Thursday, September 10, 2020

 शाम हो चली थी..

लगभग साढ़े छह बजे थे..

वही होटल, वही किनारे वाली टेबल और वही चाय, सिगरेट..

सिगरेट के एक कश के साथ साथ चाय की चुस्की ले रहा था।


उतने में ही सामने वाली टेबल पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया।


उस आदमी का शर्ट फटा हुआ था, ऊपर की दो बटने गायब थी. पैंट भी मैला ही था, रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था।


लड़की का फ्रॉक धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई थी..


उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वो बड़े कुतूहल से पूरे होटल को इधर-उधर से देख रही थी.. 

उनके टेबल के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वो बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था..


बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वो और भी प्रसन्न दिख रही थी..


उसी समय वेटर ने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा..


उस आदमी ने अपनी लड़की के लिये एक डोसा लाने का आर्डर दिया. 

यह आर्डर सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई..


और आपके लिए? वेटर ने पूछा..

नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये: उस आदमी ने कहा.


कुछ ही समय में गर्मागर्म बड़ा वाला, फुला हुआ डोसा आ गया, साथ में चटनी-सांभार भी..


लड़की डोसा खाने में व्यस्त हो गई. और वो उसकी ओर उत्सुकता से देखकर पानी पी रहा था..


इतने में उसका फोन बजा. वही पुराना वाला फोन. उसके मित्र का फोन आया था, वो बता रहा था कि आज उसकी लड़की का जन्मदिन है और वो उसे लेकर हॉटेल में आया है..


वह बता रहा था कि उसने अपनी लड़की को कहा था कि यदि वो अपनी स्कूल में पहले नंबर लेकर आयेगी तो वह उसे उसके जन्मदिन पर डोसा खिलायेगा..


और वो अब डोसा खा रही है..

थोडा पॉज..


नहीं रे, हम दोनों कैसे खा सकते हैं? हमारे पास इतने पैसे कहां है? मेरे लिये घर में बेसन-भात बना हुआ है ना..


उसकी बातों में व्यस्त रहने के कारण मुझे गर्म चाय का चटका लगा और मैं वास्तविकता में लौटा..


कोई कैसा भी हो..

अमीर या गरीब,

दोनों ही अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिये कुछ भी कर सकते हैं..

मैं उठा और काउंटर पर जाकर अपनी चाय और दो दोसे के पैसे दिये और कहा कि उस आदमी को एक और डोसा दे दो उसने अगर पैसे के बारे में पूछा तो उसे कहना कि हमनें तुम्हारी बातें सुनी आज तुम्हारी बेटी का जन्मदिन है और वो स्कूल में पहले नंबर पर आई है..


इसलिये हॉटेल की ओर से यह तुम्हारी लड़की के लिये ईनाम उसे आगे चलकर इससे भी अच्छी पढ़ाई करने को बोलना..

परन्तु, परंतु भूलकर भी "मुफ्त" शब्द का उपयोग मत करना, उस पिता के "स्वाभिमान" को चोट पहुचेंगी..


होटल मैनेजर मुस्कुराया और बोला कि यह बिटिया और उसके पिता आज हमारे मेहमान है, आपका बहुत-बहुत आभार कि आपने हमें इस बात से अवगत कराया।

उनकी आवभगत का पूरा जिम्मा आज हमारा है आप यह पुण्य कार्य और किसी अन्य जरूरतमंद के लिए कीजिएगा।

वेटर ने एक और डोसा उस टेबल पर रख दिया, मैं बाहर से देख रहा था..


उस लड़की का पिता हड़बड़ा गया और बोला कि मैंने एक ही डोसा बोला था..

तब मैनेजर ने कहा कि, अरे आपकी लड़की स्कूल में पहले नंबर पर आई है..

इसलिये ईनाम में आज हॉटेल की ओर से आप दोनों को डोसा दिया जा रहा है,

उस पिता की आँखे भर आई और उसने अपनी लड़की को कहा, देखा बेटी ऐसी ही पढ़ाई करेंगी तो देख क्या-क्या मिलेगा..

उस पिता ने वेटर को कहा कि क्या मुझे यह डोसा बांधकर मिल सकता है?


यदि मैं इसे घर ले गया तो मैं और मेरी पत्नी दोनों आधा-आधा मिलकर खा लेंगे, उसे ऐसा खाने को नहीं मिलता...

जी नहीं श्रीमान आप अपना दूसरा यहीं पर थोड़ा खाइए।


आपके घर के लिए मैंने 3 डोसे और मिठाइयों का एक पैक अलग से बनवाया है।


आज आप घर जाकर अपनी बिटिया का बर्थडे बड़ी धूमधाम से मनाइएगा और मिठाईयां इतनी है कि आप पूरे मोहल्ले को बांट सकते हो।


यह सब सुनकर मेरी आँखे खुशी से भर आई,

मुझे इस बात पर पूरा विश्वास हो गया कि जहां चाह वहां राह है....... अच्छे काम के लिए एक कदम आप आगे तो बढ़ाइए,

फिर देखिए आगे आगे होता है क्या!!

 तुम अक्सर ताना मारती थी, मैं तुम्हारे लिए कुछ लाता नही हूँ। "कुछ नही तो एक गुलाब ही लाते ना..!!"


तुम्हे पता नहीं मेघा,मैं सारे गुलाब किताबों में रख देता हूँ, इस उम्मीद से कि किसी दिन तुम्हारे पढ़ने से किताबों में रखे ये मुरझाए फूल फिर से खिल उठेंगे, फिर से कभी मुरझा जाने के लिए..!!


वैसे भी..तुम्हे जब भी कुछ दिया मैंने तो बस किताबें ही दिया। तुम्हें पता है, मेरे पास की सबसे अनमोल चीज़ तुम्हारा प्यार था..और..और..सबसे कीमती मेरी किताबें...!! कभी किसी जन्म..युग मे जब हम साथ हो सकेंगे...तब..तब..पढ़ेंगे साथ बैठकर उन तमाम आधे-अधूरे किस्सों को किताबों को, और तब..किताब में रखे वो सूखे गुलाब फिर से खिलेंगे एक बार...कभी ना मुरझाने के लिए..!!


अभी तो डरता हूँ, तुम्हे गुलाब देने से।तुम्हें देकर,तुम्हे खो देना सह्य नही होगा। पाकर खो देना क्या होता है तुम ना महसूस करो तो अच्छा है धरा। 

तुम्हें सब कुछ देकर भी बिना कुछ दिए जीता हूँ.. कि खुद को जी सकूँ तुम्हारे साथ।तुम्हे कुछ देकर तुमसे दूर नही होना।


पर..उस दिन बहुत सोचने के बाद एक हार्ट शेप का छोटा पर प्यारा सा गुब्बारा खरीदा था तुम्हारे लिए। सोचा था आज तुम्हारी शिकायत दूर कर सकूँगा।हाथ में गुब्बारा लिए जैसे ही घर से निकला सड़क पर एक 6-7 साल की बच्ची मिली..हाथ में कटोरा लिए। मैं पास ही खड़े एक गुब्बारे वाले से 30-40 गुब्बारों का गुच्छा खरीदा, उसी गुच्छे में अपना गुब्बारा भी बाँधा और उसके हाथ से कटोरा निकाल कर थमा दिया उसके नन्हें हाथों में।


बच्ची ने खुश होकर उस गुच्छे से एक गुब्बारा मेरी ओर बढ़ा दिया, मैंने भी पर्स से 40 रुपए निकाल कर उसे थमा दिया...और वो गुब्बारा ले कर अपनी बाइक के हैंडल से बाँध लिया प्यार से।

अब मेरे पास फिर से एक गुब्बारा था, और उस नन्ही बच्ची के हाथ में कटोरे के बदले गुब्बारों का गुच्छा।

मैं मुस्कुराते हुए चल पड़ा। विश्वास करो ये मुस्कुराहट तुम्हे हार्ट शेप गुब्बारा देने से मिलने वाली मुस्कान से ज्यादा अच्छी थी, क्योंकि

मुझे लग रहा था.. जैसे हज़ारों हार्ट शेप गुब्बारे मैंने एक साथ टाँक दिए हों तुम्हारे जुल्फ, चूड़ी, कँगन, चुनरी सब में।

 !! सही दिशा !! 

-------------------------------------------


एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है। टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा। वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा।


कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा- भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे? टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये। उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ। टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है। उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया। 


शिक्षा:-

इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरु कर देते हैँ, और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैँ। किसी भी काम को हाथ मेँ लेनेँ से पहले पुरी तरह सोच विचार लेवेँ कि क्या जो आप कर रहे हैँ वो आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीँ। हमेशा एक बात याद रखेँ कि दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत का कोई लाभ नहीं मिल पायेगा। इसीलिए दिशा तय करेँ और आगे बढ़े कामयाबी आपके हाथ जरुर थामेगी।

 एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी माँ पर उसकी नज़र पड़ी।


कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "शालू, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?


शालिनी बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?


यह बात नहीं है शालू...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।


अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी शालू ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।


सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..


माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"


सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....


सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......


सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा शालू, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"


अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।


पूरी ख़रीदारी करने के बाद शालिनी बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"


अरे शालू, तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।


देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।


बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए शालिनी गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।


पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।


शालिनी बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....


हैरान थी शालिनी भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....


पर्ची में लिखा था....


"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....


पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते शालिनी फफक-फफक कर रो पड़ी.....


ऐसी ही होती हैं माँ.....


दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।।


कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया अग्रसारित अवश्य कीजिए। शायद किसी का हृदय परिवर्तन हो जाए और.....

 ैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,

दौर खुदा की रहमतों का चलता रहा,


वक़्त भले ही मेरे विपरीत था,

मैं ना जरा सा भी भयभीत था,

मुझे यकीं था की एक दिन सूरज जरूर निकलेगा,

क्या हुआ जो वो हर रोज ढलता रहा,

मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,


जब भी हुआ है दीपक में तेल खत्म,

तो समझो हो गया खेल खत्म,

निचोड़ कर खून रगों का इसमें,

मैं एक दीपक की भाँति जलता रहा,

मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,


झिलमिल से ख्वाब थे इन निगाहों में,

करता रहा महनत माँ की दुआओं में,

सींचता रहा परिश्रम के पौधे को दिन रात,

और ये पौधा सफलता के पेड़ में बदलता रहा,

मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,


ये सब तुम्हारी सबकी दुआओं का असर है,

जो मिली आज इतनी सुहानी डगर है,

तह दिल से शुक्रिया मेरे चाहने वालों,

आज मेरी किस्मत का सिक्का उछलता रहा,

मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,

दौर खुदा की रहमतों का चलता रहा।🙏🙏

 एक बहुत ही घना जंगल  🌳🌴🌲था। उस जंगल में एक आम 🍋 और एक पीपल 🍃 का भी पेड़ था। एक बार मधुमक्‍खी 🐝का झुण्‍ड उस जंगल में रहने आया, लेकिन उन मधुमक्‍खी के झुण्‍ड  🐝को रहने के लिए एक घना पेड़ 🌳 चाहिए था। 


रानी 👑 मधुमक्‍खी 🐝 की नजर एक पीपल के पेड़ पर पड़ी तो रानी मधुमक्‍खी ने पीपल के पेड़ से कहा, हे पीपल भाई, क्‍या में आपके इस घने पेड़ की एक शाखा पर अपने परिवार का छत्‍ता बना लु ❓


पीपल को कोई परेशान करे यह पीपल को पसंद नही  😠था। अंहकार के कारण पीपल ने रानी मधुमक्‍खी से गुस्‍से में 😡 कहा, हटो यहाँ से, जाकर कहीं और अपना छत्‍ता बनालो। मुझे परेशान मत करो।😤


