उस दिन अनोखी विदाई देखी
पिता हर पिता की तरह ही थे
दामाद के दोनों हाथ थामे
भीगे स्वर में अनुरोध कर रहे
नाज़ों से पली बेटी है मेरी
सदा खुश रखना इसे....
उस एक क्षण जाने क्या बीता कि
सजल नैनों से बेटी ने पिता को देखा
उनके पसीजे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली
मेरी खुशियाँ इतनी असहाय नहीं है पापा
कि उनके लिए आपको यूँ याचना करना पड़े..
मैं खुश रहूगी पापा
कि मेरी ख़ुशी की जिम्मेदारी मेरी है
किसी की अनुकम्पा पर आश्रित नहीं हैं वे
अपनी खिलखिलाहटों पर स्वामित्व मैं स्वयं करुगी...
प्रतीक्षारत नहीं हैं मेरी खुशियाँ
कि कोई आये और झोली में डाले..
सक्षम हूँ मैं
स्वयं समेट लूगी..
और हाँ अभिनय नहीं करुगी खुश रहने का
बगैर समझौते चुनूगी खुशियाँ
ये वादा है एक बेटी का...
गदगद हो गये पिता
अभिमान से आंखे झिलमिला उठी
बस इतना ही कह पाये
अनंत खुशियाँ बटोर
और उतनी ही बिखेर...
पिता हर पिता की तरह ही थे
दामाद के दोनों हाथ थामे
भीगे स्वर में अनुरोध कर रहे
नाज़ों से पली बेटी है मेरी
सदा खुश रखना इसे....
उस एक क्षण जाने क्या बीता कि
सजल नैनों से बेटी ने पिता को देखा
उनके पसीजे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली
मेरी खुशियाँ इतनी असहाय नहीं है पापा
कि उनके लिए आपको यूँ याचना करना पड़े..
मैं खुश रहूगी पापा
कि मेरी ख़ुशी की जिम्मेदारी मेरी है
किसी की अनुकम्पा पर आश्रित नहीं हैं वे
अपनी खिलखिलाहटों पर स्वामित्व मैं स्वयं करुगी...
प्रतीक्षारत नहीं हैं मेरी खुशियाँ
कि कोई आये और झोली में डाले..
सक्षम हूँ मैं
स्वयं समेट लूगी..
और हाँ अभिनय नहीं करुगी खुश रहने का
बगैर समझौते चुनूगी खुशियाँ
ये वादा है एक बेटी का...
गदगद हो गये पिता
अभिमान से आंखे झिलमिला उठी
बस इतना ही कह पाये
अनंत खुशियाँ बटोर
और उतनी ही बिखेर...
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