner of the donkey.

Remorseful, the farmer asked the demon why did all this have to happen?
The demon said, *"I did nothing, I only released the donkey, but, all of you reacted, overacted and released the inner devil."*

🤔
*The devil doesn't do anything but wake you up by triggering the ego in you that turns into evil intent and goes harming others.*
😓

So the next time before replying, responding, reporting, rebuking or avenging a revenge, stop and think. Be careful. Many a time what the devil does is that it just _*releases the donkey*_ in us.
दुल्हन ने विदाई के वक़्त शादी को किया नामंजूर❗
(कहानी आपको सोचने पर विवश करेगी।)
शादी के बाद विदाई का समय था, नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थीं। वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखें नम थीं। नेहा ने घूँघट निकाला हुआ था, वह अपनी छोटी बहन के साथ सजाई गयी गाड़ी के नज़दीक आ गयी थी। दूल्हा अविनाश अपने खास मित्र विकास के साथ बातें कर रहा था। विकास -'यार अविनाश... सबसे पहले घर पहुंचते ही होटल अमृतबाग चलकर बढ़िया खाना खाएंगे...

यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।' तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -'हा यार..पनीर कुछ ठीक नहीं था...और रस मलाई में रस ही नहीं था।' और वह ही ही ही कर जोर जोर से हंसने लगा। अविनाश भी पीछे नही रहा -'अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे, जो खाना है खा लेना... मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..रोटियां भी गर्म नहीं थी...।' अपने पति के मुँह से यह शब्द सुनते ही नेहा जो घूँघट में गाड़ी में बैठने ही जा रही थी, वापस मुड़ी, गाड़ी की फाटक को जोर से बन्द किया... घूँघट हटा कर अपने पापा के पास पहुंची...।

अपने पापा का हाथ अपने हाथ में लिया..'मैं ससुराल नहीं जा रही पिताजी... मुझे यह शादी मंजूर नहीं।' यह शब्द उसने इतनी जोर से कहे कि सब लोग हक्के बक्के रह गए...सब नज़दीक आ गए। नेहा के ससुराल वालों पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा... मामला क्या था यह किसी की समझ में नहीं आ रहा था। तभी नेहा के ससुर राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा से पूछा -- 'लेकिन बात क्या है बहू? शादी हो गयी है...विदाई का समय है अचानक क्या हुआ कि तुम शादी को नामंजूर कर रही हो?' अविनाश की तो मानो दुनिया लूटने जा रही थी...वह भी नेहा के पास आ गया, अविनाश के दोस्त भी।

सब लोग जानना चाहते थे कि आखिर एन वक़्त पर क्या हुआ कि दुल्हन ससुराल जाने से मना कर रही है।
नेहा ने अपने पिता दयाशंकरजी का हाथ पकड़ रखा था... नेहा ने अपने ससुर से कहा -'बाबूजी मेरे माता पिता ने अपने सपनों को मारकर हम बहनों को पढ़ाया लिखाया व काबिल बनाया है। आप जानते है एक बाप केलिए बेटी क्या मायने रखती है?? आप व आपका बेटा नहीं जान सकते क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है।' नेहा रोती हुई बोले जा रही थी- 'आप जानते है मेरी शादी केलिए व शादी में बारातियों की आवाभगत में कोई कमी न रह जाये इसलिए मेरे पिताजी पिछले एक साल से रात को 2-3 बजे तक जागकर मेरी माँ के साथ योजना बनाते थे... खाने में क्या बनेगा...रसोइया कौन होगा...पिछले एक साल में मेरी माँ ने नई साड़ी नही खरीदी क्योकि मेरी शादी में कमी न रह जाये... दुनिया को दिखाने केलिए अपनी बहन की साड़ी पहन कर मेरी माँ खड़ी है... मेरे पिता की इस डेढ़ सौ रुपये की नई शर्ट के पीछे बनियान में सौ छेद है.... मेरे माता पिता ने कितने सपनों को मारा होगा...न अच्छा खाया न अच्छा पीया...

बस एक ही ख्वाहिश थी कि मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये...आपके पुत्र को रोटी ठंडी लगी!!! उनके दोस्तों को पनीर में गड़बड़ लगी व मेरे देवर को रस मलाई में रस नहीं मिला...इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है...। नेहा हांफ रही थी...।' नेहा के पिता ने रोते हुए कहा -'लेकिन बेटी इतनी छोटी सी बात..।' नेहा ने उनकी बात बीच मे काटी -'यह छोटी सी बात नहीं है पिताजी...मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं... रोटी क्या आपने बनाई! रस मलाई ... पनीर यह सब केटर्स का काम है... आपने दिल खोलकर व हैसियत से बढ़कर खर्च किया है, कुछ कमी रही तो वह केटर्स की तरफ से... आप तो अपने दिल का टुकड़ा अपनी गुड़िया रानी को विदा कर रहे है??? आप कितनी रात रोयेंगे क्या मुझे पता नहीं... माँ कभी मेरे बिना घर से बाहर नही निकली... कल से वह बाज़ार अकेली जाएगी... जा पाएगी? जो लोग पत्नी या बहू लेने आये है वह खाने में कमियां निकाल रहे...

मुझमे कोई कमी आपने नहीं रखी, यह बात इनकी समझ में नही आई??' दयाशंकर जी ने नेहा के सर पर हाथ फिराया - 'अरे पगली... बात का बतंगड़ बना रही है... मुझे तुझ पर गर्व है कि तू मेरी बेटी है लेकिन बेटा इन्हें माफ कर दे.... तुझे मेरी कसम, शांत हो जा।' तभी अविनाश ने आकर दयाशंकर जी के हाथ पकड़ लिए -'मुझे माफ़ कर दीजिए बाबूजी...मुझसे गलती हो गयी...मैं ...मैं।' उसका गला बैठ गया था..रो पड़ा था वह। तभी राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा के सर पर हाथ रखा -'मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर बहुत कृपालु है उसने मुझे बेटी दे दी... व बेटी की अहमियत भी समझा दी... मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी शायद इसलिए कि तेरे जैसी बेटी मेरी नसीब में थी...अब बेटी इन नालायकों को माफ कर दें... मैं हाथ जोड़ता हूँ तेरे सामने... मेरी बेटी नेहा मुझे लौटा दे।' और दयाशंकर जी ने सचमुच हाथ जोड़ दिए थे व नेहा के सामने सर झुका दिया। नेहा ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए...'बाबूजी।' राधेश्यामजी ने कहा - 'बाबूजी नहीं..पिताजी।' नेहा भी भावुक होकर राधेश्याम जी से लिपट गयी थी। दयाशंकर जी ऐसी बेटी पाकर गौरव की अनुभूति कर रहे थे।
नेहा अब राजी खुशी अपने ससुराल रवाना हो गयी थीं... पीछे छोड़ गयी थी आंसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आंखें, अपने पिता का वह आँगन जिस पर कल तक वह चहकती थी.. आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गई थी किसी दूर प्रदेश में.. और किसी पेड़ पर अपना घरौंदा बनाएगी।

यह कहानी लिखते वक्त मैं उस मूर्ख व्यक्ति के बारे में सोच रहा था जिसने बेटी को सर्वप्रथम 'पराया धन' की संज्ञा दी होगी। बेटी माँ बाप का अभिमान व अनमोल धन होता है, पराया धन नहीं। कभी हम शादी में जाये तो ध्यान रखें कि पनीर की सब्ज़ी बनाने में एक पिता ने कितना कुछ खोया होगा व कितना खोएगा... अपना आँगन उजाड़ कर दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं। खाने में कमियां न निकाले... । बेटी की शादी में बनने वाले पनीर, रोटी या रसमलाई पकने में उतना समय लगता है जितनी लड़की की उम्र होती है। यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं, पिता के अरमान व जीवन का सपना होता है। बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में स्वाद कही सपनों के कुचलने के बाद आता है व उन्हें पकने में सालों लगते है, बेटी की शादी में खाने की कद्र करें। अगर उपर्युक्त बातें आपको अच्छी लगे तो कृपया दूसरों से भी साझा करें.... एक कदम बेटियों के सम्मान के खातिर।
*एक अच्छी कविता, जो मनन योग्य है।*

जाने क्यूँ,
अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नहीं होते।
जाने क्यूँ,
अब मस्त मौला मिजाज नहीं होते।

पहले बता दिया करते थे,
दिल की बातें।
जाने क्यूँ,
अब चेहरे,
खुली किताब नहीं होते।

सुना है,
बिन कहे,
दिल की बात,
समझ लेते थे।
गले लगते ही,
दोस्त हालात,
समझ लेते थे।

तब ना फेस बुक था,
ना स्मार्ट फ़ोन,
ना ट्विटर अकाउंट,
एक चिट्टी से ही,
दिलों के जज्बात,
समझ लेते थे।

सोचता हूँ,
हम कहाँ से कहाँ आ गए,
व्यावहारिकता सोचते सोचते,
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से,
समस्या का समाधान,
कहाँ पूछता है,
अब बेटा बाप से,
उलझनों का निदान,
कहाँ पूछता है,
बेटी नहीं पूछती,
माँ से गृहस्थी के सलीके,
अब कौन गुरु के,
चरणों में बैठकर,
ज्ञान की परिभाषा सीखता है।

परियों की बातें,
अब किसे भाती है,
अपनों की याद,
अब किसे रुलाती है,
अब कौन,
गरीब को सखा बताता है,
अब कहाँ,
कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी में,
हम केवल व्यावहारिक हो गये हैं,
मशीन बन गए हैं हम सब,
इंसान जाने कहाँ खो गये हैं!

इंसान जाने कहां खो गये हैं....❤🌹
*पति*: सुबह सुबह क्या घिस रही हो, हाथ पैरों मे ⁉🤫🤨

*पत्नी* : ऐलोवेरा क्रीम है, इससे skin soft होती है 🥰 ☺

*पति* : कोई ऐसी क्रीम नहीं आती,
जिसको लगाने से स्वभाव भी थोड़ा soft हो जाये!!  😜 🤩

*पत्नी* : ढूंढ तो रही हूँ,
मिल जाये तो 1 पीपा भर के लाऊं, और उसमें थोड़े दिन तुम्हें डुबो के रखूं ।

😬🤪😍😝😝😝
*चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...*

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 *"चाय पियेंगे..?"*

तो हाँ कहकर
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी
दुखभरी  बातें..!!