पीपल की बात सुन कर पास ही खडे आम 🍋 क पेड़ ने कहा, पीपल भाई बना लेने दो छत्‍ता। ये तुम्‍हारी शाखाओं में सुरक्षित रहेंगी। 💫☀️


पीपल ने आम से कहा, तुम अपना काम करो, इतनी ही चिन्‍ता है तो तुम ही अपनी शाखा पर छत्‍ता बनाने के लिए क्‍यों नही कह देते ❓


इस बात से आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी 🐝रानी से कहा, हे रानी मक्‍खी, अगर तुम चाहो तो तुम मेरी शाखा पर अपना छत्‍ता बना लो।


इस पर रानी मधुमक्‍खी ने आम के पेड़ का आभार व्‍यक्‍त किया और अपना छत्‍ता आम के पेड़ पर बना लिया।


समय बीतता गया और कुछ दिनो बाद जंगल में कुछ लकडहारे  आए उन लोग को आम का पेड़ दिखाई दिया और वे आपस में बात करने लगे कि इस आम  🍋क पेड़ को काट कर लकड़िया ले  लिया जाये।


वे लोग अपने औजार 🛠🪓 लकर आम 🍋 क पेड़ को काटने चले तभी एक व्‍यक्ति ने ऊपर की और देखा तो उसने दूसरे से कहा, नहीं, इसे मत काटो। ❌ इस पेड़ पर तो मधुमक्‍खी का छत्‍ता है, कहीं ये उड गई तो हमारा बचना मुश्किल हो जायेगा।😱


उसी समय एक आदमी ने कहा क्‍यों न हम लोग ये पीपल का पेड़ ही काट लिया जाए इसमें हमें ज्‍यादा लकड़िया भी मिल जायेगी और हमें कोई खतरा भी नहीं होगा।


वे लोग मिल कर पीपल के पेड़ को काटने लगे। पीपल का पेड़ दर्द के कारण जोर-जोर से चिल्‍लाने लगा, 😩😫🥺😣😱😥 बचाओ-बचाओ-बचाओ….


आम  🍋को पीपल की चिल्‍लाने की आवाज आई, तो उसने देखा कि कुछ लोग मिल कर उसे काट रहे हैं।


आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी से कहा, हमें पीपल के प्राण बचाने चाहिए….. आम के पेड़ ने मधुमक्‍खी से पीपल के पेड़ के प्राण बचाने का आग्रह किया तो मधुमक्‍खी ने उन लोगो पर हमला कर दिया, और वे लोग अपनी जान बचा कर जंगल से भाग गए।


पीपल 🍃🌳 क पेड़ ने मधुमक्‍खीयो  🐝को धन्‍यवाद दिया और अपने आचरण के लिए क्षमा मांगी।😔


तब मधुमक्‍खीयो 🐝 न कहा, धन्‍यवाद हमें नहीं, आम के पेड़ को दो जिन्‍होने आपकी जान बचाई है, क्‍योंकि हमें तो इन्‍होंने कहा था कि अगर कोई बुरा करता है तो इसका मतलब यह नही है कि हम भी वैसा ही करे।


अब पीपल को अपने किये पर पछतावा 😭🥺😩😢 हो रहा था और उसका अंहकार भी टूट चुका था।  पीपल के पेड़ को उसके अंहकार की सजा भी मिल चुकी थी।


🔰 शिक्षा:- हमे कभी अंहकार नही करना चाहिए। जितना हो सके, लोगो के काम ही आना चाहिए, जिससे वक्‍त पड़ने पर तुम भी किसी से मदद मांग सको। जब हम किसी की मदद करेंगे तब ही कोई हमारी भी मदद करेगा।

 िधार्थी जीवन 🧑‍💻👨‍🎓🙇‍♂ म समय का  ⏰महत्व


👇👇👇


समय की सही किमत ⏱ पहचानने वाला ही सफलता का सितारा  🌟बनाता है। विधार्थी जीवन के गुजरते हर क्षण 🕰करोड़ों हीरों 💎💎💎 स भी अधिक मूल्यवान होते हैं ‼️ कयोंकि ये जीवन में सुख, शान्ति और सफलता 🏆🥇परदान करने वाले होते हैं।


समय का मूल्य जानने वाला विधार्थी ही अपने जीवन में सदैव सफलता प्राप्त करता है। प्रस्तुत चित्र के ऊपरी भाग में दर्शाया गया है कि विधार्थी जीवन में समय, धन तथा तन की शक्तियों के महत्व को जानकर उनको अपने जीवन में सदुपयोग करने से सदा प्रगति के पथ पर बढ़ सकते हैं।


इन शक्तियों का उचित उपयोग करने से चिन्तन शक्ति को बढ़ावा मिलता है जिससे जीवन में नए-नए आविष्कार कर सकते हैं तथा उसके आधार से समाज अथवा देश का भला हो सकता है। इस रीति से विधार्थी अपनी बुद्धि को विकसित कर सकता है।


सदा प्रसन्न व हर्षितमुख 😊 वही विधार्थी रह सकता है जो कि अपना हर कार्य समय से पूर्व कर लेता है। इस जीवन में उमंग उत्साह तभी ही आ सकता है जबकि हम किसी भी कार्य को पूरा करने में समय की पाबंदी ⏰ का ध्यान रखते हैं। समय पर कार्य सम्पन्न करने से एक प्रकार की आत्मिक संतुष्टि तथा खुशी का अनुभव होता है। हम अपने जीवन के अमूल्य क्षणों का विवेचन करके सदा शक्ति संचय कर सकते हैं तथा उत्तरोत्तर उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। नियमित कार्य करने में ही सफलता निहित होती है।


समय के सदुपयोग ⏳ स जहाँ एक तरफ युवा जीवन का सर्वागींण विकास  🎯🎖एवं उन्नति होती है वहीं दूसरी तरफ हमें समय के दुरुपयोग से अनेक प्रकार की कठिनाइयों एवं समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।


जैसे कोई विधार्थी अपने अध्ययन के अमूल्य समय को आलस्य एवं लापरवाही के कारण सोने में व्यतीत कर देता है तो इससे वह पढ़ाई में कितना कमजोर हो जाता है इसका अनुमान लगाना भी कठिन है। पढ़ाई के साथ-साथ उसका वह समय जो आलस्य तथा निन्द्र में बीत गया वह पुन: इस जीवन में वापिस नहीं आ सकता।❌ जब वह अपना अध्ययन का कार्य समय पर पूरा नहीं कर पाता तो उसके मन में उसकी भविष्य की असफलता की चिन्ता सदैव ही उसको अशान्त किये रहती है।


विधार्थी जीवन में तो आलस्य का आना ही सफलता के दरवाजे को बंद कर दुखों के सैलाब को अमन्त्रण देना है। क्योकि दुनिया में 🌍 सब कुछ दुबारा मिल सकता है केवल बीता हुआ समय पुन: वापिस नहीं  मिल सकता। 🚫अत: विधार्थी जीवन में समय का बड़ा महत्व है।

 📚★ प्रेरणादायक कहानी ★📚


               🔥● कोई वजन नहीं ●🔥


◆ एक महात्मा तीर्थयात्रा के सिलसिले में पहाड़ पर चढ़ रहे थे। पहाड़ ऊंचा था। दोपहर का समय था और सूर्य भी अपने चरम पर था। तेज धूप, गर्म हवाओं और शरीर से टपकते पसीने की वजह से महात्मा काफी परेशान होने के साथ दिक्कतों से बेहाल हो गए। महात्माजी सिर पर पोटली रखे हुए, हाथ में कमंडल थामे हुए दूसरे हाथ से लाठी पकड़कर जैसे-तैसे पहाड़ चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। बीच-बीच में थकान की वजह से वह सुस्ता भी लेते थे।


◆ पहाड़ चढ़ते - चढ़ते जब महात्माजी को थकान महसूस हुई तो वह एक पत्थर के सहारे टिककर बैठ गए। थककर चूर हो जाने की वजह से उनकी सांस ऊपर-नीचे हो रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक लड़की पीठ पर बच्चे को उठाए पहाड़ पर चढ़ी आ रही है। वह लड़की उम्र में काफी छोटी थी और पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। वह बगैर थकान के पहाड़ पर कदम बढ़ाए चली आ रही थी। पहाड़ चढ़ते-चढ़ते जैसे ही वह लड़की महात्मा के नजदीक पहुंची, महात्माजी ने उसको रोक लिया। लड़की के प्रति दया और सहानुभूति जताते हुए उन्होंने कहा कि  बेटी पीठ पर वजन ज्यादा है, धूप तेज गिर रही है, थोड़ी देर सुस्ता लो।


 ◆ उस लड़की ने बड़ी हैरानी से महात्मा की तरफ देखा और कहा कि  महात्माजी, आप यह क्या कह रहे हैं ! वजन की पोटली तो आप लेकर चल रहे हैं मैं नहीं। मेरी पीठ पर कोई वजन नहीं है। मैं जिसको उठाकर चल रही हूं, वह मेरा छोटा भाई है और इसका कोई वजन नहीं है।


महात्मा के मुंह से उसी वक्त यह बात निकली -  क्या अद्भुत वचन है। ऐसे सुंदर वाक्य तो मैंने वेद, पुराण, उपनिषद और दूसरे धार्मिक शास्त्रों में भी नहीं देखे हैं...!!!


◆ सच में जहां आसक्ती है,ममत्व है, वही पर बोझ है वजन है..... जहां प्रेम है वहां कोई बोझ नहीं वजन नहीं..

 🙏जीवन बदलने वाली  कहानी🙏🌹


पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों 🌾🌿की तरफ निकल आये, तभी पुत्र 👱 न देखा कि रास्ते में, पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते 👞👟🥾उतरे पड़े हैं, जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर 👳‍♀ क थे.


पुत्र को मजाक 🧐सझा. उसने पिता से कहा  क्यों न आज की शाम को थोड़ी शरारत से यादगार 😃 बनायें,आखिर ... मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है. पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा.🤨


पुत्र बोला ~ हम ये जूते👞👟🥾 कहीं छुपा कर झाड़ियों🌲 क पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा😂 आएगा.उसकी तलब देखने लायक होगी, और इसका आनन्द  ☺️म जीवन भर याद रखूंगा.


पिता, पुत्र की बात को सुन  गम्भीर 🤫हये और बोले " बेटा ! किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना ❌. जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं,वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं. तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है,✅


 तो आओ .. आज हम इन जूतों👞👟🥾 म कुछ सिक्के  💰💷डाल दें और छुप कर 👀 दखें कि ... इसका मजदूर👳‍♀ पर क्या प्रभाव पड़ता है.पिता ने ऐसा ही किया और दोनों पास की ऊँची झाड़ियों  🌲🌿म छुप गए.


मजदूर 👳‍♀ जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों 👞👟🥾की जगह पर आ गया. उसने जैसे ही एक पैर 👢 जते में डाले उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ 😲, उसने जल्दी से जूते हाथ में लिए और देखा कि ...अन्दर कुछ सिक्के 💰💷 पड़े थे.


उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सिक्के हाथ में लेकर बड़े गौर से  🧐उन्हें देखने लगा.फिर वह इधर-उधर देखने लगा कि उसका मददगार 🤝शख्स कौन है ?


दूर-दूर तक कोई नज़र👀 नहीं आया, तो उसने सिक्के अपनी जेब में डाल लिए. अब उसने दूसरा जूता उठाया,  उसमें भी सिक्के पड़े थे.


मजदूर भाव विभोर  ☺️हो गया.

