Sunday, February 9, 2020

वो पिता👤 होता है



वो पिता👤 ही होता है







जो अपने बच्चो👦 को अच्छे



विद्यालय में पढ़ाने के लिए



दौड🏃भाग करता है...







उधार लाकर donation भरता



है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी



हाथ🙏 पैर भी पड़ता है



....... वो पिता👤 होता हैं ।।







हर कॉलेज🏬 में साथ👥साथ



घूमता है, बच्चे के रहने के



लिए होस्टल🏨 ढुँढता है...



स्वतः फटे कपडे पहनता है



और बच्चे के लिए नयी जीन्स👖



टी-शर्ट👕 लाता है



.......... वो पिता👤 होता है ।।







खुद खटारा फोन📞 चलाता है पर



बच्चे के लिए स्मार्ट📱 फोन लाता है...







बच्चे की एक आवाज सुनने के



लिए, उसके फोन  में पैसा💰 भराता है



....... वो पिता👤 होता है ।







बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर



वो नाराज़😔 होता है और गुस्से



में कहता है सब ठीक से देख



लिया है ना, "आप कुछ



समझते भी है?" यह सुन कर



बहुत रोता😢 है



.......वो पिता👤 होता हैं ।।







बेटी की विदाई पर दिल की



गहराई से रोता😭 है,



मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ



जोड़👏 कर कहता है



......... वो पिता👤 होता है ।।











पिता का प्यार दिखता नहीं है



सिर्फ महसूस किया जाता है।



माँ पर तो बहुत कविता लिखी



गयी है पर पिता पर नहीं।



पिता का प्यार क्या है
पैर  की  मोच
                और
           छोटी   सोच ,
             हमें   आगे
         बढ़ने   नहीं   देती ।


💞☘💞☘💞☘💞☘💞


          टूटी   कलम
                  और
         औरो   से   जलन ,
         खुद   का   भाग्य
         लिखने   नहीं   देती ।


💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖


           काम   का   आलस
                   और
           पैसो   का   लालच ,
                हमें   महान
           बनने   नहीं   देता ।

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

.          अपना   मजहब   उंचा
                         और
           गैरो   का   ओछा ,   
     ये    सोच    हमें    इन्सान
          बनने   नहीं   देती ।

💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖


👌दुनिया   में   सब   चीज
            मिल   जाती   है,......
      केवल   अपनी   गलती
            नहीं   मिलती.........

💞☘💞☘💞☘💞☘💞


भगवान   से   वरदान   माँगा
     कि   दुश्मनों   से
         पीछा   छुड़वा   दो ,
            अचानक   दोस्त
                कम   हो   गए......

💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖


" जितनी   भीड़ ,
     बढ़   रही
       ज़माने   में........।
         लोग   उतनें   ही ,
           अकेले   होते
             जा   रहे   हैं.....!!

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

इस   दुनिया   के
   लोग   भी   कितने
      अजीब   है   ना ;

          सारे   खिलौने
             छोड़   कर
                जज़बातों   से
                   खेलते   हैं........!!

💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖

किनारे   पर   तैरने   वाली
   लाश   को   देखकर
      ये   समझ   आया........
         बोझ   शरीर   का  नही
            साँसों   का   था......!!

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

“ तारीख   हज़ार
    साल   में  बस  इतनी
       सी   बदली   है…........
          तब   दौर
             पत्थर   का   था
                अब   लोग
                   पत्थर   के  हैं..!!
             
💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖
           
    स्वर्ग  का  सपना  छोड़  दो,
    नर्क   का   डर   छोड़   दो ,
    कौन   जाने   क्या   पाप ,
              क्या   पुण्य ,
                   बस............
    किसी   का   दिल   न   दुखे
    अपने   स्वार्थ   के   लिए ,
               बाकी   सब
  कुदरत   पर   छोड़   दो.......!!

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

 "सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए

और

जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!

🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀

तज़ुर्बा है मेरा.... मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,

संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,

यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....

जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए...

🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀

पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है;
           
लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता......

💞☘💞☘💞☘💞☘💞

कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....

पर रोटी की साईज़ लगभग  सब घर में एक जैसी ही होती है।

🍀💖🍀💖🍀💖🍀💖🍀

  :👌 शानदार बात👌


इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,

और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...
                   
💞☘💞☘💞☘💞☘💞

कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...

महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !!..
❤ Parents expectation from their child?*
____________________________

*Mother:*
I fought with death when I was giving birth to you. I spent sleepless nights when you were sick and crying. I never ate without feeding you first. I bore so many pains to bring you to the stage that you are in today. _How will you repay me my child_?

*Child:*
When I grow up, I will find a good job and earn lots of money for you so you can enjoy the pleasures of this world.

*Mother:*
Your father is doing this already and I do not expect this from you too. By the time you are earning I will be old and will not be in need of any worldly luxuries.

*Son:*
I will find a pious lady and marry her so she can cook for you and take care of you.

*Mother:*
That is not her duty my son and neither should you marry for that reason. It is not compulsory on her to do any service to me, neither do I expect this from her. Your marriage should be for you, a companion and a comfort for you as you go through this journey of life.

*Child:*
Tell me mother how can I repay you then?

*Mother:*
(With tears in her eyes) Visit or call me often. A mother only requires this much from you while she is alive.
Then when I die give me your shoulder and bury me.
Whenever you perform prayers, supplicate for me.
Give out in charity for me.
Remember your every good deed will benefit me in the hereafter so be good and kind always.
Fulfill the rights of all those around you.
_The sleepless nights and pains I took to bring you up was not a favour to you but was for my creator. He blessed me with you as a beautiful gift and as a means for me to attain His pleasure. Your every good deed becomes my repayment._
Will you do it my child...?

*Child*: (Cannot speak and had tears in his eyes)     
                                                                                         _Beautiful message for all the amazing Mothers out there._

Sharing is caring...
डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम की चन्द लाईनें जो हमे जीवन में हमेशा याद रखनी चाहिए। और हो सके तो उसे अमल भी करना चाहिये।
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1. जिदंगी मे कभी भी किसी को
      बेकार मत समझना,क्योक़ि
        बंद पडी घडी भी दिन में
          दो बार सही समय बताती है।

2. किसी की बुराई तलाश करने
      वाले इंसान की मिसाल उस
       मक्खी की तरह है जो सारे
         खूबसूरत जिस्म को छोडकर
           केवल जख्म पर ही बैठती है।

3. टूट जाता है गरीबी मे
      वो रिश्ता जो खास होता है,
        हजारो यार बनते है
          जब पैसा पास होता है।

4. मुस्करा कर देखो तो
      सारा जहाॅ रंगीन है,
        वर्ना भीगी पलको
          से तो आईना भी
             धुधंला नजर आता है।

5..जल्द मिलने वाली चीजे
      ज्यादा दिन तक नही चलती,
        और जो चीजे ज्यादा
           दिन तक चलती है
             वो जल्दी नही मिलती।

6. बुरे दिनो का एक
      अच्छा फायदा
         अच्छे-अच्छे दोस्त
            परखे जाते है।

7. बीमारी खरगोश की तरह
      आती है और कछुए की तरह
        जाती है;
          जबकि पैसा कछुए की तरह
             आता है और.खरगोश की
                तरह जाता है।

8. छोटी छोटी बातो मे
      आनंद खोजना चाहिए
        क्योकि बङी बङी तो
          जीवन मे कुछ ही होती है।

9. ईश्वर से कुछ मांगने पर
      न मिले तो उससे नाराज
        ना होना क्योकि ईश्वर
           वह नही देता जो आपको
             अच्छा लगता है बल्कि
             वह देता है जो आपके लिए
                    अच्छा होता है

10. लगातार हो रही
        असफलताओ से निराश
           नही होना चाहिए क्योक़ि
           कभी-कभी गुच्छे की आखिरी
           चाबी भी ताला खोल देती है।

11. ये सोच है हम इसांनो की
        कि एक अकेला
          क्या कर सकता है
             पर देख जरा उस सूरज को
           वो अकेला ही तो चमकता है।

12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो
        उन्हे तोङना मत क्योकि
          पानी चाहे कितना भी गंदा हो
           अगर प्यास नही बुझा सकता
              वो आग तो बुझा सकता है।

13. अब वफा की उम्मीद भी
         किस से करे भला
            मिटटी के बने लोग
               कागजो मे बिक जाते है।

14. इंसान की तरह बोलना
         न आये तो जानवर की तरह
             मौन रहना अच्छा है।

15. जब हम बोलना
         नही जानते थे तो
           हमारे बोले बिना'माँ'
      हमारी बातो को समझ जाती थी।
            और आज हम हर बात पर
                 कहते है छोङो भी 'माँ'
                  आप नही समझोंगी।

16. शुक्र गुजार हूँ
        उन तमाम लोगो का
           जिन्होने बुरे वक्त मे
              मेरा साथ छोङ दिया
                 क्योकि उन्हे भरोसा था
                    कि मै मुसीबतो से
              अकेले ही निपट सकता हूँ।

17. शर्म की अमीरी से
         इज्जत की गरीबी अच्छी है।

18. जिदंगी मे उतार चङाव
         का आना बहुत जरुरी है
          क्योकि ECG मे सीधी लाईन
            का मतलब मौत ही होता है।

19. रिश्ते आजकल रोटी
         की तरह हो गए है
            जरा सी आंच तेज क्या हुई
            जल भुनकर खाक हो जाते।

20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की
        तलाश मत करो
          खुद अच्छे बन जाओ
            आपसे मिलकर शायद
               किसी की तालाश पूरी हो।
A youngster asked his grandfather...
"Grandpa! How did you people live before with

No technology
No aeroplanes
No internet
No Computer
No Dramas
No TV
No aircons
No cars
No Mobile phones.

Dada replied
Just like how you people living today...

