Sunday, September 13, 2020

 Copies from someone else's post but so True....


मेरी मां गलती से असली बाबा के पास चली गई. मेरी बीवी की शिकायत करने लगी. 

कहा - बहू ने बेटे को बस में कर रखा है, कुछ खिला-पिला दिया है, इल्म जानती है, उसकी काट चाहिए.

असली बाबा ने कहा - माताजी आप बूढ़ी हो गई हैं. भगवान के भजन कीजिए. बेटा जिंदगी भर आपके पल्लू से बंधा रहा. अब उसे जो चाहिए, वो कुदरतन उसकी बीवी के पास है. आपकी बहू कोई इल्म नहीं जानती. अगर आपको बेटे से वाकई मुहब्बत है, तो जो औरत उसे खुश रख रही है, उससे आप भी खुश रहिए.

मेरी मां आकर उस असली बाबा को कोस रही है क्योंकि उसने हकीकत बयान कर दी. मेरी मां चाहती थी कि बाबा कहे हां तुम्हारी बहू टोना टोटका जानती है. फिर बाबा उसे टोना तोड़ने का उपाय बताते और पैसा लेते. मेरी मां पैसा लेकर गई थी, मगर बाबा ने पैसा नहीं लिया.

कहा - तुम्हारी बहू को कुछ बनवा दो इससे.

मेरी मां और जल-भुन गई. मेरी मां को नकली बाबा चाहिए, असली नहीं.


मेरी बीवी भी असली बाबा के पास चली गई. 

कहने लगी - सास ने ऐसा कुछ कर रखा है कि मेरा पति मुझसे ज्यादा अपनी मां की सुनता है.

असली बाबा ने कहा - बेटी तुम तो कल की आई हुई हो,अगर तुम्हारा पति मां की इज्जत करता है, मां की बात मानता है, तो फख्र करो कि तुम श्रेष्ठ पुरुष की बीवी हो. तुम पतिदेव से ज्यादा सेवा अपनी सास की किया करो, तुमसे भी भगवान खुश होगा.

मेरी बीवी भी उस असली बाबा को कोस रही है. वो चाहती थी कि बाबा उसे कोई ताबीज दें, या कोई मन्त्र लिख कर दे दें, जिसे वो मुझे घोलकर पिला दे. मगर असली बाबा ने उसे ही नसीहत दे डाली. उसे भी असली नहीं, नकली बाबा चाहिए.


मेरे एक रिश्तेदार कंजूस हैं. उन्हें केंसर हुआ और वे भी असली बाबा के पास पहुंच गए. असली बाबा से केंसर का इलाज पूछने लगे.

बाबा ने उसे डांट कर कहा - भाई इलाज कराओ, भभूत से भी कहीं कोई बीमारी अच्छी होती है. हम रूहानी बीमारियों का इलाज करते हैं, कंजूसी भी एक रूहानी बीमारी है. जाओ अस्पताल जाओ, यहां मत आना.

उन्हें भी उस असली सन्त से चिढ़ हुई. कहने लगे - नकली है साला, कुछ जानता-वानता नहीं.


एक और रिश्तेदार चले गए असल सन्त के पास,पूछने लगे - धंधे में घाटा जा रहा है, कुछ दुआ कर दो.

सन्त ने कहा - दुआ से क्या होगा धंधे पर ध्यान दो. बाबा फकीरों के पास बैठने की बजाय दुकान पर बैठो, बाजार का जायजा लो कि क्या चल रहा है.

वे भी आकर खूब चिढ़े. वे चाह रहे थे कि बाबा कोई दुआ पढ़ दें. मगर असली सन्त इस तरह लोगों को झूठे दिलासे नहीं देते.


 इसीलिए लोगों को असली बाबा,असली संत, ईश्वर के असल बंदे नहीं चाहिए.


कबीर को, नानक को, रैदास को इसीलिए तकलीफें उठानी पड़ीं कि ये लोग सच बात कहते थे. किसी का लिहाज नहीं करते थे.

नकली फकीरों, और साधु संतों की चल-हल इसीलिए संसार में ज्यादा है, क्योंकि लोग झूठ सुनना चाहते हैं, झूठ पर यकीन करना चाहते हैं, झूठे दिलासों में जीना चाहते हैं. सो लाख कह दिया जाए फलाँ फर्जी है, मगर लोगों फर्जी संत चाहिए.


*इस कठोर दुनिया में झूठ और झूठे दिलासे ही उनका सहारा हैं. सो जैसी डिमांड वैसी सप्लाई*

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