एक 18 साल का लड़का,
ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था।
अचानक वो खुशी में जोर से चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
पेड़ पीछे जा रहे हैं।
उसके पिता ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फिराया।
वो लड़का फिर चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ-साथ चल रहे हैं।
पिता की आँखों से आंसू निकल गए।
पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था।
उसने कहा- इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चों जैसी हरकतें कर रहा है।
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते?
पिता ने कहा- भाई हम लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं।
मेरा बेटा जन्म से अँधा था।
आज ही इसको नयी आँखे मिली हैं।
------ नेत्रदान करें ------
------ किसी के जीवन में रौशनी भरें ------
ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था।
अचानक वो खुशी में जोर से चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
पेड़ पीछे जा रहे हैं।
उसके पिता ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फिराया।
वो लड़का फिर चिल्लाया- पिताजी! वो देखो,
आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ-साथ चल रहे हैं।
पिता की आँखों से आंसू निकल गए।
पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था।
उसने कहा- इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चों जैसी हरकतें कर रहा है।
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते?
पिता ने कहा- भाई हम लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं।
मेरा बेटा जन्म से अँधा था।
आज ही इसको नयी आँखे मिली हैं।
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