Thursday, September 10, 2020

 तुम अक्सर ताना मारती थी, मैं तुम्हारे लिए कुछ लाता नही हूँ। "कुछ नही तो एक गुलाब ही लाते ना..!!"


तुम्हे पता नहीं मेघा,मैं सारे गुलाब किताबों में रख देता हूँ, इस उम्मीद से कि किसी दिन तुम्हारे पढ़ने से किताबों में रखे ये मुरझाए फूल फिर से खिल उठेंगे, फिर से कभी मुरझा जाने के लिए..!!


वैसे भी..तुम्हे जब भी कुछ दिया मैंने तो बस किताबें ही दिया। तुम्हें पता है, मेरे पास की सबसे अनमोल चीज़ तुम्हारा प्यार था..और..और..सबसे कीमती मेरी किताबें...!! कभी किसी जन्म..युग मे जब हम साथ हो सकेंगे...तब..तब..पढ़ेंगे साथ बैठकर उन तमाम आधे-अधूरे किस्सों को किताबों को, और तब..किताब में रखे वो सूखे गुलाब फिर से खिलेंगे एक बार...कभी ना मुरझाने के लिए..!!


अभी तो डरता हूँ, तुम्हे गुलाब देने से।तुम्हें देकर,तुम्हे खो देना सह्य नही होगा। पाकर खो देना क्या होता है तुम ना महसूस करो तो अच्छा है धरा। 

तुम्हें सब कुछ देकर भी बिना कुछ दिए जीता हूँ.. कि खुद को जी सकूँ तुम्हारे साथ।तुम्हे कुछ देकर तुमसे दूर नही होना।


पर..उस दिन बहुत सोचने के बाद एक हार्ट शेप का छोटा पर प्यारा सा गुब्बारा खरीदा था तुम्हारे लिए। सोचा था आज तुम्हारी शिकायत दूर कर सकूँगा।हाथ में गुब्बारा लिए जैसे ही घर से निकला सड़क पर एक 6-7 साल की बच्ची मिली..हाथ में कटोरा लिए। मैं पास ही खड़े एक गुब्बारे वाले से 30-40 गुब्बारों का गुच्छा खरीदा, उसी गुच्छे में अपना गुब्बारा भी बाँधा और उसके हाथ से कटोरा निकाल कर थमा दिया उसके नन्हें हाथों में।


बच्ची ने खुश होकर उस गुच्छे से एक गुब्बारा मेरी ओर बढ़ा दिया, मैंने भी पर्स से 40 रुपए निकाल कर उसे थमा दिया...और वो गुब्बारा ले कर अपनी बाइक के हैंडल से बाँध लिया प्यार से।

अब मेरे पास फिर से एक गुब्बारा था, और उस नन्ही बच्ची के हाथ में कटोरे के बदले गुब्बारों का गुच्छा।

मैं मुस्कुराते हुए चल पड़ा। विश्वास करो ये मुस्कुराहट तुम्हे हार्ट शेप गुब्बारा देने से मिलने वाली मुस्कान से ज्यादा अच्छी थी, क्योंकि

मुझे लग रहा था.. जैसे हज़ारों हार्ट शेप गुब्बारे मैंने एक साथ टाँक दिए हों तुम्हारे जुल्फ, चूड़ी, कँगन, चुनरी सब में।

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