Saturday, October 31, 2015

मित्रों....
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है....
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....
मशवरा तो खूब देते हो
"खुश रहा करो" कभी कभी वजह भी दे दिया करो...
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है,
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है....
कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं....
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना ..क्यों कि 'नकाब' हो या 'नसीब'
सरकता जरूर है''...
गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी
साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं
मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए....


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