Thursday, October 29, 2015

एक 18 साल का लड़का,
ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था।

अचानक वो खुशी में जोर से चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
पेड़ पीछे जा रहे हैं।

उसके पिता ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फिराया।

वो लड़का फिर चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ-साथ चल रहे हैं।

पिता की आँखों से आंसू निकल गए।

पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था।

उसने कहा- इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चों जैसी हरकतें कर रहा है।
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते?

पिता ने कहा- भाई हम लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं।
मेरा बेटा जन्म से अँधा था।
आज ही इसको नयी आँखे मिली हैं।


------ नेत्रदान करें ------
------ किसी के जीवन में रौशनी भरें ------

No comments:

Post a Comment