 *चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!*
*बेटा : पापा, मेरा एक छोटा सा प्रश्न है*...
.
*पापा : बोलो बेटा*...?
.
*बेटा : पापा मैंने सुना है कि श्री राम आज तक इसलिये पूजे जाते हैं कि उन्होंने त्रेतायुग में अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था*...!
.
*और*
.
*भक्त प्रहलाद इसलिए पूजे गये क्योंकि उन्होंने द्वापर युग में अपने पिता की बात नहीं मानी थी*...!
.
*कृपया मुझे बताओ कि मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँ या नहीं*...?
.
*पापा :  प्रिय पुत्र, यह कलयुग है...! हम दोनों के लिए अच्छा यही होगा कि हम दोनों तेरी माँ की आज्ञा का पालन करें... वरना हम दोनों पूजे जायेंगे*...!
.
😂🤣😂😅😅😍👆🙏
*👉 हमेशा अच्छा करो*

🔷 एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।

🔶 एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"

🔷 दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा.. वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता - "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"

🔶 वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की-"कितना अजीब व्यक्ति है,एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"

🔷 एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली-"मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।"

🔶 और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।

🔷 हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..। इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।

🔶 हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।

🔷 ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..। वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।

🔶 जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।

🔷 लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"

🔶 जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..। उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

🔷 और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था-
जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा,और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।।

*" निष्कर्ष "*
*🔶 हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।*🙏🏼🌹
*जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला,*
*कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..*

*कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..*
*कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..*

*कुछ छोड़ कर चले गये..*
*कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..*

*कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..*
*कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..*

*कुछ मुझे मिल के भूल गये..*
*कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..*

*कुछ शायद अनजान हैं..*
*कुछ बहुत परेशान हैं..*

*कुछ को मेरा इंतजार हैं ..*
*कुछ का मुझे इंतजार है..*

*कुछ सही है*
*कुछ गलत भी है.*
*कोई गलती तो माफ कीजिये और*
*कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।*
तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
                                    *लोग है|*

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
                                    *लोग है|*

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
                                   *लोग है|*

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
                                    *लोग है|*

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
                                    *लोग है|*

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
                                    *लोग हैै।*

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
                                    *लोग है।*

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
                                    *लोग है|*

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
                                    *लोग हैै|..*
तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
                                    *लोग है|*

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
                                    *लोग है|*

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
                                   *लोग है|*

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
                                    *लोग है|*

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
                                    *लोग है|*

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
                                    *लोग हैै।*

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
                                    *लोग है।*

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
                                    *लोग है|*

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
                                    *लोग हैै|..*
*..बुढापा..*

*किसी ने द्वार खटखटाया*
*मैं लपककर आया*
*जैसे ही दरवाजा खोला*
*तो सामने बुढ़ापा खड़ा था*
*भीतर आने के लिए*
*जिद पर अड़ा था..*

*मैंने कहा -*
*"नहीं भाई!*
*अभी नहीं*
*अभी तो यह घर मेरा है..''*

*वह  हँसा और*
*बोला-*
 ...
*घर न तेरा है न मेरा है*
*चिड़िया रैन बसेरा है..'*

*मैंने कहा -*
*".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,*
*अभी तक*
 *अपने ही लिए जीया हूँ ..*
*अब अकल आई है*
*तो कुछ दिन*
*दूसरों के लिए भी जीने दे..''*

*बुढ़ापा बोला -*
*"अगर ऐसी बात है*
*तो चिंता मत कर..*
*उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी*
*मगर बुढ़ापा नहीं आएगा,*
*तू जब तक दूसरों के लिए जीएगा*
*खुद को जवान ही पाएगा..''*

*बढ़ती उम्र का लुत्फ़ उठाइये*

*जय हिंद*
ब्रेन-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) अर्थात दिमाग़ की नस का फटना।
मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?
एक पार्टी चल रही थी, एक महिला को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई, मगर उसने अपने आसपास के लोगों को यह कह कर आश्वस्त कर दिया कि -"सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी" ।
(यद्यपि आसपास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की...)
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई! ऐसा लग रहा था कि महिला थोड़ा अपने आप में सहज नहीं है! उस समय तो वह पूरी शाम पार्टी एन्जॉय करती रहीं, पर बाद में उसके पति का लोगों के पास फोन आया कि उसे अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने उसी शाम दम तोड़ दिया!!
दरअसल उस पार्टी के दौरान महिला को ब्रेन-हैमरेज हुआ था!
अगर वहाँ पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज वो महिला हमारे बीच जीवित होती..!!
माना कि ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज़ और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं!!
स्ट्रोक की पहचान-
बामुश्किल एक मिनट का समय लगेगा, आईए जानते हैं-
न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं-
अगर कोई व्यक्ति ब्रेन में स्ट्रोक लगने के, तीन घंटे के अंदर, अगर उनके पास पहुँच जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त (reverse) किया जा सकता है।
उनका मानना है कि सारी की सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान होकर, मरीज़ को जल्द से जल्द (यानि तीन घंटे के अंदर-अंदर) डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो सके, और बस दुःख इस बात का ही है कि अज्ञानतावश यह सब ही execute नहीं हो पाता है!!!
मस्तिष्क के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिए तीन अतिमहत्वपूर्ण बातें जिन्हें वे STR कहते हैं, सदैव ध्यान में रखनी चाहिए। अगर STR नामक ये तीन बातें हमें मालूम हों तो मरीज़ के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।
ये 3 बातें इस प्रकार हैं-
1) S = Smile अर्थात उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।
2) T = Talk यानि उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें, जैसे- 'आज मौसम बहुत अच्छा है' आदि।
और तीसरा...
3) R = Raise अर्थात उस व्यक्ति को उसके दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिए कहें।
अगर उस व्यक्ति को उपरोक्त तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुलाकर उसे न्यूरो-चिकित्सक के अस्पताल में शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह पहले से ही डाक्टर को इस बाबत खुलासा कर सके।
इनके अलावा स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है-
उस आदमी को अपनी जीभ बाहर निकालने को कहें। अगर उसकी जीभ सीधी बाहर नहीं आकर, एक तरफ़ मुड़ सी रही है, तो यह भी ब्रेन-स्ट्रोक का एक प्रमुख लक्षण है।
एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस मैसेज़ को पढ़ने वाला, इसे ज्यादा नही तो आगे, कम से कम अगर दस लोगों को भी भेजे, तो निश्चित तौर पर, कुछ न कुछ बेशकीमती "जानें" तो बचाई ही जा सकती हैं!!!
आवश्यक है कि इस जानकारी को अधिकतम शेयर करें।
जी हाँ मित्रों,
समय गूंगा नहीं, बस मौन है!!
ये तो वक्त ही बताता है, कि किसका कौन है??
🙏🌹🤝🌹🙏

Wednesday, August 28, 2019

वो भारत की अनपढ़ पीढ़ी

जो हम सबको बहुत डाँटती थी -
कहती थी

 “नल धीरे खोलो... पानी बदला लेता है!
अन्न नाली में न जाए, नाली का कीड़ा बनोगे!

          सुबह-सुबह तुलसी पर जल चढाओ,
          बरगद पूजो,
          पीपल पूजो,
         आँवला पूजो,

      मुंडेर पर चिड़िया के लिए पानी रखा कि नहीं?

     हरी सब्जी के छिलके गाय के लिए अलग बाल्टी में डालो।

  अरे कांच टूट गया है। उसे अलग रखना। कूड़े की बाल्टी में न डालना, कोई जानवर मुँह न मार दे।

      .. ये हरे छिलके कूड़े में किसने  डाले, कही भी जगह नहीं मिलेगी........

      यह पीढ़ी इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी पर पर्यावरण की चिंता करती थी, क्योंकि वह शास्त्रों की श्रुति परंपरा की शिष्य थी।
     
और हम चार किताबें पढ़ कर  उस पीढ़ी की आस्थाओं को कुचलते हुये धरती को विनाश की कगार पर ले आये।

             
और हम "आधुनिक" हो गये।🌹🍁
बहुत सुंदर
     दिल को छूने वाली लाईन


सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....😓

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....😭

खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...

कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....

पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..

दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....

.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....

और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....

हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा भगवान था...

चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....

जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....

तो हँस कर बोला....
"तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....
आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"

रो दिया मै.... अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....

जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन मे हर घडी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है....


तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....
कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....
एक दम नया
👌👌👌👌👌👌👌👌

अध्यापक:- रमेश बेटा घर की परिभाषा बताओ ?
रमेश:- सर जो घर हौंसलें से बनाये जाते हैं उसे "हाउस" कहते हैं।
जिन घरों में हवन होते हैं, उन्हें "होम" कहते हैं।
जिन घरों में हवा ज्यादा चलती है उन्हें *"हवेली"*कहते हैं।
जिन घरों में दीवारों के भी कान होते हैं उन्हें "मकान" कहते हैं।
                       और
जिन घरों के लोन की किश्त भरते-भरते आदमी लेट जाता है उन्हें "फ्लेैट" कहते हैं

                       और
जिन घरों में यह भी पता ना हो कि बगल के घर में कौन रहता है उन्हें "बंगला" कहते हैं।
अध्यापक अभी तक ICU में... 😇😇😇😇😇😇😇😇
*चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...*

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 *"चाय पियेंगे..?"*

तो हाँ कहकर
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी
दुखभरी  बातें..!!

 *चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!*
*ये औरतें भी न !*

*दो मिनट की आरामदायक और*
*बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़,*
*किचन में गर्मी में तप कर*
*हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं।*
*बच्चे मुँह बिचकाकर*
*नाराज़गी दिखलाते हैं सो अलग,*
*फिर भी बाज नहीं आतीं*
✨✨✨✨✨✨✨
*ये औरतें भी न,*

*जब किसी बात पे दिल दुखे ,*
*तो घर में अकेले में आँसुओं*
*की झड़ी लगा देंगीं ।*
*लेकिन बाहर अपनी सहेलियों के*
*सामने तो ऐसे मुस्कुरायेंगीं,*
*जैसे उनके जितना*
*सुखी कोई नहीं।*

🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀
*ये औरतें भी न,*

*जब कभी लड़ लेंगी पति से,*
*तो सोच लेंगी अब मुझे*
*तुमसे कोई मतलब नहीं।*
*लेकिन शाम में जब घर आने में*
*पति महाशय को देर हो जाये,*
*तो घड़ी पे टक-टकी*
*लगाए रहेगी।*
*और बच्चों से बोलेंगी,*
*"फोन कर के पापा से पूछो*
*आये क्यों नहीं अभी तक?"*
👩‍💼👸👩‍💼👸👩‍💼👸👩‍💼

*अरे यार! ये औरतें भी न,*

*तिनका तिनका जोड़कर*
*अपने आशियाने को बनाती*
*और सजाती हैं,*
*चलती और ढलती रहतीं*
*है सबके अनुसार।*
*लेकिन कभी एक कदम भी*
*बढ़ा ले अपने अनुसार,*
*तो "यहाँ ऐसे नहीं चलेगा*
*जाओ अपने घर(मायका)*
*ये सब वहीं करना।"*
*सुनके रो रोकर*
*सोचती रहतीं हैं,*
*अब मैं इस घर में नहीं रहूँगी।*
*रात भर आँसुओं से*
*तकिया गीला कर,*
*उल्लू की तरह*
*आँखें सुजा लेती हैं।*
*अगले दिन फिर से*
*सुबह उठकर*
*तैयार करने लगतीं हैं,*
*बच्चों के टिफिन और*
*सबके लिए नाश्ता।*
*बदलने लगतीं हैं*
*ड्राइंग रूम के कुशन कवर,*
*और फिर से सींचने लगतीं हैं*
*अपने लगाए पौधों को।*
*सच में एकदम पागल हैं*
*सोचतीं कुछ हैं और*
*करतीं कुछ!*
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
 *ये औरतें भी न !!!*

😏😞😒

*काश कि सभी  "तथाकथित समझदार  लोग" औरतों के उस पागलपन की कद्र करें जिसकी वजह से हमारे मकानों को दुनिया घर कहती है।*

*नारी तुम्हें शत् शत् नमन्*
🙏
कॉलेज मे एक लडका एक लडकी से प्रेम करता है....
वो उसको प्रेमपत्र लिखता है ....

