*शाँति और सूनापन*
मैं सोता हूँ,घर में शाँति छा जाती है............
वो सोती है,घर में सूनापन छा जाता है ।।
मैं घर लौटता हूँ,घर में शाँति हो जाती है.........
वो घर लौटती है,घर में रौनक हो जाती है ।।
मैं सोकर उठता हूँ, घर में फरमाईशें गूँजती हैं...
वो सोकर उठती है,घर में पूजा की घंटियाँ गूँजती हैं ।।
मेरा घर लौटना,उसका आत्मविश्वास बढ़ाता है
उसका घर लौटना, घर में लक्ष्मी व अन्नपूर्णा का "वास" होता है।।
पत्नि सिर्फ़ चुटकुलों में उपहास की पात्र है,
अन्यथा
वो हमसफर , रक्षक व परिवार की शक्ति है।।
मैं सोता हूँ,घर में शाँति छा जाती है............
वो सोती है,घर में सूनापन छा जाता है ।।
मैं घर लौटता हूँ,घर में शाँति हो जाती है.........
वो घर लौटती है,घर में रौनक हो जाती है ।।
मैं सोकर उठता हूँ, घर में फरमाईशें गूँजती हैं...
वो सोकर उठती है,घर में पूजा की घंटियाँ गूँजती हैं ।।
मेरा घर लौटना,उसका आत्मविश्वास बढ़ाता है
उसका घर लौटना, घर में लक्ष्मी व अन्नपूर्णा का "वास" होता है।।
पत्नि सिर्फ़ चुटकुलों में उपहास की पात्र है,
अन्यथा
वो हमसफर , रक्षक व परिवार की शक्ति है।।
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