Saturday, January 9, 2016

था जुदा सब का रास्ता सबसे
जैसे नाराज़ हो ख़ुदा सबसे ।

दूर होता नहीं अकेलापन
कौन था जो बिछड़ गया सबसे ।

हाँ, कोई था जो कह रहा था कुछ
हाँ, मुख़ातिब थी इक सदा सबसे ।

किस क़दर फ़िक्र थी उसे अपनी
उसने इक-इक नफ़स लिया सबसे ।

दम घुटा जा रहा है इक इक का
बच के चलने लगी हवा सबसे ।

सच को ज़ाया न कर सलीबों पर
ख़ुद को महफ़ूज़ रख, छुपा सबसे ।।


हमने चाहा तुम्हें बदल देंगे
क्या पता था के आप अज़ल देंगे ।

आरजू के ये शजर सारे
तुझको फूल देंगे, ना फल देंगे ।

रौशनी के हमस़फ़र हैं सभी
देख अंधेरा राह बदल देंगे ।

यूं मेरी चाहत का ना करो शिकवा
हम उड़ती ख्वाहिशें कुचल देंगे ।

ना हटके चलो तुम कीचड से
तुम्हें ये मुस्कुराते हुए कंवल देंगे ।।


No comments:

Post a Comment