No Prayer
No compassion
No honour
No respect
No character
No shame
No modesty"

We, the people born between 1950-1989 are the blessed ones...
Our life is a living proof.

👉While playing and riding bicycle, we never bothered to wear helmets.

👉After school time we played until its dusk but never watched  (TV) by locking up ourselves in a room.

👉We played only with our real friends, not with NET friends.
       
👉 If we ever felt thirsty, we used to drink tap water but never searched for bottled water.
         
 👉We never got ill even after sharing the same juice with four friends.
         
👉We were never put on weight even after eating plate full of  rice everyday.
           
👉Nothing happened to our feet even after roaming bare foot.

👉We never used any health supplements to keep ourselves healthy.
           
👉We used to create our own toys and play with them.
           
 👉Our parents were not rich. They just searched for and gave only love.. not any worldly material.
           
👉We never had cellphones, DVDs, Play stations, XBoxes, video games, Personal computers, internet, chat but we had many real friends.

 👉We used to visit our friend's home uncalled and enjoyed food with them. We never had to call them and ask their permission to visit their home.
         
 👉Relatives were near to us so our hearts and souls were happy.
         
👉We may have been in Black and White photos but you can find good colourful memories in those photos........

👉   We are a unique and the most understanding generation, because we are the last generation who listened to their parents....
and also the first which have to listen to their children.
🙏 अच्छा *दिखने* के लिये मत जिओ
          बल्कि *अच्छा* बनने के लिए जिओ

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿
  🙏 जो *झुक* सकता है वह सारी
          दुनिया को *झुका* सकता है

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿
  🙏 अगर बुरी आदत *समय पर न बदली* जाये
          तो बुरी आदत *समय बदल देती* है

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿
  🙏 चलते रहने से ही *सफलता* है,
          रुका हुआ तो पानी भी *बेकार* हो जाता है

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿
  🙏 *झूठे दिलासे* से *स्पष्ट इंकार* बेहतर है

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿
  🙏 अच्छी *सोच*, अच्छी *भावना*,
          अच्छा *विचार* मन को हल्का करता है

🌿🍁🌿👣🔔👣🌿🍁🌿


*श्रीकृष्ण भगवान कहते हैं :-*_
      *☝कभी किसी के चहरे को मत देखो बल्कि उसके मन को देखो, क्योंकि...अगर सफेद रंग में वफा होती' तो नमक जख्मों की दवा होती*।
*जैसे जैसे नाम आपका ऊंचा होता है,*
*वैसे वैसे शांत रहना सीखिए*       
*क्योंकि आवाज हमेशा सिक्के ही करते है,*
*नोटों को कभी बजते नहीं देखा*
🌸🌸🌸🌸🌸🌸

💐 *कौन से “कपड़े” पहनूं*….
*जिससे मै अच्छा लगूं*…
*ये तो हम हर रोज सोचते हैं*..
*पर कौन सा “कर्म” करुं*…
*जिससे मै भगवान को अच्छा लगूं*..
*ये कोई कभी भी नही सोचता*…💐

🌷✏ *”तन की खूबसूरती एक भ्रम है..!*
*सबसे खूबसूरत आपकी “वाणी” है..!*
*चाहे तो दिल “जीत” ले.*
*चाहे तो दिल “चीर” दे”!*
*इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..!*
*लेकिन किस्मत और नसीब नही..!*

🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱
*"भावना में भाव नहीं तो भावना बेकार है, भावना में भाव है तो भव से बेडा पार है"!!*
         
🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱🔮🔱

😂😜🙈🙉🙊
एक महिला ख़रीदारी करने माल
मैं गई कॅश
काउंटर पर पेमेंट करने के लिए
उसने पर्स
खोला तो दुकानदार ने महिला के
पर्स मैं
टीवी का रिमोट देखा दुकानदार
से
रहा नहीं गया उसने पूछा
आप टीवी का रिमोट हमेशा अपने
साथ लेकर
चलती हैं

नहीं, हमेशा नहीं, "लेकिन आज
मेरे पति ने
खरीदारी के लिए मेरे साथ आने
से मना कर
दिया".
तो मैं तमिल धार्मिक चैनल लगा के आयी हु 😳😀😂
😂

कहानी अभी जारी हैं
-
-
-………
दुकानदार हंसते हुए बोला मैं
सभी सामान वापस
रख लेता हुँ आप के पति ने
आपका क्रेडिट कार्ड
ब्लॉक कर दिया हैं.
😀
सीख :- अपने पति के शौक
का सम्मान करें।
😀
कहानी अभी भी जारी है .
😀

............
महिला थोड़ी हँसी फिर अपने
पर्स से अपने
पति का क्रेडिट कार्ड
निकला और सभी Bills
की पेमेंट कर दी.😀😂😂
😀
(पति ने पत्नी का कार्ड ब्लॉक कर
दिया था पर अपना कार्ड नहीं)😷😋😂
👇
सीख :- एक
नारी की शक्ति को कभी कम
नहीं समझना चाहिए।  Don't
underestimate the power of a
Indian Women 👌👌💐💐
एक हाथ में लिपस्टिक
- दूसरे में मोबाइल
- एक कान कुकर की सीटी पर
- दूसरा वाट्सएप की नोटिफिकेशन पर
- एक आँख टीवी परn
- दूसरी पति की हरकतों पर
😀
कौन कहता है नारी जीवन आसान है..?😂😝

Wednesday, February 5, 2020

*"बहुत ही प्यारी कविता"*

*ऐ   "सुख"  तू  कहाँ   मिलता    है*
*क्या   तेरा   कोई   पक्का   पता  है*

*क्यों   बन   बैठा   है    अन्जाना*
*आखिर   क्या   है   तेरा   ठिकाना।*

*कहाँ   कहाँ     ढूंढा   तुझको*
*पर   तू  न   कहीं  मिला  मुझको*

*ढूंढा   ऊँचे   मकानों   में*
*बड़ी  बड़ी   दुकानों   में*

*स्वादिष्ट   पकवानों   में*
*चोटी   के   धनवानों   में*

*वो   भी   तुझको   ही   ढूंढ   रहे   थे*
*बल्कि   मुझको   ही   पूछ   रहे   थे*

*क्या   आपको   कुछ   पता    है*
*ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?*

*मेरे   पास   तो   "दुःख"  का   पता   था*
*जो   सुबह   शाम   अक्सर   मिलता  था*

*परेशान   होके   शिकायत     लिखवाई*
*पर   ये   कोशिश   भी   काम  न  आई*

*उम्र   अब   ढलान    पे    है*
*हौसला  अब  थकान    पे     है*

*हाँ   उसकी   तस्वीर   है   मेरे   पास*
*अब   भी   बची   हुई   है    आस*

*मैं   भी   हार    नही    मानूंगा*
*सुख   के   रहस्य   को    जानूंगा*

*बचपन    में    मिला    करता    था*
*मेरे    साथ   रहा    करता    था*

*पर   जबसे    मैं    बड़ा   हो    गया*
*मेरा   सुख   मुझसे   जुदा   हो  गया।*

*मैं   फिर   भी   नही   हुआ    हताश*
*जारी   रखी    उसकी    तलाश*

*एक   दिन   जब   आवाज   ये    आई*
*क्या    मुझको    ढूंढ   रहा  है   भाई*

*मैं   तेरे   अन्दर   छुपा    हुआ     हूँ*
*तेरे   ही   घर   में   बसा    हुआ    हूँ*

*मेरा  नहीं  है   कुछ   भी    "मोल"*
*सिक्कों   में   मुझको   न   तोल*

*मैं  बच्चों   की    मुस्कानों    में    हूँ*

*पत्नी  के  साथ    चाय   पीने   में*
*"परिवार"    के  संग   जीने    में*

*माँ   बाप   के   आशीर्वाद    में*
*रसोई   घर   के  पकवानों   में*

*बच्चों   की   सफलता   में    हूँ*
*माँ    की   निश्छल  ममता  में  हूँ*

*हर   पल   तेरे   संग    रहता   हूँ*
*और   अक्सर   तुझसे   कहता   हूँ*

*मैं   तो   हूँ   बस   एक    "अहसास"*
*बंद कर   दे   तू   मेरी    तलाश*

*जो   मिला   उसी   में   कर   "संतोष"*
*आज  को   जी   ले   कल  की न सोच*

*कल  के   लिए   आज   को  न   खोना*

*मेरे   लिए   कभी   दुखी    न   होना*
*मेरे   लिए   कभी   दुखी   न    होना ।।*
👉 गाय का घी 👈🌹

🍁👉1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
🍁👉2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
🍁👉3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
🍁👉4.(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
🍁👉5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
🍁👉6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै।
🍁👉7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
🍁👉8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
🍁👉9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
🍁👉10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।
🍁👉11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
🍁👉12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
🍁👉13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
🍁👉14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
🍁👉15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
🍁👉16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
🍁👉17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
🍁👉18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
🍁👉19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
🍁👉20.घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.
🍁👉21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
🍁👉22.गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
🍁👉23.सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
🍁👉24.दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने
से माइग्रेन दर्द ठीक होता है।
🍁👉25.सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
🍁👉26.यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है ।यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
🍁👉27.एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
🍁👉28.गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
🍁👉29.गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है।
🍁👉30.अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है॥

 *बैंक वाले..*
            पेन बांधकर रखते हैं

          *मेडिकल स्टोर वाले..*
          कैंची बांधकर रखते है

             *झेरॉक्स वाले..*
         स्टेपलर बांधकर रखते है

              *प्याऊ वाले..*
         ग्लास बांधकर रखते हैं

        *कचहरी में वकील ....*
       कुर्सियां बांध कर रखते हैं

          *बड़े बड़े घर वाले..*
         कुत्ता बांधकर रखते हैं

                *लड़कियाँ..*
         मुंह बांधकर रखती हैं।

                      और..
                *पत्नियां...*
        पति को बांधकर रखती है !!