"अगर तुम्हे मूझसे प्रेम है,  तो कल ​*लाल* रंग का ड्रेस पहन के आना.."​

वो प्रेमपत्र वह एक पुस्तक मे रखकर  वो पुस्तक उसको देता है....

दुसरे  दिन वो *पीले* रंग का ड्रेस पहनकर आती हैं और उसे उसका पुस्तक वापस करती है....
ये देखकर उस लडके का मन खट्टा हो जाता है...
वो उदास रहने लगता है....

कालांतर मे उस लडकी का विवाह  हो जाता है....
.
.
.
.
.
.
.
कुछ  वर्ष के बाद......

उस लडकी ने वापस की हुई  उसकी "वो" पुस्तक घर का कचरा साफ करते समय उसके हाथ से नीचे गिर जाती है ...

और ...

उसमे से एक चिठ्ठी बाहर गिरती है ...

उस चिठ्ठी मे लिखा था ...

​​" मुझे भी  तुम पसंद हो ❤...
मेरे घरवालो से आकर मिलो...
अगर घर वाले  न माने तो भी मै तुमसे ही शादी करूंगी....और हां ... *मै एक गरीब लडकी हूँ  ......*
मेरे पास *लाल* रंग का ड्रेस नही है...
SORRY...!!! 🙏🏼

ये पढकर लडके ने अपना सर पीट लिया....

*तात्पर्य* : ​ ​वर्ष मे कम से कम  *"एक बार "* कोर्स की पुस्तक​ ​खोल कर जरूर देखे .....

😃😃😂😂

*नोट* -  अब आप अपनी सारी पुरानी किताबे  छानने मत बैठ जाना...........

आपका समय कब का निकल चुका है...
अब बच्चों की पढाई पर ध्यान दीजिये...

😂😂 🤣🤣
😂😂😂
आधी रात को गली में जोर जोर से शोर शराबा सुनकर पति की आंख खुल गई 😗

उसने घर के बाहर निकल कर लोगों से पूछा हुआ क्या है :- ?
*कुछ लोगों ने उससे कहा :- सावधान रहना पानी में जहर है !!

यह सुनकर पति फटाफट वापस घर आया....

पत्नी ने पूछा :- इतना शोर शराबा इतनी आवाज गली में किस बात की है ?  हुआ क्या है ?

पति :- कुछ नहीं हुआ .... फालतु लोग हैं , तू पानी पी के चुपचाप सो जा ..

😂😂🤣🤣😂🤣😂🤣😂🤣
😀पत्नी : अगर मैं अचानक मर गई तो तुम क्या दूसरी शादी करोगे?

पति : नो डार्लिंग, ऐसा तो मैं सोच भी नहीं सकता!!!😀😀

पत्नी : क्यों, नहीं क्यों ? अरे आपके अच्छे बुरे पलों को बांटने के लिए कोई तो साथी चाहिए!!!
😀😀
प्लीज शादी कर लेना डार्लिंग!!!

पति : ओह माय शोना.. मरने के बाद की भी मेरी इतनी फ़िक्र???😀😀

पत्नी : तो प्रोमिस ? आप दूसरी शादी कर लोगे ना ?

पति : ओके बाबा, लेकिन सिर्फ तुम्हारी खातिर करूँगा !!!
😀😀
पत्नी : तुम अपनी नई पत्नी को इस घर में रखोगे ना ?

पति : हाँ, लेकिन उसे तुम्हारा कमरा कभी यूज़ नहीं करने दूंगा।😀😀

पत्नी : उसे अपनी कार चलाने दोगे ?

पति : नो, नेवर,,, उस कार को तो तुम्हारी यादगार बना के रखूंगा।
उसको दूसरी कार दिला दूंगा !!!
😀😀
पत्नी : और मेरे ज़ेवर …?

पति : वो उसे कैसे दे सकता हूँ। उनसे तुम्हारी यादें जुड़ीं होंगी। वो
अपने लिए नई ज्वेलरी मांगेगी ना !!!
😀😀
पत्नी : वो मेरी जींस पहनेगी तो ?

पति : नहीं उसका नंबर 30 है और तुम्हारा 34 !!!
😀😀
चुप्पी छा गई…

पति : ओ शिट…😀😀

पति का अंतिम संस्कार कल 10 बजे है!!!
*फिर घमंड कैसा*
 
एक माचिस की तीली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे,
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
      *आदमी की औकात !!!!*

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया,
अपनी सारी ज़िन्दगी,
परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट,
तो कहीं फुसफुसाहट....
अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात.....
बस इतनी-सी है
       *आदमी की औकात!!!!*

मरने के बाद नीचे देखा,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे.....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।

नहीं रहा........चला गया.....
चार दिन करेंगे बात.....
बस इतनी-सी है
     *आदमी की औकात!!!!!*

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा,
सामने अगरबत्ती जलायेगा,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी....
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में कोई उस तस्वीर पे,
जाले भी नही करेगा साफ़....
बस इतनी-सी है
    *आदमी की औकात !!!!!!*

जिन्दगी भर,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया....
कोई न देगा साथ.....
जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका ले जाने की भी,
है हमारी औकात ???

*ये है हमारी औकात....!!!*

*जाने कौन सी शोहरत पर,*
*आदमी को नाज है!*

*जो आखरी सफर के लिए भी,*
*औरों का मोहताज है!!!*

 *फिर घमंड कैसा ?*
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
*बस इतनी सी हैं*
              *हमारी औकात*
                     ........✍🏻
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

रेल की पटरी की तरह हैं हम दोनों
ताकते रहते हैं एक दूसरे को दूर से ही
क्या कभी मिल न पाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

लोग रिश्ता निभाते हैं, लोग रस्म निभाते हैं
लोग बंधन भी निभाते हैं, लोग मजबूरी भी निभाते हैं
क्या सिर्फ जुदाई ही निभाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

जोड़ियां बनती हैं लोगों को पता चलता है
ये एक दायरा है जो सबको निभाना पड़ता है
जो अपने दरमियाँ है किसको बताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मैं एक दिन तुमसे पूरा जुदा हो जाऊं शायद
तुम एक दिन मुझसे पूरी जुदा हो जाओ शायद
कभी सोचा है, ज़िन्दगी कैसे बिताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मंज़िलें एक होतीं हैं जब दो जिस्म एक होते हैं
मंज़िलें भी मिल जातीं हैं और रास्ते भी खत्म होते हैं
क्या अपनी अपनी मंज़िलों में ही समायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

एक मौका मैंने गंवा दिया था एक दिन
एक मौका तुम भी गंवा रही हो शायद
और कितने मौके गंवाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

ज़िन्दगी के हर बोल मेरे पास हैं
ज़िन्दगी के हर सुर तुम्हारे पास हैं
बोलो गीत किस दिन ज़िन्दगी का गाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारी आधी जान मैं हूँ
मुझे भी पता है मेरी आधी जान तुम हो
क्या एक दूसरे को बस आईना ही दिखाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

झूठा मुस्कुराती हो तुम मैं जान गया हूँ
झूठा मुस्कुराता हूँ मैं ये जान गई हो तुम
क्या ता उम्र झूठा ही मुस्कुरायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारा आधा किस्सा हूँ मैं
मुझे भी पता मेरा आधा किस्सा हो तुम
क्या आधा आधा ही किस्सा सुनाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

सारांश....⚘⚘
हाथों में थी मेहंदी और सर पे था घूंघट
किसी की तरफ कदम बढ़ाए जा रही थी
सात फेरों के हर उस वचन में वो हर पल
किसी के साथ को भुलाए जा रही थी

वरमाला थी डाली उसने जब उसको
क्या पता उसने किया था याद किसको
उसपर जब उसने वरमाला थी डाली
वो कैसे भी कर के मुस्कुराए जा रही थी

इक नाम लिख गया था हाथों पे उसके
इक नाम मिट गया था साँसों से उसके
फिर भी ये उसकी ही हिम्मत थी जो कि
लकीरों पे उसको रचाये जा रही थी

आई  जो  बारी  फेरों  की  उस  दिन
निकली वो अपने अंधेरों से उस दिन
दिल  पे  था पत्थर पर पीछे न देखा
कदम नए सफर पर उठाये जा रही थी

हुई  विदा  जब  नए  घर  में  आई
उसने  पुरानी  कहानी  मिटाई
भुला कर के उसने था सब कुछ मिटाया
वो घर को नया घर बनाये जा रही थी

था अगले जन्म का वचन मेरा उससे
नहीं हटा पाया मैं मन मेरा उससे
मगर वो बंधी थी तो फिर खुल न पाई
वो मेरे वचन को मिटाए जा रही थी

सारांश....⚘⚘
*उम्र*

मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,
जब भी यह सवाल कोई पूछता है
मैं सोच में पड़ जाती हूँ,

बात यह नहीं, कि मैं,
उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,
बात तो यह है, की,
मैं हर उम्र के पड़ाव को,
फिर से जीना चाहती हूँ,
इसलिए जबाब नहीं दे पाती हूँ,

मेरे हिसाब से तो उम्र,
बस एक संख्या ही है,

जब मैं बच्चो के साथ बैठ,
कार्टून फिल्म देखती हूँ,
उन्ही की, हम उम्र हो जाती हूँ,
उन्ही की तरह खुश होती हूँ,
मैं भी तब सात-आठ साल की होती हूँ,
और जब गाने की धुन में पैर थिरकाती हूँ,
तब मैं किशोरी बन जाती हूँ,
जब बड़ो के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,
उनकी ही तरह, सोचने लगती हूँ,
दरअसल मैं एकसाथ,
हर उम्र को जीना चाहती हूँ,

इसमें गलत ही क्या है?
क्या कभी किसी ने,
सूरज की रौशनी,
या
चाँद की चांदनी से उम्र पूछी?
या फिर खल खल करती,
बहती नदी की धारा से उम्र ??
फिर मुझसे ही क्यों ?

