झाँक रहे सब सबके आँगन
अपने आँगन झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में खामी ।
अपने मन में ताके कौन ?
सबके भीतर चोर छुपा है ।
उसको अब ललकारे कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
इसी बात पे सब हैं मौन !...........यह एक छोटा सा संदेश है सब के लिए 🌹🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼
अपने आँगन झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में खामी ।
अपने मन में ताके कौन ?
सबके भीतर चोर छुपा है ।
उसको अब ललकारे कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
इसी बात पे सब हैं मौन !...........यह एक छोटा सा संदेश है सब के लिए 🌹🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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