हर घड़ी तुझमे डूबा रहता हूँ,
बेख़याली का माजरा क्या है
रास्ते मिल अगर नहीं सकते,
फ़िर #तेरी #याद में रक्खा क्या है.. ❤️❤️
वो सहर शाम का मिलना तुझसे,
हर सहर शाम याद आता है
बज़्म में जब किसी से मिलता हूँ,
सिर्फ तेरा ही नाम आता है
खुद को तेरी नज़र में देखा है,
ये ना जाना कि आईना क्या है
रास्ते मिल अगर नहीं सकते,
फिर तेरी याद में रक्खा क्या है...🔥🔥🔥
बीती गलियों में वो सदा तेरी,
मुझको हर रोज़ क्यूँ बुलाती है
मेरी तनहाइयाँ हर इक लम्हा,
मुझको तेरा पता बताती हैं
ज़र्रा-ज़र्रा तुझे तलाशा है,
मुझको फिर भी मगर मिला क्या है
रास्ते मिल अगर नहीं सकते,
फिर तेरी याद में रक्खा क्या है...🥰🥰
खुशनुमा हो, या मौसम पतझड़ हो,
पहले जैसा वो अब खुमार नहीं
तेरी यादों ने रौंद डाला है,
क्या तुझे अब भी ऐतबार नहीं
"राही" राहों में राह तकता है,
जाने दिन-रात फ़लसफ़ा क्या है
रास्ते मिल अगर नहीं सकते,
फिर तेरी याद में रक्खा क्या....🖤🖤
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