              *किसी को किसी पर..*
               *भरोसा ही नहीं ??*

              *_कैसा घोर कलयुग आ गया रे बाबा !_*

    😜😜😜😜
शादी शुदा लोग जरूर पढ़े आनन्द आएगा

कॉलेज में Happy married life पर

एक  कार्यक्रम हो रहा था,

 जिसमे कुछ शादीशुदा

 जोडे हिस्सा ले रहे थे।

जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए 

उन्होने नोट किया कि सभी

पति- पत्नी शादी पर

जोक कर  हँस रहे थे...

ये देख कर प्रोफेसर ने कहा

 कि चलो पहले  एक Game खेलते है...

उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे।

सभी  खुश हो गए

और कहा कोनसा Game ?

प्रोफ़ेसर ने एक married

 लड़की को खड़ा किया

और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे

 ऐसे 25- 30 लोगों के  नाम लिखो

जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों

लड़की ने पहले तो अपने परिवार के

लोगो के नाम लिखे

फिर अपने सगे सम्बन्धी,

 दोस्तों,पडोसी और

सहकर्मियों के नाम लिख दिए...

अब प्रोफ़ेसर ने उसमे से

कोई भी कम पसंद वाले

5 नाम मिटाने को कहा...

 लड़की ने अपने

सह कर्मियों के नाम मिटा दिए..

 प्रोफ़ेसर ने और 5 नाम मिटाने को कहा...

लड़की ने थोडा सोच कर

अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए...

अब प्रोफ़ेसर ने

और 10 नाम मिटाने को कहा...

लड़की ने अपने सगे सम्बन्धी

 और दोस्तों के नाम मिटा दिए...

अब बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे

 जो उसके मम्मी- पापा,

पति और बच्चे का नाम था..

 अब प्रोफ़ेसर ने कहा इसमें से

 और 2 नाम मिटा दो...

लड़की असमंजस में पड गयी

 बहुत सोचने के बाद

बहुत दुखी होते हुए उसने

अपने मम्मी- पापा का

नाम मिटा दिया...

सभी लोग स्तब्ध और शांत थे

 क्योकि वो जानते थे

कि ये गेम सिर्फ वो

लड़की ही नहीं खेल रही थी

 उनके दिमाग में भी

यही सब चल रहा था।

अब सिर्फ 2 ही नाम बचे थे...

 पति और बेटे का...

 प्रोफ़ेसर ने कहा

और एक नाम मिटा दो...

लड़की अब सहमी सी रह गयी...

बहुत सोचने के बाद रोते हुए

 अपने बेटे का नाम काट दिया...

प्रोफ़ेसर ने  उस लड़की से कहा

 तुम अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ...

और सभी की तरफ गौर से देखा...

और पूछा-

क्या कोई बता सकता है

कि ऐसा क्यों हुआ कि सिर्फ

 पति का ही नाम

बोर्ड पर रह गया।

कोई जवाब नहीं दे पाया...

सभी मुँह लटका कर बैठे थे...

प्रोफ़ेसर ने फिर

उस लड़की को खड़ा किया

और कहा...

ऐसा क्यों !

जिसने तुम्हे जन्म दिया

और पाल पोस कर

इतना बड़ा किया

उनका नाम तुमने मिटा दिया...

 और तो और तुमने अपनी

 कोख से जिस बच्चे को जन्म दिया

उसका भी नाम तुमने मिटा दिया ?

लड़की ने जवाब दिया.......

 कि अब मम्मी- पापा बूढ़े हो चुके हैं, 

कुछ साल के बाद वो मुझे

और इस दुनिया को छोड़ के

चले जायेंगे ......

मेरा बेटा जब बड़ा हो जायेगा

तो जरूरी नहीं कि वो

शादी के बाद मेरे साथ ही रहे।

लेकिन मेरे पति जब तक मेरी

 जान में जान है

 तब तक मेरा आधा शरीर बनके

 मेरा साथ निभायेंगे

इस लिए मेरे लिए

सबसे अजीज मेरे पति हैं..

प्रोफ़ेसर और बाकी स्टूडेंट ने

 तालियों की गूंज से

लड़की को सलामी दी...

प्रोफ़ेसर ने कहा

तुमने बिलकुल सही कहा

 कि तुम और सभी के बिना

रह सकती हो

पर अपने आधे अंग अर्थात

 अपने पति के बिना नहीं रह सकती l

मजाक मस्ती तक तो ठीक है

पर हर इंसान का

अपना जीवन साथी ही

उसको सब  से ज्यादा

अजीज होता है...

ये सचमुच सच है for all husband and wife   कभी मत भूलना.....👌......✍
🌺🙏 🌹जीन्दगी के साथ भी ,जीन्दगी के बाद भी 🌹
पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ ,
                मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,
       पति के साथ मिलकर निभाना तुम ,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
 आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम ,
  जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी
  न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
        ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
       खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
        मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम .................
*एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए

🔰🚥🚥🔰

🌿➖बोये जाते हैं बेटे..
🌿➖पर उग जाती हैं
           बेटियाँ..

🌿➖खाद पानी बेटों को..
🌿➖पर लहराती हैं बेटियां.

🌿➖स्कूल जाते हैं बेटे..
🌿➖पर पढ़ जाती हैं
          बेटियां..

🌿➖मेहनत करते हैं बेटे..
🌿➖पर अव्वल आती हैं
          बेटियां..

🌿➖रुलाते हैं जब खूब बेटे.
🌿➖तब हंसाती हैं बेटियां.

🌿➖नाम करें न करें बेटे..
🌿➖पर नाम कमाती हैं
          बेटियां..

🌿➖जब दर्द देते हैं बेटे...
🌿➖तब मरहम लगाती
         हैं बेटियां..

🌿➖छोड़ जाते हैं जब बेटे..
🌿➖तो काम आती हैं
          बेटियां..

🌿➖आशा रहती है बेटों से.
🌿➖पर पूर्ण करती हैं
           बेटियां..

🌿➖हजारों फरमाइश से
           भरे हैं बेटे....
🌿➖पर समय की नज़ाकत
          को समझती बेटियां..
🌿➖बेटी को चांद जैसा
          मत बनाओ कि हर
         कोई घूर घूर कर देखे..

       📍लेकिन📍
    -----------------------
🌿➖बेटी को सूरज जैसा
         बनाओ ताकि घूरने से
        पहले सब की नजर झुक
        जाये..🌞🌞
कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
 समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा 
      झुक जाना
 किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
 उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
 दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के 
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!

Saturday, January 4, 2020

post 1

महिलाएं बस एक अच्छा दोस्त चाहती हैं।।

वो बांटना चाहती है अपने रत-जगे जो अक्सर किसी अस्पताल की बेंच पर या किसी दूर जाने वाली गाड़ी के इंतजार में काटे होते हैं!

वो बांटना चाहती है अपने आंसू जो अक्सर रति-क्रीड़ा के बाद,पति के मुंह फेरकर सोने के बाद बहाए होते हैं!

वो बांटना चाहती है वो फस्ट्रेशन जो अक्सर बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करते वक़्त उनके गाल पर जमा देती है!

वो बांटना चाहती है वो जलन जो अक्सर तवे पर रोटी सेंकते वक़्त उसकी अंगुलियों के पोरों पर महसूस होती है!

वो बांटना चाहती है वो बातें जो अक्सर वो किसी को कह नही पाती!

वो बांटना चाहती है वो स्वेद जो अक्सर गृह-कार्यो की थकान के कारण उसकी कमर पर उभर आता है!

वो बांटना चाहती है वो पहाड़ जैसे भारी धूप के टुकड़े जो अक्सर पति व बच्चों के चले जाने के बाद,उससे काटे नही कटते!

वो बांटना चाहती है अपने सफेद होते बालों की सफेदी व अपनी हिना की खुश्बू,जिसके लिए पतिदेव को अवकाश नही है!

वो बांटना चाहती है अपनी सोने के पिंजरे वाली कैद!

वो चाहती हैं एक ऐसा दोस्त जिससे खुलकर सब-कुछ बोल सके,जिसे कुछ भी बोलने से पहले एक पल को भी सोचना न पड़े!

पर भूल जाती हैं ये चालीस पार औरतें कि- - - - -

मर्द  सैक्स के लालच के बिना प्रेम कर ही नही पाता!

यहां हर सहानुभूति अक्सर चिरायंध से ही भरी होती है!

वो जब प्रश्न करती है प्रेम के,भावनाओं के,गजलों के तो प्रतिप्रश्न में उनसे पूछे जाते हैं ब्रा के साइज व पैंटी के रंग के प्रश्न!

वो जब भेजती अपने विचार तो बदले में भेजी जाती है ..... की फोटोज़!

वो चाहती है हिरण सोने का और अक्सर बिछड़ जाते हैं उनसे उनके राम!
एक सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान
एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि....

- आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है तो आप क्या करोगे ?
युवक ने कहा - उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।
गुरु जी ने पूछा - वह लडकी आगे बढ गयी तो क्या पीछे मुडकर भी देखोगे ?
लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पडे)
गुरु जी ने फिर पूछा - जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ?
युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।
गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए ...

आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना।
आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए।
उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं।
घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा - किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - भैया, आप आराम से पहुँच गए।
अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?
युवक ने कहा - गुरु जी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते।

गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा...

