Sunday, September 13, 2020

 यह सच है बदल गयी हूँ मैं !

उम्र आने पर संवर गयी हूँ मैं | 

हाँ यह सच है ,कुछ-एक सफ़ेद बालों की गरिमा से भर गयी हूँ,

एक औरत से माँ बन गयी हूँ मैं !


 सबको प्यार से संभाला अब तक, अपनी जरूरतों को प्यार से सहलाया आज ,हाँ ,थोड़ी -थोड़ी सी बदल गयी हूँ मैं !


रिश्तों को निभाती हूँ ,उससे जुड़े भार नहीं ढोती ,कितने बोझ अपने कन्धों पर लेकर चलूँ , समझ में आ गयी है यह बात कि ,आखिर औरत हूँ,धरती नहीं हूँ मैं !


आजकल दूसरों को एकदम से सलाह नहीं देती ,अगर उसकी स्थिति मेरे समझ से बाहर हो | अपने ज्ञान का प्रर्दशन करने से पहले, दूसरों को सलाह देने से पहले, खुद को टटोलने लगी हूँ मैं !


उनके घर में गया मेरा 5 -10 रुपया शायद घर की जरुरत के दिए के लिए तेल बन जाये , इसलिए आजकल सब्जी वाले ,ऑटो वाले से ,काम वाली से बिन बात मोलभाव नहीं करती , शॉपिंग मॉल में लुटे पैसे का भाव समझ गयी हूँ मैं |


जानती हूँ खुद को सजाना ,संवारना जरुरी है पर खुद को सँवारने से पहले आत्मा पर पड़े मैल खुरचने लगीं हूँ मैं !

लगता है अब निखर गयीं हूँ मैं !


थक जाने पर शरारतें बच्चों की परेशां करतीं है ,पर अब उनपर चिल्लाती नहीं ,उन्हें समझने की कोशिश में लगीं हूँ मैं !गीली मिट्टी सवांरने लगीं हूँ मैं !


बुजुर्गों के किस्सों मे उनके बचपन को जी लिया करतीं हूँ ,अनेकों बार सुनी उनकी बातों पर आज उन्हें टोकती नहीं बस पहली बार सुना हो वैसे मज़े लेने लगीं हूँ मैं |


हरेक दिन को आखरी समझ कर जीने का तरीका सीख रहीं हूँ ,अपने इस नए "मैं" से प्यार करने लगीं हूँ मैं !


वक़्त से पंख उधार लेकर तितलियों सी उड़ने लगी हूँ मैं, फिर भी पैरों के नीचे जमीन रखतीं हूँ ,


 "खुद से दोस्ती करने लगी हूँ मैं !"

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