बदलते रहना प्रकृति का नियम है,
मैं भी अपने आप को,
समय के साथ बदल रही हूँ,
आज के हिसाब से,
ढलने की कोशिश कर रही हूँ,

कितने साल की हो गयी मैं,
यह सोच कर क्या करना?
कितनी उम्र और बची है,
उसको जी भर जीना चाहती हूँ,

एकदिन सब को यहाँ से विदा लेना है,
वह पल, किसी के भी जीवन में,
कभी भी आ सकता है,

फिर क्यों न हम,
हर पल को मुठ्ठी में, भर के जी ले,
हर उम्र को फिर से, एक बार जी ले..
🤦🏻‍♂

      *चूहा अगर पत्थर का हो तो*
             *सब उसे पूजते हैं*

      *मगर जिन्दा हो तो मारे बिना*
              *चैन नहीं लेते हैं*

         *साँप अगर पत्थर का हो*
            *तो सब उसे पूजते हैं*

       *मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त*
                   *मार देते हैं*

       *माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो*
               *तो सब पूजते हैं*

       *मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं*
                    *समझते"*

       *बस यही समझ नहीं आता के*
       *ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों*

                       *और*

        *पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों*

          *जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को*
           *कंधा देना पुण्य समझते हैं​*

       *काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान*
       *को सहारा देंना पुण्य  समझने*
        *लगे तो ज़िन्दगी आसान हो*
                    *जायेगी​*

        *एक बार जरूर सोचिए*

               
   

                        🙏🏻
एक सरकारी कर्मचारी की तपस्या से प्रसन्न होकर उपर वाले ने उसे दर्शन दिए और बोले, "मांगो वत्स, क्या चाहिए..?"

कर्मचारी के मुंह खोलने के पहले ही भगवान टोकते हुए बोले -

"वत्स, 4 चीजें छोड़कर ही मांगना..."

1. Home town में Posting
2. प्रमोशन
3. वेतन विसंगति और
4. छुट्टी..

अब मांगो क्या चाहिए..? ?

कर्मचारी (अपना बैग उठाते हुए) : बस प्रभु, आपने दर्शन दिया उसके लिए धन्यवाद

मुझे ड्यूटी पर जाना है.......

बेवजह लेट हो गया आपके चक्कर में... #😄  😃
😌😁😌😁😌😁😌😁😌😁😌😁😌

पत्नी : अगर मैं अचानक मर गई तो तुम क्या दूसरी शादी करोगे?😌😌

पति : नो डार्लिंग, ऐसा तो मैं सोच भी नहीं सकता!!!😀😀

पत्नी : क्यों, नहीं क्यों ? अरे आपके अच्छे बुरे पलों को बांटने के लिए कोई तो साथी चाहिए!!!😌😌
प्लीज शादी कर लेना डार्लिंग!!!😇

पति : ओह माय शोना.. मरने के बाद की भी मेरी इतनी फ़िक्र???😀😀

पत्नी : तो प्रोमिस ? आप दूसरी शादी कर लोगे ना ?😌😌

पति : ओके बाबा, लेकिन सिर्फ तुम्हारी खातिर करूँगा !!!😀😀

पत्नी : तुम अपनी नई पत्नी को इस घर में रखोगे ना ?😌😌

पति : हाँ, लेकिन उसे तुम्हारा कमरा कभी यूज़ नहीं करने दूंगा।😀😀

पत्नी : उसे अपनी कार चलाने दोगे ?😌😌

पति : नो, नेवर,,, उस कार को तो तुम्हारी यादगार बना के रखूंगा।
उसको दूसरी कार दिला दूंगा !!!😀😀

पत्नी : और मेरे ज़ेवर …?😌😌

पति : वो उसे कैसे दे सकता हूँ।
उनसे तुम्हारी यादें जुड़ीं होंगी।
वो अपने लिए नई ज्वेलरी मांगेगी ना !!! 😀😀

पत्नी : वो मेरी जींस पहनेगी तो ?😌😌

पति : नहीं उसका नंबर 30 है और तुम्हारा 34 !!! 😀😀

चुप्पी छा गई…🤫🤭🤔

😀😌😀😌

पति का अंतिम संस्कार कल 10 बजे है!!!

😌😁😁😁😁😁😌😁😁😁😁😁😌
सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!
काफी दिनों तक  दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार उस ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति हो
👉 उसके सामने ही अमृत जल बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक बुढा व्यक्ती जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला,  रुक जा, यह भूल मत करना...!'

बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह बुढा !

सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’

बुढे ने उत्तर दिया, ..मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने भी यह अमृत पी लिया !
 अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... ! देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पैर गल गए हैं, मेरा शरीर जर्जर हो गया है।
 देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीखरहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !
 अब प्रार्थना कर रहा हूँ  परमात्मा से कि प्रभु मुझे मौत दे !

 सिकंदर  चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !

 सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द ✨उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं!

इसलिए जितना भी हो सके अपने स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये !
और जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिये !
❣🥀 हमेशा खुश रहिये ?❣🥀

दुनियां में सिकंदर कोई नहीं, वक्त ही सिकंदर है..

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤A Very Beautiful Msg ❤

             💖 *मिठास* 💖
             〰〰〰〰

        चाय का कप लेकर आप
        खिड़की के पास बैठे हों
    और बाहर के सुंदर नज़ारे का
आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं
.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..;

  और तभी फिर से किचन मेँ जाकर
   चीनी डालने का आलस आ गया....
    आज फीकी चाय को जैसे तैसे
      पी गए,कप खाली कर दिया

     तभी आपकी नज़र कप के तल
      में पड़ी बिना घुली चीनी पर
                पडती है..!!
  मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड
    गये...चम्मच होता तो मिला लेता

   हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है...
       सुख ही सुख बिखरा पड़ा है
            हमारे आस पास...
                    लेकिन,
     बिन घुली उस चीनी की तरह !!

           थोड़ा सा ध्यान दें-
 किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही
   हक से रूठना भी आना चाहिए !
       अपनो की आँख का पानी
     धीरे से पोंछना आना चाहिए !
     रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा
              मान अपमान ?
      बस अपनों के दिल मे रहना
             आना चाहिए...!❤

 जितना हो सके....
"सरल" बनने की कोशिश करें...
"स्मार्ट" नही,

क्योंकि....हमें "ईश्वर" ने बनाया है...
"SAMSUNG" ने नही......
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏कृप्या समय निकाल कर पढ़े बहुत ही अच्छी ज्ञानवर्धक पोस्ट है🙏
           

             *रात्रि 11 से 3 के दौरान आपके रक्त संचरण का अधिक भाग लीवर की ओर केन्द्रित होता है | जब लीवर अधिक खून प्राप्त करता है तब उसका आकार बढ़ जाता है | यह महत्त्वपूर्ण समय होता है जब आपका शरीर विष हरण की प्रक्रिया से गुजरता है | आपका लीवर, शरीर द्वारा दिन भर में एकत्रित विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करता है और खत्म भी करता है |*



*💁🏻‍♀ यदि आप 11बजे सो जाते हैं तो आपके पास अपने शरीर को विषमुक्त करने के लिए पूरे चार घण्टे होते हैं |*
*यदि 12 बजे सोते हैं तो 3 घण्टे |*

*💁🏻‍♀ यदि 1बजे सोते हैं  तो 2 घण्टे |*

*💁🏻‍♀ यदि 2 बजे सोते हैं तो केवल एक ही घण्टा विषाक्त पदार्थों की सफाई के लिए मिलता है |*

*💁🏻‍♀ अगर आप 3 बजे के बाद सोते हैं ? दुर्भाग्य से आपके पास शरीर को विषमुक्त करने के लिए कोई समय नहीं बचा | यदि आप इसी तरह से सोना जारी रखते हैं, समय के साथ ये विषाक्त पदार्थ आपके शरीर में जमा होने लगते हैं |*


*💁🏻‍♀ क्या आप कभी देर तक जागे हैं? क्या आपने महसूस किया है कि अगले दिन आपको बहुत थकान होती है, चाहे आप कितने भी घण्टे सो लें ?*

*💁🏻‍♀ शरीर को विषमुक्त करने का पूरा समय न देकर आप शरीर की कई महत्त्वपूर्ण क्रियाओं से भी चूक जाते हैं |*


*💁🏻‍♀ प्रात: 3 से 5 के बीच  रक्त संचरण का केन्द्र आपके लंग्स होते हैं |*
*👉🏻 इस समय आपको ताज़ी हवा में साँस लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए | अपने शरीर में अच्छी ऊर्जा भर लेनी चाहिए, किसी उद्यान में बेहतर होगा | इस समय हवा एकदम ताज़ी और लाभप्रद अयनों से भरपूर होती है |*


*💁🏻‍♀ प्रात: 5 से 7 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपकी बड़ी आँत की ओर होता है | आपको इस समय शौच करना चाहिए | अपनी बड़ी आँत से सारा अनचाहा मल बाहर कर देना चाहिए | अपने शरीर को दिन भर ग्रहण किए जाने वाले पोषक तत्वों के लिए तैयार करें |*



*💁🏻‍♀ सुबह 7 से 9 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपका पेट या अमाशय होता है | इस समय आपको नाश्ता करना चाहिए | यह दिन का सबसे जरूरी आहार है | ध्यान रखें कि इसमें सारे आवश्यक पोषक तत्त्व हों | सुबह नाश्ता न करना भविष्य में कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बनता है |*

*👉🏻 तो आपके पास अपने दिन की शुरुआत करने का आदर्श तरीका आ गया है l अपने शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी का अनुसरण करते ~ अपनी प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करें |*
  *🙏🏼स्वस्थ रहें, व्यस्त रहें, मस्त रहें।🙏🏼*नमः शिवाय. 🙏 🙏 🙏
##बायें करवट सोने से अनेकों स्वास्थ्य लाभ##
          (स्वामी पुण्यदेव,पतंजलि हरिद्वार)
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वैज्ञानिको ने भी माना बाएं ओर करवट ले कर सोने से होते है ये अधभुत लाभ ( left side sleeping )
इंसान का एक ही करवट में रातभर लेटे रहना नामुमकिन है, आप को जिस भी करवट आराम मिलता है उस ओर सो सकते हैं. बाएं ओर करवट लेट कर सोने से कई बीमारियां, दिल का रोग, पेट संबन्‍धित खराबी, थकान, पेट का फूलना और अन्‍य शारीरिक समस्‍याएं हल हो सकती हैं. ( left side sleeping )