_"यह है जीवन की हकीकत।"_

 "सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है,__पर हमारा सुन्दर व्यवहार जीवन भर याद रहता है।

अतः जीवन पर्यन्त अपने व्यवहार को सुन्दर बनाते रहिए फिर देखिए आपके जीवन का रंग ...!!
🌺🌸🌼🥧🥮🌹💐🍟🥙❤
*Precautions for tonight *

*The following self care cause and effect tips might be useful... Happy New Year!*

*1. Symptom : Cold and humid feet.*
*Cause : Glass is being held at incorrect angle (You are pouring the drink on your feet).*
*Cure : Manoeuvre glass until open end is facing upward...*

*2. Symptom : The wall facing you is full of lights.*
*Cause : You're lying on the floor.*
*Cure : Position your body at a 90-degree angle to the floor.*

*3. Symptom : The floor looks blurry.*
*Cause : looking through an empty glass.*
*Cure : Quickly refill your glass!*

*4. Symptom : The floor is moving.*
*Cause : You're being dragged away.*
*Cure : At least ask where they're taking you!*

*5. Symptom : You hear echoes every time someone speaks.*
*Cause : You have your glass on your ear and trying to drink from it.*
*Cure : Stop making a fool of yourself!*

*6. Symptom : Your dad and all your brothers are looking funny.*
*Cause : You're in the wrong house.*
*Cure : Ask if they can point you to your house.*

*7. Symptom : The room is shaking a lot, everyone is dressed in white and the music is very repetitive.*
*Cause : You're in an ambulance.*
*Cure : Don't move. Let the professionals do their job.*

*ISSUED IN PUBLIC INTEREST...* 🤔🤔
*गुलज़ार ने कितनी खूबसूरती से बता दिया जिंदगी क्या है।*

*-कभी तानों में कटेगी,*
*कभी तारीफों में;*
*ये जिंदगी है यारों,*
*पल पल घटेगी !!*

*-पाने को कुछ नहीं,*
*ले जाने को कुछ नहीं;*
*फिर भी क्यों चिंता करते हो,*
*इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,*
*ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!*

*बार बार रफू करता रहता हूँ,*
*..जिन्दगी की जेब !!*
*कम्बखत फिर भी,*
*निकल जाते हैं...,*
*खुशियों के कुछ लम्हें !!*

*-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...*
*ख़्वाहिशों का है !!*
*ना तो किसी को गम चाहिए,*
*ना ही किसी को कम चाहिए !!*

*-खटखटाते रहिए दरवाजा...,*
*एक दूसरे के मन का;*
*मुलाकातें ना सही,*
*आहटें आती रहनी चाहिए !!*

*-उड़ जाएंगे एक दिन ...,*
*तस्वीर से रंगों की तरह !*
*हम वक्त की टहनी पर...*,
*बेठे हैं परिंदों की तरह !!*

*-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!*
*बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!*
*घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।*
*संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!*

*-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",*
*ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";*
*बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!*

*-जीवन की किताबों पर,*
*बेशक नया कवर चढ़ाइये;*
*पर...बिखरे पन्नों को,*
*पहले प्यार से चिपकाइये !!*
DICTIONARY ही एक ऐसी
जगह है
जिसमें:
1. Death, Life से पहले
आती है।
2. End, Start से पहले
आता है।
3. Divorce, Marriage से
पहले आता है।
4. Child, Parents से पहले
आता है
5. Evening, Morning से
पहले आती है
6. Result, Test से पहले
आता है।
7. Destination,
Struggle
से पहले आता है।
8. Dinner, Lunch से पहले
आता है।
9. Doctor, Fever से पहले
आता है।