वो घुटनो के बल जमीन पर बैठ ...आसमान की तरफ देख फूट-फूट कर रोने लगा 😭. वह हाथ जोड़ 🙏 बोला 


हे भगवान् 🙏 ! आज आप ही ☝️ किसी रूप में यहाँ आये थे, समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके  माध्यम से जिसने भी ये मदद दी,उसका लाख-लाख धन्यवाद 🙌🙏.आपकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी 🤒🤧🤕को दवा और भूखे बच्चों 👦को रोटी🍜🥪 मिल सकेगी.तुम बहुत दयालु हो प्रभु ! आपका कोटि-कोटि धन्यवाद.🙏☺️


मजदूर की बातें सुन ... बेटे की आँखें 👁भर आयीं.😥😩


पिता 👨‍🦳न पुत्र👱 को सीने से लगाते हुयेे कहा क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू😢 और  दिए हुये आशीर्वाद🤚 तम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ❓


    बेटे ने कहा पिताजी .. आज आपसे मुझे जो सीखने ✍️🙇 को मिला है, उसके आनंद ☺️ को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ. अंदर में एक अजीब सा सुकून☺️ ह.


आज के प्राप्त सुख 🤗और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा. आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था.आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।

 जीवन बदलने वाली कहानी। 🔰


एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी माँ पर उसकी नज़र पड़ी।


कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "शालू, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?


शालिनी बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?


यह बात नहीं है शालू...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।


अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी शालू ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।


सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..


माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"


सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....


सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......


सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा शालू, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"


अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।


पूरी ख़रीदारी करने के बाद शालिनी बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"


अरे शालू, तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।


देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।


बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए शालिनी गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।


पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।


शालिनी बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....


हैरान थी शालिनी भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....


पर्ची में लिखा था....


"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....


पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते शालिनी फफक-फफक कर रो पड़ी.....


ऐसी ही होती हैं माँ.....


दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।।


कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया अग्रसारित अवश्य कीजिए। शायद किसी का हृदय परिवर्तन हो जाए और.....

 जीवन बदलने वाली कहानी। 🔰


एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी माँ पर उसकी नज़र पड़ी।


कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "शालू, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?


शालिनी बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?


यह बात नहीं है शालू...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।


अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी शालू ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।


सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..


माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"


सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....


सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......


सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा शालू, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"


अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।


पूरी ख़रीदारी करने के बाद शालिनी बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"


अरे शालू, तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।


देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।


बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए शालिनी गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।


पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।


शालिनी बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....


हैरान थी शालिनी भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....


पर्ची में लिखा था....


"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....


पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते शालिनी फफक-फफक कर रो पड़ी.....


ऐसी ही होती हैं माँ.....


दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।।


कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया अग्रसारित अवश्य कीजिए। शायद किसी का हृदय परिवर्तन हो जाए और.....

 🌝🌝 प्रेरणादायक रात्रि कहानी 🌝🌝

          


एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई.


      वह बोली, "डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"


मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"


तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। 


मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।"


मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। 


तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।"


"उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई। तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे ख़ुशी मिल सकती है, तो हो सकता है कि दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। 


इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था,के लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।"


"हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी।"


"आज,मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।"

यह सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। 


उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी। लेकिन उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।


मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।


तो आईये आज शुभारम्भ करें इस संकल्प के साथ कि आज हम भी किसी न किसी की खुशी का कारण बनें।


ऐसी जीवन को हीरे जैसा बनाने वाली बातों के लिए जुड़े रहे हमारे साथ ✅


🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

 Evening story🌝🌝🌝🌝       


           ➖ सच्ची मदद➖


_▪️एक नन्हा परिंदा अपने परिवार-जनों से बिछड़ कर अपने आशियाने से बहुत दूर आ गया था । उस नन्हे परिंदे को अभी उड़ान भरने अच्छे से नहीं आता था… उसने उड़ना सीखना अभी शुरू ही किया था ! उधर नन्हे परिंदे के परिवार वाले बहुत परेशान थे और उसके आने की राह देख रहे थे । इधर नन्हा परिंदा भी समझ नहीं पा रहा था कि वो अपने आशियाने तक कैसे पहुंचे?


 वह उड़ान भरने की काफी कोशिश कर रहा था पर बार-बार कुछ ऊपर उठ कर गिर जाता। कुछ दूर से एक अनजान परिंदा अपने मित्र के साथ ये सब दृश्य बड़े गौर से देख रहा था । कुछ देर देखने के बाद वो दोनों परिंदे उस नन्हे परिंदे के करीब आ पहुंचे । नन्हा परिंदा उन्हें देख के पहले घबरा गया फिर उसने सोचा शायद ये उसकी मदद करें और उसे घर तक पहुंचा दें ।


 अनजान परिंदा – क्या हुआ नन्हे परिंदे काफी परेशान हो ? नन्हा परिंदा – मैं रास्ता भटक गया हूँ और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है । मुझे उड़ान भरना अभी अच्छे से नहीं आता । मेरे घर वाले बहुत परेशान हो रहे होंगे । आप मुझे उड़ान भरना सीखा सकते है ? मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूँ पर कामयाबी नहीं मिल पा रही है ।_


▪️अनजान परिंदा – (थोड़ी देर सोचने के बाद )- जब उड़ान भरना सीखा नहीं तो इतना दूर निकलने की क्या जरुरत थी ? वह अपने मित्र के साथ मिलकर नन्हे परिंदे का मज़ाक उड़ाने लगा ।_


_▪️उन लोगो की बातों से नन्हा परिंदा बहुत क्रोधित हो रहा था । अनजान परिंदा हँसते हुए बोला देखो हम तो उड़ान भरना जानते हैं और अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकते हैं । इतना कहकर अनजान परिंदे ने उस नन्हे परिंदे के सामने पहली उड़ान भरी । वह फिर थोड़ी देर बाद लौटकर आया और दो-चार कड़वी बातें बोल पुनः उड़ गया ।


 ऐसा उसने पांच- छः बार किया और जब इस बार वो उड़ान भर के वापस आया तो नन्हा परिंदा वहां नहीं था ला l अनजान परिंदा अपने मित्र से- नन्हे परिंदे ने उड़ान भर ली ना? उस समय अनजान परिंदे के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी । मित्र परिंदा – हाँ नन्हे परिंदे ने तो उड़ान भर ली लेकिन तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो मित्र? तुमने तो उसका कितना मज़ाक बनाया ।_

_▪️अनजान परिंदा – मित्र तुमने मेरी सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया । लेकिन नन्हा परिंदा मेरी नकारात्मकता पर कम और सकारात्मकता पर ज्यादा ध्यान दे रहा था । इसका मतलब यह है कि उसने मेरे मज़ाक को अनदेखा करते हुए मेरी उड़ान भरने वाली चाल पर ज्यादा ध्यान दिया और वह उड़ान भरने में सफल हुआ । 


मित्र परिंदा – जब तुम्हे उसे उड़ान भरना सिखाना ही था तो उसका मज़ाक बनाकर क्यों सिखाया ? अनजान परिंदा – मित्र, नन्हा परिंदा अपने जीवन की पहली बड़ी उड़ान भर रहा था और मैं उसके लिए अजनबी था । अगर मैं उसको सीधे तरीके से उड़ना सिखाता तो वह पूरी ज़िंदगी मेरे एहसान के नीचे दबा रहता और आगे भी शायद ज्यादा कोशिश खुद से नहीं करता । मैंने उस परिंदे के अंदर छिपी लगन देखी थी। जब मैंने उसको कोशिश करते हुए देखा था तभी समझ गया था इसे बस थोड़ी सी दिशा देने की जरुरत है और जो मैंने अनजाने में उसे दी और वो अपने मंजिल को पाने में कामयाब हुआ ।


अब वो पूरी ज़िंदगी खुद से कोशिश करेगा और दूसरों से कम मदद मांगेगा । इसी के साथ उसके अंदर आत्मविश्वास भी ज्यादा बढ़ेगा । मित्र परिंदे ने अनजान परिंदे की तारीफ करते हुए बोला तुम बहुत महान हो, जिस तरह से तुमने उस नन्हे परिंदे की मदद की वही सच्ची मदद है !


   भाई बहनों, सच्ची मदद वही है जो मदद पाने वाले को ये महसूस न होने दे कि उसकी मदद की गयी है. बहुत बार लोग सहायता तो करते हैं पर उसका ढिंढोरा पीटने से नहीं चूकते. ऐसी सहायता किस काम की!


▪️परिंदों की ये कहानी हम इंसानो के लिए भी एक सीख है कि हम लोगों की मदद तो करें पर उसे जताएं नहीं !🐥


    🌻🌻🌻 शभ संध्या

 🍃त खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की

समय को भी तलाश है

समय को भी तलाश है

🍃 🍃🍃🍃

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ

समझ न इन को वस्त्र तू 

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ

समझ न इन को वस्त्र तू 

ये बेड़ियां पिघाल के

बना ले इनको शस्त्र तू

बना ले इनको शस्त्र तू

तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की

समय को भी तलाश है

समय को भी तलाश है

🍃 🍃🍃🍃

चरित्र जब पवित्र है

तोह क्यों है ये दशा तेरी

चरित्र जब पवित्र है

तोह क्यों है ये दशा तेरी

ये पापियों को हक़ नहीं

की ले परीक्षा तेरी

की ले परीक्षा तेरी

तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की

समय को भी तलाश है

🍃 🍃🍃🍃

जला के भस्म कर उसे

जो क्रूरता का जाल है

जला के भस्म कर उसे

जो क्रूरता का जाल है

तू आरती की लौ नहीं

तू क्रोध की मशाल है

तू क्रोध की मशाल है

तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की

समय को भी तलाश है

समय को भी तलाश है

🍃 🍃🍃🍃

चूनर उड़ा के ध्वज बना

गगन भी कपकाएगा 

चूनर उड़ा के ध्वज बना

गगन भी कपकाएगा 

अगर तेरी चूनर गिरी

तोह एक भूकंप आएगा

एक भूकंप आएगा

तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की

समय को भी तलाश है

समय को भी तलाश है |🍃


▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

 🙏जीवन बदलने वाली  कहानी🙏🌹


पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों 🌾🌿की तरफ निकल आये, तभी पुत्र 👱 न देखा कि रास्ते में, पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते 👞👟🥾उतरे पड़े हैं, जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर 👳‍♀ क थे.


पुत्र को मजाक 🧐सझा. उसने पिता से कहा  क्यों न आज की शाम को थोड़ी शरारत से यादगार 😃 बनायें,आखिर ... मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है. पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा.🤨


पुत्र बोला ~ हम ये जूते👞👟🥾 कहीं छुपा कर झाड़ियों🌲 क पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा😂 आएगा.उसकी तलब देखने लायक होगी, और इसका आनन्द  ☺️म जीवन भर याद रखूंगा.


पिता, पुत्र की बात को सुन  गम्भीर 🤫हये और बोले " बेटा ! किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना ❌. जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं,वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं. तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है,✅


 तो आओ .. आज हम इन जूतों👞👟🥾 म कुछ सिक्के  💰💷डाल दें और छुप कर 👀 दखें कि ... इसका मजदूर👳‍♀ पर क्या प्रभाव पड़ता है.पिता ने ऐसा ही किया और दोनों पास की ऊँची झाड़ियों  🌲🌿म छुप गए.


मजदूर 👳‍♀ जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों 👞👟🥾की जगह पर आ गया. उसने जैसे ही एक पैर 👢 जते में डाले उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ 😲, उसने जल्दी से जूते हाथ में लिए और देखा कि ...अन्दर कुछ सिक्के 💰💷 पड़े थे.


उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सिक्के हाथ में लेकर बड़े गौर से  🧐उन्हें देखने लगा.फिर वह इधर-उधर देखने लगा कि उसका मददगार 🤝शख्स कौन है ?


दूर-दूर तक कोई नज़र👀 नहीं आया, तो उसने सिक्के अपनी जेब में डाल लिए. अब उसने दूसरा जूता उठाया,  उसमें भी सिक्के पड़े थे.


मजदूर भाव विभोर  ☺️हो गया.

वो घुटनो के बल जमीन पर बैठ ...आसमान की तरफ देख फूट-फूट कर रोने लगा 😭. वह हाथ जोड़ 🙏 बोला 


हे भगवान् 🙏 ! आज आप ही ☝️ किसी रूप में यहाँ आये थे, समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके  माध्यम से जिसने भी ये मदद दी,उसका लाख-लाख धन्यवाद 🙌🙏.आपकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी 🤒🤧🤕को दवा और भूखे बच्चों 👦को रोटी🍜🥪 मिल सकेगी.तुम बहुत दयालु हो प्रभु ! आपका कोटि-कोटि धन्यवाद.🙏☺️


मजदूर की बातें सुन ... बेटे की आँखें 👁भर आयीं.😥😩


पिता 👨‍🦳न पुत्र👱 को सीने से लगाते हुयेे कहा क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू😢 और  दिए हुये आशीर्वाद🤚 तम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ❓


    बेटे ने कहा पिताजी .. आज आपसे मुझे जो सीखने ✍️🙇 को मिला है, उसके आनंद ☺️ को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ. अंदर में एक अजीब सा सुकून☺️ ह.


आज के प्राप्त सुख 🤗और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा. आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था.आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।

 जीवन बदलने वाली कहानी। 🔰


एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी माँ पर उसकी नज़र पड़ी।


कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "शालू, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?


शालिनी बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?


यह बात नहीं है शालू...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।


अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी शालू ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।


सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..


माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"


सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....


सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......


सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा शालू, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"


अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।


पूरी ख़रीदारी करने के बाद शालिनी बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"


अरे शालू, तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।


देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।


बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए शालिनी गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।


पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।


शालिनी बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....


हैरान थी शालिनी भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....


पर्ची में लिखा था....


"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....


पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते शालिनी फफक-फफक कर रो पड़ी.....


ऐसी ही होती हैं माँ.....


दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।।


कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया अग्रसारित अवश्य कीजिए। शायद किसी का हृदय परिवर्तन हो जाए और....

 ★ प्रेरणादायक कहानी ★📗


    💐भगवद्गीता के कर्म योगकी कहानी💐


_★आज अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया। अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू  में केस की जांच की।


अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो,उसके इलाज की सारी व्यवस्था की जाए । रुपए लेने से भी या मांगने से भी मना किया।


★15 दिन तक मरीज  अस्पताल में रहा। जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का बिल अस्पताल के मालिक डॉक्टर की टेबल पर आया, डॉक्टर ने अपने अकाउंट  मैनेजर को बुला करके कहा इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है।_


_★ अकाउंट मैनेजर ने कहा कि डॉक्टर साहब तीन लाख का बिल है।नहीं लेंगे तो कैसे काम चलेगा।  डॉक्टर ने कहा कि दस लाख का भी क्यों न हो। एक पैसा भी नहीं लेना है।_


★ "ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ, और हां तुम भी साथ में जरूर आना"।


_★ मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया। साथ में मैनेजर भी था। डॉक्टर ने मरीज से पूछा प्रवीण भाई! मुझे पहचानते हो! मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है! 


_★डॉक्टर ने याद दिलाया- 3 साल पहले मैं पिकनिक पर गया था। लौटते समय कार बंद हो गयी और अचानक कार 🚘🚖🚙 म से धुआं निकलने लगा। कार एक तरफ खड़ी कर थोड़ी देर हम लोगों ने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई। दिन अस्त होने वाला था। अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था।_


_★ चारों ओर जंगल और सुनसान था। परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी।  मैं, पत्नी, युवा पुत्री और छोटा बालक। सब भगवान से प्रार्थना करने लगे कि कोई मदद मिल जाए।_


_★ थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ।** मैले कपड़े में एक युवा बाइक के ऊपर उधर ही आता हुआ दिखा।**  हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके उसको रुकने का इशारा किया।_


_★ वह तुम ही थे न प्रवीण भाई! तुमने गाड़ी खड़ी करके हमारी परेशानी का कारण पूछा। फिर तुम कार के पास गए। कार का बोनट खोला और चेक किया।  हमारे परिवार को और मुझको ऐसा लगा कि जैसे भगवान् ने हमारी मदद करने के लिए तुमको भेजा है क्योंकि बहुत सुनसान था ।अंधेरा भी होने लगा था, और जंगल घना था। वहां पर रात बिताना बहुत मुश्किल था,और खतरा भी बहुत था!


_★ तुमने हमारी कार चालू कर दी। हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।  मैंने जेब से पर्स निकाला और तुमसे कहा भाई सबसे पहले तो तुम्हारा बहुत आभार।


★ "रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल में मदद नहीं मिलती। तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है।अमूल्य है परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूं बताओ कितने पैसे दूं"।


_★ उस समय तुमने मेरे से हाथ जोड़कर कहा जो कहा था वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये।  तुमने कहा_


★ मेरा नियम और सिद्धांत है कि मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी पैसे नहीं लेता।  मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान रखते हैं।

 

★ एक गरीब और सामान्य आय का व्यक्ति अगर इस प्रकार के उच्च विचार रखे, और उनका संकल्प पूर्वक पालन करे, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। यह बात मेरे भी मन में आई।


_★ तुमने कहा कि यहां से 10 किलोमीटर आगे मेरा गेराज  है। मैं गाड़ी के पीछे पीछे चल रहा हूं। गैराज़ पर चलकर के पूरी तरह से गाड़ी चेक कर लूंगा, और फिर आप आगे यात्रा करें।_


_★ मैं न तो तुमको भूला ना तुम्हारे शब्दों को और मैंने भी अपने जीवन में वही संकल्प ले लिया 3 साल हो गए। मुझे कोई कमी नहीं पड़ी। मुझे मेरी अपेक्षा से भी अधिक मिला क्योंकि मैं भी तुम्हारे सिद्धांत के अनुसार चलने लगा।_


★ एक बात मैंने सीखी कि बड़ा दिल तो गरीब और सामान्य लोगों का भी होता है।  उस समय मेरी तकलीफ देखकर तुम चाहे जितने पैसे मांग सकते थे परंतु तुमने पैसे की बात ही नहीं की। पहले कार चालू की और फिर भी कुछ भी नहीं लिया।_


_★ प्रवीण ने कहा कि साहब आपका जो खर्चा है वह तो ले लो। डॉक्टर ने कहा कि मैंने अपना परिचय का कार्ड तुमको उस वक्त नहीं दिया क्योंकि तुम्हारे शब्दों ने मेरी अंतरात्मा को जगा दिया।_


_★ अब मैं भी अस्पताल में आए हुए ऐसे संकट में पड़े लोगों से कुछ भी नहीं लेता हूँ। यह ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वह मजदूरी का हिसाब आज चुका दिया।_


★ एक सामान्य व्यक्ति का सामान्य कर्म सूत्र भी ज्ञानवर्धक हो सकता है ।


🔰 आपकी जिंदगी बदल रहा है यह चैनल जुड़े रहें जोड़ते रहें और समाज में सकारात्मकता यूं ही फैलाते रहे।

 ★ प्रेरणादायक कहानी ★📚


               🔥● कोई वजन नहीं ●🔥


◆ एक महात्मा तीर्थयात्रा के सिलसिले में पहाड़ पर चढ़ रहे थे। पहाड़ ऊंचा था। दोपहर का समय था और सूर्य भी अपने चरम पर था। तेज धूप, गर्म हवाओं और शरीर से टपकते पसीने की वजह से महात्मा काफी परेशान होने के साथ दिक्कतों से बेहाल हो गए। महात्माजी सिर पर पोटली रखे हुए, हाथ में कमंडल थामे हुए दूसरे हाथ से लाठी पकड़कर जैसे-तैसे पहाड़ चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। बीच-बीच में थकान की वजह से वह सुस्ता भी लेते थे।


◆ पहाड़ चढ़ते - चढ़ते जब महात्माजी को थकान महसूस हुई तो वह एक पत्थर के सहारे टिककर बैठ गए। थककर चूर हो जाने की वजह से उनकी सांस ऊपर-नीचे हो रही थी। तभी उन्होंने देखा कि एक लड़की पीठ पर बच्चे को उठाए पहाड़ पर चढ़ी आ रही है। वह लड़की उम्र में काफी छोटी थी और पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। वह बगैर थकान के पहाड़ पर कदम बढ़ाए चली आ रही थी। पहाड़ चढ़ते-चढ़ते जैसे ही वह लड़की महात्मा के नजदीक पहुंची, महात्माजी ने उसको रोक लिया। लड़की के प्रति दया और सहानुभूति जताते हुए उन्होंने कहा कि  बेटी पीठ पर वजन ज्यादा है, धूप तेज गिर रही है, थोड़ी देर सुस्ता लो।


 ◆ उस लड़की ने बड़ी हैरानी से महात्मा की तरफ देखा और कहा कि  महात्माजी, आप यह क्या कह रहे हैं ! वजन की पोटली तो आप लेकर चल रहे हैं मैं नहीं। मेरी पीठ पर कोई वजन नहीं है। मैं जिसको उठाकर चल रही हूं, वह मेरा छोटा भाई है और इसका कोई वजन नहीं है।


महात्मा के मुंह से उसी वक्त यह बात निकली -  क्या अद्भुत वचन है। ऐसे सुंदर वाक्य तो मैंने वेद, पुराण, उपनिषद और दूसरे धार्मिक शास्त्रों में भी नहीं देखे हैं...!!!


◆ सच में जहां आसक्ती है,ममत्व है, वही पर बोझ है वजन है..... जहां प्रेम है वहां कोई बोझ नहीं वजन नहीं..

 Inspired Motivational Thought🔰


एक मेंढकों की टोली जंगल के रास्ते से जा रही थी. अचानक दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गये. जब दूसरे मेंढकों ने देखा कि गढ्ढा बहुत गहरा है तो ऊपर खड़े सभी मेढक चिल्लाने लगे ‘तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते, गढ्ढा बहुत गहरा है, तुम दोनों इसमें से निकलने की उम्मीद छोड़ दो. 


उन दोनों मेढकों ने शायद ऊपर खड़े मेंढकों की बात नहीं सुनी और गड्ढे से निकलने की लिए लगातार वो उछलते रहे. बाहर खड़े मेंढक लगातार कहते रहे ‘ तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो, तुम्हें हार मान लेनी चाहियें, तुम दोनों को हार मान लेनी चाहियें. तुम नहीं निकल सकते.


गड्ढे में गिरे दोनों मेढकों में से एक मेंढक ने ऊपर खड़े मेंढकों की बात सुन ली, और उछलना छोड़ कर वो निराश होकर एक कोने में बैठ गया. दूसरे  मेंढक ने  प्रयास जारी रखा, वो उछलता रहा जितना वो उछल सकता था.


बहार खड़े सभी मेंढक लगातार कह रहे थे कि तुम्हें हार मान लेनी चाहियें पर वो मेंढक शायद उनकी बात नहीं सुन पा रहा था और उछलता रहा और काफी कोशिशों के बाद वो बाहर आ गया.  दूसरे मेंढकों ने कहा ‘क्या तुमने हमारी बात नहीं सुनी.


