Saturday, November 28, 2015

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई,
 बीवी के आगे माँ रद्द हो गई !
 बड़ी मेहनत से जिसने पाला,
 आज वो मोहताज हो गई !
 और कल की छोकरी,
 तेरी सरताज हो गई !
 बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई !
 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!!

 पेट पर सुलाने वाली,
 पैरों में सो रही !
 बीवी के लिए लिम्का,
 माँ पानी को रो रही !
 सुनता नहीं कोई, वो आवाज देते सो गई !
 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!!

 माँ मॉजती बर्तन,
 वो सजती संवरती है !
 अभी निपटी ना बुढ़िया तू ,
 उस पर बरसती है !
🌷 अरे दुनिया को आई मौत, 🌷
🌷 तेरी कहाँ गुम हो गई !🌷
🌷🌷वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!🌷🌷

🌷अरे जिसकी कोख में पला, 🌷
🌷 अब उसकी छाया बुरी लगती,🌷
🌷 बैठ होण्डा पे महबूबा, 🌷
🌷 कन्धे पर हाथ जो रखती,🌷
🌷वो यादें अतीत की, 🌷
🌷 वो मोहब्बतें माँ की, सब रद्द हो गई !🌷
🌷🌷वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!🌷🌷

🌷 बेबस हुई माँ अब, 🌷
🌷 दिए टुकड़ो पर पलती है,🌷
🌷अतीत को याद कर, 🌷
🌷 तेरा प्यार पाने को मचलती है !🌷
🌷 अरे मुसीबत जिसने उठाई, वो खुद मुसीबत
हो गई !🌷
🌷 🌷वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!🌷🌷

🌷 मां तो जन्नत का फूल है,🌷🌷
प्यार करना उसका उसूल है ,🌷
🌷दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,🌷
🌷 मां की हर दुआ कबूल है ,🌷
🌷 मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,🌷
🌷 मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,❤️

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