केवल एक चीज़ Dictionary में
सही आती है और
वह है
'FRIENDS', जो Relatives से
पहले आते हैं।
*सभी दोस्तो को समर्पित.*
*_"सब बढ़िया है...."_*

```अपने दुःख दर्द छिपाने का,
बस बचा एक ही जरिया है
जब पूछें कोई कैसे हो,
हम कह देते सब बढ़िया है

चेहरे पर मुस्कान लिए,
वाणी में रहते रस घोले
स्वप्न सरीखा यह जीवन,
जो सरक रहा हौले हौले

अश्रु किन्हे हम दिखलाएँ,
किस से हम मन की बात कहें
बेहतर लगती पीड़ा अपनी,
भीतर अपने चुपचाप सहें

कुछ पीड़ा सुन मुसकाएँगे
कुछ नमक छिड़क कर जाएँगे
कुछ पाप पुण्य का लगा गणित
पापों का फल बताएँगे

किस की जिह्वा हम पकड़ेंगे
किस किस के होंठ सिलाएँगे
ऐसा बोला तो क्यों बोला
किस किस से लड़ने जायेंगे

चुपचाप सुनेंगे तानों को,
दिल अपना भी इक दरिया है
फिर पूछेगा जब  हाल कोई,
तो कह देंगे " सब बढ़िया है। ```
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है

😊😉

मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत है, मैं यही हूँ, अपनी रजाई में..

😝😝

तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के बीच मेरी छोटी सी लोकल समस्या
सारी रात गुज़र जाती है इसी कश्मकश में

ये हवा कहां से घुस जाती है रजाई में

😜😝

सुबह सुबह आकर सोये हुए को जगाने के लिये उसकी रजाई खींच लेने को महापाप की श्रेणी में रखा जायेगा

😝

अगर इस समय कोई सुबह सुबह किसी पर ठंडा पानी डाल दे,
तो वो घटना भी आतंकवादी हमले के अंतर्गत मानी जायेगी

😛😛😛

किसी की रजाई खींचना देशद्रोह के बराबर माना जायेगा और रजाई में घुसकर ठंडे पैर लगाना छेड़छाड़ का अपराध माना जायेगा

😳😆😆

इस बरसाती ठण्ड के मौसम में रजाई के अंदर रहना ही श्रेष्ठ कर्म है
और टमाटर की चटनी के साथ पकोड़े, चाय मिलना मोक्ष की प्राप्ति
😁😂😂

ऐ सर्दी इतना न इतरा
अगर 👉हिम्मत है तो जून में आ।।

❄Happy Winter 😜😛😁🤣🙈
🐋
     *_मुंसी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है-_*

_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,"_

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है।_

_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा जाना मुझे,_

        _जिसकी जितनी जरूरत थी_
        _उसने उतना ही पहचाना मुझे!_

_जिन्दगी का फलसफा भी_
_कितना अजीब है,_

        _शामें कटती नहीं और_
        _साल गुजरते चले जा रहे हैं!_

_एक अजीब सी_
_'दौड़' है ये जिन्दगी,_

        _जीत जाओ तो कई_
        _अपने पीछे छूट जाते हैं और_

_हार जाओ तो_
_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं!_

_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अक्सर,_

        _मुझे अपनी_
        _औकात अच्छी लगती है।_

_मैंने समंदर से_
_सीखा है जीने का सलीका,_

        _चुपचाप से बहना और_
        _अपनी मौज में रहना।_

_ऐसा नहीं कि मुझमें_
_कोई ऐब नहीं है,_

        _पर सच कहता हूँ_
        _मुझमें कोई फरेब नहीं है।_

_जल जाते हैं मेरे अंदाज से_
_मेरे दुश्मन,_

              _एक मुद्दत से मैंने_
       _न तो मोहब्बत बदली_
      _और न ही दोस्त बदले हैं।_

_एक घड़ी खरीदकर_
_हाथ में क्या बाँध ली,_

        _वक्त पीछे ही_
        _पड़ गया मेरे!_

_सोचा था घर बनाकर_
_बैठूँगा सुकून से,_

        _पर घर की जरूरतों ने_
        _मुसाफिर बना डाला मुझे!_

_सुकून की बात मत कर_
_ऐ गालिब,_

        _बचपन वाला इतवार_
        _अब नहीं आता!_

_जीवन की भागदौड़ में_
_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_

        _हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
        _आम हो जाती है!_

_एक सबेरा था_
_जब हँसकर उठते थे हम,_

        _और आज कई बार बिना मुस्कुराए_
        _ही शाम हो जाती है!_

_कितने दूर निकल गए_
_रिश्तों को निभाते-निभाते,_

        _खुद को खो दिया हमने_
        _अपनों को पाते-पाते।_

_लोग कहते हैं_
_हम मुस्कुराते बहुत हैं,_

        _और हम थक गए_
        _दर्द छुपाते-छुपाते!_

_खुश हूँ और सबको_
_खुश रखता हूँ,_

        _लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए_
        _मगर सबकी परवाह करता हूँ।_

_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_

        _कुछ अनमोल लोगों से_
     _रिश्ते रखता हूँ।_
🌹🌹🌹🤝
इस साल के अंतिम दिन पर शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की चन्द अनमोल पंक्तियॉ...

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद

जीवन अस्थिर अनजाने ही,
हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
तय कर लेना कुछ खेल नहीं
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद

साँसों पर अवलम्बित काया,
जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये,
मिली नव स्फूर्ति,
थकावट दूर हुई
पथ के पहचाने छूट गये,
पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद....

नया साल आपके और आपके समस्त
परिजनों के लिये मंगलमय हो!!
*ज़िंदगी सड़क की तरह हैं,*
*यह कभी भी सीधी नहीं होती.*
*कुछ दूर बाद मोड अवश्य आता हैं.*
*इसलिए धैर्य के साथ चलते रहिए*
*आपकी ज़िंदगी का सुखद मोड़*
*आपका इंतज़ार कर रहा हैं..!!*

*मुस्कुरा कर चलते रहिए..!!*



*जन्म के समय नाम नही होता है,*
            *मात्र सांसे होती है..*
*मृत्यू के समय नाम होता है,*
             *पर सांसे नही होती..*
*"इन्हीं सांसों और नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते है"*



*हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...!!*

*कुछ दर्द चले जाते है, परिवार और दोस्तो के साथ मुस्कुराने मे*...

   🌞 *आपका दिन शुभ हो*

*༺꧁ Զเधॆ Զเधॆ꧂༻*

Saturday, December 21, 2019

💁‍♂
एक महिला से पूछा गया तेरी जाति क्या है?
उसने भी पूछा : एक मां की या एक महिला की ..?

उसने कहा - चल दोनों की बता ..
और कुटिल मुस्कान बिखेरी ।

उसने भी पूरे धैर्य से बताया.......

एक महिला जब माँ बनती  है तो वो जाति विहीन हो जाती है..
उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा - वो कैसे..?

तब महिला बोली .....
जब एक मां अपने बच्चे का लालन पालन करती है,
अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है ,
तो वो शूद्र हो जाती है..

वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, तो वो क्षत्रिय हो जाती है..

जब बच्चा और बड़ा होता है, तो मां उसे शिक्षित करती है,
तब वो ब्राह्मण हो जाती है..

और अंत में जब बच्चा और बड़ा  होता है तो मां
उसके आय और व्यय में उसका उचित मार्गदर्शन कर
अपना वैश्य धर्म निभाती है ..
तो हुई ना एक महिला या मां जाति विहीन..

महिला का उत्तर सुनकर वो अवाक् रह गया । उसकी आँखों में
महिलाओं ओर माँओं के लिए सम्मान व आदर का भाव था और महिला अपने मां और महिला होनेपर पर गर्व का अनुभव हो रहा था।
🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻🙋🏻
*★  जीवन ~ यात्रा  ★*
      अंत जरूर पढ़ें   
   〰〰〰
   एक नवयुवती बस में बैठी,अगले स्टॉप पर
   एक दबंग और क्रोधी बूढ़ी माँ आईं, और    उसके बगल की सीट पर बैठ गईं.
  उन्होंने अपने कई बैग युवती से सटाकर रख दिए.
 बूढ़ी महिला के दूसरी ओर बैठी महिला
परेशान हो गई. उसने युवती से कहा कि ~
वह बूढ़ी महिला से कुछ बोलती क्यों नहीं ?

    युवती ने मुस्कराते हुए जवाब दिया ~ हर बात पर असभ्य व्यवहार या बहस करना ... आवश्यक नहीं, 👈
      मैं अगले स्टॉप पर उतरने वाली हूँ.

 यह प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, जिसे
  ★ सुनहरे अक्षरों में ★ लिखी जानी चाहिए.

     हर बात पर असभ्य व्यवहार या ...
       बहस करना आवश्यक नहीं,
       आखिर हमारे साथ की यात्रा
       ★  है ही कितनी लम्बी ? ★

   अगर हमें यह एहसास हो जाए, कि
  यहाँ हमारा समय कितना कम है, तो
        व्यर्थ के झगड़े, निरर्थक तर्क
        बात-बात पर असहमति और
     दूसरों में गलती खोजने वाला रवैया
         ★  समय और ऊर्जा की ★
             बर्बादी का कारण नहीं, तो ...
                 और क्या है ?
📍
       अगर किसी ने आपका
  ★  दिल तोड़ा ~ शाँत रहो ! ★
     आखिर यात्रा इतनी छोटी जो है.

          किसी ने आपके साथ ...
        विश्वासघात किया, धमकाया,
      धोखा दिया या अपमानित किया ...
       ★  शाँत रहें, क्षमा करें !  ★
           आखिर हमारी यात्रा ...
             इतनी कम जो है.

        जब भी कोई मुसीबत
           हमारे सामने आये,
       हमें याद रखना चाहिए, कि
   हमारे साथ की यात्रा
            बहुत छोटी ही है.

         इस यात्रा की अवधि ..
        ★ कोई नहीं जानता. ★

        कोई नहीं जानता, कि
      उनका पड़ाव कब आएगा ?
         हमारी यात्रा एक साथ
            इतनी कम है, कि
         मालूम नहीं अगले पल
          क्या होने वाला है ?

     तो क्यों नहीं, हम अपने दोस्तों व
       परिवारजनों का ध्यान रखें, और
             अपने काम को संजोएं.

     आईए, हम एक-दूसरे के लिए
        सम्मानजनक, दयालु और
      क्षमाशील हों, और यह अहसास
    हमें कृतज्ञता और उल्लास से भर दे.

           अगर मेरे व्यवहार ने ..
               आपको कभी
            कोई चोट पहुँचाई है, तो
  🙏  मैं आपसे क्षमा माँगता हूँ.  🙏

            यदि आपने मुझे
    कभी दुख पहुँचाया है, तो मैंने
  आपको पहले ही क्षमा कर दिया है.

     आखिर ... हमारी यात्रा एक साथ ...
                       है ही कितनी ?

     बीते सुखद समय के लिए ...
   हम वनाने वाले का आभार मानें, और
 इस जीवन यात्रा को सुखमय बनाएं।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
A *Donkey* was tied to a tree. A *_Demon_* came and untied it. The donkey ran into the fields and was destroying the crop.
The farmer's wife saw this and shot the donkey dead.

The donkey's owner was upset so he shot the farmer's wife.
The farmer came back to see his wife dead, he went and shot the donkey's owner. The wife of the owner of the donkey  asked her sons to go and burn the house of the farmer.

The boys went late evening and carried out their mother's orders happily, assuming that the farmer too would have been burnt with the house. Sadly for them it wasn't that, so the farmer came back and shot the wife & the two sons of the owner of the donkey.

Remorseful, the farmer asked the demon why did all this have to happen?
The demon said, *"I did nothing, I only released the donkey, but, all of you reacted, overacted and released the inner devil."*

🤔
*The devil doesn't do anything but wake you up by triggering the ego in you that turns into evil intent and goes harming others.*
😓

So the next time before replying, responding, reporting, rebuking or avenging a revenge, stop and think. Be careful. Many a time what the devil does is that it just _*releases the donkey*_ in us.
दुल्हन ने विदाई के वक़्त शादी को किया नामंजूर❗
(कहानी आपको सोचने पर विवश करेगी।)
