Sunday, September 13, 2020

 अजी छोड़ो न जी, इनमें क्या रखा है

अजी छोड़ो भी, इनको हमने भी देखा है

अजी छोड़ो न जी, क्यों बातें बनाते हो

क्यों झूठी बातों से, दिल बहलाते हो

अजी छोड़ो न जी, हमने भी सब आजमाया है

अरे जानो क्या तुम, कितना सूद चुकाया है।

हांजी झूठे हैं सब, फरेब का जाल है ये

अजी समझो न जी, सब आँखों का कमाल है ये

सच्ची रायों का नही, मीठी बातों का जमाना है 

मीठी बातें करके, सबको अपना काम निकालना है

अपना उल्लू उसके डाल बैठे, ऐसा सीधा कर जाना है

अजी छोड़ो न जी, हमने भी देखा ये जमाना है।


कागज हैं ख़्वाब सारे, ज्वालामुखी सा बाहर का मन है

भीग जाने का डर है लेकिन, बारिश में ये तन है

झूठ का ही बोलबाला है, झूठ का ही ये निवाला है

झूठ से बनते काम सारे, यहां सच का मुँह काला है

अजी छोड़ो न जी, हमने भी आजमाया है

टुकड़े बटोर रहे हैं दिल के, जब से दिल लगाया है।

अजी छोड़ो न जी, दिल की बातें किसको सुनानी है

कर लो चार मीठी बातें, बात अगर मनवानी है


झूठ का पर्दा भी गिरेगा एक दिन

इल्जाम हैं बेरुखी के, वो भी अपनाएंगे

अजी छोड़ो न जी, जिनको जाना है जाने दो

अगर होंगे हम उनके अपने, तो वो लौट आएंगे

अजी छोड़ो न जी, हमने भी छीना अपनी हलक का निवाला है

दिल देकर दिलवाले समझे खुद को, आज निकला दिवाला है

अजी छोड़ो न जी, उनकी रीत यही है

तुम समझो हार इसे, मेरी जीत यही है।

मेरे गम के बादल के पीछे, खुशियों का खजाना है

अजी छोड़ो न जी, हमने भी देखा ये जमाना है।


दौलत के बादल पर उड़ता वो, बड़ा दिलवाला है

सूरत है भोली मगर, दिल तो उसका काला है

मर मिटे हैं उनपर जाने क्या वो देखकर

शर्मा जाएं शर्म भी, उनकी बेहयाई देखकर

अजी छोड़ो न जी, हमको क्या अब होना है

देखा है सबको जरा सा हमको भी रोना है

अजी छोड़ो न जी, ये बारिशें हैं कल रात की

जो खो गया वो गया, गम हो किस बात की

अजी छोड़ो न जी, हमको भी अब कह जाना है

हाँजी छोड़ो न जी, हमने भी देखा ये जमाना है।

No comments:

Post a Comment