उस मेंढक ने इशारा करके बताया की वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वो बेहरा है सुन नहीं सकता, इसलिए वो किसी की भी बात नहीं सुन पाया. वो तो यह सोच रहा था कि सभी उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं. 


✍🏻कहानी से सीख:- 

1. जब भी हम बोलते हैं उनका प्रभाव लोगों पर पड़ता है, इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें. 

2. लोग चाहें जो भी कहें आप अपने आप पर पूरा विश्वाश रखें और सकरात्मक सोचें.

3. कड़ी मेहनत, अपने ऊपर विश्वाश और सकारात्मक सोच से ही हमें सफलता मिलती है.

 1) ❛सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है

और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है।❜


2) "कोशिश" न कर,तू सभी को ख़ुश रखने की,

नाराज तो यहाँ, कुछ लोग, खुदा से भी हैं....!!


3) हम भी लगाव रखते हैं

पर बोलते नही,

क्योकि हम रिश्ते निभाते है

तौलते नही..........🌹


4) ❛दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती, 

मुझे उजड़ी हुई ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती !


चलती तो समंदर का भी सीना चीर सकती थीं, 

यूँ साहिल पे ठहरी कश्तियां अच्छी नहीं लगती !


खुदा भी याद आता है ज़रूरत पे यहां सबको, 

दुनिया की यही खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती !


उन्हें  कैसे  मिलेगी  माँ  के  पैरों  के तले  जन्नत, 

जिन्हें अपने घरों में बच्चियां अच्छी नहीं लगती !❜


5) कभी कभी मरहम नहीं.

जख्म भी इन्सान को जिंदा रखता है।


6) हम जैसे सिरफिरे ही इतिहास रचते हैं !

समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं !!


7) बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत देर तक परखा,

तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है


8) दस्तक और आवाज तो कानों के लिए है..

जो रुह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं..."

 कुछ घटनाएँ आत्मा को झकझोर देती हैं....

केरल में क्रूरता की बलि चढ़ी

गर्भिणी हथिनी की आत्मकथा

--------------------------------------


मैं थी कोई अबला प्राणी

और दैत्य सम संसार था

आहार ढूंढने निकली थी

गर्भस्थ शिशु का भार था


दूर कहीं पर बस्ती देखी

मुझे लगा भल मानस हैं

क्या जानूँ मैं निरीह पशु 

वो विकराल भयानक हैं


चल पड़ी मैं शरण माँगने

पर हृदय स्पंदन करता था

कोख में धारे बालगणेश

जो मेरे भरोसे पलता था


जात से 'आदम' लगते थे

आस में अंतस आतुर था

कुछ फल बस माँग लिए

भ्रूण भूख से व्याकुल था


इतने में 'वो' फल ले आया

हाथ बढ़ाया मुझे खिलाया

खाते  ही  कुछ चोट हुआ

ज्वाला-सा विस्फोट हुआ


लाल मेरा तू घबराना मत

अकुलायी मैं भरमाती थी

यहाँ  वहाँ  मैं दौड़ी भागी

पानी पानी! चिल्लाती थी


कालकूट-सी विष अग्नि

अन्धकार बस दिखते थे

कराह रही थी  पीड़ा से

वो आदम सारे हँसते थे


निर्ममता यह मानव बुद्धि

मैं क्या जानूँ वनप्राणी थी

भीख मिली एक फल की

'कीमत'  बड़ी चुकानी थी


पौधे हिरणें हे रवि किरणें

कोई तो जलकुंड बता दो

नन्हा बालक सहमा होगा

कोई तो जलकुंड बता दो


जाने किसने सुना विलाप

जाने किसको थाह मिली

मदद माँगती  इस माँ को

एक 'नदी' तब राह मिली


शीतल जल की धार लिए

सुख आलिंगन करती थी

गोद बिठाए रही अंत तक

वह मेरा क्रंदन सुनती थी


माँ की पीड़ा  माँ ही जाने

जलअंचल में शरण दिया

रक्तपात और घात मवाद

जलप्रवाह ने भरण किया


उदर डुबाए  जलधारा में

माँ का ढाँढ़स गिरता था

पुकारती मैं रही निरन्तर

मौन ही उत्तर मिलता था


छोड़ गया संवाद अधूरा

तीन दिवस थे बीत गए

पशुत्व मेरा अपराध था

मानव रे तुम जीत गए !


मानव रे तुम जीत गए !

 किश्तों में नींद आती है,

किश्तों में सिसकती है ये साँस,

किश्तों में ही अलग होता हूँ सपनों से,

किश्तों में ही जाता हूँ अपनों के पास,

किश्तों का है मुझसे न जाने कब से वास्ता,

किश्तों में ही मिलता है मेरे जीवन का रास्ता,

किश्तों में मैं आजकल अपनापन ढूँढता हूँ,

किश्तों में ही पूरा ना होने की अधूरी वजह ढूँढता हूँ,

किश्तों को किश्तों में बुलाकर पूछ ही डाला,

किश्तों भरे माहौल में मुझे क्यूँ है पाला,

किश्तों ने दबाव में आकर बता ही डाला

किश्तों को जितना हम क़रीने से जोड़ेगे,

किश्तों के जोड़ में ही हम पूरे से मिलेंगे,

किश्तों के जवाब से सन्तुष्ट होकर हमने सोचा,

किश्तों में अब तक जिया है,आगे भी जी लेंगे,

किश्तों में ज़िंदगी जीने का अलग ही मज़ा है,

किश्तों की जगह पूरा मिले तो जीवन एक सजा है,

किश्तों में ही नींद आती है तो क्या हुआ,आने दो।

 गुरु

गहन और सूक्ष्म ज्ञान से परिपूर्ण करने वाला

रहस्यमय और भ्रमित जीवन को भ्रांतियों से परे सार्थकता सिद्ध करने वाला


आचार्य

आचार विचार शुद्ध और परिष्कृत करने वाला

चर्चा की आवश्यकता ही नहीं, चेहरा देखकर ही शिष्य का भविष्य गढ़ने वाला

रक्षण हेतु लक्षण सिखाने वाला

युवान को परिपक्वता और जीवन दर्शन का बोध कराने वाला


शिक्षक

शिष्टाचार सिखा शिखर पर पहुँचाने का प्रयास करने वाला

क्षेत्र विशेष में रुचि को पहचानकर उसे दिशा देने वाला

कमियों को दूर कर विशेषताओं को निखारने वाला


अध्यापक

अध्ययन को सहज सुलभ और सुगम बनाने वाला

ध्येय को पाने हेतु लगन पैदा करने वाला

योग्यताओं को विस्तृत आकार देने वाला

पाप पुण्य के प्रथम सोपान बताने वाला

कर्ता भाव को जागृत करने वाला


आधुनिक काल में सम्बोधित करने वाले शब्दों को भी क्यों छोड़ा जाए🤭


सर

सोच को मूर्तरूप देने वाला

रूखी बातों से भी ज्ञान का प्रर्दशन करने वाला


मैडम

मानव जाति को इंसान बनाने वाली

डेडलाइन्स देकर छात्रों को सिखाने वाली

मन में महत्वपूर्ण विचारधारा उत्पन्न कर बच्चों को स्वभाविक शिक्षा देकर भविष्य संवारने वाली।


सभी गुरुजनों को नमन 🙏 🙏 🙏


शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं 🙏 🙏

 जो कह दिया वह *शब्द* थे ;

      जो नहीं कह सके 

             वो *अनुभूति* थी ।।

और, 

     जो कहना है मगर ;

           कह नहीं सकते, 

                  वो *मर्यादा* है ।।


*जिंदगी* का क्या है ?

            आ कर *नहाया*, 

                     और, 

           *नहाकर* चल दिए ।।


*बात पर गौर करना*- ----


*पत्तों* सी होती है 

        कई *रिश्तों की उम्र*, 

आज *हरे*-------!

कल *सूखे* -------!


क्यों न हम, 

*जड़ों* से; 

रिश्ते निभाना सीखें ।।


रिश्तों को निभाने के लिए, 

कभी *अंधा*,

कभी *गूँगा*,

    और कभी *बहरा* ;

            होना ही पड़ता है ।।


*बरसात* गिरी 

  और *कानों* में इतना कह गई कि---------!

*गर्मी* हमेशा 

        किसी की भी नहीं रहती ।।


*नसीहत*, 

             *नर्म लहजे* में ही 

               अच्छी लगती है ।

क्योंकि, 


*दस्तक का मकसद*, 

    *दरवाजा* खुलवाना होता है; 

                         तोड़ना नहीं ।।


*घमंड*-----------! 

किसी का भी नहीं रहा, 

*टूटने से पहले* ,

*गुल्लक* को भी लगता है कि ;

*सारे पैसे उसी के हैं* ।


जिस बात पर ,

कोई *मुस्कुरा* दे;

बात --------!

बस वही *खूबसूरत* है ।।


थमती नहीं, 

     *जिंदगी* कभी, 

          किसी के बिना ।।

मगर, 

         यह *गुजरती* भी नहीं, 

                 अपनों के बिना ।।

 👉 *अच्छे कर्म करते रहिए*


*एक राजा की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था, एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl*


राजा ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था! *लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, राजा ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन लोग राजा को पहचान ना सके और पूछा क्या बात है? राजा ने कहा इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया?* लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है


राजा ने कहा क्या ये "इंसान" नहीं है? और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, *उसकी बीवी पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है" इस बात पर राजा को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है?* लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ लगाने को भी तैयार ना थे?"


उसकी बीवी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि *मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ,* उसी रात इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता *भगवान का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे।*


मैं अपने पति से कहती *"याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना ही कोई तुम्हारा क्रियाकर्म करेंगा ना ही तुम्हारी चिता को कंधा देंगे वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी* कि मेरी चिता खुद राजा और भगवान के नेक बंदे उठायेंगे..


यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं राजा हूं, अब इसका क्रियाकर्म में ही करूँगा ओर इसको कंधा भी में ही दूंगा


*हमेशा याद रखिये अपना किया कर्म कभी खाली नही जाता*

 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


          *जैसे कर्म करेगा, वैसा....*


शर्माजी ऊपर के कमरे मे महीनों से उपेक्षित पड़ी माँ का हालचाल पूछने चाय का कप लेकर गए थे....


वापस उतर कर आये तो पत्नी ने टोक दिया....."क्या बात है... आज तो बड़ा माताजी का समाचार लिया जा रहा है ......

 

क्या श्रवण कुमार बनने का इरादा जाग रहा है मन मे....


"अरे कुछ नहीं.... वो पीछे वाली दुकान के लिए ग्राहक आ रहे हैं..... मैं तो बस दाम बढने की राह देख रहा था.... अब हस्ताक्षर तो मां का हीं चाहिए होगा ना कागजो पर... इसीलिए एक प्याली चाय ..... मक्खन वाली ... समझा करो.... शर्माजी ने धीरे से से असल बात पत्नी को बताई....


शाम को सोफे पर बैठकर शर्माजी चाय की चुस्कियाँ लेने लगे..... और दिनों से आज चाय मे दूध का स्वाद कुछ ज्यादा ही बढा हुआ था। स्वाद कुछ अलग लगा तो पूछ बैठे.... "चाय किसने बनाई है आज ...


"आपकी बिटिया ने बनाई है..... पहली बार कुछ बनाया है जाकर रसोई मे.... वो भी अपनी इच्छा से"... 


पत्नी बताते हुए फूली न समा रही थी.....