शादी के बाद विदाई का समय था, नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थीं। वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखें नम थीं। नेहा ने घूँघट निकाला हुआ था, वह अपनी छोटी बहन के साथ सजाई गयी गाड़ी के नज़दीक आ गयी थी। दूल्हा अविनाश अपने खास मित्र विकास के साथ बातें कर रहा था। विकास -'यार अविनाश... सबसे पहले घर पहुंचते ही होटल अमृतबाग चलकर बढ़िया खाना खाएंगे...

यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।' तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -'हा यार..पनीर कुछ ठीक नहीं था...और रस मलाई में रस ही नहीं था।' और वह ही ही ही कर जोर जोर से हंसने लगा। अविनाश भी पीछे नही रहा -'अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे, जो खाना है खा लेना... मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..रोटियां भी गर्म नहीं थी...।' अपने पति के मुँह से यह शब्द सुनते ही नेहा जो घूँघट में गाड़ी में बैठने ही जा रही थी, वापस मुड़ी, गाड़ी की फाटक को जोर से बन्द किया... घूँघट हटा कर अपने पापा के पास पहुंची...।

अपने पापा का हाथ अपने हाथ में लिया..'मैं ससुराल नहीं जा रही पिताजी... मुझे यह शादी मंजूर नहीं।' यह शब्द उसने इतनी जोर से कहे कि सब लोग हक्के बक्के रह गए...सब नज़दीक आ गए। नेहा के ससुराल वालों पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा... मामला क्या था यह किसी की समझ में नहीं आ रहा था। तभी नेहा के ससुर राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा से पूछा -- 'लेकिन बात क्या है बहू? शादी हो गयी है...विदाई का समय है अचानक क्या हुआ कि तुम शादी को नामंजूर कर रही हो?' अविनाश की तो मानो दुनिया लूटने जा रही थी...वह भी नेहा के पास आ गया, अविनाश के दोस्त भी।

सब लोग जानना चाहते थे कि आखिर एन वक़्त पर क्या हुआ कि दुल्हन ससुराल जाने से मना कर रही है।
नेहा ने अपने पिता दयाशंकरजी का हाथ पकड़ रखा था... नेहा ने अपने ससुर से कहा -'बाबूजी मेरे माता पिता ने अपने सपनों को मारकर हम बहनों को पढ़ाया लिखाया व काबिल बनाया है। आप जानते है एक बाप केलिए बेटी क्या मायने रखती है?? आप व आपका बेटा नहीं जान सकते क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है।' नेहा रोती हुई बोले जा रही थी- 'आप जानते है मेरी शादी केलिए व शादी में बारातियों की आवाभगत में कोई कमी न रह जाये इसलिए मेरे पिताजी पिछले एक साल से रात को 2-3 बजे तक जागकर मेरी माँ के साथ योजना बनाते थे... खाने में क्या बनेगा...रसोइया कौन होगा...पिछले एक साल में मेरी माँ ने नई साड़ी नही खरीदी क्योकि मेरी शादी में कमी न रह जाये... दुनिया को दिखाने केलिए अपनी बहन की साड़ी पहन कर मेरी माँ खड़ी है... मेरे पिता की इस डेढ़ सौ रुपये की नई शर्ट के पीछे बनियान में सौ छेद है.... मेरे माता पिता ने कितने सपनों को मारा होगा...न अच्छा खाया न अच्छा पीया...

बस एक ही ख्वाहिश थी कि मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये...आपके पुत्र को रोटी ठंडी लगी!!! उनके दोस्तों को पनीर में गड़बड़ लगी व मेरे देवर को रस मलाई में रस नहीं मिला...इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है...। नेहा हांफ रही थी...।' नेहा के पिता ने रोते हुए कहा -'लेकिन बेटी इतनी छोटी सी बात..।' नेहा ने उनकी बात बीच मे काटी -'यह छोटी सी बात नहीं है पिताजी...मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं... रोटी क्या आपने बनाई! रस मलाई ... पनीर यह सब केटर्स का काम है... आपने दिल खोलकर व हैसियत से बढ़कर खर्च किया है, कुछ कमी रही तो वह केटर्स की तरफ से... आप तो अपने दिल का टुकड़ा अपनी गुड़िया रानी को विदा कर रहे है??? आप कितनी रात रोयेंगे क्या मुझे पता नहीं... माँ कभी मेरे बिना घर से बाहर नही निकली... कल से वह बाज़ार अकेली जाएगी... जा पाएगी? जो लोग पत्नी या बहू लेने आये है वह खाने में कमियां निकाल रहे...

मुझमे कोई कमी आपने नहीं रखी, यह बात इनकी समझ में नही आई??' दयाशंकर जी ने नेहा के सर पर हाथ फिराया - 'अरे पगली... बात का बतंगड़ बना रही है... मुझे तुझ पर गर्व है कि तू मेरी बेटी है लेकिन बेटा इन्हें माफ कर दे.... तुझे मेरी कसम, शांत हो जा।' तभी अविनाश ने आकर दयाशंकर जी के हाथ पकड़ लिए -'मुझे माफ़ कर दीजिए बाबूजी...मुझसे गलती हो गयी...मैं ...मैं।' उसका गला बैठ गया था..रो पड़ा था वह। तभी राधेश्यामजी ने आगे बढ़कर नेहा के सर पर हाथ रखा -'मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर बहुत कृपालु है उसने मुझे बेटी दे दी... व बेटी की अहमियत भी समझा दी... मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी शायद इसलिए कि तेरे जैसी बेटी मेरी नसीब में थी...अब बेटी इन नालायकों को माफ कर दें... मैं हाथ जोड़ता हूँ तेरे सामने... मेरी बेटी नेहा मुझे लौटा दे।' और दयाशंकर जी ने सचमुच हाथ जोड़ दिए थे व नेहा के सामने सर झुका दिया। नेहा ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए...'बाबूजी।' राधेश्यामजी ने कहा - 'बाबूजी नहीं..पिताजी।' नेहा भी भावुक होकर राधेश्याम जी से लिपट गयी थी। दयाशंकर जी ऐसी बेटी पाकर गौरव की अनुभूति कर रहे थे।
नेहा अब राजी खुशी अपने ससुराल रवाना हो गयी थीं... पीछे छोड़ गयी थी आंसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आंखें, अपने पिता का वह आँगन जिस पर कल तक वह चहकती थी.. आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गई थी किसी दूर प्रदेश में.. और किसी पेड़ पर अपना घरौंदा बनाएगी।

यह कहानी लिखते वक्त मैं उस मूर्ख व्यक्ति के बारे में सोच रहा था जिसने बेटी को सर्वप्रथम 'पराया धन' की संज्ञा दी होगी। बेटी माँ बाप का अभिमान व अनमोल धन होता है, पराया धन नहीं। कभी हम शादी में जाये तो ध्यान रखें कि पनीर की सब्ज़ी बनाने में एक पिता ने कितना कुछ खोया होगा व कितना खोएगा... अपना आँगन उजाड़ कर दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं। खाने में कमियां न निकाले... । बेटी की शादी में बनने वाले पनीर, रोटी या रसमलाई पकने में उतना समय लगता है जितनी लड़की की उम्र होती है। यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं, पिता के अरमान व जीवन का सपना होता है। बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में स्वाद कही सपनों के कुचलने के बाद आता है व उन्हें पकने में सालों लगते है, बेटी की शादी में खाने की कद्र करें। अगर उपर्युक्त बातें आपको अच्छी लगे तो कृपया दूसरों से भी साझा करें.... एक कदम बेटियों के सम्मान के खातिर।
*एक अच्छी कविता, जो मनन योग्य है।*

जाने क्यूँ,
अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नहीं होते।
जाने क्यूँ,
अब मस्त मौला मिजाज नहीं होते।

पहले बता दिया करते थे,
दिल की बातें।
जाने क्यूँ,
अब चेहरे,
खुली किताब नहीं होते।

सुना है,
बिन कहे,
दिल की बात,
समझ लेते थे।
गले लगते ही,
दोस्त हालात,
समझ लेते थे।

तब ना फेस बुक था,
ना स्मार्ट फ़ोन,
ना ट्विटर अकाउंट,
एक चिट्टी से ही,
दिलों के जज्बात,
समझ लेते थे।

सोचता हूँ,
हम कहाँ से कहाँ आ गए,
व्यावहारिकता सोचते सोचते,
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से,
समस्या का समाधान,
कहाँ पूछता है,
अब बेटा बाप से,
उलझनों का निदान,
कहाँ पूछता है,
बेटी नहीं पूछती,
माँ से गृहस्थी के सलीके,
अब कौन गुरु के,
चरणों में बैठकर,
ज्ञान की परिभाषा सीखता है।

परियों की बातें,
अब किसे भाती है,
अपनों की याद,
अब किसे रुलाती है,
अब कौन,
गरीब को सखा बताता है,
अब कहाँ,
कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी में,
हम केवल व्यावहारिक हो गये हैं,
मशीन बन गए हैं हम सब,
इंसान जाने कहाँ खो गये हैं!

इंसान जाने कहां खो गये हैं....❤🌹
*पति*: सुबह सुबह क्या घिस रही हो, हाथ पैरों मे ⁉🤫🤨

*पत्नी* : ऐलोवेरा क्रीम है, इससे skin soft होती है 🥰 ☺

*पति* : कोई ऐसी क्रीम नहीं आती,
जिसको लगाने से स्वभाव भी थोड़ा soft हो जाये!!  😜 🤩

*पत्नी* : ढूंढ तो रही हूँ,
मिल जाये तो 1 पीपा भर के लाऊं, और उसमें थोड़े दिन तुम्हें डुबो के रखूं ।

😬🤪😍😝😝😝
*चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...*

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 *"चाय पियेंगे..?"*

तो हाँ कहकर
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी
दुखभरी  बातें..!!

 *चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!*
*बेटा : पापा, मेरा एक छोटा सा प्रश्न है*...
.
*पापा : बोलो बेटा*...?
.
*बेटा : पापा मैंने सुना है कि श्री राम आज तक इसलिये पूजे जाते हैं कि उन्होंने त्रेतायुग में अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था*...!
.
*और*
.
*भक्त प्रहलाद इसलिए पूजे गये क्योंकि उन्होंने द्वापर युग में अपने पिता की बात नहीं मानी थी*...!
.
*कृपया मुझे बताओ कि मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँ या नहीं*...?
.
*पापा :  प्रिय पुत्र, यह कलयुग है...! हम दोनों के लिए अच्छा यही होगा कि हम दोनों तेरी माँ की आज्ञा का पालन करें... वरना हम दोनों पूजे जायेंगे*...!
.
😂🤣😂😅😅😍👆🙏
*👉 हमेशा अच्छा करो*

🔷 एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।

🔶 एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"

🔷 दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा.. वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता - "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"

🔶 वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की-"कितना अजीब व्यक्ति है,एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"

🔷 एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली-"मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।"

🔶 और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।

🔷 हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..। इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।

🔶 हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।

🔷 ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..। वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।

🔶 जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।

🔷 लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"

🔶 जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..। उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

🔷 और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था-
जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा,और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।।

*" निष्कर्ष "*
*🔶 हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।*🙏🏼🌹
*जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला,*
*कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..*

*कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..*
*कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..*

*कुछ छोड़ कर चले गये..*
*कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..*

*कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..*
*कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..*

*कुछ मुझे मिल के भूल गये..*
*कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..*

*कुछ शायद अनजान हैं..*
*कुछ बहुत परेशान हैं..*

*कुछ को मेरा इंतजार हैं ..*
*कुछ का मुझे इंतजार है..*

*कुछ सही है*
*कुछ गलत भी है.*
*कोई गलती तो माफ कीजिये और*
*कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।*
तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
                                    *लोग है|*

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
                                    *लोग है|*

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
                                   *लोग है|*

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
                                    *लोग है|*

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
                                    *लोग है|*

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
                                    *लोग हैै।*

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
                                    *लोग है।*

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
                                    *लोग है|*

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
                                    *लोग हैै|..*
तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए
                                    *लोग है|*

अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
                                    *लोग है|*

सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
                                    *लोग हैै।*

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
                                   *लोग है|*

प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
                                    *लोग है|*

रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
                                    *लोग है|*

भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
                                    *लोग हैै।*

तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
                                    *लोग है।*

खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
                                    *लोग है|*

तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
                                    *लोग हैै|..*
*..बुढापा..*

*किसी ने द्वार खटखटाया*
*मैं लपककर आया*
*जैसे ही दरवाजा खोला*
*तो सामने बुढ़ापा खड़ा था*
*भीतर आने के लिए*
*जिद पर अड़ा था..*

*मैंने कहा -*
*"नहीं भाई!*
*अभी नहीं*
*अभी तो यह घर मेरा है..''*

*वह  हँसा और*
*बोला-*
 ...
*घर न तेरा है न मेरा है*
*चिड़िया रैन बसेरा है..'*

*मैंने कहा -*
*".. अभी तो कुछ दिन रहने दे,*
*अभी तक*
 *अपने ही लिए जीया हूँ ..*
*अब अकल आई है*
*तो कुछ दिन*
*दूसरों के लिए भी जीने दे..''*

*बुढ़ापा बोला -*
*"अगर ऐसी बात है*
*तो चिंता मत कर..*
*उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी*
*मगर बुढ़ापा नहीं आएगा,*
*तू जब तक दूसरों के लिए जीएगा*
*खुद को जवान ही पाएगा..''*

*बढ़ती उम्र का लुत्फ़ उठाइये*

*जय हिंद*
ब्रेन-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) अर्थात दिमाग़ की नस का फटना।
मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?
एक पार्टी चल रही थी, एक महिला को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई, मगर उसने अपने आसपास के लोगों को यह कह कर आश्वस्त कर दिया कि -"सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी" ।
(यद्यपि आसपास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की...)
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई! ऐसा लग रहा था कि महिला थोड़ा अपने आप में सहज नहीं है! उस समय तो वह पूरी शाम पार्टी एन्जॉय करती रहीं, पर बाद में उसके पति का लोगों के पास फोन आया कि उसे अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने उसी शाम दम तोड़ दिया!!
दरअसल उस पार्टी के दौरान महिला को ब्रेन-हैमरेज हुआ था!
अगर वहाँ पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज वो महिला हमारे बीच जीवित होती..!!
माना कि ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज़ और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं!!
स्ट्रोक की पहचान-
बामुश्किल एक मिनट का समय लगेगा, आईए जानते हैं-
न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं-
अगर कोई व्यक्ति ब्रेन में स्ट्रोक लगने के, तीन घंटे के अंदर, अगर उनके पास पहुँच जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त (reverse) किया जा सकता है।
उनका मानना है कि सारी की सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान होकर, मरीज़ को जल्द से जल्द (यानि तीन घंटे के अंदर-अंदर) डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो सके, और बस दुःख इस बात का ही है कि अज्ञानतावश यह सब ही execute नहीं हो पाता है!!!
मस्तिष्क के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिए तीन अतिमहत्वपूर्ण बातें जिन्हें वे STR कहते हैं, सदैव ध्यान में रखनी चाहिए। अगर STR नामक ये तीन बातें हमें मालूम हों तो मरीज़ के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।
ये 3 बातें इस प्रकार हैं-
1) S = Smile अर्थात उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।
2) T = Talk यानि उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें, जैसे- 'आज मौसम बहुत अच्छा है' आदि।
और तीसरा...
3) R = Raise अर्थात उस व्यक्ति को उसके दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिए कहें।
अगर उस व्यक्ति को उपरोक्त तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुलाकर उसे न्यूरो-चिकित्सक के अस्पताल में शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह पहले से ही डाक्टर को इस बाबत खुलासा कर सके।
इनके अलावा स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है-
उस आदमी को अपनी जीभ बाहर निकालने को कहें। अगर उसकी जीभ सीधी बाहर नहीं आकर, एक तरफ़ मुड़ सी रही है, तो यह भी ब्रेन-स्ट्रोक का एक प्रमुख लक्षण है।
एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस मैसेज़ को पढ़ने वाला, इसे ज्यादा नही तो आगे, कम से कम अगर दस लोगों को भी भेजे, तो निश्चित तौर पर, कुछ न कुछ बेशकीमती "जानें" तो बचाई ही जा सकती हैं!!!
आवश्यक है कि इस जानकारी को अधिकतम शेयर करें।
जी हाँ मित्रों,
समय गूंगा नहीं, बस मौन है!!
ये तो वक्त ही बताता है, कि किसका कौन है??
🙏🌹🤝🌹🙏

Wednesday, August 28, 2019

वो भारत की अनपढ़ पीढ़ी

जो हम सबको बहुत डाँटती थी -
कहती थी

 “नल धीरे खोलो... पानी बदला लेता है!
अन्न नाली में न जाए, नाली का कीड़ा बनोगे!

          सुबह-सुबह तुलसी पर जल चढाओ,
          बरगद पूजो,
          पीपल पूजो,
         आँवला पूजो,

      मुंडेर पर चिड़िया के लिए पानी रखा कि नहीं?

     हरी सब्जी के छिलके गाय के लिए अलग बाल्टी में डालो।

  अरे कांच टूट गया है। उसे अलग रखना। कूड़े की बाल्टी में न डालना, कोई जानवर मुँह न मार दे।

      .. ये हरे छिलके कूड़े में किसने  डाले, कही भी जगह नहीं मिलेगी........

      यह पीढ़ी इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी पर पर्यावरण की चिंता करती थी, क्योंकि वह शास्त्रों की श्रुति परंपरा की शिष्य थी।
     
और हम चार किताबें पढ़ कर  उस पीढ़ी की आस्थाओं को कुचलते हुये धरती को विनाश की कगार पर ले आये।

             
और हम "आधुनिक" हो गये।🌹🍁
बहुत सुंदर
     दिल को छूने वाली लाईन


सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....😓

कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....😭

खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...

कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....

पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..

दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....

.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....

और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....

हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा भगवान था...

चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....

जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....

तो हँस कर बोला....
"तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....
आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।"

रो दिया मै.... अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....

जिसको दो घडी जपा
वो बचाने आये है...
और जिन मे हर घडी रमा रहा
वो शमशान पहुचाने आये है....


तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....
कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....
एक दम नया
👌👌👌👌👌👌👌👌

अध्यापक:- रमेश बेटा घर की परिभाषा बताओ ?
रमेश:- सर जो घर हौंसलें से बनाये जाते हैं उसे "हाउस" कहते हैं।
जिन घरों में हवन होते हैं, उन्हें "होम" कहते हैं।
जिन घरों में हवा ज्यादा चलती है उन्हें *"हवेली"*कहते हैं।
जिन घरों में दीवारों के भी कान होते हैं उन्हें "मकान" कहते हैं।
                       और
जिन घरों के लोन की किश्त भरते-भरते आदमी लेट जाता है उन्हें "फ्लेैट" कहते हैं

                       और
जिन घरों में यह भी पता ना हो कि बगल के घर में कौन रहता है उन्हें "बंगला" कहते हैं।
अध्यापक अभी तक ICU में... 😇😇😇😇😇😇😇😇
*चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...*

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 *"चाय पियेंगे..?"*

तो हाँ कहकर
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी
दुखभरी  बातें..!!

 *चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!*
*ये औरतें भी न !*

*दो मिनट की आरामदायक और*
*बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़,*
*किचन में गर्मी में तप कर*
*हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं।*
*बच्चे मुँह बिचकाकर*
*नाराज़गी दिखलाते हैं सो अलग,*
*फिर भी बाज नहीं आतीं*
✨✨✨✨✨✨✨
*ये औरतें भी न,*

*जब किसी बात पे दिल दुखे ,*
*तो घर में अकेले में आँसुओं*
*की झड़ी लगा देंगीं ।*
*लेकिन बाहर अपनी सहेलियों के*
*सामने तो ऐसे मुस्कुरायेंगीं,*
*जैसे उनके जितना*
*सुखी कोई नहीं।*

🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀🧖‍♀
*ये औरतें भी न,*

*जब कभी लड़ लेंगी पति से,*
*तो सोच लेंगी अब मुझे*
*तुमसे कोई मतलब नहीं।*
*लेकिन शाम में जब घर आने में*
*पति महाशय को देर हो जाये,*
*तो घड़ी पे टक-टकी*