आपने कभी सोचा हैं कि अक्सर हमारे बाएं ओर के पैर, बाएं ओर के कंधे, बाएं ओर के पेट में ही क्यों दर्द होता हैं। हमारी बॉडी क्यों हमेशा बायां हिस्सा ही चुनती हैं ? आप ये सुन कर हैरान हो जाएंगी कि आयुर्वेद के अनुसार हमारी लेफ्ट और राइट साइड की बॉडी बिल्कुल अलग हैं। आयुर्वेद के अनुसार हमें लेफ्ट साइड सोना  चाहिए ( left side sleeping )। हम अक्सर अपने कम्फर्ट के अनुसार सोते हैं पर आपको बाएं ओर करवट लेकर सोना चाहिए  ( left side sleeping ) क्योंकि ये हमारी स्वास्थ के लिए अच्छा होता हैं।

प्रेगनेंट महिलाओं को भी बाएं ओर सोने की सलाह दी जाती हैं, दाएं ओर सोने से कुछ नुकसान नहीं होता हैं पर बाएं ओर सोने के फायदे बहुत होते हैं। लेकिन सोते वक्त हमें होश नहीं रहता कि हम किस पोजीशन में हैं, इसके लिए आप कोशिश करें कि आप लेफ्ट साइड पर तकिया पकड़कर सोएं। इससे हमें कई पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगी और दिमाग सुचारू रूप से चलेगा। लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि हार्ट के मरीजों को राइट साइड करवट लेकर सोना चाहिए क्योंकि ये आपका ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट कम कर देता हैं।

घातक बीमारियां होती हैं दूर  ( left side sleeping )
बाएं ओर करवट लेने से शरीर में जमा टॉक्‍सिन धीरे धीरे लसीका तंत्र दृारा निकल जाता है. इसलिये खाना हज्म हो जाये इसके लिये मुनासिब ये है कि बायीं करवट सोया जाये ताकि लीवर और हाजमे के सिस्टम पर कोई दबाव न पड़े और वह अपना काम आसानी से कर ले.  ( left side sleeping )

लीवर और किडनियां अच्‍छे से काम करती हैं  ( left side sleeping )
हमारे शरीर से गंदगी निकालने का सबसे ज्‍यादा कार्य लीवर और किडनियों का ही है. इसलिये सोते समय इन पर ज्‍यादा प्रेशर नहीं डालना चाहिये.  ( left side sleeping )

पाचन सुधारे  ( left side sleeping )
बाएं ओर सोने से पेट और अग्न्याशय अपना काम जो कि खाना पचाने का कार्य है, उसको आराम से करने लगते हैं. अग्न्याशय से एंजाइम सही समय पर निकलना शुरु होता है. खाया गया भोजन भी आराम से पेट के जरिये नीचे पहुंचता है और आराम से खाना हज़म हो जाता है. जिन लोगों का हाज्मा गड़बड़ रहता है और बदहजमी की शिकायत रहती है, उन्हें डाक्टर बायीं करवट लेटने की सलाह देते हैं.  ( left side sleeping )

सुबह पेट आराम से साफ होता है  ( left side sleeping )
बाएं ओर सोने की वजह से ग्रेविटी, भोजन को छोटी आंत से बड़ी आंत तक आराम से पहुंचाने में मदद करती है. इस वजह से सुबह के समय आपका पेट आराम से साफ होगा.  ( left side sleeping )

बाएं ओर सोने की वजह से ग्रेविटी, भोजन को छोटी इंटेस्टाइन से बड़ी इंटेस्टाइन तक आराम से पहुंचाने में मदद करती हैं। जिसके कारण आपका पेट सुबह आसानी से साफ हो जाता हैं। सिर्फ यही नहीं बाएं ओर सोने से आपको डरावने सपने भी नहीं आते।  ( left side sleeping )
पत्नी :- एक बात बताऊं, नाराज तो नहीं होंगे..?😎
पति :- नहीं, बताओ..?
पत्नी(डरते-डरते) :- मेरी वो हीरे की "अंगूठी" खो गई है जो आपने मेरे जन्मदिन पर दी थी....😎
पति :- एक शर्त पर माफ कर सकता हूं...😂
पत्नी :- कौन-सी शर्त...?😎
पति :- आगे से तुम मेरी जेब में हाथ नहीं डालोगी....😎
तुम्हारी अंगूठी मेरी जेब से मिली है 😂😂
*पति* : मैं बहुत थक गया हूँ, ज़रा चाय बना दो न ।

*पत्नी* : अभी बनातीं हूँ , उसमें अदरक डालूँ क्या ? सर्दी पड़ रही है थोड़ी सी 😢

*पति* : हाँ।

*पत्नी* : तुलसी का पत्ता भी डालूँ क्या ? बरसाती वायरस से बचाती है ?

*पति* : हाँ ठीक है , डाल दे ।

*पत्नी* : चाय मसाला डालूँ क्या ? टेस्ट आ जायेगा ?

*पति* : चलेगा।

*पत्नी* : पुदीना भी डाल दूँ ? आपका पेट खराब नहीं होगा ?

*पति* : एक काम कर राई , जीरा , हींग , हल्दी, सरसौं , गरम मसाला , लहसुन .....सब डाल दे,
उसमें तड़का लगा दे, ऐसी की तेसी कर दे चाय की..

और

*मेरे मुंह में कुप्पी लगा के ठूंस भी दे*,

पता नहीं कौन से कॉलेज की होम साइंस की पुतलीबाई...टिका दी ससुर जी ने ! 👻😜👻😜
गुरु :   चाणक्य ने कहा था..
आपको एक ही दुश्मन से बार-बार युद्ध नही लड़ना चाहिए वरना आप अपने तमाम 'युद्ध कौशल' उसे सिखा देंगे।
 पति पत्नी के संबंधो में भी यही होता है। दोनों योद्धा जिन्दगी भर लड़ते-लड़ते एक दुसरे के वारों से इतना परिचित हो जाते हैं कि युद्ध जिन्दगी भर चलता रहता है पर हल कुछ निकलता नही।

शिष्य :  तो फिर गुरुजी, क्या करना चाहिए?

गुरु :  दुश्मन बदलते रहना  चाहिये।
😜😜😜😜😜😜😜😜

Monday, May 27, 2019

*जोक्स की दुकान*

😂😂😂😂😂
एक चोर - चोरी कर के,
घर से जा ही रहा था
 की.....

बच्चे की आँख खुल गयी...
और बच्चा बोला :

स्कूल बैग भी ले जा कमीनें,
वरना शोर मचा दूँगा..

....??😀😀
😜😜😜😜😜😜
__________________________________

👨पापा – “बेटा, आज
तेरी मम्मी इतनी चुप-चुप क्यों बैठी है ?”
👦बेटा – “मेरी गलती से
👨पापा – “नालायक,
ऐसा क्या किया तूने ?”
👦बेटा – “मम्मी ने लिपस्टिक
मांगी थी … मैंने गलती से ‘फेवीकिक दे
दी !!!”
👨पापा – “जुग-जुग जियो मेरे लाल …
भगवान ऐसा बेटा सबको दे😝😜
____________________________________

पप्पू कार धो रहा था
तभी पास से आण्टी गुजरी आैर पूछा" कार धो रहे हो "...😁😁
" नही पानी दे रहा हूं, शायद बडी होकर बस बन जाए...
            *आण्टी बेहोश*😝😝
____________________________________

मैंने ज़िन्दगी में जितना भी सफर
किया है
उससे मुझे एक बात का अनुभव हुआ है
*
*
कि ट्रेन कभी पंचर नहीं होती😂😂😂😂
____________________________________

कितना रोया था वो लड़का महबूबा को मोबाइल गिफ्ट करके...

जब रात 3 बजे तक वो सुनता रहा.. आप के द्वारा डायल नम्बर दूसरी लाइन पर व्यस्त है ✋ 😝 ✋ 😝
____________________________________

लड़का : कल से हम कही और मिलेंगे ।😘
लड़की : 😕क्यों ?
लड़का : बड़े ज़ालिम है तेरी गली के बच्चे..😐
लड़की : क्यों क्या हुआ ?
लड़का : कुत्ते पीछे लगा कर कहते है
"जब प्यार किया तो डरना क्या.. "😃😂😜
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अध्यापिका- एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर पानी नही रहेगा। सब जीव नष्ट हो जाएंगे।
पृथ्वी तबाह हो जाएगी।
.
.
पप्पु - मैडम जी,
उस दिन ट्यूशन आना है क्या? 😆😆😆😆
_________________________________
😝
पत्नी चांदनी रात में अपने पति के
साथ लेटी थी 😍

पत्नी – जानू तुम्हें मुझमें क्या अच्छा लगता है...? 😊

पति – मुझे तुमसे जुडी हर चीज़ अच्छी लगती है डार्लिंग...😉
पत्नी – जैसे कि बताओ ना...?😊😍

पति –
जैसे तुम्हारी छोटी बहन प्रिया...😋😍
तुम्हारी मौसी की लड़की शालू...😜😜
तुम्हारी मामी की लड़की शीतल।.😄😄
तुम्हारी बुआ की लड़की नेहा..😂😂
तुम्हारे पडोसी की बेटी ममता...😁😁
तुम्हारी सहेली पिंकी...😋

पति के दोनों घुटनों और जबडे का इलाज चल रहा है 👊👋
😂😂😂😂😂
___________________________________
लाइफ मे पैसा,💵
प्यार 💞. . . . . . . .,
दोस्त👬 . . . . . . . . ,
सब आते है पर,
टूटे हुए 😬दाँत नही आते,
मेसेज किया करो वरना,
कसम से 😄😄हँसते हुए बहुत शरमाओगे.
👊🏻👊🏻😛😛😛
💢जन्म कुंडली में “राहु ग्रह” के बारह भावों के फल के बारे में जानिए…💢*

*🚩ज्योतिष चर्चा: राहु के बारह भावों के फल..🚩*

१- राहु लग्न में बैठने पर प्रारम्भ में अच्छे बाल किन्तु मध्यांतर काल में केश हानि, सुन्दर अंगो वाला और पिता की ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ संतान होती है | पिता का प्रिय होता है | दुर्बल जंघा( पैरो की बीमारी,पोलियो, चोट) और रोगी बालयकाल वाला होता है | माता रोगणी होती है और दुबली, पतली, या सांवली होती है | और परिश्रम करने में श्रेष्ठ होती है | जातक स्वल्पहारी होता है| अधिक मित्रों वाला क्षण भर में रुष्ट और क्षण भर में संतुष्ट स्वाभाव वाला तथा सुदर्शन होगा |

२-संपत्ति के घर में राहु होने से जातक धनागमन के बारे में ही सोचता रहता है | खट्टा, चटपटा का प्रेमी होता है व् झूठ बोलता है | उसके शत्रु छुपे हुए होते है | रोग पकड़ में नहीं आते है| पत्नी शिकायत करने वाली, आवाज कर्कश होती है | उन्मुक्त की चाल होती है | जो लक्ष्मी आती है वह चली जाती है | मूत्र के रोग (प्रोस्टेट पथरी) की वजह से आयु कम हो जाती है | अपनी आयु से कम आयु के दिखाई पड़ते है |