सचमुच !... अरे वाह ! .... चलो बिटिया समझदार हो रही है .... कहाँ है हमारी राजकुमारी.....भई इतनी अच्छी चाय का इनाम तो बनता है" .....शर्माजी प्रसन्नता की सीढ़ियाँ चढ़ रहे थे.... 


यहीं है .... अपने कमरे मे..... वो उसकी सहेली आई है ना, पत्नी ने बताया.. 


कमरे में दोनों सहेलियाँ खिलखिला रही थीं.....


"अच्छा सच बता.... ये चाय वाय, चक्कर क्या है....सहेली ने कुरेदते हुए पूछा.... 


"अरे कुछ नही यार.... वो कल रात वाली पार्टी मैं मिस नहीं करना चाहती.... बस इसीलिए थोड़ा मक्खन लगाया जा रहा है....और क्या.... वैसे मैं  और चाय.... मगर चाय हीं क्यों ?....


सहेली ने फिर पूछा तो शर्माजी की होनहार बिटिया बोली .... यार तू नहीं समझेगी .... ये ऐसी वैसी चाय नही है.... मक्खन वाली चाय है मक्खन वाली ......मतलब जब माँ-बाप को उल्लू बनाना हो, तब बड़े काम आती है.... खुद पापा भी यही करते है दादी के साथ ...काम निकलवाने को पिलाते हैं मक्खन वाली चाय ... और वह भी खुद लेकर जाते हैं.... ऊपर वाले तल्ले पर दादी के कमरे में....


शर्माजी की बिटिया हँसने लगी.... सुनकर उसकी सहेली भी हँस पड़ी....।

.

वहीं दरवाज़े पर खड़े-खड़े शर्मा जी और उनकी पत्नी सुन्न हुए जा रहे थे..... दोस्तों यही है ईश्वर का न्याय ... जैसे को तैसा....


*जैसे कर्म करेगा, वैसा फल देगा भगवान....*


*ये है गीता का ज्ञान.... ये है गीता का ज्ञान....*


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 *समस्या रूपी बंदर*


एक बार स्वामी विवेकानंद को बंदरों का सामना करना पड़ा था। वह इस आप बीती को कई अवसरों पर बड़े चाव के साथ सुनाया करते थे। इस अनुभव का लाभ उठाने की बात भी करते थे।


उन दिनों स्वामी जी काशी में थे वह एक तंग गली में गुजर रहे थे। सामने बंदरों का झुंड आ गया। उनसे बचने के लिए स्वामी जी पीछे को भागे। परंतु वे उनके आक्रमण को रोक नहीं पाए। बंदरों ने उनके कपडे तो फाड़े ही शरीर पर बहुत-सी खरोंचें भी आ गईं। दो-तीन जगह दांत भी लगे।


शोर सुनकर पास के घर से एक व्यक्ति ने उन्हें खिड़की से देखा तुरंत कहा- *“स्वामी जी! रुक जाओ, भागो मत। घूंसा तानकर उनकी तरफ बढ़ो।“*


स्वामी जी के पांव रुके। घूंसा तानते हुए उन्हें ललकारने लगे। बंदर भी डर गए और इधर-उधर भाग खड़े हुए। स्वामीजी गली को बड़े आराम से पार कर गए।


इस घटना को सुनाते हुए स्वामी जी अपने मित्रों तथा शिष्यों को कहा करते- *“मित्रो! हमें चाहिए कि विपरीत हालात में डटे रहें, भागें नहीं। घूंसा तानें। सीधे हो जाएं। आगे बढ़े। पीछे नहीं हटें। कामयाबी हमारे कदमों में होगी।“*


_*वास्तव में समस्या पलायन से नहीं सामना करने से खत्म होती है। भागने वालों का समस्या बंदर की भाँति पीछा करती है।*_

 *धीरे-धीरे एक एक शब्द पढियेगा, हर एक वाक्य में कितना दम है ।* 


*"आंसू" जता देते है, "दर्द" कैसा है?*

*"बेरूखी" बता देती है, "हमदर्द" कैसा है?*


*"घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है?*

 *"संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है?*


*"बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है?*

*"बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है?*


*"ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है?*

*"नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है?*


*"स्पर्श" बता देता है, "नीयत" कैसी है?*

 *और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा समाज में बदलाव क्यों नहीं आता क्योंकि गरीब मैं हिम्मत नहीं मध्यम को फुर्सत नहीं और अमीर को जरूरत नहीं

           

*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय"*

     समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....

       *पानी के बिना, नदी बेकार है*

     अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*

  *प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*

       पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है।

           *और जीवन में गुरु न हो*

               तो जीवन बेकार है।

                इसलिए जीवन में 

                  *"गुरु"जरुरी है।*

                  *"गुरुर" नही"*

 

    

*जीवन में किसी को रुलाकर*

    *हवन भी करवाओगे तो*

       *कोई फायदा नहीं*

🌼🌿🌼🌿🌼🌿🌼

 *और अगर रोज किसी एक*

*आदमी को भी हँसा दिया तो*

             *मेरे दोस्त*

     *आपको अगरबत्ती भी*

   *जलाने की जरुरत नहीं*

🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸

       *कर्म ही असली भाग्य है*


 धीरे धीरे पढिये पसंद आएगा...


1👌मसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....


2👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं.... 


3👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..


4👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...


5👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...


6👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है कि माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....


7👌जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है.. सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...


8👌खशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...


9👌जिंदगी भी वीडियो गेम सी हो गयी है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल और मुश्किल आ जाता हैं.....


10👌इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......


11👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो, क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है..


🙏🙏जयश्री कृष्ण

 01 : - सज्जन की राय का उल्लंघन न करें।


02 : - गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है।


03 : - दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है।


04 : - मृतिका पिंड (मिट्टी का ढेला) भी फूलों की सुगंध देता है। अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवशय पड़ता है जैसे जिस मिटटी में फूल खिलते है उस मिट्टी से भी फूलों की सुगंध आने लगती है।


05 : - मुर्ख व्यक्ति उपकार करने वाले का भी अपकार करता है। इसके विपरीत जो इसके विरुद्ध आचरण करता है, वह विद्वान कहलाता है।


06 : - विनाश का उपस्थित होना सहज प्रकर्ति से ही जाना जा सकता है।


07 : - अधर्म बुद्धि से आत्मविनाश की सुचना मिलती है।


08 : - चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें।


09 : - राजा के सेवकों का कठोर होना अधर्म माना जाता है।


10 : - दूसरों की रहस्यमयी बातों को नहीं सुनना चाहिए।

 संसार में दो प्रकार के पेड़- पौधे होते हैं -


प्रथम : अपना फल स्वयं दे देते हैं,

जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि ।


द्वितीय : अपना फल छिपाकर रखते हैं,

जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि ।


जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और  ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं ।


किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं।


ठीक इसी प्रकार...

जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, *उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है।


वही दूसरी ओर


 जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, *वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है।


प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने  की बात है।

 *(एक खूबसूरत कविता सभी शिक्षकों के लिये!!)*


*मत पूछिए कि शिक्षक कौन है?*

*आपके प्रश्न का सटीक उत्तर* 

         *आपका मौन है।*

*शिक्षक न पद है, न पेशा है,*

                     *न व्यवसाय है ।*

*ना ही गृहस्थी चलाने वाली*

                         *कोई आय हैं।।*

 *शिक्षक सभी धर्मों से ऊंचा धर्म है।*                                                    *गीता में  उपदेशित* 

         *"मा फलेषु "वाला कर्म है ।।*    

    

        *शिक्षक एक प्रवाह है ।*

        *मंज़िल नहीं राह  है ।।*    

          *शिक्षक      पवित्र   है।*      

        *महक फैलाने वाला इत्र है*

 *शिक्षक स्वयं जिज्ञासा है ।*

*खुद कुआं है पर प्यासा है ।।*


*वह डालता है चांद सितारों ,*

*तक को तुम्हारी झोली में।* 

*वह बोलता है बिल्कुल,* 

*तुम्हारी  बोली   में।।*

 *वह कभी मित्र,*

        *कभी मां तो ,*

             *कभी पिता का हाथ है ।*

*साथ ना रहते हुए भी,*

            

 *ताउम्र का साथ है।।*

 

*वह नायक ,खलनायक ,*

*तो कभी विदूषक बन जाता है ।*

 *तुम्हारे   लिए  न  जाने,*

 *कितने  मुखौटे   लगाता है।।*


*इतने मुखौटों के बाद भी,*

 *वह   समभाव  है ।*

*क्योंकि यही तो उसका,*

 *सहज    स्वभाव है ।।*

            

*शिक्षक कबीर के गोविंद सा,*

                   *बहुत ऊंचा है ।*

  *कहो भला कौन,* 

              *उस तक पहुंचा है ।।*

*वह न वृक्ष है ,*

      *न पत्तियां है,*

                *न फल है।*

           *वह केवल खाद है।*

 *वह खाद बनकर,*

             *हजारों को पनपाता है।*

 *और खुद मिट कर,*

             *उन सब में लहराता है।।*


 *शिक्षक एक विचार है।*

 *दर्पण है ,   संस्कार है ।।*


 *शिक्षक न दीपक है,*

                  *न बाती है,*

                         *न रोशनी है।*

 *वह स्निग्ध  तेल है।*

          *क्योंकि उसी पर,*

 *दीपक का सारा खेल है।।*


*शिक्षक तुम हो, तुम्हारे भीतर की*

               *प्रत्येक अभिव्यक्ति है।*

*कैसे कह सकते हो,*

            *कि वह केवल एक व्यक्ति है।।*

 

*शिक्षक चाणक्य, सान्दिपनी*

          *तो कभी विश्वामित्र है ।*

 *गुरु और शिष्य की*

       *प्रवाही परंपरा का चित्र है।।*


 *शिक्षक  भाषा का मर्म है ।*

*अपने शिष्यों के लिए धर्म है ।।*


*साक्षी  और    साक्ष्य है ।*

*चिर  अन्वेषित   लक्ष्य  है ।।*


*शिक्षक अनुभूत सत्य है।*

*स्वयं  एक   तथ्य है।।*


 *शिक्षक ऊसर को*

           *उर्वरा करने की हिम्मत है।*

 

*स्व की आहुतियों के द्वारा ,*

         *पर के विकास की कीमत है।।*    *वह इंद्रधनुष है ,*


*जिसमें सभी रंग है।* 

*कभी सागर है,*      

       *कभी तरंग है।।*


 *वह रोज़ छोटे - छोटे* 

             *सपनों से मिलता है ।*

*मानो उनके बहाने* 

                *स्वयं खिलता  है !*


*वह राष्ट्रपति होकर भी,*

       *पहले शिक्षक होने का गौरव है।*

 *वह पुष्प का बाह्य सौंदर्य नहीं ,*

       *कभी न मिटने वाली सौरभ है।*


*बदलते परिवेश की आंधियों में ,*

         *अपनी उड़ान को* 

  *जिंदा रखने वाली पतंग है।*

 *अनगढ़ और  बिखरे* 

        *विचारों के दौर में,*

   *मात्राओं के दायरे में बद्ध,*

*भावों को अभिव्यक्त*

        *करने वाला छंद है। ।*


*हां अगर ढूंढोगे ,तो उसमें*

 *सैकड़ों कमियां नजर आएंगी।*

*तुम्हारे आसपास जैसी ही* 

      *कोई सूरत नजर आएगी  ।।*


*लेकिन यकीन मानो जब वह,*

         *अपनी भूमिका में होता है।*

 *तब जमीन का होकर भी,*

         *वह आसमान सा होता है।।*


 *अगर चाहते हो उसे जानना ।*

 *ठीक - ठीक     पहचानना ।।*


*तो सारे पूर्वाग्रहों को ,*

          *मिट्टी में गाड़ दो।*

*अपनी आस्तीन पे लगी ,*

    *अहम् की रेत  झाड़ दो।।*

 *फाड़ दो वे पन्ने जिन में,*

           *बेतुकी शिकायतें हैं।*

 *उखाड़ दो वे जड़े ,*

    *जिनमें छुपे निजी फायदे हैं।।*


 *फिर वह धीरे-धीरे स्वतः*

              *समझ आने लगेगा*

*अपने सत्य स्वरूप के साथ,*

   *तुम में समाने लगेगा।।*


 *सभी शिक्षकों को समर्पित* 🙏🙏

 *कौन सी आदतें हैं जो दर्शाती हैं कि आप अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो?* 👇👇👇👇👇👇


