"उलझने हैं बहुत...
सुलझा लिया करता हूँ ,
फोटो खिंचवाते वक़्त मैं अक्सर...
मुस्कुरा लिया करता हूँ "
क्यों नुमाइश करूँ मैं अपने माथे पर शिकन की,
मैं अक्सर मुस्कुरा के इन्हें..
मिटा दिया करता हूँ.."
क्योंकि..
"जब लड़ना है खुद को खुद ही से
हार-जीत में इसलिए कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं
कभी खुद से जीत जाता हूँ....
कभी खुद को जिता दिया करता हूँ .!
सुलझा लिया करता हूँ ,
फोटो खिंचवाते वक़्त मैं अक्सर...
मुस्कुरा लिया करता हूँ "
क्यों नुमाइश करूँ मैं अपने माथे पर शिकन की,
मैं अक्सर मुस्कुरा के इन्हें..
मिटा दिया करता हूँ.."
क्योंकि..
"जब लड़ना है खुद को खुद ही से
हार-जीत में इसलिए कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं
कभी खुद से जीत जाता हूँ....
कभी खुद को जिता दिया करता हूँ .!
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