३-तृतीय भाव में राहु होने से जातक धनागमन के बारे में ही सोचता रहता है | बल और बाहुबल होता है | भाइयों की संपत्ति का उपभोग करता है | कान के रोग होते है | वर्ण उत्तम होता है| अधिक मीठा और अधिक कड़वा बोलने वाला, अधिक धनार्जन में संलग्नसुन्दर स्त्री या वास्तु पर पक्षी की भांति मंडराता है| पत्नी से डरता है | बातचीत से दूसरों को शीघ्र प्रभावित करने वाला होता है |

४-चौथे भाव में छींक के मालिक राहु बैठने पर पेट में गैस के कारण छींक बहुत आती है | पेट में कोलायटिश रोग होता है | ४४ वर्ष के बाद भूमि-भवन, यश, धन, सम्मान प्राप्त होता है | परिश्रम अधिक करना पड़ेगा |

५-पंचम भाव में राहु के होने से वह किसी भी व्यक्ति पर विश्वास नहीं करता उसके मस्तिष्क पर अनापेक्षित और चिंतनीय विचार बिना बुलाये ही आते रहते है | ऐसे व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए | इस पर विश्वास करना विषपान के सामान है | ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं करता है | व्यान और आपन रोगी होता है |

६-ऋण स्थान में देवताओ के शत्रु राहु के होने से 50 वर्षो तक शत्रुओ का धनहरण करने पर भी धनाभाव रहता है| ऐसा जातक १०० वर्ष जीने की आकांक्षा रखता है | अत्यंत धनवान होता है | ऎसे व्यक्ति को ह्रदय रोग,जिह्वा के रोग और घुटने के रोग होते है | ऐसा व्यक्ति सुन्दर वस्तु को घूर घूर कर देखता है | इसकी हीलिंग पवार अच्छी होती है| भोजन अधिक करता है, बहुत बोलता है, शक्ति और सत्ता का प्यासा होता है |

७ – सप्तम भाव में राहु के होने से जातक अत्यंत अहंकारी और हिंसक होता है| अत्यंत बुद्धि विवेक वाला, सुन्दर नेत्रों वाला, तथा सुंदरियों के प्रति सौंदर्य अपराध करने वाला, सुन्दर पत्नी का पति, कारागृहपेक्षी, वंश में कलंक लगाने वाला तथा परिवार के लिए मधु से सनी हुई सोने की कैची जो गले में स्थित होती है उस प्रकार होगा| अर्थात परिवार वाले उसे छोड़ नहीं सकेंगे |

८ – रन्ध्र भाव में राहु के होने से जातक को अपनी मृत्यु दिखाई देती है | रूढ़िवादी रहेगा, पुरानी परम्पराओ को भूलेगा नहीं | जातक को अपना भविष्य अँधेरे में भी दिखाई देगा | ऐसा व्यक्ति धूल से भी चांदी बनाएगा | अर्थात धूल भी छुएगा तो चांदी हो जायेगा| पूर्वज प्रसन्न रहेंगे, स्थिरता रहेगी | कोलाइटिस अवश्य होगी | धूम्रपान लगातार करता है | यात्रा की इच्छा रहती है | जातक स्थिर हो कर नहीं रहेगा, घूमना टहलना अच्छा लगेगा | ऋणात्मक सोच अधिक रहेगी | धर्म में विश्वास करता है | पत्नी की आवाज कर्कश होती है | बिना सोचे विचार कार्य करने वाला, कुछ नया खोजने व् करने वाला होता है | धैर्य नहीं होता है| या तो कार्य करेंगे नहीं और करेंगे तो बहुत करेंगे | हमेशा नया खोजने वाला | सम्मान अधिक चाहते है | जातक अधिक जल पीता है | जातक पद चिन्हो पर नहीं चलते किसी का मार्गदर्शन पसंद नहीं |

९ – नवम भाव में यदि राहु अकेला होने से राजलक्ष्मी प्राप्त होती है| जातक को विशेष धन सम्पति प्राप्त होने का योग रहता है | यदि राहु-केतु के साथ अनेक ग्रह बैठ जाए तो दरिद्र योग होता है | जातक की जीविका में अनेक व्यक्तिक्रम होते है | तथा जीविकोपार्जन के साधन बार-बार बदलते है | मुखाकृति सुन्दर नहीं होती है | किन्तु जीवन का उत्तरकाल धन से सम्पन्न होता है |

१० -प्राम्भ में जातक आश्चर्यजनक और प्रसन्नसनीय कार्य विस्तृत रूप से करता है | किन्तु ख्याति प्राप्त होते ही जातक के कर्म अथवा जातक की अकाल मृत्यु हो जाती है | काम में उलटफेर होता रहता है| जातक सदैव धार्मिक विचार धाराक होता है| जातक कृपण होता है, कैंसर रोग होने की सम्भावना रहती है | और बीमारियो से पेट में सैदव कष्ट रहता है |

११ – स्वर्ण (एकादश भाव ) में राहु होने से देवताओ तक को छलने वाला, महाप्रपंची छल से महान उन्नति करने वाला दूसरों को ठगने वाला, अति महत्वाकांक्षी निष्क्रिय संतान वाला, सर्करा रोग से पीड़ित, परोपकारी व् प्रसिद्ध होता है | तथा उसके कुटुंब में प्रतिदिन कलह होता है| पत्त्नी सदैव रोगिणी रहेगी | जातक सदैव बीमारियो से रत रहने वाला और मुद्रा संचित न कर पाने वाला होता है |

१२ – व्यय भाव में राहु के होने से व्यक्ति का शरीर भारी होता है | बुद्धि भी मोटी होती है | शिक्षा अच्छी नहीं होती है| कम खर्च करने वाला, कम संतान वाला, पत्नी उसके ऊपर भार अधिक डालती है| काम अधिक करवाती है | युति वाले ग्रह की दशा में बहुत लाभ होगा|
🚩 जय जय श्री राधे 🚩
दो भाई थे ।
आपस में बहुत प्यार था।
खेत अलग अलग थे आजु बाजू।
:
बड़ा भाई शादीशुदा था ।

छोटा अकेला ।👭
:
एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज
बहुत हुआ ।🌻🌹👌
:
खेत में काम करते करते बड़े भाई ने
बगल के खेत में छोटे भाई को
खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।♑👈🤓
:
उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती
तो अच्छी हुई इस बार अनाज भी बहुत
हुआ। मैं तो अकेला हूँ, बड़े भाई की तो
गृहस्थी है। मेरे लिए तो ये अनाज
जरुरत से ज्यादा है
। भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।
उन्हें जरुरत ज्यादा है।💃🏃
:
ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज
बड़े भाई के अनाज में डाल देता
है। बड़ा भाई भोजन करके आता है ।
:
उसके आते ही छोटा भाई भोजन
के लिए चला जाता है।💃🏃
:
भाई के जाते ही वह विचारता है ।
मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है...🙏
:
भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है... उसे
अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है...
मै इतने अनाज का
क्या करूँगा...🙏
:
ऐसा विचारकर उसने 10 बोरे अनाज
छोटे भाई के खेत में डाल दिया...।
:
दोनों भाईयों के मन में हर्ष था...🙏
अनाज उतना का उतना ही था और
हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था...।
:
सोच अच्छी रखेंगें तो प्रेम🙏
अपने आप बढेगा ...........
अगर ऐसा प्रेम भाई भाई में हुआ तो दुनिया की कोई भी ताकत आपके परिवार को तोड़ नही सकती...
अगर ये लेख अच्छा लगा हो तो सिर्फ अपने तक ही मत रखिये इसे आगे शेयर करे♑👈👌👌👌👌

अगर हम को भी अपना दिल से मानते हो तो हमे भी
सेंड करें
🤓💃🤓💃🤓💃🤓💃🤓

जज     :- *क़त्ल किसने किया?*
आरोपी :- *मैने कत्ल किया।*

जज     :- *लाश कहां है?*
आरोपी :- *लाश मैने जला दी*

जज     :- *वो जगह दिखाओ*
              *जहां लाश जलाई थी*

आरोपी :- *मैने सारी जमीन खोद दी*

जज     :- *खोदी हुई मिट्टी कहां है?*
आरोपी :- *उसकी मैने ईंटे बना दी*

जज     :- *तो वो ईंटे दिखाओ*
आरोपी :- *मैने उनसे मकान बना*
              *लिया।*

जज     :- *वो मकान कहां है?*
आरोपी :- *भूकंप से गिर गया।*

जज     :- *तो मलबा कहां है?*
आरोपी :- *वो मैंने बेच दिया।*

जज     :- *किसको बेचा?*
आरोपी :- *पड़ोसी को*

जज     :- *पड़ोसी को बुलाओ*
आरोपी :- *वो मर गया*

जज     :- *किसने मारा?*
आरोपी :- *मैने मारा।*

जज     :- *तो लाश किधर है?*
आरोपी :- *लाश मैने जला दी*

जज     :- *अबे उल्ले के पट्ठे, तूने मर्डर किया है या सर्जिकल स्ट्राइक किया है, हत्या को कबूल भी किये जा रहा है और कोई सबूत भी नही दे रहा मोदी का चेला है क्या ??।*
ये मार्केट मे नया है,पढो ओर सेंड करो सब को,
😩😩😩😇😇😇

Saturday, May 4, 2019

बहू ने सास को दिया मोबाइल,

आखिर क्यों हुई मेहरबान..

नए जमाने की बहू ने
सास को उनके जन्मदिन पर गिफ्ट में मोबाइल लाकर दिया

और वो भी लेटेस्ट स्मार्ट फ़ोन

बहु ने अपने सारे काम काज छोडक़र

सास की सहेलियों और सारे परिचितों के नंबर सेव कर दिये ।

सोने पे सुहागा

फिर उसमें व्हाट्सएप्प भी डाउनलोड कर दिया ।

भजन और गाने भी लोड कर दिये
जियो का सिम भी डाल दिया

अब सुनिये इस मेहनत का
फायदा जो हुआ:

अब सासु मां का ध्यान घर
में कम
मोबाइल पर ज्यादा रहता है

अब वो बेटा बहू की बातें सुनने
की जगह,
मोबाइल की घंटी पर कन्सनट्रेट करती हैं..

अपने बोलने की सारी एनर्जी
मोबाइल पर गंवा देती हैं ।

व्हाट्सएप्प नें तो उसकी सारी ताक़त अपने पास खींच ली है ।

और बहू क्या कर रही है
ये तक भुला देती हैं..

इधर-उधर बातें करने में घंटो
बिता देती है,

फिर दिन भर सासू माँ और उनका व्हाट्सएप्प
उसी में लीन हो जाती है ।
पढ़ती है मुस्कुराती है ।

रात को भजन और गानें

इधर बहू किचन में

मनचाहा बनाकर कब खा लेती
है
सासु मां अब इस बात पर
ध्यान कम देती है..