1-आप उठते हैं और बिस्तर पर फोन पर घंटों बिताते हैं।


2-आप करियर से ज्यादा मनोरंजन पसंद करते हैं।


3-आपके पास जीवन लक्ष्य से अधिक मित्र हैं।


4-आप हमेशा रिश्तों, प्यार के बारे में सोचते हैं।


5-आपको ज्ञान प्राप्त करना पसंद नहीं है।_


6-आप अखबार नहीं पढ़ते हैं।


7-आप अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देना पसंद करते हैं।


8-आप पूरा दिन सोचते हैं लेकिन कुछ नहीं करते।


9-तुम बहुत सोते हो।


10-आपके पास सोशल मीडिया प्रोफाइल को घूरने का समय है


11-लेकिन आपके पास अच्छे करियर विकल्प खोजने का समय_नहीं है।


12-आपके पास नेटफ्लिक्स, कपड़े और जूते पर खर्च करने के लिए पैसा है, लेकिन प्रतियोगिता_परीक्षा फॉर्म पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं।


13-आप हमेशा खुद को पीड़ित के रूप में दिखाते हैं।


14-आप सोशल मीडिया पर अनावश्यक बातचीत और झगड़े में व्यस्त रहते हैं।


15-अपने खर्च के लिए अपने माता-पिता से पैसे मांगते समय आपको शर्म नहीं आती।

 *सफलता क्या है ??*


*4 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।*


*8 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने घर वापिस आने का रास्ता जानते है।*


*12 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने अच्छे मित्र बना सकते है।*


*18 वर्ष की उम्र में मदिरा और सिगरेट से दूर रह पाना सफलता है।*


*25 वर्ष की उम्र तक नौकरी पाना सफलता है।*


*30 वर्ष की उम्र में एक पारिवारिक व्यक्ति बन जाना सफलता है।*


*35 वर्ष की उम्र में आपने कुछ जमापूंजी बनाना सीख लिया ये सफलता है।*


*45 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपना युवावस्था बरकरार रख पाते हैं।*


*55 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं।*


*65 वर्ष की आयु में सफलता है निरोगी रहना।*


*70 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप आत्मनिर्भर हैं किसी पर बोझ नहीं।*


*75 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने पुराने मित्रों से रिश्ता कायम रखे हैं।*


*80 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आपको अपने घर वापिस आने का रास्ता पता है।*


*और 85  वर्ष की उम्र में फिर सफलता ये है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।*


अंततः यही तो जीवन चक्र है.. जो घूम फिर कर वापस वहीं आ जाता है जहाँ से उसकी शुरुआत हुई है और 


*यही जीवन का परम सत्य है।*


::संभाल कर रखिए अपने आप को::

 Best Motivational Thought's Platform_🥰


❣️ठोकरें अपना काम करेंगी,

तू अपना काम करता चल,

वो गिराएंगी बार बार, 

तू उठकर फिर से चलता चल।।🌈


❣️हर वक्त, एक ही रफ्तार से,

दौड़ना कतई जरुरी नहीं तुम्हारा,

मौसम की प्रतिकूलता हो, 

तो बेशक थोड़ा सा ठहरता चल।।🌈


❣️अपने से भरोसा न हटे,

बस ये ध्यान रहे तुम्हें सदा,

नकारात्मक ख्याल दूर रहे तुझसे,

उनसे थोड़ा संभलता चल।।🌈


❣️पसीने की पूंजी लूटाकर,

दिन रात मंजिल की राह में,

दिल के ख़्वाबों को,

जमीनी हकीकत में बदलता चल।।

 🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹🎉🌹


*👨🏻👉🏿भिगोई हुई मूंगफली के ये 9 चमत्कारी फायदे जान रोज खाना शुरू कर देंगे आप👈🏿👩🏻*


*👩🏻1⃣👉🏿 मगफली पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में अगर आप किसी भी कारण से दूध नहीं पी पाते हैं तो यकीन मानिए मूंगफली का सेवन इसका एक बेहतर विकल्प है।*


🌺👉🏿 मगफली स्वाद में तो बेहतरीन होती ही है लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि ये स्वास्थ्य के कितनी फायदेमंद है। 


🌺👉🏿 अक्सर लोग इसे स्वाद के लिए ही खाते हैं पर यकीन मानिए इससे होने वाले फायदे जानकर आप भी चौंक जाएंगे।


*👩🏻2⃣👉🏿मगफली भिगोकर ही क्यों खाये-------👇🏾👇🏾👇🏾*


🌺1⃣👉🏿 मगफली सेहत के लिए रामबाण है .दरअसल यह वनस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। 


🌺2⃣👉🏿 हल्थ रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि दूध और अंडे से कई गुना ज्यादा प्रोटीन होता है मूंगफली में । 


🌺3⃣👉🏿 इसके अलावा यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत हैं। थोड़े से मूंगफली के दानों में 426 कैलोरीज, 5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 17 ग्राम प्रोटीन और 35 ग्राम वसा होती है। 


🌺4⃣👉🏿 इसमें विटामिन ई, के और बी6 भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है। साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो भिगोई हुई मूंगफली और भी अधिक फायदेमंद होती है ..क्योंकि मूंगफली के दानों को पानी में भिगोने से इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स बॉडी में पूरी तरह अब्जॉर्ब हो जाते हैं। 


🌺5⃣👉🏿 आज हम आपको भिगोई हुई मूंगफली खाने के कुछ ऐसे ही फायदे बता रहे हैं जिसे जानने का बाद आप दूसरें महंगे पौष्टिक चीजों के बजाए इसका सेवन करना पसंद करेगें।


*👩🏻3⃣👉🏿 मगफली के बेहतरीन फायदे-------👇🏾👇🏾👇🏾*


*🌺1⃣👉🏿 कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है👈🏿* मूंगफली कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में 5.1 फीसदी की कमी आती है। इसके अलावा कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएलसी) की मात्रा भी 7.4 फीसदी घटती है।


*🌺2⃣👉🏿अनिद्रा शुगर कंट्रोल करता है👈🏿*  भिगोई हुई मूंगफली के सेवन से सुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है..साथ ही ये डायबिटीज से बचाती है।


*🌺3⃣👉🏿पाचन शक्ति बढ़ाता है👈🏿*  मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स होने के कारण ये पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या खत्म हो जाती है.. साथ ही, गैस व एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है। 


*🌺4⃣👉🏿गर्भवती महिलाओं के लिए है👈🏿* फायदेमंद मूंगफली का नियमित सेवन गर्भवती स्त्री के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसमें फॉलिक एसिड होता है जो कि गर्भावस्था में शिशु के विकास में मदद करता है।


*🌺5⃣👉🏿हार्ट प्रॉब्लम का निजात👈🏿*  शोध से यह भी पता चला है कि सप्ताह में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम रहता है।


*🌺6⃣👉🏿तवचा के लिए भी है लाभकारी👈🏿* मूंगफली स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होती है। मूंगफली में ओमेगा-6 फैट भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं और अच्छी त्वचा के लिए जिम्मेदार है।


*🌺7⃣👉🏿मड अच्छा बनाता है👈🏿* मूंगफली में टिस्टोफेन होता है जिस वजह से इसके सेवन से मूड भी अच्छा रहता है।


*🌺8⃣👉🏿उम्र का प्रभाव कम करता है👈🏿* प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन और एंटीआक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से स्किन उम्र भर जवां दिखाई देती है।


*🌺9⃣👉🏿आखों के लिए है रामबाण👈🏿* मूंगफली का सेवन आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है.. इसमें बीटी कैरोटीन पाया जाता है जिससे आंखें healthy  reहती हैं।

 अपने आप पर पूरा विश्वाश रखें!*


*| Inspired Motivational Thought *


एक मेंढकों की टोली जंगल के रास्ते से जा रही थी. अचानक दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गये. जब दूसरे मेंढकों ने देखा कि गढ्ढा बहुत गहरा है तो ऊपर खड़े सभी मेढक चिल्लाने लगे ‘तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते, गढ्ढा बहुत गहरा है, तुम दोनों इसमें से निकलने की उम्मीद छोड़ दो. 


उन दोनों मेढकों ने शायद ऊपर खड़े मेंढकों की बात नहीं सुनी और गड्ढे से निकलने की लिए लगातार वो उछलते रहे. बाहर खड़े मेंढक लगातार कहते रहे ‘ तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो, तुम्हें हार मान लेनी चाहियें, तुम दोनों को हार मान लेनी चाहियें. तुम नहीं निकल सकते.


गड्ढे में गिरे दोनों मेढकों में से एक मेंढक ने ऊपर खड़े मेंढकों की बात सुन ली, और उछलना छोड़ कर वो निराश होकर एक कोने में बैठ गया. दूसरे  मेंढक ने  प्रयास जारी रखा, वो उछलता रहा जितना वो उछल सकता था.


बहार खड़े सभी मेंढक लगातार कह रहे थे कि तुम्हें हार मान लेनी चाहियें पर वो मेंढक शायद उनकी बात नहीं सुन पा रहा था और उछलता रहा और काफी कोशिशों के बाद वो बाहर आ गया.  दूसरे मेंढकों ने कहा ‘क्या तुमने हमारी बात नहीं सुनी.


उस मेंढक ने इशारा करके बताया की वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वो बेहरा है सुन नहीं सकता, इसलिए वो किसी की भी बात नहीं सुन पाया. वो तो यह सोच रहा था कि सभी उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं. 


📍 *कहानी से सीख -*

1. जब भी हम बोलते हैं उनका प्रभाव लोगों पर पड़ता है, इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें. 

2. लोग चाहें जो भी कहें आप अपने आप पर पूरा विश्वाश रखें और सकरात्मक सोचें.

3. कड़ी मेहनत, अपने ऊपर विश्वाश और सकारात्मक सोच से ही हमें सफलता मिलती है.

 जीवन बदलने वाली  कहानी🙏🌹


पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों 🌾🌿की तरफ निकल आये, तभी पुत्र 👱 न देखा कि रास्ते में, पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते 👞👟🥾उतरे पड़े हैं, जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर 👳‍♀ क थे.


पुत्र को मजाक 🧐सझा. उसने पिता से कहा  क्यों न आज की शाम को थोड़ी शरारत से यादगार 😃 बनायें,आखिर ... मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है. पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा.🤨


पुत्र बोला ~ हम ये जूते👞👟🥾 कहीं छुपा कर झाड़ियों🌲 क पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा😂 आएगा.उसकी तलब देखने लायक होगी, और इसका आनन्द  ☺️म जीवन भर याद रखूंगा.