*लगाए रहेगी।*
*और बच्चों से बोलेंगी,*
*"फोन कर के पापा से पूछो*
*आये क्यों नहीं अभी तक?"*
👩‍💼👸👩‍💼👸👩‍💼👸👩‍💼

*अरे यार! ये औरतें भी न,*

*तिनका तिनका जोड़कर*
*अपने आशियाने को बनाती*
*और सजाती हैं,*
*चलती और ढलती रहतीं*
*है सबके अनुसार।*
*लेकिन कभी एक कदम भी*
*बढ़ा ले अपने अनुसार,*
*तो "यहाँ ऐसे नहीं चलेगा*
*जाओ अपने घर(मायका)*
*ये सब वहीं करना।"*
*सुनके रो रोकर*
*सोचती रहतीं हैं,*
*अब मैं इस घर में नहीं रहूँगी।*
*रात भर आँसुओं से*
*तकिया गीला कर,*
*उल्लू की तरह*
*आँखें सुजा लेती हैं।*
*अगले दिन फिर से*
*सुबह उठकर*
*तैयार करने लगतीं हैं,*
*बच्चों के टिफिन और*
*सबके लिए नाश्ता।*
*बदलने लगतीं हैं*
*ड्राइंग रूम के कुशन कवर,*
*और फिर से सींचने लगतीं हैं*
*अपने लगाए पौधों को।*
*सच में एकदम पागल हैं*
*सोचतीं कुछ हैं और*
*करतीं कुछ!*
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
 *ये औरतें भी न !!!*

😏😞😒

*काश कि सभी  "तथाकथित समझदार  लोग" औरतों के उस पागलपन की कद्र करें जिसकी वजह से हमारे मकानों को दुनिया घर कहती है।*

*नारी तुम्हें शत् शत् नमन्*
🙏
कॉलेज मे एक लडका एक लडकी से प्रेम करता है....
वो उसको प्रेमपत्र लिखता है ....

"अगर तुम्हे मूझसे प्रेम है,  तो कल ​*लाल* रंग का ड्रेस पहन के आना.."​

वो प्रेमपत्र वह एक पुस्तक मे रखकर  वो पुस्तक उसको देता है....

दुसरे  दिन वो *पीले* रंग का ड्रेस पहनकर आती हैं और उसे उसका पुस्तक वापस करती है....
ये देखकर उस लडके का मन खट्टा हो जाता है...
वो उदास रहने लगता है....

कालांतर मे उस लडकी का विवाह  हो जाता है....
.
.
.
.
.
.
.
कुछ  वर्ष के बाद......

उस लडकी ने वापस की हुई  उसकी "वो" पुस्तक घर का कचरा साफ करते समय उसके हाथ से नीचे गिर जाती है ...

और ...

उसमे से एक चिठ्ठी बाहर गिरती है ...

उस चिठ्ठी मे लिखा था ...

​​" मुझे भी  तुम पसंद हो ❤...
मेरे घरवालो से आकर मिलो...
अगर घर वाले  न माने तो भी मै तुमसे ही शादी करूंगी....और हां ... *मै एक गरीब लडकी हूँ  ......*
मेरे पास *लाल* रंग का ड्रेस नही है...
SORRY...!!! 🙏🏼

ये पढकर लडके ने अपना सर पीट लिया....

*तात्पर्य* : ​ ​वर्ष मे कम से कम  *"एक बार "* कोर्स की पुस्तक​ ​खोल कर जरूर देखे .....

😃😃😂😂

*नोट* -  अब आप अपनी सारी पुरानी किताबे  छानने मत बैठ जाना...........

आपका समय कब का निकल चुका है...
अब बच्चों की पढाई पर ध्यान दीजिये...

😂😂 🤣🤣
😂😂😂
आधी रात को गली में जोर जोर से शोर शराबा सुनकर पति की आंख खुल गई 😗

उसने घर के बाहर निकल कर लोगों से पूछा हुआ क्या है :- ?
*कुछ लोगों ने उससे कहा :- सावधान रहना पानी में जहर है !!

यह सुनकर पति फटाफट वापस घर आया....

पत्नी ने पूछा :- इतना शोर शराबा इतनी आवाज गली में किस बात की है ?  हुआ क्या है ?

पति :- कुछ नहीं हुआ .... फालतु लोग हैं , तू पानी पी के चुपचाप सो जा ..

😂😂🤣🤣😂🤣😂🤣😂🤣
😀पत्नी : अगर मैं अचानक मर गई तो तुम क्या दूसरी शादी करोगे?

पति : नो डार्लिंग, ऐसा तो मैं सोच भी नहीं सकता!!!😀😀

पत्नी : क्यों, नहीं क्यों ? अरे आपके अच्छे बुरे पलों को बांटने के लिए कोई तो साथी चाहिए!!!
😀😀
प्लीज शादी कर लेना डार्लिंग!!!

पति : ओह माय शोना.. मरने के बाद की भी मेरी इतनी फ़िक्र???😀😀

पत्नी : तो प्रोमिस ? आप दूसरी शादी कर लोगे ना ?

पति : ओके बाबा, लेकिन सिर्फ तुम्हारी खातिर करूँगा !!!
😀😀
पत्नी : तुम अपनी नई पत्नी को इस घर में रखोगे ना ?

पति : हाँ, लेकिन उसे तुम्हारा कमरा कभी यूज़ नहीं करने दूंगा।😀😀

पत्नी : उसे अपनी कार चलाने दोगे ?

पति : नो, नेवर,,, उस कार को तो तुम्हारी यादगार बना के रखूंगा।
उसको दूसरी कार दिला दूंगा !!!
😀😀
पत्नी : और मेरे ज़ेवर …?

पति : वो उसे कैसे दे सकता हूँ। उनसे तुम्हारी यादें जुड़ीं होंगी। वो
अपने लिए नई ज्वेलरी मांगेगी ना !!!
😀😀
पत्नी : वो मेरी जींस पहनेगी तो ?

पति : नहीं उसका नंबर 30 है और तुम्हारा 34 !!!
😀😀
चुप्पी छा गई…

पति : ओ शिट…😀😀

पति का अंतिम संस्कार कल 10 बजे है!!!
*फिर घमंड कैसा*
 
एक माचिस की तीली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे,
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
      *आदमी की औकात !!!!*

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया,
अपनी सारी ज़िन्दगी,
परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट,
तो कहीं फुसफुसाहट....
अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात.....
बस इतनी-सी है
       *आदमी की औकात!!!!*

मरने के बाद नीचे देखा,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे.....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।

नहीं रहा........चला गया.....
चार दिन करेंगे बात.....
बस इतनी-सी है
     *आदमी की औकात!!!!!*

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा,
सामने अगरबत्ती जलायेगा,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी....
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में कोई उस तस्वीर पे,
जाले भी नही करेगा साफ़....
बस इतनी-सी है
    *आदमी की औकात !!!!!!*

जिन्दगी भर,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया....
कोई न देगा साथ.....
जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका ले जाने की भी,
है हमारी औकात ???

*ये है हमारी औकात....!!!*

*जाने कौन सी शोहरत पर,*
*आदमी को नाज है!*

*जो आखरी सफर के लिए भी,*
*औरों का मोहताज है!!!*

 *फिर घमंड कैसा ?*
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
*बस इतनी सी हैं*
              *हमारी औकात*
                     ........✍🏻
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

रेल की पटरी की तरह हैं हम दोनों
ताकते रहते हैं एक दूसरे को दूर से ही
क्या कभी मिल न पाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

लोग रिश्ता निभाते हैं, लोग रस्म निभाते हैं
लोग बंधन भी निभाते हैं, लोग मजबूरी भी निभाते हैं
क्या सिर्फ जुदाई ही निभाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

जोड़ियां बनती हैं लोगों को पता चलता है
ये एक दायरा है जो सबको निभाना पड़ता है
जो अपने दरमियाँ है किसको बताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मैं एक दिन तुमसे पूरा जुदा हो जाऊं शायद
तुम एक दिन मुझसे पूरी जुदा हो जाओ शायद
कभी सोचा है, ज़िन्दगी कैसे बिताएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

मंज़िलें एक होतीं हैं जब दो जिस्म एक होते हैं
मंज़िलें भी मिल जातीं हैं और रास्ते भी खत्म होते हैं
क्या अपनी अपनी मंज़िलों में ही समायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

एक मौका मैंने गंवा दिया था एक दिन
एक मौका तुम भी गंवा रही हो शायद
और कितने मौके गंवाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

ज़िन्दगी के हर बोल मेरे पास हैं
ज़िन्दगी के हर सुर तुम्हारे पास हैं
बोलो गीत किस दिन ज़िन्दगी का गाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारी आधी जान मैं हूँ
मुझे भी पता है मेरी आधी जान तुम हो
क्या एक दूसरे को बस आईना ही दिखाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

झूठा मुस्कुराती हो तुम मैं जान गया हूँ
झूठा मुस्कुराता हूँ मैं ये जान गई हो तुम
क्या ता उम्र झूठा ही मुस्कुरायेंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

तुम्हें भी पता है तुम्हारा आधा किस्सा हूँ मैं
मुझे भी पता मेरा आधा किस्सा हो तुम
क्या आधा आधा ही किस्सा सुनाएंगे हम तुम
क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम

सारांश....⚘⚘
हाथों में थी मेहंदी और सर पे था घूंघट
किसी की तरफ कदम बढ़ाए जा रही थी
सात फेरों के हर उस वचन में वो हर पल
किसी के साथ को भुलाए जा रही थी

वरमाला थी डाली उसने जब उसको
क्या पता उसने किया था याद किसको
उसपर जब उसने वरमाला थी डाली
वो कैसे भी कर के मुस्कुराए जा रही थी

इक नाम लिख गया था हाथों पे उसके
इक नाम मिट गया था साँसों से उसके
फिर भी ये उसकी ही हिम्मत थी जो कि
लकीरों पे उसको रचाये जा रही थी

आई  जो  बारी  फेरों  की  उस  दिन
निकली वो अपने अंधेरों से उस दिन
दिल  पे  था पत्थर पर पीछे न देखा
कदम नए सफर पर उठाये जा रही थी

हुई  विदा  जब  नए  घर  में  आई
उसने  पुरानी  कहानी  मिटाई
भुला कर के उसने था सब कुछ मिटाया
वो घर को नया घर बनाये जा रही थी

था अगले जन्म का वचन मेरा उससे
नहीं हटा पाया मैं मन मेरा उससे
मगर वो बंधी थी तो फिर खुल न पाई
वो मेरे वचन को मिटाए जा रही थी

सारांश....⚘⚘
*उम्र*

मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,
जब भी यह सवाल कोई पूछता है
मैं सोच में पड़ जाती हूँ,

बात यह नहीं, कि मैं,
उम्र बताना नहीं चाहती हूँ,
बात तो यह है, की,
मैं हर उम्र के पड़ाव को,
फिर से जीना चाहती हूँ,
इसलिए जबाब नहीं दे पाती हूँ,

मेरे हिसाब से तो उम्र,
बस एक संख्या ही है,

जब मैं बच्चो के साथ बैठ,
कार्टून फिल्म देखती हूँ,
उन्ही की, हम उम्र हो जाती हूँ,
उन्ही की तरह खुश होती हूँ,
मैं भी तब सात-आठ साल की होती हूँ,
और जब गाने की धुन में पैर थिरकाती हूँ,
तब मैं किशोरी बन जाती हूँ,
जब बड़ो के पास बैठ गप्पे सुनती हूँ,
उनकी ही तरह, सोचने लगती हूँ,
दरअसल मैं एकसाथ,
हर उम्र को जीना चाहती हूँ,

इसमें गलत ही क्या है?
क्या कभी किसी ने,
सूरज की रौशनी,
या
चाँद की चांदनी से उम्र पूछी?
या फिर खल खल करती,
बहती नदी की धारा से उम्र ??
फिर मुझसे ही क्यों ?

बदलते रहना प्रकृति का नियम है,
मैं भी अपने आप को,
समय के साथ बदल रही हूँ,
आज के हिसाब से,
ढलने की कोशिश कर रही हूँ,

कितने साल की हो गयी मैं,
यह सोच कर क्या करना?
कितनी उम्र और बची है,
उसको जी भर जीना चाहती हूँ,

एकदिन सब को यहाँ से विदा लेना है,
वह पल, किसी के भी जीवन में,
कभी भी आ सकता है,

फिर क्यों न हम,
हर पल को मुठ्ठी में, भर के जी ले,
हर उम्र को फिर से, एक बार जी ले..
🤦🏻‍♂

      *चूहा अगर पत्थर का हो तो*
             *सब उसे पूजते हैं*

      *मगर जिन्दा हो तो मारे बिना*
              *चैन नहीं लेते हैं*

         *साँप अगर पत्थर का हो*
            *तो सब उसे पूजते हैं*

       *मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त*
                   *मार देते हैं*

       *माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो*
               *तो सब पूजते हैं*

       *मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं*
                    *समझते"*

       *बस यही समझ नहीं आता के*
       *ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों*

                       *और*

        *पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों*

          *जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को*
           *कंधा देना पुण्य समझते हैं​*

       *काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान*
       *को सहारा देंना पुण्य  समझने*
        *लगे तो ज़िन्दगी आसान हो*
                    *जायेगी​*

        *एक बार जरूर सोचिए*

               
   

                        🙏🏻