इससे पहले वो दिन रात
बहू-बहू चिल्लाती थी,

बहू की जमकर
परेड हो जाती थी।

कभी चाय,
कभी हलवा
कभी दूध
कभी पानी

अब खत्म हुई
बहू की सारी परेशानी।

सास के हाथ में बहू ने
जबसे ये फुलतरु थमाया है,

बहू ने गजब का चैन पाया है।

आजकल सास मोबाइल के
साथ स्टाइल मारती है

और

बहू को करमजली कहने
वाली सास
अब बहु को बेटा-बेटा कहकर
पुकारती है..!!
अपनी-अपनी सासों को मोबाइल
गिफ्ट दीजिए
और सास की रोज़ रोज़ की
चक-चक से मुक्ति लीजिए

        *👍परिणाम🥊*

 *😜बहू भी खुश और सास भी खुश🤣*
*🙏🏻जनहित में जारी🙏🏻*
*इस संदेश को पढिये मन प्रसन्न हो जायेगा*

 रोज   तारीख   बदलती.  है,
     रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी
       बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी. 
  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है. 
      जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा. 
   ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है, 
  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो, 
    तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक
   खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना 
   ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा 
   ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना,
   हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का ,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का ,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर ,,

*एक  दिन  एक  " कपडे "  में  ले जायेंगे  " कंधे " बदल  बदल  कर
जो *पिता* के पैरों को छूता है
           वो कभी *गरीब* नहीं होता।

जो *मां* के पैरों को छूता है
         वो कभी *बदनसीब* नही होता।

जो *भाई* के पैराें को छूता है
         वो कभी *गमगीन* नही होता।

जो *बहन* के पैरों को छूता है
       वो कभी *चरित्रहीन* नहीं होता।

*जो गुरू के पैरों को छूता है*
         *उस जैसा कोई*
                *खुशनसीब नहीं होता*.......

💞अच्छा *दिखने* के लिये मत जिओ
          बल्कि *अच्छा* बनने के लिए जिओ💞

 💞जो *झुक* सकता है वह सारी
          ☄दुनिया को *झुका* सकता है 💞

 💞 अगर बुरी आदत *समय पर न बदली* जाये
          तो बुरी आदत *समय बदल देती* है💞

  💞चलते रहने से ही *सफलता* है,
          रुका हुआ तो पानी भी *बेकार* हो जाता है 💞

💞 *झूठे दिलासे* से *स्पष्ट इंकार* बेहतर है
   अच्छी *सोच*, अच्छी *भावना*,
          अच्छा *विचार* मन को हल्का करता है💞

💞मुसीबत सब पर आती है,
          कोई *बिखर* जाता है
            और कोई *निखर* जाता है💞
💞दुनिया की ताकतवर चीज है *"लोहा"*🔩
       जो सबको काट डालता है ....
लोहे से ताकतवर है *"आग"*🔥
        💞जो लोहे को पिघला देती है....💞
💞आग से ताकतवर है *"पानी"*🌧
        ☄जो आग को बुझा देता है.... 💞
💞और पानी से ताकतवर है *"इंसान"*
        जो उसे पी जाता है....💞
💞इंसान से भी ताकतवर है *"मौत"*
         जो उसे खा जाती है....💞
💞और मौत से भी ताकतवर है *"दुआ"*
      जो मौत को भी टाल सकती है...💞

 💞 "तेरा मेरा"करते एक दिन चले जाना है...
         जो भी कमाया यही रह जाना है💞
      *💞कर ले कुछ अच्छे कर्म💞*
      *💞साथ यही तेरे आना है💞*

        *💞मुझे वो 👌🏼रिश्ते पसंद है,*
    *जिनमें "मैं" नहीं "हम"हो💞*✍🏻

जनक ने सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश दशरथ को आमंत्रण क्यों नहीं भेजा?

* रामु अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोइ।
संतन्ह सन जस किछु सुनेउँ तुम्हहि सुनायउँ सोइ॥

भावार्थ:-श्री रामजी अपार गुणों के समुद्र हैं, क्या उनकी कोई थाह पा सकता है? संतों से मैंने जैसा कुछ सुना था, वही आपको सुनाया॥

राजा जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ। जब वह पहली बार सज-सँवरकर ससुराल के लिए चला, तो रास्ते में चलते-चलते एक जगह उसको दलदल मिला, जिसमें एक गाय फँसी हुई थी, जो लगभग मरने के कगार पर थी।

 उसने विचार किया कि गाय तो कुछ देर में मरने वाली ही है तथा कीचड़ में जाने पर मेरे कपड़े तथा जूते खराब हो जाएँगे, अतः उसने गाय के ऊपर पैर रखकर आगे बढ़ गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा गाय ने तुरन्त दम तोड़ दिया तथा शाप दिया कि जिसके लिए तू जा रहा है, उसे देख नहीं पाएगा, यदि देखेगा तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी।

वह व्यक्ति अपार दुविधा में फँस गया और गौ-शाप से मुक्त होने का विचार करने लगा। ससुराल पहुँचकर वह दरवाजे के बाहर घर की ओर पीठ करके बैठ गया और यह विचार कर कि यदि पत्नी पर नजर पड़ी, तो अनिष्ट नहीं हो जाए। परिवार के अन्य सदस्यों ने घर के अन्दर चलने का काफी अनुरोध किया, किन्तु वह नहीं गया और न ही रास्ते में घटित घटना के बारे में किसी को बताया।

उसकी पत्नी को जब पता चला, तो उसने कहा कि चलो, मैं ही चलकर उन्हें घर के अन्दर लाती हूँ। पत्नी ने जब उससे कहा कि आप मेरी ओर क्यों नहीं देखते हो, तो भी चुप रहा। काफी अनुरोध करने के उपरान्त उसने रास्ते का सारा वृतान्त कह सुनाया।

पत्नी ने कहा कि मैं भी पतिव्रता स्त्री हूँ। ऐसा कैसे हो सकता है? आप मेरी ओर अवश्य देखो। पत्नी की ओर देखते ही उसकी आँखों की रोशनी चली गई और वह गाय के शापवश पत्नी को नहीं देख सका।

पत्नी पति को साथ लेकर राजा जनक के दरबार में गई और सारा कह सुनाया। राजा जनक ने राज्य के सभी विद्वानों को सभा में बुलाकर समस्या बताई और गौ-शाप से निवृत्ति का सटीक उपाय पूछा।

 सभी विद्वानों ने आपस में मन्त्रणा करके एक उपाय सुझाया कि, यदि कोई पतिव्रता स्त्री छलनी में गंगाजल लाकर उस जल के छींटे इस व्यक्ति की दोनों आँखों पर लगाए, तो गौ-शाप से मुक्ति मिल जाएगी और इसकी आँखों की रोशनी पुनः लौट सकती है।

राजा ने पहले अपने महल के अन्दर की रानियों सहित सभी स्त्रियों से पूछा, तो राजा को सभी के पतिव्रता होने में संदेह की सूचना मिली। अब तो राजा जनक चिन्तित हो गए। तब उन्होंने आस-पास के सभी राजाओं को सूचना भेजी कि उनके राज्य में यदि कोई पतिव्रता स्त्री है, तो उसे सम्मान सहित राजा जनक के दरबार में भेजा जाए।

जब यह सूचना राजा दशरथ (अयोध्या नरेश) को मिली, तो उसने पहले अपनी सभी रानियों से पूछा। प्रत्येक रानी का यही उत्तर था कि राजमहल तो क्या आप राज्य की किसी भी महिला यहाँ तक कि झाडू लगाने वाली, जो कि उस समय अपने कार्यों के कारण सबसे निम्न श्रेणि की मानी जाती थी, से भी पूछेंगे, तो उसे भी पतिव्रता पाएँगे।

राजा दशरथ को इस समय अपने राज्य की महिलाओं पर आश्चर्य हुआ और उसने राज्य की सबसे निम्न मानी जाने वाली सफाई वाली को बुला भेजा और उसके पतिव्रता होने के बारे में पूछा। उस महिला ने स्वीकृति में गर्दन हिला दी।

तब राजा ने यह दिखाने कर लिए कि अयोध्या का राज्य सबसे उत्तम है, उस महिला को ही राज-सम्मान के साथ जनकपुर को भेज दिया। राजा जनक ने उस महिला का पूर्ण राजसी ठाठ-बाट से सम्मान किया और उसे समस्या बताई। महिला ने कार्य करने की स्वीकृति दे दी।

 महिला छलनी लेकर गंगा किनारे गई और प्रार्थना की कि, ‘हे गंगा माता! यदि मैं पूर्ण पतिव्रता हूँ, तो गंगाजल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरनी चाहिए।’

प्रार्थना करके उसने गंगाजल को छलनी में पूरा भर लिया और पाया कि जल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरी। तब उसने यह सोचकर कि यह पवित्र गंगाजल कहीं रास्ते में छलककर नीचे नहीं गिर जाए, उसने थोड़ा-सा गंगाजल नदी में ही गिरा दिया और पानी से भरी छलनी को लेकर राजदरबार में चली आयी।

राजा और दरबार में उपस्थित सभी नर-नारी यह दृश्य देक आश्चर्यचकित रह गए तथा उस महिला को ही उस व्यक्ति की आँखों पर छींटे मारने का अनुरोध किया और पूर्ण राजसम्मान देकर काफी पारितोषिक दिया।

जब उस महिला ने अपने राज्य को वापस जाने की अनुमति माँगी, तो राजा जनक ने अनुमति देते हुए जिज्ञाशावश उस महिला से उसकी जाति के बारे में पूछा। महिला द्वारा बताए जाने पर, राजा आश्चर्यचकित रह गए।

सीता स्वयंवर के समय यह विचार कर कि जिस राज्य की सफाई करने वाली इतनी पतिव्रता हो सकती है, तो उसका पति कितना शक्तिशाली होगा?

यदि राजा दशरथ ने उसी प्रकार के किसी व्यक्ति को स्वयंवर में भेज दिया, तो वह तो धनुष को आसानी से संधान कर सकेगा और कहीं राजकुमारी किसी निम्न श्रेणी के व्यक्ति को न वर ले, अयोध्या नरेश को राजा जनक ने निमन्त्रण नहीं भेजा, किन्तु विधाता की लेखनी को कौन मिटा सकता है?

अयोध्या के राजकुमार वन में विचरण करते हुए अपने गुरु के साथ जनकपुर पहुँच ही गए और धनुष तोड़कर राजकुमार राम ने सीता को वर लिया,
बेटी जब शादी के मंडप से...
ससुराल जाती है तब .....
पराई नहीं लगती.
मगर ......                              #Like_Pege

जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है.

जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है.

जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है.

जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है.

जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है.

जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है.

जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है.....

और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है.

लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद
जब वह चुपके से
अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती
😪

नहीं चाहिए हिस्सा भइया
मेरा मायका सजाए रखना

कुछ ना देना मुझको
बस प्यार बनाए रखना
पापा के इस घर में
मेरी याद बसाए रखना

बच्चों के मन में मेरा
मान बनाए रखना
बेटी हूँ सदा इस घर की
ये सम्मान सजाये रखना।
.....

बेटी से माँ का सफ़र  (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)

बेटी से माँ का सफ़र
बेफिक्री से फिकर का सफ़र
रोने से चुप कराने का सफ़र
उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र

पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी  ।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।

पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं ।

पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी
आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में  छुपाया करती हैं ।

पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।
आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं ।

माँ,माँ  कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।
आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।

10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।
आज 7 बजे उठने पर भी
लेट हो जाया करती हैं ।

खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है ।

पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी ।
अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर
कहलाया करती हैं ।

 एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं ।

ना जाने कब किसी की बेटी
किसी की माँ बन गई ।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .....
?

बेटी है तो कल हे।

बहुत प्यारी होती है बेटीया न जाने लोग बोज समझते है बेटीया 👩🏼                     

राधे राधे...

एक बार जरूर पढे
एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी
बेटी ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता
तो कम से कम काम
में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर,
मगर दिल से नही....
.
वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल
की फीस टाइम से जमा करता,
और ना ही कापी किताबों पर ध्यान
देता था...
अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम
मचाता था........
.
उस लडकी की माँ बहुत अच्छी व
बहुत भोली भाली थी
वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से
रखती थी..
वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की
फीस जमा करती
और कापी किताबों का खर्चा देती थी..
अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे
पहन कर गुजारा कर लेती थी,
मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी...
पति अक्सर घर से कई कई दिनों के
लिये गायब हो जाता था.
जितना कमाता था दारू मे ही फूक
देता था...
.
वक्त का पहिया घूमता गया
बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी..
दसवीं क्लास में उसका एडमीसन
होना था.
माँ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी
का स्कूल में दाखिला करा पाती..
.
बेटी डरडराते हुये पापा से बोली:
पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा
हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए
मम्मी के पास पैसै नही है...
बेटी की बात सुनते ही बाप आग
वबूला हो गया और
चिल्लाने लगा बोला: तू कितनी भी
पड लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा
ही सम्भालना है क्या करेगी तू
ज्यादा पड लिख कर..
उस दिन उसने घर में आतंक मचाया
व सबको मारा पीटा
.
बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन
ही मन में सोच लिया कि अब वो
आगे की पढाई नही करेगी....
एक दिन उसकी माँ बाजार गयी
बेटी ने पूछा: माँ कहॉ गयी थी
माँ ने उसकी बात को अनसुना
करते हुये कहा :
बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउगी
.
बेटी ने कहा: नही माँ मै अब नही
पडूगी मेरी वजह से तुम्हे कितनी
परेशानी उठानी पडती है पापा भी
तुमको मारते पीटते हैं कहते कहते
रोने लगी..
माँ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा:
बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर
आयी हूं मै कराउगी तेरा दखिला..
बेटी ने माँ की ओर देखते हुये पूछा:
माँ तुम इतने पैसै कहॉ से लायी हो??
मॉ ने उसकी बात को फिर अनसुना
कर दिया..
.
वक्त वीतता गया
माँ ने जी तोड मेहनत करके बेटी
को पढाया लिखाया
बेटी ने भी माँ की मेहनत को देखते
हुये मन लगा कर
दिन रात पढाई की
और आगे बडती चली गयी......
.
इधर बाप दारू पी पी कर बीमार
पड गया
डाक्टर के पास ले गये
डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है
एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर
होने पर बेहोशी की हालत में
अस्पताल में भर्ती कराया..
.
कुछ दिनो बाद उसे जब होश आया
तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर
उसके होश उड गये
वो डाक्टरनी कोई और नही वल्कि
उसकी अपनी बेटी थी..
शर्म से पानी पानी बाप
कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा
और रोने लगा हाथ जोडकर बोला:
बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ
ना सका...
बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप
को गले लगा लिया.
.
दोस्तों गरीबी और अमीरी से कोई
फर्क नहीं पडता,,
अगर इन्सान का इरादा हो तो
आसमान में भी छेद हो
सकता है
.
एक दिन बेटी माँ से बोली:
माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया
कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के
लिये पैसै कहाँ से लायी थी??
बेटी के बार बार पूछने पर
माँ ने जो बात बतायी
उसे सुनकर
बेटी की रूह काँप गयी....
माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर
बेटी का एडमीसन
कराया था.... :-(
.
दोस्तों तभी तो माँ को भगवान का दर्जा दिया गया है
माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है
उतना दुनियाँ में कोई और नही..
वरदान का इस्तेमाल |

एक बार एक व्यक्ति ने घोर तपस्या करके भगवान को प्रसन्न कर लिया। भगवान ने उसकी तपस्या से प्रसन्न

होकर उसे वर दिया कि जीवन में एक बार सच्चे मन से जो चाहोगे वही हो जाएगा।

उस व्यक्ति के जीवन में अनेक अवसर आए, जब वह इस वरदान का इस्तेमाल कर अपने जीवन को सुखी बना सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कई बार भूखों मरने की नौबत आई, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ।

अनेक ऐसे अवसर भी आए, जब वह इस वरदान का प्रयोग कर देश की काया पलट कर सकता था, अथवा समाज को खुशहाल बना सकता था, लेकिन उसने ऐसा भी नहीं किया। वह उस अवसर की तलाश में था जब मौत

आएगी और वह अपने वरदान का इस्तेमाल कर अमर हो जाएगा और दुनिया को दिखा देगा कि अपने वरदान का उसने कितनी बुद्धिमत्ता से इस्तेमाल किया है। लेकिन मौत तो किसी को सोचने का अवसर देती नहीं। उसने चुपके से एक दिन उसे आ दबोचा। उस का वरदान धरा का धरा रह गया।

मौत से पहले जी लेने का अर्थ है अपनी सामर्थ्य अथवा इन नेमतों का सदुपयोग कर लेना। और यह बेहद जरूरी है और अभी करना जरूरी है। बाद में तो कोई अवसर मिलने से रहा। ये दौलत, ये बाहुबल, ये सत्ता की ताकत कुछ भी साथ नहीं जाने वाला। जिन के लिए ये सब कर रहे हो उन के भी काम नहीं आने वाला है।
*संस्कार*
.
बेटा तुम्हारा इन्टरव्यू लैटर आया है। मां ने लिफाफा हाथ में देते हुए कहा।

यह मेरा सातवां इन्टरव्यू था। मैं जल्दी से तैयार होकर दिए गए नियत समय 9:00 बजे पहुंच गया। एक घर में ही बनाए गए ऑफिस का गेट खुला ही पड़ा था मैंने बन्द किया भीतर गया।

सामने बने कमरे में जाने से पहले ही मुझे माँ की कही बात याद आ गई बेटा भीतर आने से पहले पांव झाड़ लिया करो।फुट मैट थोड़ा आगे खिसका हुआ था मैंने सही जगह पर रखा पांव पोंछे और भीतर गया।

एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी अपना इंटरव्यू लेटर उसे दिखाया तो उसने सामने सोफे पर बैठकर इंतजार करने के लिए कहा। मैं सोफे पर बैठ गया, उसके तीनों कुशन अस्त व्यस्त पड़े थे आदत के अनुसार उन्हें ठीक किया, कमरे को सुंदर दिखाने के लिए खिड़की में कुछ गमलों में छोटे छोटे पौधे लगे हुए थे उन्हें देखने लगा एक गमला कुछ टेढ़ा रखा था, जो गिर भी सकता था माँ की व्यवस्थित रहने की आदत मुझे यहां भी आ याद आ गई,  धीरे से उठा उस गमले को ठीक किया।

तभी रिसेप्शनिस्ट ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का इशारा किया और कहा तीन नंबर कमरे में आपका इंटरव्यू है।

मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा देखा दिन में भी दोनों लाइट जल रही है ऊपर चढ़कर मैंने दोनों लाइट को बंद कर दिया तीन नंबर कमरे में गया ।

वहां दो लोग बैठे थे उन्होंने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और पूछा तो आप कब ज्वाइन करेंगे मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जी मैं कुछ समझा नहीं इंटरव्यू तो आप ने लिया ही नहीं।

इसमें समझने की क्या बात है हम पूछ रहे हैं कि आप कब ज्वाइन करेंगे ? वह तो आप जब कहेंगे मैं ज्वाइन कर लूंगा लेकिन आपने मेरा इंटरव्यू कब लिया वे दोनों सज्जन हंसने लगे।

उन्होंने बताया जब से तुम इस भवन में आए हो तब से तुम्हारा इंटरव्यू चल रहा है, यदि तुम दरवाजा बंद नहीं करते तो तुम्हारे 20 नंबर कम हो जाते हैं यदि तुम फुटमेट ठीक नहीं रखते और बिना पांव पौंछे आ जाते तो फिर 20 नंबर कम हो जाते, इसी तरह जब तुमने सोफे पर बैठकर उस पर रखे कुशन को व्यवस्थित किया उसके भी 20 नम्बर थे और गमले को जो तुमने ठीक किया वह भी तुम्हारे इंटरव्यू का हिस्सा था अंतिम प्रश्न के रूप में सीढ़ियों की दोनों लाइट जलाकर छोड़ी गई थी और तुमने बंद कर दी तब निश्चय हो गया कि तुम हर काम को व्यवस्थित तरीके से करते हो और इस जॉब के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हो, बाहर रिसेप्शनिस्ट से अपना नियुक्ति पत्र ले लो और कल से काम पर लग जाओ।

मुझे रह रह कर माँऔर बाबूजी की यह छोटी-छोटी सीखें जो उस समय बहुत बुरी लगती थी याद आ रही थी।

मैं जल्दी से घर गया मां के और बाऊजी के पांव छुए और अपने इस अनूठे इंटरव्यू का पूरा विवरण सुनाया.

इसीलिए कहते हैं कि व्यक्ति की प्रथम पाठशाला घर और प्रथम गुरु माता  पिता ही है।
धीरे धीरे पढिये पसंद आएगा...

👌मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....

👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं....

👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...

👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...

👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है कि माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....

👌जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है.. सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...

👌खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...

👌ज़िंदगी भी वीडियो गेम सी हो गयी है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल और मुश्किल आ जाता हैं.....

👌इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......

👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो, क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है..

*मनुष्य का अपना क्या है ?*
*जन्म :-*     दुसरो ने दिया
*नाम  :-*     दुसरो ने रखा
*शिक्षा :-*    दुसरो ने दी
*रोजगार :-* दुसरो ने दिया और
*शमशान :-* दुसरे ले जाएंगे
तो व्यर्थ में घमंड किस बात पर करते है लोग 👏