पिता, पुत्र की बात को सुन  गम्भीर 🤫हये और बोले " बेटा ! किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना ❌. जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं,वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं. तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है,✅


 तो आओ .. आज हम इन जूतों👞👟🥾 म कुछ सिक्के  💰💷डाल दें और छुप कर 👀 दखें कि ... इसका मजदूर👳‍♀ पर क्या प्रभाव पड़ता है.पिता ने ऐसा ही किया और दोनों पास की ऊँची झाड़ियों  🌲🌿म छुप गए.


मजदूर 👳‍♀ जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों 👞👟🥾की जगह पर आ गया. उसने जैसे ही एक पैर 👢 जते में डाले उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ 😲, उसने जल्दी से जूते हाथ में लिए और देखा कि ...अन्दर कुछ सिक्के 💰💷 पड़े थे.


उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सिक्के हाथ में लेकर बड़े गौर से  🧐उन्हें देखने लगा.फिर वह इधर-उधर देखने लगा कि उसका मददगार 🤝शख्स कौन है ?


दूर-दूर तक कोई नज़र👀 नहीं आया, तो उसने सिक्के अपनी जेब में डाल लिए. अब उसने दूसरा जूता उठाया,  उसमें भी सिक्के पड़े थे.


मजदूर भाव विभोर  ☺️हो गया.

वो घुटनो के बल जमीन पर बैठ ...आसमान की तरफ देख फूट-फूट कर रोने लगा 😭. वह हाथ जोड़ 🙏 बोला 


हे भगवान् 🙏 ! आज आप ही ☝️ किसी रूप में यहाँ आये थे, समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके  माध्यम से जिसने भी ये मदद दी,उसका लाख-लाख धन्यवाद 🙌🙏.आपकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी 🤒🤧🤕को दवा और भूखे बच्चों 👦को रोटी🍜🥪 मिल सकेगी.तुम बहुत दयालु हो प्रभु ! आपका कोटि-कोटि धन्यवाद.🙏☺️


मजदूर की बातें सुन ... बेटे की आँखें 👁भर आयीं.😥😩


पिता 👨‍🦳न पुत्र👱 को सीने से लगाते हुयेे कहा क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू😢 और  दिए हुये आशीर्वाद🤚 तम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ❓


    बेटे ने कहा पिताजी .. आज आपसे मुझे जो सीखने ✍️🙇 को मिला है, उसके आनंद ☺️ को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ. अंदर में एक अजीब सा सुकून☺️ ह.


आज के प्राप्त सुख 🤗और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा. आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था.आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी है।

 🍁

🌝🌝  परेरणादायक रात्रि कहानी  🌝🌝

          


एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई.


      वह बोली, "डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"


मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"


तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। 


मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।"


मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। 


तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।"


"उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई। तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे ख़ुशी मिल सकती है, तो हो सकता है कि दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। 


इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था,के लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।"


"हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी।"


"आज,मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।"

यह सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। 


उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी। लेकिन उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।


मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।


तो आईये आज शुभारम्भ करें इस संकल्प के साथ कि आज हम भी किसी न किसी की खुशी का कारण बनें।


🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

 विधार्थी जीवन 🧑‍💻👨‍🎓🙇‍♂ म समय का  ⏰महत्व


👇👇👇


समय की सही किमत ⏱ पहचानने वाला ही सफलता का सितारा  🌟बनाता है। विधार्थी जीवन के गुजरते हर क्षण 🕰करोड़ों हीरों 💎💎💎 स भी अधिक मूल्यवान होते हैं ‼️ कयोंकि ये जीवन में सुख, शान्ति और सफलता 🏆🥇परदान करने वाले होते हैं।


समय का मूल्य जानने वाला विधार्थी ही अपने जीवन में सदैव सफलता प्राप्त करता है। प्रस्तुत चित्र के ऊपरी भाग में दर्शाया गया है कि विधार्थी जीवन में समय, धन तथा तन की शक्तियों के महत्व को जानकर उनको अपने जीवन में सदुपयोग करने से सदा प्रगति के पथ पर बढ़ सकते हैं।


इन शक्तियों का उचित उपयोग करने से चिन्तन शक्ति को बढ़ावा मिलता है जिससे जीवन में नए-नए आविष्कार कर सकते हैं तथा उसके आधार से समाज अथवा देश का भला हो सकता है। इस रीति से विधार्थी अपनी बुद्धि को विकसित कर सकता है।


सदा प्रसन्न व हर्षितमुख 😊 वही विधार्थी रह सकता है जो कि अपना हर कार्य समय से पूर्व कर लेता है। इस जीवन में उमंग उत्साह तभी ही आ सकता है जबकि हम किसी भी कार्य को पूरा करने में समय की पाबंदी ⏰ का ध्यान रखते हैं। समय पर कार्य सम्पन्न करने से एक प्रकार की आत्मिक संतुष्टि तथा खुशी का अनुभव होता है। हम अपने जीवन के अमूल्य क्षणों का विवेचन करके सदा शक्ति संचय कर सकते हैं तथा उत्तरोत्तर उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। नियमित कार्य करने में ही सफलता निहित होती है।


समय के सदुपयोग ⏳ स जहाँ एक तरफ युवा जीवन का सर्वागींण विकास  🎯🎖एवं उन्नति होती है वहीं दूसरी तरफ हमें समय के दुरुपयोग से अनेक प्रकार की कठिनाइयों एवं समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।


जैसे कोई विधार्थी अपने अध्ययन के अमूल्य समय को आलस्य एवं लापरवाही के कारण सोने में व्यतीत कर देता है तो इससे वह पढ़ाई में कितना कमजोर हो जाता है इसका अनुमान लगाना भी कठिन है। पढ़ाई के साथ-साथ उसका वह समय जो आलस्य तथा निन्द्र में बीत गया वह पुन: इस जीवन में वापिस नहीं आ सकता।❌ जब वह अपना अध्ययन का कार्य समय पर पूरा नहीं कर पाता तो उसके मन में उसकी भविष्य की असफलता की चिन्ता सदैव ही उसको अशान्त किये रहती है।


विधार्थी जीवन में तो आलस्य का आना ही सफलता के दरवाजे को बंद कर दुखों के सैलाब को अमन्त्रण देना है। क्योकि दुनिया में 🌍 सब कुछ दुबारा मिल सकता है केवल बीता हुआ समय पुन: वापिस नहीं  मिल सकता। 🚫अत: विधार्थी जीवन में समय का बड़ा महत्व है।

 हथौड़ा_और_चाबी🗝


Short Hindi Stories With Moral 

नैतिक शिक्षा देती हिंदी कहानी


 

शहर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। लोग वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताले वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो कभी-कभार ताले तोड़ने के काम आता था।


हथौड़ा अक्सर सोचा करता कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबियों में कौन सी खूबी है जो इतने मजबूत तालों को भी चुटकियों में खोल देती हैं जबकि मुझे इसके लिए कितने प्रहार करने पड़ते हैं?


एक दिन उससे रहा नहीं गया, और दूकान बंद होने के बाद उसने एक नन्ही चाबी से पूछा, “बहन ये बताओ कि आखिर तुम्हारे अन्दर ऐसी कौन सी शक्ति है जो तुम इतने जिद्दी तालों को भी बड़ी आसानी से खोल देती हो, जबकि मैं इतना बलशाली होते हुए भी ऐसा नहीं कर पाता?”


चाबी मुस्कुराई और बोली,


दरअसल, तुम तालों को खोलने के लिए बल का प्रयोग करते हो…उनके ऊपर प्रहार करते हो…और ऐसा करने से ताला खुलता नहीं टूट जाता है….जबकि मैं ताले को बिलकुल भी चोट नहीं पहुंचाती….बल्कि मैं तो उसके मन में उतर कर उसके हृदय को स्पर्श करती हूँ और उसके दिल में अपनी जगह बनाती हूँ। इसके बाद जैसे ही मैं उससे खुलने का निवेदन करती हूँ, वह फ़ौरन खुल जाता है।


दोस्तों, मनुष्य जीवन में भी ऐसा ही कुछ होता है। यदि हम किसी को सचमुच जीतना चाहते हैं, अपना बनाना चाहते हैं तो हमें उस व्यक्ति के हृदय में उतरना होगा। जोर-जबरदस्ती या forcibly किसी से कोई काम कराना संभव तो है पर इस तरह से हम ताले को खोलते नहीं बल्कि उसे तोड़ देते हैं ….यानि उस व्यक्ति की उपयोगिता को नष्ट कर देते हैं, जबकि प्रेम पूर्वक किसी का दिल जीत कर हम सदा के लिए उसे अपना मित्र बना लेते हैं और उसकी उपयोगिता को कई गुना बढ़ा देते हैं।


इस बात को हमेशा याद रखिये-


हर एक चीज जो बल से प्राप्त की जा सकती है उसे प्रेम से भी पाया जा सकता है लेकिन हर एक जिसे प्रेम से पाया जा सकता है उसे बल से नहीं प्राप्त किया जा सकता।

Saturday, February 15, 2020

एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है...
:
नारदमुनि ने कहा - भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा...
:
नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है...
:
आदमी बहुत खुश रहने लगा...
उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी...
:
एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ...
:
आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना...
इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को...
:
मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है...
:
अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई...
:
उसने नारदमुनि को बुलाया की हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है...??
:
नारदमुनि ने कहा - तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या...??
:
हाँ हुई है...
:
तो यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है...
इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे...
:
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई 31 रूपये होने लगी...
:
फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 11 रूपये मिल रहे थे लेकिन अभी 31 रूपये क्यों मिल रहे है...
क्या मै कोई अपराध कर रहा हूँ...??
:
मुनिवर ने कहा- यह तेरे बच्चे के भाग्य के 20 रुपये मिल रहे है...
:
हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है...
किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता...
:
लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया,,,मैंने कमाया,,,
मेरा है,,,
मै कमा रहा हूँ,,, मेरी वजह से हो रहा है...
:
हे प्राणी तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा कमा रहा है...।👍👍👍👍
*🙏😔औरत का सफर☺🙏*
★★★★★★★★★★★★★
😔बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔अपनों से नाता तोड़कर किसी गैर को अपनाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺अपनी ख्वाहिशों को जलाकर किसी और के सपने सजाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😊नहा धोकर फिर सबके लिए नाश्ता बनाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺पति को विदा कर बच्चों का टिफिन सजाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔झाडू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔पता ही नही चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺फिर से सबका खाना बनाने किचन में जुट जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺सास ससुर को खाना परोस स्कूल से बच्चों को लाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😊बच्चों संग हंसते हंसते खाना खाती और खिलाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺फिर बच्चों को टयूशन छोड़,थैला थाम बाजार जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺घर के अनगिनत काम कुछ देर में निपटाकर आती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔पता ही नही चलता कब दोपहर से शाम हो जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔सास ससुर की चाय बनाकर फिर से चौके में जुट जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
☺खाना पीना निपटाकर फिर बर्तनों पर जुट जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔सबको सुलाकर सुबह उठने को फिर से वो सो जाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😏हैरान हूं दोस्तों ये देखकर सौलह घंटे ड्यूटी बजाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😳फिर भी एक पैसे की पगार नही पाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😳ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत का मजाक उडाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😳ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत पर चुटकुले बनाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😏जो पत्नी मां बहन बेटी ना जाने कितने रिश्ते निभाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😔सबके आंसू पोंछती है लेकिन खुद के आंसू छुपाती है..
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*🙏नमन है मेरा घर की उस लक्ष्मी को जो घर को स्वर्ग बनाती है..☺*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*☺ड़ोली में बैठकर आती है और अर्थी पर लेटकर जाती
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
इसे तो शेयर करना आप का फर्ज बनता हैं नहीं तो आप का व्हाटसऐप चलाना बेकार हैं