"तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और
गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें,
क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान स्वरूप हैं"।
गाय ना जानिये ढोर।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और
गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें,
क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान स्वरूप हैं"।
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