Friday, November 27, 2015

एक गाँव के बाहर बने शिवमंदिर मे चार पाँच
गजेडी रोज गाँजा पीते थे ,
पिछले कइ साल से
जब भी वो गाँजा पीते थे तब "बम भोले" का
जयकारा करते थे चिल्लम की हर फुँक के साथ,

एक दिन खुद शिव जी उनके इस भग्ति माध्यम से
प्रसन्न हो गये,

वो एक साधारण मनुष्य के रूप मे उन गजेडीयो के
पास आ कर बैठ गये,

गजेडीयो ने चिल्लम बनाना शुरू किया तो एक
गजेडी ने शिव जी को गाजा आफर किया,

प्रायः गजेडीयो मे मेहमानवाजी बडे उच्च स्तर
की होती है इसलिए गजेडीयो ने पहला चिल्लम
भोलेनाथ को ही दिया,

एक फुँक मे ही शिव ने पुरा चिल्लम खाली कर
दिया ,
गजेडीयो को लग गया कि ये कोइ उच्च
कोटी का पीने वाला है ,
फिर भी
उन्होने दुसरा चिल्लम बनाया और फिर पहला
मौका भोलेनाथ को दिया
शिव ने फिर एक फुँक मे ही पुरा चिल्लम खाली
कर दिया,

हर फुक के बाद एक गजेडी , भोलेनाथ से पुछता "
नशा आया ?
जवाब मे शिव केवल मुस्कुरा के ना मे सर हिला
देते,

ऍसे कर के जब पाँच चिल्लम खाली हो गये तो
गजेडी आखीरी चिल्लम भरने लगे तभी उनमे से एक
गजेडी ने पुछा " क्यो अभी भी नशा नही हुआ ?

तब शिव ने कहा " जानते हो मै कौन हुँ !

कौन हो भाऊ !

शिव " मै इस ससांर का सहाँरक , सभी भुत प्रेत
यक्ष असुर गंधर्व का स्वामी , ब्रम्हाड का
आदिवासी हिमालय का निवासी हुँ , आदि
अंत प्रारंभ ,नाश और नशा सब की सीमा मुझसे
प्रारंभ होती है मुझपर खत्म , शकंर नाम है मेरा ,
जिसको तुम लोग रोज याद करते हो "

गजेडी जोर से चिल्लाया " अब इसको चिल्लम
मत देना बे , गाँजा चढ गया इसको
😜😜😜😝😛😛😝😜


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